Friday 31 March 2023

अनुमंडल कार्यालय कहां खुले इसे लेकर हुआ था आन्दोलन




भखरुआं बनाम बाजार का था विवाद


खूब था सामाजिक-राजनीतिक दबाव


दाउदनगर अनुमंडल स्थापना के 32 वर्ष पर विशेष


उपेंद्र कश्यप । दाउदनगर (औरंगाबाद)


31 मार्च 1991 को दाउदनगर अनुमंडल गठन की घोषणा परेड ग्राउंड मैदान में की गई थी और बगल में ही शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय (डायट तरार) के एक भवन में अनुमंडल कार्यालय अस्थाई तौर पर शुरू किया गया था। तब से लेकर अब तक 32 वर्ष बीत गए। अनुमंडल कार्यालय कहां खोला जाए, इसे लेकर भी शहर में तब एक आंदोलन चला था। अनुमण्डल कार्यालय नहर के उस पार भखरुआं में बनेगा कि इस पार बाजार में। इसे लेकर विवाद शुरू हुआ। शहर वालों ने जब आन्दोलन छेड़ा तो तत्कालीन मंत्री रामबिलास सिंह ने कहा कि जगह का अभाव है। तब डा.राय (ह्वाइट हाउस), शांति निकेतन (पुराना शहर) तथा खुर्शीद खान के मकान दिखाये गये। उधर बारहगांवा का दबाव तत्कालीन मंत्री पर था कि अनुमण्डल भखरूआं ही बने। शहरियों का तब नारा था- ‘माड़-भात खायेगें, अनुमण्डल यहीं बनायेगें।’ देवरारायण यादव की अध्यक्षता में आईबी में बैठक की गयी। वहां मंत्री श्री सिंह ने कहा- ‘क्या करें? इस उंगली को काटो तो उतना ही दर्द होगा, जितना उसको काटने से।’ यानी वे द्वंद्ध झेल रहे थे। अंततः शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में अनुमण्डल कार्यालय अस्थाई तौर पर शुरू हुआ। प्रशासनिक इकाई के तौर पर यहाँ अनुमण्डल कार्य करना शुरू कर दिया। संघर्ष खत्म हो गये। मगर पूर्णता कभी नहीं आयी, अब भी नहीं। जैसे तैसे चलता हुआ वर्ष 2006 में करोड़ो की लागत से अनुमण्डल का निजी कार्यालय परिसर बनकर तैयार हुआ, और शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालय से उठकर यह कार्यालय नये भवन में चला आया। विकास को गति तो मिली किंतु पूर्णता का अभाव अब भी है। जब अनुमंडल गठन का 32 वर्ष पूरा हो गया तो अनुमंडल वासियों को यह उम्मीद भी है कि राज्य सरकार जल्द से जल्द अनुमंडल संचालन के लिए जरूरी तमाम कमरे, भवन या आवासीय परिसर का निर्माण करेगी।


 


10 वर्ष बाद शिल्पकार की बनी प्रतिमा


अनुमंडल बनाने का श्रेय जिस रामविलास सिंह को जाता है वे पांच बार विधायक और तीन बार मंत्री रह चुके हैं। उनकी प्रतिमा अनुमंडल परिसर में बनाने में 10 वर्ष लग गए। जब 22 जून 2009 को उनका निधन हुआ, तभी से यह महसूस किया जाने लगा कि उनकी आदमकद प्रतिमा लगे। वर्ष 2005 में विधायक बने सत्यनारायण सिंह ने प्रतिमा लगाने की बात की और करीब 10 वर्ष पहले उन्होंने अनुमंडल कार्यालय परिसर में शिलान्यास का कार्य किया था। विधि संघ के प्रयास से यह आकार भी पाया। यहां चार जनवरी 2019 को उनकी आदमकद प्रतिमा लगी।



जानिए कौन थे रामविलास सिंह 


स्व.राम बिलास सिंह 1967, 1972, 1977, 1985 और 1990 में विधायक बने। वह दाउदनगर हसपुरा और दाऊद नगर ओबरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। तीन बार मंत्री बने। वे समाजवादी नेता रहे। उन्होंने इस संवाददाता से 11 अप्रैल 2009 को बातचीत में बताया था कि अपना पहला चुनाव मात्र 3000 रुपये में लड़े थे और 1990 के चुनाव में मात्र छः से सात हजार रुपये खर्च कर विधायक बने थे।



Thursday 30 March 2023

दाउदनगर बारुण रोड से डार्ड अस्पताल वाली सड़क बनाने की जरूरत

 वार्ड संख्या सात का हाल



वार्ड संख्या सात में नहीं है कोई बड़ी समस्या 

संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : शहर की घनी आबादी में स्थित है वार्ड संख्या सात। आमतौर पर यहां कोई बड़ी समस्या और आवश्यकता नहीं है। अस्पताल और थाना करीब है। वार्ड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस वार्ड में डार्ड आंख अस्पताल है जहां रोज लगभग 300 स्त्री पुरुष इलाज कराने या बीमार के साथ पहुंचते हैं। लेकिन दाउदनगर-बारूण स्टेट हाइवे से जो सड़क अस्पताल होते हुए पुरानी शहर को जाती है वह आज तक नहीं बन सकी है। सबसे बड़ी जरूरत यही है कि इस सड़क का निर्माण शीघ्र कराया जाए। किसी किसी मोहल्ले में सफाई का ना होना, नालियों का टूटा होना, कचरा उठाव में विलंब होने जैसी छोटी मोटी समस्या यहां है।



सड़क बिना होती है आवागमन में समस्या 


डार्ड आंख अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि दाउदनगर बारुण रोड से मदरसा इस्लामिया होते अस्पताल से आगे पुरानी शहर तक सड़क की जरूरत है। अस्पताल में विभिन्न प्रखंडों या जिलों से लगभग डेढ़ सौ मरीज प्रतिदिन ओपीडी में इलाज कराने आते हैं। इनके साथ अन्य लोग भी होते हैं। सड़क निर्माण होने से सुविधा होती। लेकिन यह सड़क काफी जर्जर है। इसका निर्माण शीघ्र कराया जाना चाहिए।



मच्छर का प्रकोप, बढ़ रही बीमारी

मोहम्मद फजलुर रहमान ने बताया कि जलजमाव की समस्या खत्म हो गई है लेकिन मच्छर का प्रकोप काफी है। बैठना मुश्किल हो गया है। इससे बीमारियां फैल रही हैं। इसको रोका जाना अति आवश्यक है। स्ट्रीट लाइट कहीं-कहीं खराब है। कई जगह उसको मरम्मत किए जाने की जरूरत है। मुंशी टोला जैसे मोहल्ले में अंधेरा रहता है।



सफाई ना होना बड़ी समस्या 


कादरी कालोनी में मोहम्मद आलमगीर ने बताया कि सफाई नहीं होती है। पीसीसी गली जो बनी है उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है। टैक्स दे रहे हैं लेकिन कचरे का उठाव नहीं होता है। एक सड़क के दोनों किनारे पर विद्युत खंभा गाड़ दिया गया है जिससे रास्ता अवरुद्ध होता है।



नाली का टूटा हो ना बड़ी समस्या

मोहम्मद नेहाल आलम बताते हैं कि बड़ी मस्जिद के सामने वाली सड़क के दोनों तरफ नाली टूटी हुई है। बाएं तरफ की नारी को पिकअप ने तोड़ दिया था। दाहिने तरफ के नाली भी 200 फीट तक लगभग टूटी हुई है। इसके कारण दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। कचरा उठाव की स्थिति ठीक है।




कई काम करने का दावा 


वार्ड पार्षद राजू राम ने बताया कि नल जल योजना को घर-घर तक पहुंचाया। सरकार की हर योजना को धरातल पर उतारा। वार्ड में लगभग 15 आवास योजना मंजूर कराया। हर गली नली का निर्माण कराया और लोगों के घर तक आने-जाने की सुविधा बहाल हुई। सब के सुख दुख में शामिल रहा।



अब तक के वार्ड पार्षद 

वर्ष 2002 में कुषा यादव उर्फ कृष्णा यादव, 2007 में सीता देवी और 2012 में शबनम आरा नगर पंचायत की वार्ड पार्षद बनी। जब नगर पंचायत से 2018 में नगर परिषद हुआ और चुनाव हुआ तब राजूराम वार्ड पार्षद बने।


 महत्वपूर्ण स्थान 

डार्ड अस्पताल, कादरी उच्च विद्यालय, कादरी इंटर स्कूल व कादरी मध्य विद्यालय।


Wednesday 22 March 2023

बिहार प्रदेश गठन से एक वर्ष पुराना है पानी से चलने वाला मिल

 


बिहार का गठन वर्ष 1911 में और मिल बना 1910 में


इंगलैण्ड से टरबाइन लाकर रखी औद्योगिकीकरण की नींव


बर्मिंघम शहर से मशीन ला रचा दो उद्यमियों ने इतिहास


उपेंद्र कश्यप । दाउदनगर (औरंगाबाद) :


एक कहावत है-पानी से तेल निकालना। इसे दाउदनगर शहर ने सही साबित किया है। जी हां, इस शहर ने पानी से तेल निकालने वाले कारखाने को अभी तक संचालित रखे हुए है। जिसे विस्तार देकर राज्य और केंद्र की सरकारें उर्जा के क्षेत्र में नया अध्याय लिख सकती हैं। यह सोच थी दो उद्यमियों की। वर्ष-1911 में सन्युक्त प्रांत से अलग बिहार राज्य के गठन से एक वर्ष पूर्व संगम साव रामचरण राम आयल एण्ड राइस मिल सिपहां में खोला गया था। औधोगिक घरानों को जहां शोषक माना जाता रहा है वहीं इस मिल की व्यवस्था आदर्श रही है। सोन नहर का निर्माण होने के बाद सन-1910 में नासरीगंज (रोहतास) के उद्यमी संगम साव एवं दाउदनगर के रामचरण राम ने पानी से चलने वाली मिल की स्थापना किया। याद करें ठीक उसी समय जब भारत में प्रथम इस्पात कारखाने की आधारशिला जमशेदपुर में रखी गई थी। यहां इंगलैण्ड के बर्मिंघम शहर से आए टरबाइन की दरातें जब पानी के बहाव से घुमी तो विकास का पहिया भी तेजी से घुमा। मालिकों में शामिल तीसरी पीढ़ी के डा. प्रकाश चन्द्रा को याद है कि इंगलैण्ड का ही बना हुआ एक गैस इंजन है जो क्रुड आयल से चलता था। यह अभी अवशेष के रूप में बचा हुआ है। इस मिल का गौरव और वैभव बड़े इलाके तक फैला था। रामसेवक प्रसाद की मृत्यु (वर्ष 1967) के बाद और बदले औद्योगिक परिवेश के कारण इस अनुठे उद्योग का पतन प्रारंभ हो गया। कभी 150 कर्मचारी यहां रहते थे। 48 की जगह अब सिर्फ 16 कोल्हू चलते हैं। राजस्थान के गंगापुर से प्रतिदिन एक ट्रक न्यूनतम राई आता था। अब सिर्फ महीने में एक ट्रक लाया जाता है। टरबाईन की तकनीकी खराबी दूर करने में काफी परेशानी होती है। कलकता तक जाकर मैकेनिक लाना पड़ता है। सरकार इस तरह के तकनीक को परिमार्जित कराकर नहरी क्षेत्रों में लघु उधोग के रूप में स्थापित करने हेतु अगर प्रोत्साहित करे तो जल-उर्जा से नहरी इलाकों में लघु-उधोग का जाल बिछाया जा सकता है। तरक्की की नई राह खुल सकती है। दूर्दशा से मुक्ति प्राप्त हो सकती है।


 


सरसों नहीं राई की होती है पेराई




डा.प्रकाशचंद्रा कहते हैं कि शुद्धता व गुणवत्ता के लिए यहाँ सरसों नहीं राई की पेराई होती है। इसलिए बाजार में मूल्य प्रतिष्पर्धा करना मुश्किल होती है। बाजार में टिके रहने के लिए नई तकनीक इस्तेमाल करना होगा, स्पेलर बिठाना होगा किन्तु तब मील का मूल स्वरूप बदल जाएगा। पारिवारिक बंटवारा के कारण पूंजी निवेश को लेकर उदासीनता भी है।


 


 लगाए जा रहे हैं 12 कोल्हू-उदय शंकर




मिल संस्थापकों की तीसरी पीढ़ी के डेहरी में रह रहे उदय शंकर बताते हैं कि यहां अब फिल्टर लगा दिया गया है। शुद्धता की गारंटी है। और 12 कोल्हू लगाए जा रहे हैं। दो को इंस्टाल कर दिया गया है। दस शीघ्र ही इंस्टाल किया जाएगा। इसके बाद आठ कोल्हू और लगाए जाएंगे। पुराने कोल्हू की क्षमता कम हो रही है। इसलिए नया लगाया जा रहा है।


 


अब भी 23 रुपये वार्षिक शुल्क देय


यहां एक मौसम में एक लाख मन सरसो तेल का उत्पादन होता था। नहर में पानी ग्यारह महीने उपलब्ध होता था। अंग्रेजों के शासन में गया के तत्कालीन कलक्टर से मिल मालिकों का जो समझौता हुआ था, उसके अनुसार मात्र 23 रूपये वार्षिक सिंचाई विभाग को बतौर कर देना पड़ता था। इसके बदले पानी आपूर्ति तथा नहर की उड़ाही की जिम्मेदारी सरकार की थी। यह बाधित है अब। पैसा उतना ही लगता है। सौ साल पुराना दर क्योंकि समझौता अनुसार जब तक यह उद्योग चलेगा पैसा नहीं बढ़ाया जा सकता। पानी अब चार महीने ही मिल पाता है।


राजनीति का खामियाजा भुगत रहा राजनीतिक अड्डा गुलाम सेठ चौक




राजनीति का खामियाजा भुगत रहा राजनीतिक अड्डा गुलाम सेठ चौक 

जल निकासी और कचरा डंपिंग की बड़ी समस्या 

वार्ड संख्या छह का हाल जागरण आपके द्वार

राजनीति के कारण नहीं लगा वाटर एटीएम मैरिज हाल और दुकान का भी निर्माण न ही सका

दाउदनगर (औरंगाबाद) : पुरानी शहर का हृदय स्थली है गुलाम सेठ चौक, जिसे कांग्रेस द्वारा इंदिरा गांधी की प्रतिमा लगाकर इंदिरा गांधी चौक बना दिया गया। यह वार्ड संख्या छह का प्रमुख स्थान है और राजनीति का अड्डा भी। स्वभाविक है कि राजनीति का अड्डा है तो राजनीति का खामियाजा भी वार्ड को भुगतना पड़ेगा। जल निकासी की बड़ी समस्या है। मियां मोहल्ला मुंशी टोला की सड़क होते बारादरी होते हुए बालूगंज से आगे तक जल निकासी के लिए बड़े नाला की जरूरत है। दूसरी बड़ी समस्या यह है कि इसे डंपिंग जोन बना दिया गया है। वार्ड का कचरा डंपिंग जोन ना होने के कारण वार्ड में एक स्थान पर तो जमा होता ही है दूसरे वार्डों का भी कचरा लाकर यहीं रख दिया जाता है। इंदिरा गांधी स्मारक के पास एटीएम बनाया जा सकता था लेकिन राजनीति की भेंट चढ़ गया और नगर परिषद को यह प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। इसी तरह वर्ष 2009 में जब इस वार्ड से पार्षद बने परमानंद प्रसाद मुख्य पार्षद थे तो यहां एक मैरिज हाल और कई दुकान बनाने का प्रस्ताव लिया गया था लेकिन यह भी राजनीति की भेंट चढ़ गया। राजनीतिक विरोध ने इसे भी बनने से रोक दिया।



बड़ी आबादी पलायन को मजबूर 


इस वार्ड से वार्ड पार्षद रहे पूर्व मुख्य पार्षद परमानंद प्रसाद ने कहा कि काफी गरीब क्षेत्र है यह। बड़ी आबादी रोजगार के लिए बाहर जाती है। यहां साधन कम है। हस्तकला के माहिर कारीगरों की संख्या काफी है और बाहर रहकर हस्तकला से संबंधित काम ही कर अपनी जीविकोपार्जन करते हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार से संबंधित संसाधन और अवसर उपलब्ध हो तो पलायन रुकेगा।


घर तोड़ दिया पैसा नहीं मिला 


वार्ड पार्षद रही शायदा खातून के पति नसीमुद्दीन मंसूरी कहते हैं कि कई गरीबों का आवास योजना के तहत चयन हुआ। उन्होंने अपना घर तोड़ दिया लेकिन किसी को प्रथम किस्त तो किसी को दूसरी किस्त की राशि ही मिल सकी। घर बन नहीं सका और किराया पर रहना पड़ रहा है। वार्ड में एक शौचालय का निर्माण आवश्यक है। लोग गंदगी फैला रहे हैं जिसे रोका जाना चाहिए।



कचरे से बच्चे बूढ़े सभी परेशान 


शंकर कुमार कहते हैं कि मूत्रालय शौचालय होना आवश्यक है। यहां कचरे का डंपिंग जोन नहीं है इसके बावजूद मुख्य सड़क के किनारे न सिर्फ वार्ड का बल्कि दूसरे वार्डों से भी कचरा लाकर रख दिया जाता है। जिससे बदबू निकलती है। इससे बच्चे बूढ़े परेशान हैं। बीमारी का खतरा हमेशा बना रहता है। लोग बीमार पड़ रहे हैं। इस पर नप को ध्यान देना चाहिए।



गार्ड वायर नहीं लगाने से खतरा 


अशरफ जहांगीर कहते हैं कि पीर इलाहीबाग से गुलाम सेठ चौक तक 11000 वोल्ट का तार आया है। इसके नीचे गार्ड वायर नहीं लगाया गया है। तार टूट टूट कर गिरते रहता है। कभी भी बड़ी घटना घट सकती है। वार्ड पार्षद ने कई बार विभाग को लिखा लेकिन तब भी गार्ड वायर नहीं लगाया जा सका। यह बड़ी समस्या है। गली गली वार्ड की दुरुस्त है।



विकास और राहत के किया कई काम

वार्ड पार्षद मोहम्मद सोहेल अंसारी ने बताया कि 20 नली गली का निर्माण कराया। सफाई करवाते रहते हैं खड़ा होकर। महादलित टोला में रोशनी लाने का काम किया। सड़क बनवाया। 80 आवास योजना का लाभ लोगों को मिला। 60 को दूसरी किस्त की राशि मिल गई है। बड़े नाला का निर्माण कराया था कि जलजमाव की समस्या खत्म हो। कई बार स्वास्थ्य शिविर लगाया, लोगों को राहत पहुंचाने का काम लगातार किया। जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र सहजता से लोगों को उपलब्ध कराने का काम किया।


राजनीतिक विशेषता 

वर्ष 2002 में जब नगर पंचायत का चुनाव शुरू हुआ तो रिक्शा चालक फकीर चंद राम वार्ड पार्षद बने और तब उच्च शिक्षा प्राप्त राजनीति में लंबे काल से सक्रिय परमानंद प्रसाद को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 2007 और 2012 में परमानंद प्रसाद चुनाव जीतने में कामयाब रहे और 2007 से 12 तक और फिर 2014 से 2017 तक लगभग आठ वर्ष मुख्य पार्षद रहे। 2018 में जब नगर परिषद का चुनाव हुआ तब सोहेल अंसारी वार्ड पार्षद बने।



 प्रमुख मोहल्ला - नीलकोठी, कुम्हार टोली, मियां मोहल्ला, पठान टोली, केवानी टोला, इलाहीबाग का पश्चिमी हिस्सा।


 प्रमुख स्थान : गुलाम सेठ चौक उर्फ इंदिरा गांधी चौक, इंदिरा गांधी का स्मारक, मदरसा इस्लामिया, छोटी मस्जिद, पुराना शहर संगत।


Sunday 19 March 2023

चौराहा का डिजाइन खराब, इसलिए होते रहती है दुर्घटना



बम रोड से ऊंचा है पटना मुख्य नहर मार्ग 

नहीं दिखता नहर पर फर्राटा भरते वाहन

काफी खतरनाक स्थान, बन गया है ब्लाक स्पाट

 दाउदनगर (औरंगाबाद) : दाउदनगर शहर से बम रोड रोड होते हुए या बुधु बिगहा की तरफ से होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग 139 पर जाने के क्रम में पटना मुख्य नहर पर चौराहा का निर्माण होता है। यह खतरनाक ब्लैक स्पाट बन गया है। यहां आए दिन दुर्घटना होते रहती है। कारण चौराहा का डिजाइन सही नहीं है। सामने फर्राटा भरते वाहन नहीं दिखते। नतीजा दोनों के बीच टक्कर होते रहती है। दरअसल शहर या बुधु बिगहा की तरफ से राष्ट्रीय राजमार्ग 139 के दाउदनगर औरंगाबाद खंड में तरारी के पास पहुंचने के लिए पटना मुख्य नहर को पार करना पड़ता है। जहां सड़क पार होती है वहां चौराहा निर्मित हो जाता है। समस्या यह है कि शहर की तरफ से जाने के क्रम में नहर मार्ग पर चलने वाले वाहन नहीं दिखते और नहर मार्ग पर चलने वाले वाहनों को शहर की तरफ से आ रहे वाहन नहीं दिखते। इस कारण दुर्घटना की आशंका बराबर बनी रहती है और कभी-कभी हादसा हो जाता है। इस स्थान पर बम रोड को ऊंचा करने की जरूरत है। यदि मंदिर के सामने नहर मार्ग से लेकर कुछ लंबाई तक सड़क को ऊंचा कर दिया जाता है तो इस समस्या का कुछ हद तक समाधान निकाला जा सकता है। फिलहाल स्थिति यह है कि इस दिशा में कोई सोच नहीं रहा।



खतरनाक स्थिति, भरावट की जरूरत

नगर परिषद में स्थाई सशक्त समिति के सदस्य, पूर्व उप मुख्य पार्षद और वर्तमान मुख्य पार्षद के प्रतिनिधि कौशलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि यहां स्थिति काफी खतरनाक है। सामने दिखता नहीं है। पेड़ पौधे और मंदिर भी इसकी वजह हो सकते हैं। काफी खतरनाक स्थान बन गया है यह। डर लगता है। सड़क पर भरावट कर लेवल मिलाया जा सकता है। जिससे कुछ आशंका कम हो सकती है।



तत्काल बनाया जाए ब्रेकर, बराबर हो सड़क की ऊंचाई


ई.ग़ुलाम रहबर कहते हैं कि यह सड़क काफी व्यस्त हो गयी है। क्योंकि ये सड़क चार दिशा को जोड़ती है। जब हम राहगीर बाइक या चार चक्का वाहन लेकर बुधु बिगहा की तरफ से राष्ट्रीय राज मार्ग की ओर जाते हैं तो लिंक रोड से नहर रोड काफी ऊंचा होने के कारण मौलाबाग या चौरम या राष्ट्रीय राजमार्ग की ओर से आने वाला वाहन नहीं दिखता। आय दिन हादसा का डर बना रहता है। इसलिए निवेदन है कि नहर मार्ग के दोनों तरफ तत्काल ब्रेकर बना दिया जाए। या लिंक रोड को नहर रोड के बराबर किया जाए। ताकि वाहनों की रफ्तार कम हो, और हादसा का डर खत्म हो।


Friday 17 March 2023

दाउदनगर प्रखंड में पांच सरोवर बनेंगे अमृत

 



कनाप और जमुआंव में बन रहा अमृत सरोवर 

दोनों पर खर्च होंगे नौ-नौ लाख रुपए 

बेलवां, कनाप और संसा में शुरू होगा इस वर्ष निर्माण कार्य 

कम से कम तीन तालाब का और होगा अमृत सरोवर के लिए चयन 

दाउदनगर (औरंगाबाद) : दाउदनगर प्रखंड में जल्द ही पांच सरोवरों को अमृत सरोवर के रूप में बदला जाएगा। दो का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। बाकी तीन का निर्माण कार्य इस वर्ष पूरा होने की संभावना है। इसके अलावा कम से कम तीन और सरोवरों का चयन अमृत सरोवर योजना के तहत किया जाएगा। मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी निर्भय कुमार ने बताया कि कनाप पंचायत मुख्यालय में और संसा पंचायत के जमुआंव में अमृत सरोवर योजना के तहत चयनित सरोवर पर निर्माण का काम शुरू है। यहां लगभग नौ-नौ लाख रुपये खर्च किया जाना है। इसके अलावा बेलवां, कनाप पंचायत मुख्यालय में ही दूसरा सरोवर और संसा पंचायत मुख्यालय में पंचायत सरकार भवन के पास स्थित सरोवर को अमृत सरोवर योजना के तहत चयन किया गया है। एक सभी पांच तालाबों को अमृत सरोवर प्रथम चरण में चयनित किया गया था। इन तीनों पर निर्माण का काम इस वर्ष पूरा कर लिया जाएगा। बताया गया कि औरंगाबाद जिला में अमृत सरोवर चयन के लिए लक्ष्य बढ़ा दिया गया है। दूसरे चरण में दाउदनगर प्रखंड के कम से कम तीन या इससे अधिक तालाबों का चयन अमृत सरोवर योजना के तहत किया जएगा।



योजना के लिए चयन का है यह आधार 

आमतौर पर अमृत सरोवर योजना के तहत उन सरोवरों का चयन करना है जो एक एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में हो और यहां 10000 क्यूसेक पानी ठहराव की क्षमता हो। ऐसा नहीं होने पर इससे कम क्षमता का सरोवर का चयन भी अमृत सरोवर योजना के तहत किया गया है।



एक साल पूर्व हुआए था योजना प्रारंभ

अमृत सरोवर मिशन के तहत नए तालाब खोदने और पुराने तालाबों को पुनर्जीवित कर और बड़े व गहरे तालाब बनाए जाने की योजना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव पर 24 अप्रैल 2022 को इस योजना को शुरू करने की औपचारिक घोषणा की गयी थी। इस योजना के माध्यम से प्रत्येक राज्य के प्रत्येक जिले में 75 से अधिक तालाबों का निर्माण करवाया जाना है। अब यह लक्ष्य बढ़ा दिया गया है। जिससे कि गर्मी के समय में होने वाले भूजल की कमी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।



डेढ़ महीने में बनकर तैयार हो जाएगा सिहाड़ी में 10 मीटर चौड़ा पुल

 


खत्म होगी दुर्घटना की आशंका

 फिलहाल लगाया जा रहा है क्रैश बैरियर 

उदनगर (औरंगाबाद) : बीते मंगलवार की रात दाउदनगर गया राजकीय राजमार्ग 120 पर सिहाड़ी में स्थित तीखा मोड़ के पास नहर में एक वाहन गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस पुल का डिजायन गलत होने के कारण यहां दुर्घटनाएं होती रहती हैं। गत आठ दिसंबर को इससे संबंधित एक खबर दैनिक जागरण में प्रकाशित की गई थी। तीन महीने बीत जाने के बावजूद स्थिति में बदलाव नहीं हुआ। इस संबंध में एनएचएआई गया के कार्यपालक अभियंता राज किशोर प्रसाद ने बताया कि यहां करीब 10 मीटर चौड़ा पुल का निर्माण कराया जाएगा। बताया कि चैती छठ के बाद जब नहर में पानी का बहाव बंद हो जाएगा तब बड़ा पुल बनाने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। जिससे दुर्घटना की आशंका लगभग खत्म हो जाएगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल लोहे का क्रैश बैरियर लगाया जा रहा है और सड़क पर बने पुल के दोनों तरफ रोड ब्रेकर पहले से बना हुआ है। लोहे का क्रैश बैरियर इसलिए लगाया जा रहा है ताकि वाहन चालकों को कोई समस्या ना हो। मालूम हो कि सिहाड़ी में माली रजवाहा पर एनएच 120 का पुल बना हुआ है। काफी तीखा मोड़ है। इस कारण प्राय: सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं और मौत हो जाती है। इसकी समस्या समाधान के लिए कई बार मीडिया रिपोर्ट की गई। अब इसका समाधान शीघ्र होगा। मालूम हो कि माली रजवाहा पटना मुख्य नहर के बाइक 22.99 किलोमीटर से यानी तेजपूरा के ऊपर से निकला है। जो अरवल जिला तक पहुंचकर खेतों की सिंचाई करता है।



गोह का अधूरा पुल भी होगा चालू 

दाउदनगर गया रोड में गोह से थोड़ा पहले बिलारु नाला पर बना पुल भी जल्दी प्रारंभ कर दिया जाएगा। एनएचएआई गया के कार्यपालक अभियंता राज किशोर प्रसाद ने बताया कि सिहाड़ी पुल के साथ यहां भी निर्माण का काम होगा और अधूरे पूल को भी चालू किया जाएगा। जो बरसों पहले बना कर छोड़ दिया गया था। उन्होंने बताया कि सिहाड़ी पुल और बिलारु नाला पुल पर लगभग साडे तीन करोड़ रुपये खर्च करने का बजट है।



प्रदेश टापर ने की थी मांग महत्वपूर्ण यह है कि 2022 में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित मैट्रिक की परीक्षा की टापर रामायणी राय गोह प्रखंड मुख्यालय की थी। उससे दैनिक जागरण ने यह सवाल किया था कि यदि जिला पदाधिकारी औरंगाबाद से कोई एक विकास कार्य मांग करनी हो तो क्या मांगेंगी। तब उन्होंने कहा था कि बिलारु नाला पर बनाकर छोड़ दिए गए अधूरे पुल से यातायात चालू कराया जाए। रामायणी राय की यह मांग अब एक से डेढ़ महीने के अंदर पूरी होने जा रही है।


Thursday 16 March 2023

कचड़ों व शवों से जहरीला हो रहा है नहर का पानी



पशु का शव भी नहर में डाल जाते हैं लोग

तीन भंवरवा के पास एक पखवाड़े से पशु का शव

सड़ते-गलते हुए काफी दिन तक नहर में रह जाते हैं शव

बदबू के कारण नहर किनारे टहलना, चलना मुश्किल

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : नहर का पानी जहरीला हो रहा है और यही पानी खेतों तक जा रहा है। इसी पानी की सिंचाई से फसल लहलहा रहे हैं। हमारे पेट में जा रहा है। और स्वाभाविक है इसका हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह सब इस कारण हो रहा है लोग घरों का कचरा, पूजा और उत्सव के बाद बना कचरा सब कुछ नहर में ले जाकर डाल दे रहे। मरे हुए पशु भी बड़ी संख्या में डाले जाते हैं। ऐसे मृत पशु काफी दिन तक पानी में रहकर सड़ते और गलते रहते हैं। अभी एक पखवाड़े से एक बड़े पशु का शव तीन भंवरवा के पास फंसा हुआ है।

बारुण से पटना जाने वाली पटना मुख्य नहर के किनारे बसी आबादी यही कर रही है और यही हाल इस मुख्य नहर से निकली शाखा नहरों के किनारे बसने वाली आबादी का है। वह भी इस तरह के कचड़े व शव भी डाल देते हैं। बिना सोचे समझे लोग नहर में कचरा व शव डाल रहे हैं। जिससे नहर का पानी जहरीला हो रहा है और दूसरी तरफ नहर में गाद जम रहा है। जिससे नहर की सतह (बेड) ऊंची होती जा रही है। समस्या के मूल में जागरूकता का अभाव है और लोगों में दायित्व व कर्तब्य बोध का अभाव होना है। इसका खामियाजा आम को भुगतना पड़ता है।



कम से कम नहर को तो बख्श दें : सुनील यादव


पर्यावरण पर काम करने, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने वाले ओबरा से चुनाव लड़ चुके जदयू नेता सुनील यादव कहते हैं कि लोगों को कम से कम नहर को तो बख्श देना चाहिए। यह हमारा लाइफलाइन है। इसका पानी सिंचाई के लिए है। यही पानी किसान खेत में ले जाते हैं। फसल पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस मामले को डीएम और एसडीओ को संज्ञान में लेना चाहिए। लोगों को जागरूक कर इस समस्या से मुक्त हुआ जा सकता है। ऐसा किया जाना अति आवश्यक है। किसान हित में यह कतई नहीं है कि लीग नहरों में कचरा डाल दें। सर्वाधिक क्षति किसानों को हो रही है और किसानों द्वारा उपजाया गया खाद्य पदार्थ खाने वाले लोगों पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा। इसे अभी रोका जा सकता है। किसानों को भी आवाज उठानी चाहिए।



पानी का प्रवाह होता है प्रभावित : ईई


सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता (ईई) इंजीनियर प्रियरंजन बताते हैं कि कचरा फेंकते समय पकड़े जाने पर चेतावनी देने का प्रावधान है। नहर की सतह पर गंदगी जमा होता है जिससे पानी का प्रवाह प्रभावित होगा। गाद जमेगा। इससे सभी को क्षति होगी और यह समस्या न सिर्फ मुख्य नहर में बल्कि कोचहासा, माली, अमरा वितरणी, जैसे इलाकों में भी है। जहां लोग नहरों में कचरा डाल देते हैं। जरूरत जागरूक बनने की है। लोगों को जागरूक होना चाहिए इसके प्रति। ऐसा करके लोग सबके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए हर हाल में नहर में कचरा डालने से लोगों को बचना चाहिए।

Wednesday 15 March 2023

 वार्ड नंबर पांच का हाल



बारूण रोड से सोनतराई तक सड़क का निर्माण जरूरी 

स्मारक, शवदाह गृह और सामुदायिक भवन की जरूरत 


दाउदनगर (औरंगाबाद) : वार्ड संख्या पांच में कई बड़ी समस्याएं हैं। दाउदनगर बारुण रोड से सोनतराई तक की लगभग 30 फीट चौड़ी और तीन किलोमीटर लंबी सड़क जो सोनतराई तक जाती है आज तक नहीं बनी। बरसात में इस पर चलना मुश्किल हो जाता है। वर्ष 2001 में शहीद प्रमोद सिंह का स्मारक अभी तक नहीं बना। इसी तरह नगर परिषद द्वारा पांच गुणा पांच फीट जमीन ज्योतिबा फुले स्मारक निर्माण के लिए आवंटित किया गया है लेकिन यह भी अभी तक नहीं बना। वार्ड पार्षद बसंत कुमार कहते हैं कि यह तीनों प्रमुख काम कब होगा कहा नहीं जा सकता। इनके अनुसार नगर परिषद क्षेत्र में दो शवदाह गृह निर्माण का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन यह भी अभी तक नहीं बना। दाउदनगर-नासरीगंज सोन पुल और भूतनाथ मंदिर के पास शवदाह गृह बनाने का निर्णय लिया गया है जो अभी तक नहीं बना। मोहल्ला वासी शिक्षक सत्येंद्र कुमार के अनुसार सामुदायिक भवन का निर्माण नहीं होना बड़ी समस्या है। कई मोहल्ला ऐसा है जहां लोगों को ठहराने के लिए कोई सामुदायिक स्थान नहीं है। इसलिए सामुदायिक भवन की जरूरत है।



28 साल पुराना जर्जर है सामुदायिक भवन


मोहल्ला वासी शिक्षक सतेंद्र कुमार कहते हैं कि विधायक निधि से 1995 में नोनिया बीघा में सामुदायिक भवन बना था। 28 साल पुराना यह भवन अब जर्जर है। रहने लायक नहीं है। दूसरी बड़ी समस्या यह है कि बनी हुई सड़कों को खोद कर नाली बना दिया गया है। हद यह कि सड़क के बीच नाला बनाया गया है। बनी हुई सड़कें टूट फूट का शिकार हो गई हैं। इससे गंदगी पसर रही है। आवागमन प्रभावित हो रही है और नप दर्शक बना हुआ है। नालियों का प्रबंधन सही नहीं है।



अपना घर तोड़ किराए पर रहने को गरीब मजबूर 

खलील माली कहते हैं कि सबसे बड़ी समस्या आवास योजना की है। लोगों को आवास योजना की स्वीकृति दी गई तो लोगों ने अपना घर तोड़ दिया और अभी तक किसी को प्रथम किस्त किसी को दूसरी किस्त की राशि मिल सकी है। नतीजा यह है कि अपना घर तोड़ने के बाद लोगों को किराए के मकान में रहना पड़ रहा है। गरीबी में आटा गीला किया जा रहा है। रहने का जो घर था वह तोडना पड़ा और अब बनाने के लिए राशि नहीं मिली है। कैसे-कैसे बरसात में गुजारा हुआ और अब बरसात आने वाला है।


शिक्षा की कमी, पुस्तकालय की जरूरत


अजय पांडेय कहते हैं कि मुख्य रूप से शिक्षा की कमी है। जिसकी वजह से लोगों में भ्रांतियां बनी हुई रहती है किसी भी कार्य को लेकर। जिस वार्ड के लोगों में शिक्षा की बहुलता रहती है वहां कोई भी विकास का कार्य नहीं रुकता है। वार्ड स्तर पर शिक्षा को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने और हर वार्ड में एक पुस्तकालय की जरूरत है। ताकि युवा एक जगह बैठ कर पढ़ने का कार्य कर सकें।


किया गया है बहुत काम : वार्ड पार्षद


वार्ड पार्षद बसंत कुमार ने बताया कि 99 प्रतिशत सही पात्र को सामाजिक सुरक्षा से आच्छादित किया गया है, सभी घरों में शौचालय, 60 आवास स्वीकृत, मुख्यमंत्री नली गली पक्कीकरण योजना के तहत प्रत्येक गली नाली की योजना स्वीकृत, कुछ में काम शुरू कुछ में होना शेष है। विद्युतीकरण की समस्या लगभग खत्म किया, तीन नया ट्रांसफार्मर लगाया गया। नल जल योजना का लाभ प्रायः सभी घर में उपलब्ध। डोर-टू-डोर कचड़ा का होता है उठाव। 



अब तक के वार्ड पार्षद : 

2002 - सैयदा खातून

2007 - अरुण कुमार सिंह

2012 - बसंत कुमार

2018 - बसंत कुमार 


प्रमुख मुहल्ला : गुलजारपुर, कदम तल, जाट टोला, मियां मुहल्ला, माली टोला उर्फ फुले नगर।


महत्वपूर्ण स्थल : दाउदनगर-नासरीगंज सोन पुल, दो सोन बालू घाट, शहीद प्रमोद सिंह का पुस्तैनी घर, आस्ताना कादरिया, इमामबाड़ा, शिव मंदिर

Tuesday 14 March 2023

छिनतई से बचने का एकमात्र उपाय है सतर्कता

 


0 बैंक से पैसा लेकर निकलते समय रहें सजग 

o सावधानी हटी- दुर्घटना घटी की तर्ज पर हो रही छिनतई

o बैंक से ही पीछे लग जाए रहे लूटेरा गिरोह के सदस्य

 दाउदनगर (औरंगाबाद) : छिनतई की हो रही घटनाओं से आम लोग चिंतित हैं। पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठाया जा रहा है। जदयू के नगर अध्यक्ष रहे पप्पू गुप्ता ने मांग की कि प्रशासन को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए। सुनील कुमार कहते हैं कि बहुत से नए चेहरे नजर आ रहे हैं उस पर ध्यान देना जरूरी है। विजय कुमार अकेला कहते हैं कि बालू दारू से फुर्सत मिले तब ना प्रशासन ध्यान दे। सवाल यह है कि बैंक से पैसा लेकर निकलने वालों के साथ छिनतई की घटनाएं कैसे रोकी या कम की जा सकती है और क्या सिर्फ पुलिस प्रशासन के सहारे इस पर रोक संभव है। क्या वह व्यक्ति खुद जिम्मेदार नहीं है जिसके साथ छिनतई की घटना घट रही है। पुलिस प्रशासन से बातचीत के बाद जो जानकारी निकली उसके मुताबिक बैंक से पैसा लेकर लोग पालिथीन या झोला में लेकर हाथ में रखते हैं या डिक्की में रख कर कहीं नाश्ता पानी करने चले जाते हैं और इस बीच झपट्टा मारकर या डिक्की खोल कर उचक्के पैसा लेकर उड़ जाते हैं। बैंक से पैसा लेकर निकले एक महिला के पीछे गिरोह के सदस्यों ने पाउडर लगा दिया और उसकी गन्ध से वह असंतुलित हुई तो पैसे झपट्टा मारकर अपराधी भाग गए। एक दंपति बैंक से पैसा निकालकर डिक्की में रखा और बाइक खड़ी कर चले गए होटल में खाना खाने। आए तो पता चला उनकी डिक्की से पैसा निकल गया। दोनों घटनाओं में दो कामन बात यह है कि पैसा छिनने वाले गिरोह की नजर उन पर बैंक में ही पड़ गई थी और दूसरा यह कि दोनों पीड़ित सतर्क नहीं थे। इसलिए सबसे पहली जरूरत यह है कि बैंक में जब भी पैसा निकालें तो सतर्कता के साथ बाहर निकलें या अपने गंतव्य तक जाएं। पैसा पाकेट में जो लोग रख रहे हैं उनसे छिनतई नहीं होती। इसलिए जरूरी यह है की बैंक में अपने आसपास खड़े लोगों पर नजर रखें और आप पर कोई नजर रख रहा है यह हमेशा मानकर चलें और फिर सतर्क रहें। यह सोच लेना की छिनतई की घटना मुझसे नहीं होगी यह गलतफहमी आप को ले डूबेगी। इसलिए हमेशा यह मान कर चलिए कि बैंक से पैसा लेकर निकलते समय सतर्क रहें अन्यथा सावधानी हटी दुर्घटना घटी की तर्ज पर आपके साथ भी छिनतई की घटना हो सकती है।



सतर्क और सक्रिय रहने की जरूरत एसडीपीओ कुमार ऋषि राज कहते हैं कि सजग रहना चाहिए। पैसा लेकर आ जा रहे हैं तो हमेशा सतर्क और सक्रिय रहिये। आसपास के व्यक्ति पर संदेह करें। इसलिए कि छिनतई उन्हीं से होती है जिनके पीछे बैंक से ही गिरोह का कोई सदस्य लग जाता है और सुनसान रास्ते में मौका देखकर घटना कारित कर लेता है। बैंक कर्मचारियों और सुरक्षा में तैनात प्रहरियों को लोगों को टोकना चाहिए ताकि कोई भी यदि बिना काम का बैंक में है तो उससे पूछताछ करने पर अपराध की संख्या को कम किया जा सकता है।



पैसा पालिथीन, झोला या डिक्की में ना रखें 


थाना अध्यक्ष गुफरान अली ने घटनाओं के अनुसंधान के अनुभव के आधार पर बताया कि जरूरी यह है कि जो भी व्यक्ति बैंक से पैसा निकालें उसे पाकेट में रखें। न कि पालिथीन, झोला में लेकर हाथ में रखें या पैसे को डिक्की में रख कर कहीं नाश्ता पानी खरीदारी के लिए रुकें। हर बैंक ग्राहक यदि पैसा जमा निकासी करने आता जाता है और वह सतर्क, सजक व सक्रिय है तो छिनतई की घटनाओं को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है या कांड का शिकार होने से बच सकता है। इसलिए पहली और आखरी जरूरत है हर व्यक्ति सतर्क रहे।

पुलिस से बचने के नायाब तरीके अपनाते हैं बदमाश

 



पुलिस भी दंग रहती है इनके तरीकों को देखकर 


दाउदनगर (औरंगाबाद) : बैंक से रुपया लेकर निकलने वालों से घर पहुंचने से पहले रास्ते में होने वाली छिनतई की तमाम घटनाओं में प्राय: कटिहार के कोढ़ा गिरोह की भागीदारी सामने आती है। पुलिस से बचने के लिए ये बदमाश कई नायाब तरीके अपनाते हैं। जिसमें एक तरीका है गुटखा और पान का थूक। पुलिस से बचना हो या कांड को अंजाम देते वक्त लोगों के द्वारा किए जाने वाले हमले से बचने का मामला हो, इस गिरोह के बदमाश थूक का इस्तेमाल करते हैं। जिससे आमतौर पर बचकर वे भाग निकलते हैं।


बोतल में रखते हैं गुटके की थूक 

पुलिस के अनुसार एक बार एक कांड के अनुसंधान के क्रम में दाऊदनगर पुलिस रोहतास के डेहरी में छापामारी करने गई। यहां किराए के मकान में कोढ़ा गिरोह के सदस्य रहते थे। पुलिस ने जब उनको पकड़ा तो उनके पास से एक बोतल जप्त किया गया। पता चला कि इस बोतल में गुटखा खाने से बना थूक जमा किया गया है। पूछने पर गिरोह के सदस्यों ने तब पुलिस को बताया था कि इसका इस्तेमाल वे हथियार के रूप में करते हैं। जब पकड़े जाने का खतरा पैदा होता है तो ऐसे में वे सामने वाले पर फेंक देते हैं। 



मुंह में रखते हैं गुटखा 

छिनतई की घटना को अंजाम देने वाले कोढ़ा गिरोह के सदस्य प्राय: मुंह में गुटका और पान दबाए रखते हैं और उससे जमा थूक चिन्हित शिकार पर फेंक देते हैं। अब किसी पर थूक फेंका जाएगा तो स्वभाविक है कि वह विचलित होगा और इसी बीच उसके हाथ में रखा रुपया का थैला छीन कर भाग जाते हैं। चाहे वह पैसा झोला में हो या पालिथीन में हो या जैसे भी हो। इसलिए जरूरी यह है कि पैसा कतई हाथ में ऐसी स्थिति में न रखें, जिसे झपट्टा मारकर छीना जा सकता है।



पुलिस की होती है अपनी मजबूरी 

कोई भी व्यक्ति जब बैंक पैसा जमा करने जाता है या बैंक से पैसा निकाल कर अपने घर जाता है तो वह पुलिस को इसकी सूचना नहीं देता है। जबकि अधिक राशि होने पर ऐसा करना आवश्यक होता है। ऐसे में पुलिस के लिए यह जानना मुश्किल है कि बैंक से कौन कितना पैसा निकाल रहा है और कहां जा रहा है। यदि पुलिस चाह भी ले तो सबको सुरक्षा नहीं दे सकती। न सबको उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचा सकती है। पुलिस यह कतई नहीं जान सकती कि बैंक से कौन व्यक्ति कितना पैसा लेकर निकला और कहां जाएगा या जा रहा है कि वह सुरक्षा अपने आप दे सके। ऐसे में आवश्यक यह है कि बैंक से पैसा लेकर निकलते या निकल कर अपने गंतव्य तक पहुंचते वक्त तक काफी सतर्क रहें और यह मानकर चलें कि कभी भी आपके साथ छिनतई की घटना हो सकती है। तभी आप लूटे जाने से बच सकते हैं।

Monday 13 March 2023

बैंक में सीसीटीवी से अधिक लूटरों की आप पर है नजर

 


हर बैंक में बैठा है कोढ़ा गिरोह का सदस्य

 ग्राहकों पर रहती है नजर और बनाते हैं साफ्ट टारगेट 

कभी हथियार नहीं रखते छिनतई करने वाले अपने पास  

बाइक का दस्तावेज रखते हैं पूरी तरह दुरुस्त 


दाउदनगर (औरंगाबाद) : बैंक से पैसा लेकर निकले ग्राहकों से छिनतई की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। यह चिंता का विषय है। दरअसल कटिहार के कोढ़ा का गिरोह सक्रिय है और प्राय: सभी बैंक की शाखा में उसके सदस्य रहते हैं और ग्राहकों पर नजर रखते हैं। जैसे ही कोई साफ्ट टारगेट चिन्हित होता है उसका वे पीछा करते हैं और मौका देखते ही उससे वे झपट्टा मारकर या उनकी बाइक की डिक्की से पैसा निकाल कर भाग जाते हैं। पुलिस पदाधिकारियों के अनुसार बदमाशों की कोशिश रहती है कि पुलिस की पकड़ में ना आये इसलिए हथियार का इस्तेमाल नहीं करते। इस गिरोह के किसी सदस्य के पास से आज तक हथियार नहीं मिला है। पुलिस सूत्रों के अनुसार किसी अभियान में या सड़क पर सामान्य रूप से जांच के क्रम में भी पकड़े ना जाए इसलिए कोढ़ा गिरोह के सदस्य अपने पास हथियार नहीं रखते। दूसरी बात यह सामने आयी कि अपने वाहनों के तमाम दस्तावेज वे दुरुस्त रखते हैं ताकि किसी भी जांच में पकड़े ना जाएं। ऐसे में गिरोह के सदस्य दूसरे अपराध में पकड़े नहीं जाते और छिनतई की घटना को अंजाम देते रहते हैं। बैंक में समस्या यह है ऐसे लोगों को पकड़ना मुश्किल है। पुलिस अधिकारियों और बैंक अधिकारियों से बातचीत के बाद यह बात सामने आई कि पासबुक और अन्य जरूरी कागजात लेकर कोढ़ा गिरोह के सदस्य बैंक में खड़े रहते हैं। अब हर व्यक्ति का पासबुक चेक किया नहीं जा सकता कि पता चले कि कोई व्यक्ति यहां का है या कटिहार का निवासी है। कोई एटीएम से जुड़े काम तो कोई पैसा निकालने के लिए खड़ा है या पैसा जमा करने के लिए खड़ा है। ऐसे में कोढ़ा गिरोह के सदस्य को कैसे पकड़ा जा सकता है। यह कतई संभव नहीं हो पाता कि हर व्यक्ति की जांच की जाए और संदिग्ध की पहचान की जा सके।




कोढ़ा गिरोह को पकड़ने में सीसीटीवी भी नाकाम 

पुलिस पदाधिकारी के अनुसार मान लें कि कोई घटना सीसीटीवी कैमरा में कैद है। लूटने वाले की तस्वीर साफ है तब भी समस्या उसकी पहचान को लेकर है। क्योंकि आम तौर पर इस तरह की घटनाओं को अंजाम कटिहार के कोढ़ा गांव के निवासी देता है। जिसे स्थानीय तौर पर पहचाना नहीं जा सकता। अब यदि फोटो को लेकर कोई कोढ़ा जाए भी तो वहां कोई बताता नहीं है। कोई पहचान नहीं बताएगा। ऐसे में सीसीटीवी कैमरा में यदि कोई कैद भी होता है तो उसको पहचानना मुश्किल है। पुलिस के हाथ बंधे होते हैं।



तस्वीर लगाने की होती है तय प्रक्रिया 

कोढ़ा गिरोह के सदस्य के चेहरे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो जाते हैं लेकिन इनकी तस्वीर दाउदनगर क्षेत्र में स्थित किसी भी बैंक में नहीं लगाई गई है। ऐसा क्यों है। इस सवाल पर थाना अध्यक्ष गुफरान अली ने बताया कि किसी की तस्वीर यूं ही नहीं लगा दी जाती है। उसके लिए तय प्रक्रिया है और अभी तक इस प्रक्रिया के तहत किसी भी चिन्हित बदमाश की तस्वीर बैंक में नहीं लगाई गई है। आगे इस तरह की कार्रवाई की जा सकती है।


गर्मी से पहले शहर में शुरू हो जाएगा वाटर एटीएम

  



एक दर्जन स्थानों पर लगाए जाने हैं वाटर एटीएम 

दो तीन स्थानों पर स्थान को लेकर है विवाद


दाउदनगर (औरंगाबाद) : शहर में लगभग एक दर्जन वाटर एटीएम गर्मी से पहले तक प्रारंभ हो जाएंगे। शहर में 14 स्थान पर एटीएम लगाने के लिए चिन्हित किए गए थे। लेकिन दो से तीन स्थानों पर निर्माण स्थल को लेकर विवाद होने से उसे रद्द भी किया जा सकता है। सशक्त स्थाई समिति के सदस्य व मुख्य पार्षद प्रतिनिधि कौशलेंद्र सिंह ने बताया कि विवाद की स्थिति में रद्द किया जा सकता है। वाटर एटीएम लगाने वाली एजेंसी को नोटिस दिया गया है कि शीघ्र ही एटीएम को चालू करें। बताया गया कि लगभग एक दर्जन वाटर एटीएम का पक्का निर्माण का काम हो गया है। समरसेबल लगा दिए गए हैं। टाइल्स का काम किया जा रहा है, कुछ में अभी शुरू नहीं हुआ है। मशीन भी ला दिया गया है। एजेंसी को हर हाल में मार्च के प्रथम सप्ताह तक वाटर एटीएम चालू करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन अभी तक ऐसा हो नहीं सका है। अब उम्मीद की जा रही है कि अप्रैल प्रारंभ होने तक सभी वाटर एटीएम काम करने लगेंगे।




पूरी योजना पर होगा 77 लाख रुपए खर्च 

मुख्य पार्षद मीनू सिंह के प्रतिनिधि सशक्त स्थाई समिति सदस्य कौशलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रत्येक एक आरओ वाटर एटीएम पर पांच लाख पचास हजार रुपये का खर्च आ रहा है। यानी शहर में लगने वाले 14 आरओ वाटर एटीएम पर लगभग 77 लाख रुपए खर्च किया जाना है। सबका अलग अलग समरसेबल होगा। सात गुना छह फीट का कमरा निर्माण होगा। जिसमें एकदम शीतल शुद्ध पेयजल आम लोगों को पीने के लिए उपलब्ध होगा।


इन स्थानों पर लगना है आरओ वाटर एटीएम 

नगर परिषद क्षेत्र में जिन 14 स्थानों पर वाटर एटीएम लगाया जाना है उसमें शामिल हैं-अनुमंडल कार्यालय परिसर, मौलाबाग चौराहा, अनुमंडल अस्पताल, लखन मोड़, चावल बाजार, चूड़ी बाजार, छत्तर दरवाजा चौराहा, जगन मोड़, नगर परिषद, गुलाम सेठ चौक, दाऊद खान के किला के पास, बारुण रोड में सोन नहर पुल चौराहा के पास, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और महिला कालेज में वाटर एटीएम लगाया जाना है।


मेंटेनेंस के लिए किया जाना चाहिए उपाय 

शहर में कई योजनाएं ऐसी दिखती हैं जिनका बाद में या तो उपयोग नहीं होता या वे उपयोग करने लायक रह नहीं जाते हैं। ऐसे में वाटर एटीएम के मेंटेनेंस का स्थायी उपाय होना चाहिए। ताकि वह लंबे समय तक इस्तेमाल करने लायक रह सके। अन्यथा अनावश्यक पानी निकालकर बर्बाद करने की प्रवृत्ति हावी हो सकती है और लोग उसका बेजा इस्तेमाल कर सकते हैं। आने वाले समय में यह बिना काम का बेकार होकर शोभा का वस्तु भर बनकर न रह जाए, लंबे समय तक इस्तेमाल लायक रहे, इसके लिए आवश्यक है कि इसका भी उपाय नगर परिषद करे। 


Friday 10 March 2023

रामनवमी में डेढ़ दर्जन लोग किये जायेंगे जिलाबदर

 


धार्मिक इतिहास रचने को तैयार हो रहा दाउदनगर 

होली के बाद रामनवमी की तैयारी में जुटा प्रशासन

शहनाज अख्तर और अश्विनी उपाध्याय का कार्यक्रम तय

आ सकते हैं सद्गुरु श्री रितेश्वर जी और पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ भी

शांतिपूर्ण रामनवमी संपन्न कराना इस बार प्रशासन की चुनौती 

चुनावी राजनीति के चश्मे से भी देखा जा रहा है आयोजन 

दाउदनगर (औरंगाबाद) : शांतिपूर्ण होली संपन्न करा लेने के बाद प्रशासन के सामने रामनवमी को शांतिपूर्ण संपन्न कराने की चुनौती खड़ी हो गई है। नगर परिषद का चुनाव इसी वर्ष होना है। रामनवमी को लेकर जिस तरह की तैयारी की जा रही है उसे चुनावी राजनीति के चश्मे से भी कुछ लोग देख रहे हैं। एक से एक बड़ी हस्तियों को बुलाया जा रहा है। रामनवमी को इस बार काफी भव्य बनाने की तैयारी आयोजकों की तरफ से हो रही है। दूसरी तरफ ऐसे लोगों को बुलाया जा रहा है जिनकी उपस्थिति से भीड़ काफी होगी और सांप्रदायिक सद्भाव बरकरार रखने की चुनौती ज्यादा बड़ी होगी। रामनवमी के संदर्भ में इतिहास रचने के लिए दाउदनगर तैयार हो रहा है और प्रशासन इसे शांतिपूर्ण संपन्न कराने की तैयारी कर रहा है। पुलिस सूत्रों के अनुसार कई संस्थाएं और कुछ व्यक्तिगत रूप से आयोजन को भव्य बनाने में लगे हुए हैं। धार्मिक भजनों को गाकर चर्चा में आई शहनाज अख्तर दो अप्रैल को दाउदनगर आ रही हैं। सूत्रों के अनुसार वे रामनवमी की शोभायात्रा में शामिल होंगी और गाती हुई चलेंगी। पुलिस सूत्रों का मानना है कि इसमें 50,000 से अधिक भीड़ इकट्ठा हो सकती है। यहां ध्यान दें शहर की कुल आबादी ही लगभग 60,000 है। यानी स्वभाविक है बड़ी संख्या में लोग दाउदनगर से बाहर के आएंगे। अश्विनी उपाध्याय का कार्यक्रम एक अप्रैल को तय है। वे सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं। विभिन्न सामाजिक राजनीतिक मुद्दों पर पीआईएल करते रहते हैं। वृंदावन की 14 वर्षीय साध्वी बाल विदुषी लाडली शरण का कार्यक्रम 31 मार्च और एक अप्रैल को है। यह वे साध्वी ऋतंभरा का शिष्य हैं। सीताराम शरण महाराज और सुनीता शास्त्री का प्रवचन 22 से 30 मार्च तक होगा। सूत्रों के अनुसार दक्षिण भारत, वृंदावन और दिल्ली से झांकी की टीम आ रही है। पटना का चर्चित बच्चा बैंड और झारखंड का झारखंडी बैंड भी आने वाला है। बाकी जो परंपरागत रूप से शहर के लोग झांकी निकालते हैं वह भी निकाला जाएगा। थाना अध्यक्ष गुफरान अली ने बताया कि कुछ लोगों के विरुद्ध सीसीए का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेजा जा रहा है ताकि रामनवमी को शांतिपूर्वक संपन्न कराया जा सके। यानी प्रशासन को सीधा डर है कि सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी। सूत्रों के अनुसार 10 से 20 लोगों को जिला बदर किया जा सकता है।



कुछ हुआ तो आयोजक जिम्मेदार

अश्विनी उपाध्याय या शहनाज अख्तर हों या कोई अन्य। यदि कुछ अप्रिय घटता है तो इसके लिए प्रथम दृष्टया आयोजक या व्यक्ति विशेष को बुलाने वाला व्यक्ति या उनके कार्यक्रम की प्रशासन से अनुमति लेने वाला व्यक्ति, समूह या संस्था सीधे जिम्मेदार माना जाएगा। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।


आ सकते है पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ और सद्गुरु श्री रितेश्वर जी 

सूत्रों के अनुसार पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ भी दाउदनगर आ सकते हैं। इनका कार्यक्रम तय है लेकिन प्रशासनिक स्वीकृति अभी प्राप्त नहीं हुई है। कुछ दिन पहले आईबी के एक अधिकारी बाबा बिहारी दास संगत में हस्तलिखित गुरु ग्रंथ साहिब देखने आए थे। अब माना यह जा रहा है कि शायद वे पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के कार्यक्रम स्थल होने के नाते बाबा बिहारी दास संगत का निरीक्षण करने आए थे। इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती। उनके आने पर सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने की चुनौती खड़ी हो सकती है। दूसरी तरफ प्रख्यात प्रवचन कर्ता सद्गुरु श्री रितेश्वर जी महाराज के भी आगमन की स्वीकृति उनकी तरफ से मिल चुकी है। आयोजकों की तरफ से उनके कार्यक्रम को लेकर हां या ना 14 फरवरी तक निश्चित कर देना है। यदि वे आते हैं तो 22 से 30 मार्च तक बाबा बिहारी दास संगत में उनका प्रवचन होगा।