Saturday 2 December 2017

दिव्यांगों की जिम्मेदारी से भाग रही सरकार, पीएम से मंत्री तक नहीं सुने फ़रियाद

दैनिक भास्कर में प्रकाशित ख़ास खबर

पीएमओ की पहल पर भी नहीं मिल सकी ट्राईसाइकिल
बैटरी चालित ट्राईसाइकिल की मांग पीएम ने भी नहीं की पूरी
पीएमओ ने आवेदन को भेजा जिला लोक शिकायत निवारण को  
मंत्री सिर्फ फ़रियाद सुनते रहे, दिव्यांग इसके लिए दौड़ लगा रहे
उपेंद्र कश्यप । डेहरी

आज विश्व विकलांग दिवस है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शब्द को नया नाम दिया-दिव्यांग। लेकिन न आयाम बदले, न ही इनकी स्थिति बदली। गूंगी-बहरी सरकार की व्यवस्था दिव्यांगों की जिम्मेदारी से भाग रही है। लाचार बने दिव्यांग कभी पीएम तो कभी मंत्री तो कभी प्रशासनिक महकमे से फ़रियाद के लिए दौड़ रहे हैं, किन्तु कोइ लाभ नहीं हो रहा। स्टेशन रोड में आरके स्टूडियो चला रहे बृजमोहन प्रसाद उर्फ़ ककू जी एक उदाहरण मात्र हैं। ऐसे दिव्यांगों की संख्या काफी है जो पीड़ित हैं और सरकार उनकी नहीं सुन रही है।
दोनों पैर एक दुर्घटना में गंवा चुके बृजमोहन गत 30 महीने से बैटरी चालित ट्राईसाइकिल के लिए दौड़ रहे हैं। पीएम को उनकी बेटी दिव्या सोनी ने मार्च 2017 में पत्र लिख कर फ़रियाद किया। पीएमओ ने पत्र को जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय को भेज दिया। एसडीएम का फोन आया। 04 और 20 अक्टूबर को बेटी कार्यालय में सुनवाई के लिए गयी। अंतत: जवाब मिला कि बिहार में किसी को भी यह उपकरण नहीं मिला इसलिए मांग को अस्वीकार किया जाता है।  दूसरी तरफ बृजमोहन का दावा है कि केंद्र में मंत्री राम कृपाल यादव, मंजू वर्मा और एक अन्य ने दानापुर में बैटरी चालित उपकरण दिया है। काराकाट से सांसद केंद्र में मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा से वे कई बार मिले, फ़रियाद की, हुआ कुछ नहीं।

पीएम अंकल, पापा का जीवन सरल हो जाएगा-दिव्या:-
बृजमोहन प्रसाद की बेटी दिव्या सोनी कक्षा आठ में पढ़ती है। 13 साल की इस बच्ची ने पीएम को लिखे पत्र में कहा कि- 
पीएम अंकल,
पापा 100 प्रतिशत विकलांग हैं। उनके विकलांग होने से घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी है। वे ही कमाते और घर को चलाते थे। अब कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं हैं। उनका जीवन काफी कठीन हो गया है। यदि मोदी अंकल, आप बैटरी चालित ट्राईसाइकिल दे देंगे, तो पापा का जीवन सरल हो जाएगा। आर्थिक स्थिति सुधर जायेगी, वह और उसके भाई पढ़ सकेंगे।
आपकी बेटी-दिव्या सोनी

यूं दोनों पैर गंवा गए ककू:-
05.02.2015, गुरूवार की सुबह कुहरा घना था, जो इनके जीवन को बर्बाद कर गया। वे रामगढ़ से इंटरसिटी एक्सप्रेस से डेहरी आये। ट्रेन से उतरे और पैर फिसल गया। जब तक संभलते ट्रेन खुल गयी और दोनों पैर कट गया। आवाज लगाया, जीआरपी वाले पहुंचे तो बोले-सुसाइड केस है यह तो। अपना परिचय दिया-पूर्व स्टेशन मैनेजर केपी शर्मा के पुत्र हैं। तब फोन नंबर माँगा, अपना दिया और रिंग होने पर उसे पाया। खुद पत्नी को कॉल किया। बीएचयू में जीवन मौत से संघर्ष के बाद 01 अप्रैल 2015 को वहां से स्वस्थ हो कर लौटे। किन्तु, एक नये संघर्ष के लिए। यह संघर्ष उनके साहस के साथ जारी है।

1981 से अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस
अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस सयुंक्त राष्ट्र संघ ने 03 दिसंबर 1991 से प्रतिवर्ष मनाने की स्वीकृति दी थी। सयुंक्त राष्ट्र महासभा ने संघ के साथ मिलकर वर्ष 1983-1992 को अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस दशक घोषित किया था।
भारत में विकलांगों से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन होता है।