Sunday 13 April 2014

बैसाखी पर गुरुग्रंथ साहिब की पूजा


बैसाखी पर गुरुग्रंथ साहिब की पूजा
: सोमवार को बैसाखी है। गुड़ सत्तु खाने का दिन और जालियावाला बाग कांड तथा खलसा पंथ के गठन की बरसी भी। वैसे इस दिन का भौगोलिक महत्व भी है। स्थानीय संदर्भ में बाबा बिहारी दास संघत में रखे गए सैकड़ों साल पुराने गुरुग्रंथ साहिब से महत्व इस दिन का बढ़ जाता है। 1यहां लकड़ी से लिखा हस्तलिखित ग्रंथ है, जिसकी पूजा होगी, प्रसाद वितरित किए जाएंगे। अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सर्राफ ने बताया कि शाम को लंगर लगेगा। सोन पर पुल बनाने आए सिक्ख पंथी लोग भी शिरकत करेंगे। पूर्व में पंच प्यारेभी एक बार निकाला गया था। इस बार ऐसा नहीं होगा। बैसाखी पर्व बंगाल में पैला (पीला) बैसाख नाम से, दक्षिण में बिशु और केरल, तमिल, असम में बिहू के नाम से मनाया जाता है। 1इस दिन सतुआ, गुड़ दूध के साथ या आम की चटनी के साथ खाने की भी परंपरा है। कई घरों में तो इस दिन खाना भी नहीं बनता है। रात्रि में खिचड़ी खाने को महत्व दिया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु गोविंद सिंह ने बैसाख माह की षष्ठी तिथि के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसी दिन मकर सक्रांति भी थी। इसी कारण से बैसाखी का पर्व सूर्य की तिथि के अनुसार मनाया जाने लगा। सूर्य मेष राशि में प्राय: 13 या 14 अप्रैल को प्रवेश करता है, इसीलिए बैसाखी भी इसी दिन मनाई जाती है। 1प्रत्येक 36 साल बाद भारतीय चंद्र गणना के अनुसार बैसाखी 14 अप्रैल को पड़ती है। गुरु गोविंद सिंह जी, बैसाखी दिवस को विशेष गौरव देना चाहते थे इसलिए उन्होंने ने 1699 ई. को बैसाखी पर श्री आनंदपुर साहिब में विशेष समागम किया। इसमें देश भर की संगत ने आकर इस ऐतिहासिक अवसर पर अपना सहयोग दिया। गुरु गोविंद सिंह ने इस मौके पर संगत को ललकार कर कहा- देश को गुलामी से आज़ाद करने के लिए मुङो शीश चाहिए। 1गुरु साहिब की ललकार को सुनकर पांच वीरों दया सिंह खत्री, धर्म सिंह जट, मोहकम सिंह छीवां, साहिब सिंह और हिम्मत सिंह ने अपने अपने शीश गुरु गोविंद सिंह जी को भेंट किए। इन्हें ही पंच प्यारे कहा गया। इसी बैशाखी को खालसा पंथ का जन्म हुआ, जिसने संघर्ष करके उत्तर भारत में मुगल साम्राज्य को समाप्त कर दिया। हर साल बैसाखी के उत्सव पर खालसा पंथ का जन्म दिवस मनाया जाता है। इस इतिहास से दाउदनगर संघत का भी एक सिरा जुड़ा हुआ है। इसका गर्व है। अब इस संघत में पुराने के स्थान पर एक शिव मंदिर और एक भव्य गुरुद्वारा का निर्माण किया जा रहा है।

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