Thursday 30 November 2023

सांस्कृतिक संसार का धूमकेतु : श्रीश चंद्र मिश्र सोम

 


उपेंद्र कश्यप


(यह आलेख मैंने अपनी स्मारिका उत्कर्ष-3 में प्रकाशित किया था। यह उनसे बातचीत पर आधारित है। जैसा उन्होंने बताया था। आप तस्वीर में देख सकते हैं कि हम दोनों स्टूडियो यादें में बैठकर बात कर रहे हैं।)


खगड़िया जिला के राका निवासी श्री चंद्र मिश्र सोम का दाउदनगर में आगमन किसी धूमकेतु से कम नहीं था। उन्होंने अपने दम पर यहां साहित्य, संस्कृति का संसार रचा, उसे गढ़ा और कई अनगढ़ कलाकारों को सांस्कृतिक संस्कार दिया। उन्हें नाटक खेलने (मंचन) की तहजीब सिखाया। वह भी अपने पैशेगत कर्म की विचारधारा से विपरीत जाकर। अशोक उच्च विद्यालय में बतौर जीव विज्ञान के शिक्षक के रूप में पदस्थापित होकर 1965 में आए। जीवों का विज्ञान जाने वाले यह शख्स भीतर से बड़ा दयालु, सहृदय, मृदु भाषी और मिलनसार थे। वह समाज के पिछड़ापन, उसका दर्द देख भाव विह्वल होते हैं और उसे शब्द दे देते हैं। उनकी छंद बद्ध और मुक्त छंद की कविताएं, गीत आकाशवाणी एवं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रसारित प्रकाशित होने लगा। लोहियावादी सोम फणीश्वर नाथ रेणु की खासियत से प्रभावित थे। सोन भ्रमण और पिकनिक में शामिल होने से उनका सामाजिक संबंध का दायरा विस्तारित होता गया। उनके छात्र उनकी साहित्यिक रुचियों के कारण उनसे आत्मीय रूप से जुड़ते गए। कारवां बढ़ता गया और किसी साल की 13 सितंबर को ज्ञान गंगा नाटक संस्था का गठन किया गया (तब उन्हें वर्ष स्मरण नहीं था)। उन्होंने नाटक लिखने से लेकर उसके निर्देशन तक की जिम्मेदारी अपने कंधे पर लिया। उनकी दृष्टि बड़ी बारीक थी। दूर तक जाती थी। स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम इन्हें प्रभावित करते थे। हिरोशिमा नागासाकी की परमाणु घटनाओं से चिंतित विश्व समुदाय ने निशस्त्रीकरण पर चर्चा कर रहा था और यहां वह आगाज-ए-रोशनी का मंचन। 1970 के आसपास सभी शस्त्र अस्त्र को जमींदोज करने की अपील एक अधेड़ शख्स कर रहे थे। संदेश दे रहे थे कि बिना ऐसा किये मानव का भला नहीं हो सकता। धर्म के बिना विज्ञान का विकास संभव नहीं है। दोनों साथ रहकर विकास कर सकते हैं। नाटकों के मंचन के लिए लोग स्वतः स्फूर्त सहयोग के लिए आगे आते थे। 1970, 1980 और 1990 के दशक में नाटक मनोरंजन का प्रमुख माध्यम हुआ करता था। बिना प्रचार के ही भीड़ जुड़ जाती थी। तब भी हालांकि शहर में सिनेमाघर चलता था लेकिन घरों में टेलीविजन कैद आबादी नहीं थी। 

उन्हें दिखावा पसंद नहीं था। चापलूसी से दूर रहते और बड़े अच्छे श्रोता थे। उन्होंने आगाज-ए-रोशनी, बर्फ पिघलता है, अग्नि शिखा जैसे नाटक लिखे और इसका मंचन भी किया। कई प्रतिष्ठित नाटक कारों का नाटक मंचन किया गया। उनके जाने के साथ नाटक मंचन का दौर यहां खत्म हो गया। अब वह देहातों में बचा हुआ है। उन्होंने तीन पीढ़ियों को नाटक रचने, खेलने का गुण सिखाया। उनके सहकर्मी थे एमबीबीएस स्व. डॉक्टर मनोज, स्वर्गीय प्रोफेसर सच्चिदानंद प्रसाद, स्वर्गीय डॉक्टर विश्वनाथ, महेंद्र गुप्ता एवं अन्य। दूसरी पीढ़ी विद्यार्थियों एवं उनके हमउम्रों की थी। जिसमें द्वारिका प्रसाद उर्फ गुरुजी, ओमप्रकाश, बृजनंदन, सुजीत चौधरी उर्फ नेपू, बबलू जैसे लोग थे। और फिर बाद की एक पीढ़ी ने उनसे बहुत कुछ सीखा। जिसमें स्वयं यह लेखक उपेंद्र कश्यप, संजय शांडिल्य, कपिलेश्वर विद्यार्थी, कृष्ण किसलय (अब स्वर्गीय) जैसे लोग शामिल थे। कृष्ण किसलय सोनमाटी साप्ताहिक के लिए राय मशवरा करते थे। उनकी दो शख्सियत साथ रही। लोगों को याद है जीव विज्ञान का शिक्षक होने के बावजूद उन्होंने विज्ञान के शब्दों को अंग्रेजी के बदले हिंदी में लिखा पढ़ाया यथा कैलिक्स का कूट चक्र, कोटेला का दल चक्र, इनफ्लोरेन्स का पुष्प चक्र, मुंडक जैसे शब्द इस्तेमाल करते रहे। दूसरी उनकी एक अदा हमेशा याद आती है। घर में प्लेट में रखी हरी-हरी, छोटी-छोटी भांग की गोलियां। जिसे खाने वाले पहुंचते और स्वयं उठाकर खाते। चाय के साथ कविता पाठ या गप्पें। और बीच-बीच में पान की बटिया से एक पान निकाल कर चबाना।



और अंत में…

(30.12.23को लिखा)


मेरे मित्र अवधेश पांडे के स्मरण में है कि कैसे उन्होंने सीट का सिटीए उच्चारित किया और बुझ को बुझड। और खुली चुनौती कि दोनों सही है। जीव विज्ञान के शिक्षक रहते पटना आकाशवाणी से उन्होंने इस पर आधे घंटे का पाठ पढ़ा था। जिसे लोगों ने कौतूहलवश सुना था। और तब दाउदनगर के वे ऐसे पहले गुरु माने गए थे जिनका पाठ आकाशवाणी पर पढ़ा गया।

Sunday 5 November 2023

अमझर शरीफ में सांप्रदायिक तनाव रोकने को बनेगा आउटपोस्ट

 



यहां के 31 घरों में चलता है अवैध बूचड़खाना 

शीघ्र होगा आउटपोस्ट का उद्घाटन, तैयारी पूरी

फिलहाल 10 पुलिस बल और एक पदाधिकारी प्रतिनियुक्ति 

यहां हमेशा होते रहता है पशु तस्करी को लेकर विवाद 

संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : अनुमंडल के हसपुरा प्रखंड के अमझर शरीफ में हमेशा सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनते रहती है। इसकी वजह अवैध पशु तस्करी का होना है। प्रशासन का स्पष्ट मानना है कि यहां के 31 घर ऐसे हैं जहां अवैध बूच़डखानों का संचालन होता है। अभी दो नवंबर को सुखाडी बिगहा के मंदिर में मांस का टुकड़ा पाए जाने के बाद लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त हुआ है। महत्वपूर्ण है कि अभी तक तीन बार पशु मांस का टुकड़ा फेंके जाने को लेकर इस इलाके में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनी है और एक बार पुलिस पर हमला भी हो चुका है। पुलिस सूत्रों के अनुसार ताजा विवाद से पहले 21 जुलाई और दो जुलाई 2023 को पशु मांस का टुकड़ा फेंके जाने को लेकर विवाद हो चुका है। इन तीनों ही मामलों की प्राथमिक की गई है। इससे पहले 13 जून 2023 को अवैध पशु तस्करी के मामले को लेकर पुलिस जब गांव में छापामारी करने गई थी तो उन पर हमला हुआ था। इस मामले में दो प्राथमिकी की गई थी दो दर्जन से अधिक नामजद आरोपित बनाए गए थे। पुलिस के हाथ कोई सफलता नहीं लगी हद यह कि तब पुलिस से कार्बाइन और हथियार छीन लिए गए थे। इस सब के मद्देनजर यहां आउटपोस्ट खोलने का निर्णय लिया गया है। एसडीओ मनोज कुमार और डीएसपी कुमार ऋषिराज ने इस बात की पुष्टि की है कि आउटपोस्ट खोला जाएगा। इसी के लिए शनिवार की देर शाम एसपी श्वेता जी मेश्राम और इन पदाधिकारियों ने स्थल निरीक्षण किया था। सारी तैयारी लगभग पूरी की जा चुकी है और कभी भी यहां आउटपोस्ट खोला जाना है। डीएसपी ने बताया कि फिलहाल आउटपोस्ट में 10 पुलिस बल और एक पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गयी है।



घरों को चिन्हित कर बना है नजरी नक्शा


अंचल अधिकारी द्वारा गांव का सर्वे कर 31 घरों को चिन्हित किया गया है। इस संबंध में नजरी नक्शा बनाया गया है। खास बात यह है कि सारे घरों का प्रवेश एवं निकास अमझर शरीफ कब्रिस्तान वाली गली के बगल के सड़क से होता है। सूत्रों के अनुसार इस गली और सड़क से अवैध पशुओं के लाने और ले जाने पर नियंत्रण के लिए पुलिस पदाधिकारी और नोडल अधिकारी सह दंडाधिकारी प्रतिनियुक्ति करने का अनुरोध एसडीओ ने किया था। इसके बाद हसपुरा प्रखंड के मौजा अमझर शरीफ एवं मुस्लिमाबाद में अवैध पशुओं के लाने और ले जाने पर नियंत्रण के लिए भ्रमणशील नोडल पदाधिकारी सह दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी की प्रति नियुक्ति तीन नवंबर से अगले आदेश तक के लिए की गई है। जिसमें पशु चिकित्सा पदाधिकारी हसपुरा डाक्टर कुश कुमार और भ्रमणशील पशु चिकित्सा अधिकारी डाक्टर आशुतोष कुमार को नोडल पदाधिकारी सह दंडाधिकारी बनाया गया है। जबकि पुलिस अवर निरीक्षक विजय कुमार सिंह सलैया थाना को नोडल पुलिस पदाधिकारी बनाया गया है। कुल 10 पुलिस बल यहां तैनात किए गए हैं।




नजरी नक्शा के अनुसार करना है काम 

डीएम और एसपी के संयुक्त आदेश में निर्देश दिया गया है कि अंचल अधिकारी हसपुरा से नजरी नक्शा प्राप्त कर उसके अनुसार भ्रमणशील रहकर अवैध पशुओं के लाने और ले जाने पर नियंत्रण रखने का कार्य प्रतिनियुक्त अधिकारियों को करना है। स्थल का आकलन करते हुए प्राप्त पुलिस बल को आवश्यकता अनुसार प्रतिनियुक्त करना सुनिश्चित किया जाना है। हसपुरा थाना अध्यक्ष को निर्देश दिया गया है कि उपरोक्त प्रतिनियुक्ति पुलिस बलों के आवासन की व्यवस्था थाना परिषर में ही करेंगे। दाउदनगर के एसडीओ व डीएसपी को संयुक्त आदेश के तहत निर्देश दिया गया है कि दोनों मुख्यालय में उपस्थित रहेंगे। भ्रमणशील रहकर विवादित स्थल पर विशेष चौकसी बरतेंगे और विधि व्यवस्था, शांति व्यवस्था बनाए रखना सुनिश्चित करेंगे।

लिखा-5.11.23



Wednesday 1 November 2023

अस्पताल, दवा दुकान और पैथोलाजी को नप ने भेजा नोटिस

 


शहर के अस्पतालों, दवा दुकानदारों और पैथोलाजियों में मचा हड़कंप 

उठाया गया नहर किनारे फेंका गया मेडिकल कचरा 

संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : चंद रुपयों के लिए खतरे में डाल रहे जान- शीर्षक से सोमवार को दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर का काफी असर हुआ है। नगर परिषद ने यहां चल रहे निजी असप्तालों, जांच घरों, दवा दुकानदारों को नोटिस भेजा है। इससे इनमें हड़कंप मच गया है। इस खबर में बताया गया था कि नहर के किनारे आबादी के बीच मेडिकल कचरा को लोग चंद रूपये बचाने के लिए फेंक दे रहे हैं। जबकि उनके निस्तारण के लिए गया की एजेंसी यहां लगातार आती है और नियम के मुताबिक मेडिकल कचरा का निस्तारण विधि सम्मत न किया जाना अपराध है। इससे पहले भी दैनिक जागरण ने- मेडिकल कचरा ना बने खतरा- अभियान चलाया था। इसके बावजूद अस्पताल, दवा दुकान और जांच घर चलाने वाले लोग कचरा को सड़क किनारे फेंक रहे हैं। जिससे आम लोगों का जनजीवन प्रभावित हो सकता है। लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के अनुसार अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डा.राजेश कुमार सिंह ने बताया था कि ये दवाईयां होमियोपैथी की हैं और इनकी आपूर्ति सरकारी अस्पतालों में नहीं होती। डा. मनोज कुमार ने बताया था कि इन दवाओं के अंश से पशु, मनुष्य, वनस्पति तीनों को खतरा हो सकता है। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय ने करवाई और जुर्माना का प्रविधान की बात कही थी। खबर प्रकाशित होने के बाद सोमवार को कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय के निर्देश पर कचरा उठाने का काम किया गया। इसके लिए दो सफाई कर्मी सुरक्षित पोशाक, दास्ताना और मास्क लगाकर मेडिकल कचरों को निस्तारण के लिए उठा कर ले गए। यहां के निवासी एथलीट दयानंद शर्मा ने बताया कि मेडिकल कचरा इस तरह फेंके जाने से यहां के लोगों के लिए खतरनाक स्थिति बन गयी थी। जिसने भी यह फेंका हो उसे इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि आगे इस तरह का कचरा खुले स्थान पर ना फेंके। इधर नगर परिषद के सिटी मैनेजर विनय प्रकाश ने बताया कि शहर में जितने भी निजी अस्पताल, दवा दुकान और पैथोलैब हैं सभी को नोटिस भेजा जा रहा है कि वह मेडिकल कचरा के निस्तारण का विधिसम्मत उपाय करें अन्यथा उनके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।



भेजे गए नोटिस के प्रसंग में लिखा- दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर 



नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा इस क्षेत्र के सभी अस्पताल, जांच घर और दवाई दुकानों के प्रबंधकों या व्यवस्थापकों के लिए नोटिस जारी किया गया है। जिसमें विषय में बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के संबंध में लिखा गया है जबकि प्रसंग दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर को दिया गया है। सोमवार को जारी इस पत्र में साफ-साफ कहा गया है कि दैनिक जागरण में बताया गया है कि बायो मेडिकल वेस्ट जैव विविधता अवशेषों का निस्तारण सही ढंग से नहीं करके उसे खुले स्थान पर फेंका जा रहा है। जो बायो मेडिकल वेस्ट अधिनियम 2016 का उल्लंघन है। बायो मेडिकल वेस्ट को खुले में फेंके जाने से जनसाधारण के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। बायोमेडिकल वेस्ट अधिनियम का उल्लंघन किए जाने की स्थिति में विधिक कार्रवाई करते हुए आपके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई एवं जुर्माने की राशि की वसूली की जा सकती है। नोटिस में कहा गया है कि अपने संस्थान या प्रतिष्ठान से निकलने वाले बायोमेट्रिक वेस्ट के निस्तारण की प्रक्रिया एवं बायोमेडिकल वेस्ट अधिनियम 16 के अधीन निस्तारण हेतु चिन्हित संस्थान से किए गए निबंधन से संबंधित सूचना नगर परिषद को उपलब्ध कराएं।