Wednesday 28 September 2016

वीसीपी के पुरस्कार वितरण के साथ लोकोत्सव समाप्त


पुरस्कार ग्रहण करते चन्दन व उद्घाटन करती बच्ची

दिखायी गयी ‘द सोल आफ कल्चरल सिटी दाउदनगर’
13 वर्षीय बच्ची ने किया कार्यक्रम का उद्घाटन
विद्यार्थी चेतना परिषद इमली तल द्वारा मंगलवार की देर रात पुरस्कार वितरण के साथ जिउतिया लोकोत्सव समाप्त हो गया। नारी शक्ति को सम्मान देने के लिए यहां कार्यक्रम का उद्घाटन 13 वर्षीय अलका कुमारी से मंच का उद्घाटन कराया गया। यहां संस्था के अध्यक्ष प्रशांत कुमार तांती, सचिव राजेन्द्र चौधरी, डाक्युमेंट्री निदेशक धर्मवीर भारती, श्रमण संस्कृति के वाहक दाउदनगर के लेखक उपेन्द्र कश्यप, यश ई स्कूल के निदेशक शंभु कुमार एवं रामेश्वर प्रसाद, रासबिहारी सिंह, बेसलल प्रसाद तांती, ओम प्रकाश, सत्येन्द्र कुमार उपस्थित रहे। भोजपुरी गायक अक्षय सिंह ने अपनी प्रस्तुतियां दी। दर्शकों ने मनोरंजन का भरपुर आनन्द लिया। मध्य रात्रि के बाद तक कार्यक्रम चलता रहा। डाक्युमेंट्री- द सोल आफ कल्चरल सिटी दाउदनगर का प्रसारण किया गया। सागर तांतियां ने सोशल मीडिया में कार्यक्रम क सीधा प्रसारण किया। 
टाप रहे विद्यार्थी क्लब व चन्दन कसेरा
यहां लोकोत्सव के मध्य तीन दिन तक हुई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में सबसे अव्वल स्थन पर रहा विद्यार्थी क्लब। इसके निर्देशक चन्दन कुमार कसेरा को बेस्ट सिनियर डायरेक्टर अवार्ड, कलाकार विकास कुमार को बेस्ट एक्टर सिनियर अवार्ड, जुनियर का अवार्ड सौरभ कुमार को, बेस्ट झांकी अवार्ड न्यू अजय क्लब को दिया गया। भारती क्लब को दूसरा, युनियन क्लब तीसरा, बालक भारती क्लब चौथा और न्यू बाल संगतःअन को पांचवा स्थान मिला।
बच्चा और बच्चियों को साहसिक पुरस्कार
प्रदीप कुमार अकेला द्वरा निकाले गये दममदाड एवं चाक्लु छूरी में शामिल छात्राओं को साहसिक पुरस्कार दिया गया। निर्णायक मंडली ने टिप्पणी की कि इतिहास में यह पहले बार हुआ है। लडकियों ने साहस दिखाया है। इसी तरह उस्ताद कैलाश विश्वकर्मा की प्रस्तुति दममदाड में शामिल सात साल का रवि शामिल हुआ। उसे भी साहसिक पुरस्कार मिला।
अन्य में कई शामिल
संस्था ने जो अन्य पुरस्कार दिये उसमें कई संस्थान शामिल हैं। अजय न्यू क्लब को छठा, जी इंटरटेन्मेंट को सातवां, पवन रिलाइंस को आठवां, टीम इंडिया को नौवां तथा सुपर स्टार क्लब को दशवां स्थान के लिए पुरस्कृत किया गय।    


   

Tuesday 27 September 2016

लोकोत्सव में पुराना शहर भी बढकर ले भाग


धुम मचाने वाले डायरेक्टर 
चन्दन हैं दुखी
सहयोग मांगने पर भरपुर मदद की घोषणा

इस बार जिउतिया लोकोत्सव में अपनी धाक जमा कई पुरस्कार लेने वाले विद्यार्थी क्लब के डायरेक्टर चन्दन कुमार इस बात से दुखी हैं कि पुराना शहर के लोग नकल नहीं निकालते हैं। कह कि यहां भगवान जीमूतवाहन का पुराना चौक है। कर्यक्रम होते हैं किंतु यहां के युवा नकल नहीं बनते। कहा कि आप बनें और किसी भी तरह का सहयोग चाहिए तो मिलें। आइडिया देने से मेकअप तक की पूरी जानकारी देंगे। पुराना शहर में ज्ञानदीप समिति के मंच पर सोमवार की मध्यरात्रि कहा कि सभी मंचो पर प्रथम पुरस्कार मिला। पुरस्कार मेरा नही, पूरी टीम को मिल है। प्रथम पुरस्कार प्राप्त करना कोई भारी बात नही है लेकिन प्रथम पुरस्कार पर बने रहना सबसे बडी चुनौती है। टीम में लगभग 30 सदस्य है। सभी का दिमाग एक करना बडी चुनौती होती है। सभी को कम में पारंगत कर रहा हूं, ताकि कभी मुश्किल नहीं आये। कहा कि मैं वरिष्ठ कलाकारों से मिलकर राय विचार करता हूँ। युवा पीढ़ी को कुछ सिखने का मौका मिलता है। अपील किया कि अगली बार पुरानी शहर के लोग भी नकल बनिये। पूछा कि क्या जीउतिया केवल कसेरा टोली, पटवा टोली, बम रोड या सिनेमा हॉल के लिए ही है या पूरा दाउदनगर के लिए है? कहा कि जिउतिया पूरे दाउदनगर की सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। कहा कि यदि आपलोगों को नकल बनाने में किसी भी प्रकार से कोई परेशानी हो रही है तो हम पूरा साथ देंगे। हम रिहलसल के लिए भी एक या दो घंटा समय दे सकते हैं। 

जिउतिया लोकोत्सव को नपं ने दिया नवजीवन


नगर पंचायत ने बांटे छ: दर्जन पुरस्कार
समाप्त हो गया जिउतिया का धुम-धडाका
मंगलवार को जिउतिया का धुम-धडाका अगले साल तक के लिए स्थगित हो गया। सोमवार की रात नगर पंचायत कार्यालय परिसर में ‘जिउतिया लोकोत्सव’ की धूम पुरस्कार वितरण के साथ खत्म हो गयी। मुख्य पार्षद परमानंद प्रसाद, उप मुख्य पार्षद कौशलेन्द्र कुमार सिंह, नवीनगर प्रमुख लव कुमार सिंह, वार्ड पर्षद बसंत कुमार, नारायण प्रसाद तांती, सुखलाल प्रसाद, संजय प्रसाद, कमला देवी, प्रतिनिधि मुन्ना नौशाद, राजदेव प्रसाद, पूर्व उप मुख्य पार्षद सिद्धी पांडेय, कार्यक्रम के संयोजक उपेन्द्र, संचालक खुर्शीद खान, सत्येन्द्र कुमार, ओम प्रकाश गुप्ता, ओम प्रकाश यादव, कर्मी राम इंजोर तिवारी, अक्षैबर चौबे, अनवर फहीम, धीरेन्द्र कुमार सिंह ने पुरस्कार वितरण किया। खुर्शीद खान ने मंच संचालन किया। यहां सर्वश्रेष्ठ और अंतिम दिन परम्परिक प्रस्तुति में प्रथम पुरस्कार दममदाड बन कर निकली छत्राओं को मिला। इसके अलावा शुक्रवार के लिए भी प्रथम स्थान का पुरस्कार इस टीम के निदेशक प्रदीप कुमार अकेला को मिला। 40 सांतवना पुरस्कर बांटे गये। इसके अलावा प्रथम दिन की प्रस्तुतियों में तीन श्रेणी में क्रमश न्यू बाल संघ, भारती क्लब व डोमा चौधरी को प्रथम पुरस्कार मिला। अजय न्यू क्लब, जी इंटरटेनमेंट व संतोष कुमार को द्वितीय तथा विद्यार्थी क्लब, टीम गोलु व दिव्यांशु कुमार को तृतीय पुरस्कार मिला। दूसरे दिन की प्रस्तुतियों में तीन श्रेणी में क्रमश विद्यार्थी क्लब, संस्कार कबाडा ग्रुप एवं प्रदीप को प्रथम, बालक भारती क्लब, लोहा सिंह व उपेन्द्र कुमार को द्वितीय, युनियन क्लब, विकास राज अभिषेक व बबलु कुमार को तृतीय पुरस्कार मिला। तीसरे दिन की प्रस्तुति में विद्यार्थी क्लब, बद्री प्रसाद कसेरा व प्रदीप कुमार अकेला को प्रथम, न्यू बाल संगठन, बाल सन्घ समिति व घुरा प्रसाद को द्वितीय तथा भारती क्लब, जनता क्लब व कैलाश विश्वकर्मा को तृतीय पुरस्कार मिला। सांतवना के लिए तय 500 नगद दिये गये बाकी के पुरस्कार की राशि नपं द्वारा चेक के जरिये सभी को दी जा रही है।   

बेस्ट डायरेकटर ‘चन्दन’ की ‘बेटी’ सर्वश्रेष्ठ

ज्ञानदीप समिति का 
पुरस्कार वितरण समाप्त

पुराना शहर चौक पर ज्ञानदीप समिति द्वारा जिउतिया का नकल अभिनय प्रतियोगिता सोमवार की मध्य रात्रि संपन्न हुआ। यहां मंच का संचालन संतोष अमन ने किया। पुरस्कार वितरण डाक्युमेंट्री निर्माता धर्मेवीर भारती, श्रमण संस्कृति का वाहक दाउदनगर के लेखक उपेन्द्र, मंच के अध्यक्ष रामजी प्रसाद, चिंटु मिश्रा, बिन्नु, मन्नु, प्रभु, दिग्गज, प्रभात छोटु, दिग्गज कुमार, विक्की कुमार ने किया। यहां बेस्ट डायरेक्टर चन्दन कुमार के विद्यार्थी क्लब की प्रस्तुति बेटी को सर्वश्रेष्ठ झांकी का पुरस्कार मिला। द्वितीय सर्वश्रेष्ठ ओबरा टिकान गोकुल चलह जेहलखनवा के लिए संतोष कुमार को दिया गया। एकांकी में विद्यार्थी क्लब, बालक भारती क्लब व न्यू बाल संगठन को क्रमश प्रथम द्वितीय व तृतीय स्थान मिला। 
दममदाड में प्रदीप कुमर अकेला प्रथम, डोमन चौधरी द्वितीय व कैलाश उस्ताद को तृतीय स्थान मिला। टाप टेन में भारती क्लब, बाल संघ समिति, भोला आर्ट, बिहार क्लब, सुपर स्टार क्लब, घुरा प्रसाद, न्यू बाबा क्लब, महेश कुमार जनता क्लब व आदित्य कुमार शामिल हैं। इसी दिन इन्दिरा गान्धी चौक (गुलाम सेठ) पर एकता संघ द्वारा पुरस्कार का वितरण किया गया। भगवान प्रसद शिवनाथ प्रसाद बीएड कालेज के सचिव डा.प्रकाशचन्द्रा ने दोनों संस्थाओं को प्रथम पुरस्कार की व्यवस्था दी। 

Monday 26 September 2016

छा गयी लोक कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति


मंच आयोजकों के लिए अंक निर्धारण मुश्किल

 तीन दिवसीय जिउतिया लोकोत्सव संपन्न हो गया। शनिवार को हुई अत्यधिक बारिश के कारण उत्सव रविवार को संपन्न हुआ। मंगलवार को पुरस्कार वितरण का काम चलेगा। रविवार को कई संस्थाओं ने पुरस्कार वितरण किया भी। सोमवार को नगर पंचायत व ज्ञानदीप समिति ने पुरस्कार वितरण किया। एक से बढ कर एक इस बार लोक कलाकारों ने प्रस्तुति दी। लोग चकित होते रहे। बमुश्किल सात साल का बच्चा रवि इस बार दममदाड बन कर आया। कोई आर्धनारीश्वर बना तो किसी ने राम भक्त हनुमान की प्रस्तुति दी। क्या कला साध रख है इस शहर ने। छोटे-छोटे बच्चे, जवान हो रही पीढि, हर कोई यहां कलाकार ही है। बरसात के बावजूद करीब दो दर्जन प्रस्तुति हुई। नगर पंचायत परिसर में आयोजित कार्यक्रम में बरसात के बीच महिलायें देखने को डटी रहीं। उद्घोषक खुर्शीद खान ने कहा भे एकि बेटियां और महिलायें बहादूर हैं। पुरुषों पर भरी हैं। वुद्यार्थी क्लब की बेटी, न्यू बाल संगठन की भारत मां पर समर्पण, भारती क्लब की राम भक्त हनुमान, अजय न्यू क्लब की बेटी बचाओ, जी इंटरटेन्मेंट की बाहुबली हनुमान, बालक भारती क्लब की जकडन में भारत मां की प्रस्तुति सराहनीय रही। इस बार आतंकवाद की घटनाओं पर समाज का उबाल अधिक दिखा। राष्ट्रवादी प्रस्तुतियां खूब रहीं।     

जिउतिया आफ द इयर बना विद्यार्थी क्लब
बम रोड नकल अभिनय प्रतियोगिता में विद्यार्थी क्लब को जिउतिया आफ द इयर अवार्ड दिया गया। रविवार की देर रात पुरस्कार वितरण किया गया। बरसात के बावजूद दर्शक और प्रतिभागी जमे रहे। अंच का संचालन रुपेश ने किया। रवि पांडेय, विनय गुप्ता, नीरज कुमार उपस्थित रहे।
 विद्यार्थी क्लब की प्रस्तुति बेटी को प्रथम पुरस्कार मिला। बैजु बाबा को बेस्ट कामेडी व न्यू बाल संगठन को बेस्ट एक्टर दिया गया। टाप टेन में विद्यार्थी क्लब, भारती क्लब, युनियन क्लब, न्यू बाल संगठन, अजय न्यू क्लब, बालक भारती क्लब, जी इंटरटेनमेंट, टीम इंडिया, सुपर स्टार व बाल संघ समिति को पुरस्कृत किया गया।  

राजकीय दर्जा दिलाने का करेंगे प्रयास-एमएलसी


बिहार विधान परिषद के सदस्य राजन सिंह ने कहा है कि जिउतिया लोकोत्सव को राजकीय दर्जा दिलाने का अथक प्रयास करेंगे। नगर पंचायत द्वारा आयोजित लोकोत्सव में रविवार को उन्होंने यह घोषणा की। कहा कि यह अद्भुत संस्कृति है। पूरी भारत में ऐसी संस्कृति कहीं नहीं है। इसमें लोक की भागीदारी व्यापक है। उनसे मुख्य पार्षद परमानंद प्रसाद ने मंग की थी कि इस संकृति को राजकीय महोत्सव बनाने के लिए सरकार से श्री सिंह प्रयास करें। इस पर उन्होंने आश्वस्त किया कि वे संबन्धित मंत्री और मुख्य मंत्री से भी मिलेंगे। उन्हें द सोल आफ कल्चरल सिटी दाउदनगर डाक्युमेंट्री निर्माता धर्मवीर भारती ने भेंट किया। नगर पंचायत के लिए भी डाक्युमेंट्री की एक प्रति भेंट की गयी। नवीनगर प्रमुख लव कुमार सिंह ने लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों को सराहा। आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि उस संस्कृति को व्यापकता देने तथा राज्य सरकार से मान्यता दिलाने के लिए वे अपने स्तर से प्रयास करेंगे। उन्होंने इस संस्कृति को प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यक्ता बतायी। उन्होंने राजन सिंह से स्पष्ट कहा कि सरकार से जो करायेंगे सो तो करायेंगे ही, अभी कम से कम नपं परिसर का पक्कीकरण तो करायें। हालांकि इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। उप मुख्यपार्षद कौशलेन्द्र कुमार सिंह ने शहर की बदतर ड्रेनेज सिस्टम का जिक्र करते हुए विधान पार्षद से इसके समाधान की मांग की। कार्यक्रम को ईओ विपिन बिहारी सिंह, भाजपा प्रखंड अध्यक्ष अश्विनी तिवारी, बीरेन्द्र कुमार सिंह, अशोक शर्मा, पूर्व जिला पार्षद अजय पासवान ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन खुर्शीद खान व धीरज पाठक ने किया। विधान पार्षद और लव कुमर सिंह को नपं की ओर से अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।   


Sunday 25 September 2016

वाह ! इन वीरांगनाओं के जज्बे के आगे झुका शहर


जिउतिया लोकोत्सव में महिलाओं ने रचा इतिहास
पहली बार तीन छात्राओं ने दी खतरनाक प्रस्तुति
चाकु-छूरी चढा कर सभी को किया चकित
प्रदीप उस्ताद के साथ से साहसिक कार्य
दाउदनगर जिउतिया लोकोत्सव के लिए यह सुपर-डुपर हिट संडे रहा। पहली बार इतिहास रचा गया। तीन छात्रायें एक साथ दममडाड जैसी खतरनाक प्रस्तुति में चाकु-छूरी चढा कर शमिल हुई। शहर ने झुक कर उन्हें सलाम किया। रविवार की सुबह प्रदीप उस्ताद के निर्देशन में प्रितम मोदनवाल और प्रियंका कुमारी अपने दोनों हाथों पर तीन-तीन चाहु चढा कर निकलीं। बाजार स्थित जीमूतवाहन भगवान से आशीर्वाद लीं। भीड से उत्सह तो बढा किंतु हिचक भी बढी। इसके बाद वे नकल प्रतियोगिता के मंचों तक जाने को वे तैयार नहीं हुई। इस संवाददाता ने उन्हें पुलिस सुरक्षा देने को आश्वस्त किया तो पुन: चाकु-छूरी चढाने को तैयार हो गयीं। प्रितम सिन्हा कालेज औरंगाबाद में बीकाम पढ रही है। उसका घर भी वहीं है। प्रियंका सकुराबाद हाई स्कूल जहानाबाद से इंटर पास आउट है। वह जहनाबाद ही रहती है। इनके साथ 8 साल की पांचवी कक्षा की राजकीय मिडिल स्कूल संख्या-2 की छात्रा रिंकी कुमारी भी शामिल रही। उसने भी चाकु छूरी चढाया। इनके साथ छोटु दममडाड बन तो शालु व धीरज भी चाकू-छूरी चढा कर शामिल हुए। यह एक इतिहास बन गया। इससे पहले किसी भी तरह के नकल की प्रस्तुति छत्राओं या महिलाओं ने नहीं दी है। इससे आने वाले वर्षों में महिला भागीदारी बढने की संभावना काफी बढ गयी है। यह सफलता प्रदीप उस्ताद की वजह से ही मिली है। शहर ने इनके जज्बे को सलाम किया।

बच्चों को देख बना हौसला-प्रीतम
चाकू-छूरी चढाने वाली वीरांगना प्रीतम मोदनवाल ने कहा कि जब बच्चे चाकू-छूरी चढा सकते हैं तो हम क्यों नहीं चढा सकते। कहा कि दाउदनगर के जिउतिया के बारे में सुना करती थी। जब यहां आयी तो बच्चों को देखकर साह्स भी हुआ और प्रेरणा भी मिली। महत्वपूर्ण है कि प्रीतम और प्रियंका दोनों इस शहर की नहीं हैं। कहा कि जब हर क्षेत्र में नारी शक्ति की उपस्थिति है तो जिउतिया जैसी लोक संस्कृति का अछूता रहना उचित नहीं। कहा कि समय बदल गया है। लोगों का नजरिया बदल रहा है इसलिए ऐसे परिवर्तन आवश्यक है।
 प्रदीप का कमाल
तीन छात्राओं के माध्यम से खतरनाक प्रस्तुति दिलाने का साहस करने वाले प्रदीप ने कमाल कर दिया। उसने शुक्रवार को अपने बेटे को चाकू-छूरी चढाया था और रविवार को अपनी पुत्री के हाथ में चाकु छूरी चढाया। इससे शहर के लोग उसकी प्रशंषा करते नहीं थक रहे।

लोगों ने रानी लक्षमीबाई बताया
जब शहर के लोकोत्सव में तीन छात्राओं ने इतिहास रच तो लोगों ने उन्हे मुबारकबाद तो दिया ही उनकी तुलना रानी लक्षमीबाई से भी किया। भावना राज ने कहा कि आज महिला का भी इस क्षेत्र में पदार्पण हुआ। लोग सपोर्ट करें तो अगली दफा और अधिक महिला भागीदारी बढेगी। रविशंकर कुमार कांस्यकार ने कहा कि ये रानी लक्षमीबाई का रुप है। दोनों हाथों में छ: छ: चाकु चढा कर घुमने का साहस और कैसी वीरांगनायें कर सकती हैं?



Saturday 24 September 2016

भार्गव का टूटा अंहकार, महिषासुर का वध तो उड़े बाल हनुमान

समेत कई प्रस्तुतियों ने मोहा मनउडते बाल हनुमान को देख दंग रह गये दर्शकसंवाद जिउतिया लोकोत्सव के पर्व के दिन शुक्रवार की रात शहर में जो झांकियां निकली उसकी फिनिशिंग और कला के सामने राजधानियों में निकलने वाली झांकियां फिकी पड जायेंगी। अद्भुत और आश्चर्यचकित करने वाली प्रस्तुतियां। निर्णायक मंडल में शामिल महुआ चैनल पर धाक जमा चुके और कई अवार्ड जीत चुके कौशल कोशोर मंडल खुद को रोक न सके और कहना पडा उन्हें कि जिला मुख्यालयों को ऐसी प्रस्तुति के लिए सोचना पडेगा। वाकई दो ऐसे अवसर आये जब नगर पंचायत के आयोजन के जजों को यह कहना पडा कि अद्भुत प्रस्तुति। नंबर देते नहीं बन रहा। जजों के लिए यह मुश्किल हो रहा है कि किसे कितना अंक दें। विद्यार्थी क्लब ने गंगा अवतरण की प्रस्तुति दी। झांकी के साथ मंचीय प्रस्तुति। ऋषि भार्गव का अहंकार टूटता दिखाया गया। शब्दों का चयन और उच्चारण में शुद्धता ने जजों को खासा प्रभावित किया। बालक भारती क्लब की प्रस्तुति महिषासुर वध में दुर्गा-महिषसुर की झांकी और इनके संघर्ष की लाइव प्रस्तुति काबिल तारीफ रही। जी इंटरटेनमेंट की बाल हनुमान के सूर्य निगलने की झांकी लाजवाब रही। सनवयुवक संघ की प्रदुषण पर, युमियन क्लब की आतंक का अंत, न्यू बाल संगठन की दुर्योधन वध, भारती क्लब की दानव केतक का वध, अजय न्यू क्लन की कन तक सहेंगे और जनता क्लब की उरी हादसा ने दर्शकों को अभिभूत कर दिया। संस्कार कबाडा कव्वाल ने अपने गीतों से सबको प्रभावित किया। भोला कांस्यकार व दुखन कांस्यकार ने गाया- जहिया से बन्द भइल बिहार में दारु, जिन्दगी भइले खुशहाल, वाह रे नीतीश काका।  

शराब को तमाचा, बच्चा चढाया चाकु-छूरी

चाकु-छूरी चढाये मासुम बच्चा

जिउतिया लोकोत्सव में शराब की भूमिका खारिज
 बिहार में जब से शराबबन्दी हुई तब से यहां जिउतिया लोकोत्सव में इसके नकारात्मक प्रभाव पडने की आशंका को ले चर्चा होती रही। कुछ लोगों का कहना था कि शराब बन्दी का नकारात्मक प्रभाव पारंपरिक नकलों की प्रस्तुति पर पडेगा। खासकर दममदाड, चाकु-छूरी, राजा-रानी, लालदेव-कालादेव या लालपडी-कालापडी जैसी प्रस्तुतियों को लेकर चर्चा अधिक थी। इसमें चिंता काफी झलकती थी। लोगों का मानना था कि ऐसी प्रस्तुतियां पीडादायक होती हैं। ऐसे में शराब की भूमिका बडी होती है। जब चर्चा व्यापक हुई तो विद्यार्थी क्लब के चन्दन कांस्यकार ने फेसबुक पर कडी टिप्पणी लिखा और शराब को इस लोकोत्सव से जोडने पर फटकार लगाया। अब स्थिति स्पष्ट हो गयी कि शराब का नकारात्मक प्रभाव इस संस्कृति पर नहीं पडा। खतरनाक प्रस्तुतियों की संख्या भी अच्छी रही। उस्ताद प्रदीप कुमार ने दममदाड की प्रस्तुति दी। इसे और बेहतर करने के लिए उसने अपने 12 वर्षीय बेटे को चाकु-छूरी चढाया। उसने क्या खुबसूरत प्रस्तुति दी। नगर पंचायत के सार्वजनिक मंच पर उसने अपने जिह्वा में त्रिशूल चढा कर सबको चौंका दिया। इसने यह सन्देश देने का प्रयास किय अकि शराब प्राथमिक नहीं है। खुद डोमन चौधरी ने भी अपनी आकर्षक प्रस्तुति दी। समाज को लोक कलाकारों ने यह बता दिया कि शराब-शराब की रट नहीं लगायें।

जिंदगी से दूर करे लालच_रवींद्र सिंह


 पंचायत द्वारा कार्यालय परिसर में आयोजित ‘जिउतिया लोकोत्सव-2016’ को संबोधित करते हुए अरवल के विधायक रवीन्द्र सिंह ने कहा कि मनुष्य को अपने जीवन से लालच हटा दें। कहा कि लालच रखने वाला व्यक्ति किसी का भल कर ही नहीं सकता। विधान परिषद का चुनाव लड चुके ओबरा निवासी विनय प्रसाद ने इस संस्कृति के बारे में बात की। मुख्य पार्षद परमानंद प्रसाद ने कहा कि हम सिर्फ निमित मात्र हैं। आयोजन जनता का है। नगर पंचायत ऐसी व्यवस्था कर रही है कि आने वाले समय में भी यह आयोजन करना ही होगा। भाजपा प्रखंड अध्यक्ष अश्विनी तिवारी ने कहा कि सांस्कृतिक आयोजन सिर्फ आनन्द के लिए नहीं होता बल्कि यह आपसी द्वेष, कटुता और मतभेद को भी दूर करता है। सीओ विनोद सिंह, ईओ विपिन बिहारी सिंह, उप मुख्य पार्षद कौशलेन्द्र कुमार सिंह, वार्ड पार्षद रामऔतार चौधरी, कमला देवी, सुखलाल प्रसाद, रविरंजन स्वर्णकार, लोजपा प्रखंड अध्यक्ष अरविन्द पासवान ने भी संबोधित किया। वार्ड पार्षद बसंत कुमार, संजय प्रसाद, पूर्व वार्ड पार्षद ललन सिंह ने संबोधित किया। उपेन्द्र एवं खुर्शीद आलम ने मंच संचालन किया। नकलों की इंट्री की व्यवस्था बसंत कुमार व धीरज पाठक ने संभाली।

Friday 23 September 2016

पाक को नेस्तानबुत करने का दिखा जज्बा



गणेश की झांकी देख चौंक गये दर्शक
एक-से-एक बढ कर निकली झंकियां
 जिउतिया लोकोत्सव में नहाय खाय के दिन गुरुवार को एक से बढकर एक झांकी निकाली गयी। दर्शक तो हक्का-बक्का सा रह गये। उन्हें अपनी ही आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। दो दोस्त अवधेश पांडेय व संतोष केशरी ने जब अजय न्यू क्लब का गणेश चतुर्दशी की झांकी देखी तो भौंचक रह गये। नजदीक से देखने के बाद वे यह तय कर सके कि गणेश की चार भुजाओं में जीवित हाथ कौन है और कौन नकली हाथ है। यह कला की फिनिशिंग का कमाल ही है। उरी में सैनिकों पर हमले को भी लोक कलाकारों ने झांकी और नाट्य मंचन के माध्यम से दिखाया। विद्यार्थी क्लब ने चन्दन कसेरा के निर्देशन में इसे प्रस्तुत किया। सन्देश दिया कि- आतंकवाद को मिटा डालो। हमला से देश मर्माहत है। नेताओं को सैनिकों की शहादत नहीं दिखती। बदला लो, खून खौल रहा है। राजु भारती की भारती क्लब ने एड्स पर सन्देश दिया कि मानव-मानव एक है। दिखाया कि कैसे एक एडस पीडित बीमारी से अधिक बीमार समाज से पीडित होता है। मृत रोगी को दाह संस्कार के लिए व्यक्ति भी नहीं मिलते यह कितनी बडा विडंबना है? यहां की झांकियों में सिर्फ कला ही नहीं बल्कि सामाजिक बुराइयों पर चोट पहुंचाने से लेकर राष्ट्रवाद तक के मुद्दे उठाये जाते हैं। आदर्श क्लब के करण राज ने बताया कि महादलितों की सम्स्या पर आधारित अछूत की प्रस्तुति की गयी। बाल संगठन के गौरव ने बताया कि हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोधा अकबर की प्रस्तुति दी।

40 साल से नकल प्रस्तुति
तरार में सोहन साव ने नया रिकार्ड बनाया है। ग्रामीण नन्द किशोर ने बताया कि सोहन साव यहां लगातार 40 साल से नकल की प्रस्तुति कर रहे हैं। हर साल किसी का रुप धर स्वांग कला को यहां जिन्दा रखे हुए हैं। मालुम हो कि तरार इस प्रखंड का पंचायत मुख्यालय है। यहां की नकल ही वहां की गयी थी और ओखली रखी जाती है।
  
विभिन्न समितियों ने किया आयोजन
शहर में कई मंच इस बार नकल अभिनय प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हैं। सभी का उद्घाटन गुरुवार को हुआ। कांस्यकार पंचायत समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मंच का उद्घाटन रालोसपा के जिला अध्यक्ष व पूर्व जिला पार्षद राजीव कुमार उर्फ बबलू, पूर्व वार्ड पार्षद रविंद्र गुप्ता, जगन्नाथ प्रसाद कांस्यकार, अमित सिन्हा,  वीसीएसआरएम के निदेशक रौशन सिन्हा व अलोक टंडन, सतीश पाठक एवं डा.केशव प्रसाद ने किया। मंच का संचालन विनोद कांस्यकार एवं धीरज गुप्ता ने किया। निर्णायक मंडली में रौशन सिन्हा, जीतेन्द्र कुमार, सुमन प्रसाद, अलोक टंडन एवं सतीश पाठक रहे।

जिउतिया चौकों पर हुई सामुहिक पूजा अर्चना


शहर में बने जीमूतवाहन भगवान के चार चौकों पर व्रति महिलाओं ने पारंपरिक विधि से जिमूतवाहन भगवान की पूजा अर्चना की। बाजार चौक, कसेरा टोली चौक, इमली तल और पुरानी शहर चौक पर पंडितों द्वारा सामूहिक पूजा करायी गयी। महिलायें सियार और चिल्हो की कथा सुनीं। भूखे-प्यासे व्रती द्वारा स्नन करने के बाद नये वस्त्र धारण कर पुजा की गयी। पूजा पंडालों ने सुरक्षा और अन्य व्यव्स्था की जिम्मेदारी संभाली। उत्तर भारत में महिलाओं द्वारा की जाने वाला यह महत्वपूर्न व्रत है। एकमात्र दाउदनगर में ही सामूहिक पूजा अर्चना करने की परनपरा है। अन्य स्थानों पर महिला व्रति घर में पूजा कर लेती हैं। 

राजकीय दर्जा को विधान सभा में एमएलए उठायेंगे सवाल

नपं कार्यक्रम में विधायक बीरेन्द्र सिन्हा का ऐलान
भविष्य में भी होता रहेगा यह कार्यक्रम-परमानंद
 जिउतिया लोकोत्सव को राजकीय महोत्सव का दर्जा दिलाने के लिए बिहार विधान सभा में विधायक बीरेन्द्र कुमार सिन्हा सवाल उठायेंगे। यह घोषणा उन्होंने गुरुवार की रात नगर पंचायत द्वारा आयोजित ‘जिउतिया लोकोत्सव-2016’ के कार्यक्रम में की। उन्होंने कहा कि इसे ऐतिहासिक बनाने के लिए जो भी बन सकेगा वे करेंगे। कहा कि शांति के लिए वे कुर्बन होने के लिए तैयार हैं। मुख्य पार्षद परमानंद प्रसाद ने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि आने वाले भविष्य में भी नपं आयोजन करता रहेगा। यह आयोजन जनता का जनता के लिए है। नपं की ओर से वे एक माध्यम भर हैं। कहा कि नपं को सांस्कृतिक व खेल कूद कार्यक्रम कराने का अधिकार है। पहले के कार्यपलक पदाधिकारी ऐसा करने के लिए तैयार नहीं होते थे। विपिन बिहारी सिंह तैयार हुए और कार्यक्रम सामने है। इन्होंने इसके लिए श्रमण संस्कृति का वाहक के लेखक उपेन्द्र व वार्ड पार्षद बसंत कुमार को भी श्रेय दिया। उप मुख्य पार्षद कौशलेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि नपं की ओर से प्रोत्साहन क अकर्य जारी रहेगा। उन्होंने ही विधायक से इसे राज्य सरकार से राजकीय दर्जा दिलाने की मांग की थी। ईओ विपिन बिहारी सिंह ने कहा कि सभी के सहयोग से नपं की तरक्की हो रही है। गत वर्ष जिउतिया को देखा था। चकित रह गया। इस बार सबके सहयोग से आयोजन हो रहा है। नपं लगातार विकास करते रहेगा। कार्यक्रम को वार्ड पार्षद विजय सिंह यादव, बसंत कुमार, कर्मी अक्षैबर चौबे व लेखक उपेन्द्र ने भी संबोधित किया। संचाल खुर्शीद खान ने किया। एसडीओ राकेश कुमार, एसडीपीओ संजय कुमार व इंस्पेक्टर विन्ध्याचल प्रसाद, वार्ड पार्षद संजय प्रसाद, सुखलाल प्रसाद, जीतेन्द्र कुमार सिंह, कमला देवी, महंगु चौरसिया, प्रतिनिधि मुन्ना नौशाद, जफर आलम, राजदेव प्रसाद, मो.तारक, धीरज पाठक उपस्थित रहे। निर्णायक मंडली में ब्रजेश कुमार, निर्भय कुमार मिश्रा, गिरिजा ठाकुर, कौशल किशोर मंडल एवं मो. परवेज आलम शामिल रहे।

अपनी कला संस्कृति से हम अलग हो गये-एमएलए
बिहार में हैं छ: हजार हेरिटेज-आशुतोष

दाउदनगर जिउतिया संस्कृति पर बनी डाक्युमेंट्री ‘द सोल आफ कल्चरल सिटी दाउदनगर’ गुरुवार को पुरानी शहर में ज्ञान दीप समिति के मंच पर रिलिज की गयी। इसे भगवान प्रसाद शिवनाथ प्रसाद बीएड कालेज के सचिव डा.प्रकाशचन्द्रा ने बटन दबा कर रिलिज किया। उन्होंने इसे जिउतिया संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण कार्य बताया। इस अवसर पर मंच का उद्घाटन उनके साथ औरंगाबाद के विधायक आनन्द शंकर, जदयू नेता प्रमोद सिंह चन्द्रवंशी, पुरात्वविद अनंत आशुतोष द्विवेदी, संस्कार विद्या के निदेशक सुरेश कुमार गुप्ता, धर्मवीर फिल्म एंड टीवी प्रोडेक्शन के धर्मवीर भारती, भाजपा प्रखंड अध्यक्ष अश्विनी तिवारी, राधेश्याम सिंह, अर्जुन यादव, अभय चन्द्रवंशी, विनोद चन्द्रवंशी, जदयू प्रखंड अध्यक्ष रामानंद चन्द्रवंशी ने किया। मंच का संचालन आफताब राणा व संतोष अमन ने किया। विधायक ने कहा कि हम अपनी मूल संस्कृति से कटते जा रहे हैं। आधुनिकता में गुम हो गये हैं। कला संस्कृति का मूल लुप्त हो रहा है। पुरातत्वविद अनंत आशुतोष ने कहा कि बिहार में 6000 हेरिटेज स्थल हैं। इस क्षेत्र में बिहार में काफी काम होना शेष है। धर्मवीर ने अपने प्रोडक्शन हाउस की ओर से डाक्युमेंट्री को शोध सामग्री उपलब्ध कराने के लिए नर्चर आफ हेरिटेज अवार्ड उपेन्द्र कश्यप को दिया गया। अतिथियों के अलावा प्रबुद्ध भारती और ज्ञानदीप समिति की टीम को सम्मानित किया। शंभु कुमार, रामेश्वर प्रसाद, मदन कुमार, कर्मवीर, श्री निवास कुमार, सुरेन्द्र सिंह, राजकुमार गुप्ता, संतोष अमन, च्नितु मिश्रा, पेंटर विकास कुमार, प्रफुलचन्द्रा को सम्मानित किया गया।   
       

Thursday 22 September 2016

शब्दचित्र के बाद जिउतिया को पेंटिंग का सौन्दर्य

जल यातायात व नहर निर्माण की पेंटिंग

विकास चौधरी ने डाक्युमेंट्री के लिए बनायी 22 पेंटिंग
इतिहास को रंगों से जीवंतता देने की हुई कोशिश
जिउतिया लोकोत्सव को गुरुवार को नयी उंचाई मिली। धर्मवीर फिल्म एंड टीवी प्रोडक्शन के बैनर तले ‘द सोल आफ कल्चरल सिटी दाउदनगर’ रिलिज की गयी। इसमें कुल 22 पेंटिंग का इस्तेमाल किया गया है। पेंटिंग के माध्यम से डाक्युमेंट्री में धर्मवीर भारती ने शहर के इतिहास को दिखाने का प्रयास किया है। दाउदनगर का ज्ञात इतिहास औरंगजेब के सिपहसालार दाउद खां कुरैशी से प्रारंभ होता है। वैसे कुछ लोग इसे भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज बलदाउ से जोडते हैं। इसकी भी चर्चा इस डाक्युमेंट्री में की गयी है। नहर की खुदायी और नहर मार्ग से जल यातायात का प्रारंभ शहर के लिए क्रांतिकारी बदलाव का दौर था। इसने इसे चट्टी और फिर कस्बे के रुप में पहचान दिलायी। ‘श्रमण संस्कृति का वाहक दाउदनगर’ कितब ने जहां जिउतिया संस्कृति का व्यापक शब्दचित्र गढा वहीं इस डाक्युमेंट्री ने उसे लाइव देखने का अवसर प्रदान किया। इस डाक्युमेंट्री में विकास चौधरी ने अपनी पेंटिंग के माध्यम से रंग का सौन्दर्य दिया है। इससे डाक्युमेंट्री की व्यापका तो बढी ही खुद भारती की गंभीरता भी परिलक्षित होती है। इतिहास को जीवंत बनाने का भी यह माध्यम बना।

फाइन आर्ट में नाम कमाना विकास का लक्ष्य

पेंटिंग बनाते विकाश चौधरी
 डाक्युमेंट्री में इतिहास को रंग व कूची से जीवंत बनाने वाले विकास चौधरी वार्ड संख्या 19 निवासी कृष्णा चौधरी के पुत्र हैं। विद्या निकेतन में पढते हुए इस स्नातक में अध्ययनरत ने जिला में आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान तब हासिल किया था जब वह आठवीं का छात्र था। उसने ‘दैनिक जागरण’ को बताया कि वह बीएचयु वाराणसी से फैन आर्ट का कोर्स कर नाम कमाना चाहता है। बताया कि जब स्कूल में हैंडवर्क दिया जाता था तभी बेहतर चित्रकला बनाने की रुचि जगी। मैट्र्क के बाद पेंटिंग करना बन्द कर दिया। यहां रंगकर्म की संस्था प्रबुद्ध भारती से जुडा। मित्रों की सलाह पर संस्थ के लिए बैनर बनाया जिसमें पेंटिंग के माध्यम से अपनी कला को अभिव्यक्ति दी। जब जिउतिया पर डाक्युमेंट्री बनने लगी तो धर्मवीर भारती ने संजय तेजस्वी के माध्यम से संपर्क किया। धीरे-धीरे 22 पेंटिंग बनाया। श्री भारती ने बताया कि पटना में रहकर करीब एक महीने में सारा चित्र बनाया। इसके लिए ‘श्रमण संस्कृति का वाहक-दाउदनगर’ पुस्तक पढ कर कल्पना ले सहारे पेंटिंग बनायी। बताया कि हेरिटेज आफ मगध के अन्य डाक्युमेंट्री के लिए भी विकास ही पेंटिंग करेंगे।

जिन चित्रों ने किया आकर्षित
 विकास के सभी 22 पेंटिंग काबिले-तारीफ हैं। इसमें कई काफी आकर्षक हैं। इसे देखने से ही इतिहास का ज्ञान बोध हो जाता है। दाउद खां कुरैशी की पेंटिंग भी कल्पन अके आधार पर बनाया है। इसके अलवा नहर की खुदाई, इसमें नौका यात्रा, यहां नुकलने वाले नकल यथा सुल्ताना डाकु, गोकुल चोर, मुडकटवा, डाकिनी, ब्रह्म, अद्भुत मानव, लोहे के गर्म जंजीर को दुहता मानव, राजा-रानी, दममदाड, लैला-मजनु, लालदेव-कालादेव, जिउतिया की चील व सियार की कथा, राजा जीमूतवाहन और गरुड की कथा को रंगों के मध्यम से अभिव्यक्त किया है।

बच्चों के उत्साह से खिलता है रंग

जिउतिया लोकोत्सव में बच्चों की बडी भूमिका

 जिउतिया लोकोत्सव की रंगीनियत, रोमांच और हास्य विनोद में बच्चों की बडी भूमिका है। इनके बगैर अधिकांश प्रस्तुतियों का होना संभव नहीं दिखता। ये बच्चे प्रशिक्षित कलाकार नहीं हैं। न ही इनको बनाने वाले संगठनों के निर्देशक कहीं प्रशिक्षण लेने गये हैं। सभी इस मिट्टी के कलाकार हैं जो पीढियों से बतौर परंपरा इसे ग्रहण किया है। शायद इसी लिए धर्मवीर भारती ने अपनी डाक्युमेंट्री का नाम ‘द सोल आफ कल्चरल सिटी दाउदनगर’ रखा है। यानी संस्कृति की आत्मा है दाउदनगर। उनके अनुसार इस शहर की बडी आबादी कलाकार है। मिट्टी के कण-कण में यहां कला बसती है। जो भी देखता है वह भौचक्का रह जाता है। प्राय: झांकियों में बच्चे सम्मिलित होते हैं। इनके सहभागी बनने पर किसी अभिभावक की नाराजगी नहीं होती। अभिभावक भी उत्साह के साथ बच्चों को शामिल होने पर रजामन्दी देते हैं। 

Wednesday 21 September 2016

महिलाओं के लिए भी जिउतिया देखना होगा सुगम


 बच्चों की नकल प्रस्तुति
आज से जिउतिया का देखें चरमोत्कर्ष
कई संगठन नकल प्रतियोगिता को आये आगे
मुख्य आयोजन नगर पंचायत कार्यालय परिसर में

आज गुरुवार को जीवितपुत्रिका व्रत के लिए नहाय खाय है। इस दिन से ही यहां नौ दिन का जिउतिया लोकोत्सव अपने चरम पर होता है। यह तीन दिन रोमांच व आश्चर्य के चरम पर होता है। प्रतीत होता है कि पूरा शहर ही भेष बदले हुए है। हर तरफ स्वांग (नकल) कला की प्रस्तुति करते कलाकार दिख जायेंगे। इस बार मुख्य कर्यक्रम नगर पंचायत में आयोजित हो रहा है। यह प्रथम अवसर है। मुख्य पार्षद परमानंद प्रसाद व उप मुख्य पार्षद कौशलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि यहां महिलाओं के लिए कार्यक्रम देखना एकदम सुगम होगा। उनके लिए सुरक्षित व्यवस्था की गयी है। वे निश्चिंत हो कर कार्यक्रम को देख सकती हैं। इसके अलावा इस लोकोत्सव में पुरानी शहर चौक पर ज्ञानदीप समिति द्वारा खास आयोजन इस बार किया जा रहा है। यहां शुक्रवार को जिउतिया पर धर्मवीर भारती द्वारा निर्मित डाक्युमेंट्री द सोल आफ कल्चरल सिटी दाउदनगर को रिलिज किया जाना है। कला, संस्कृति, खेल व युवा मंत्री डा.शिवचन्द्र राम समेत कई महत्वपूर्ण लोगों की उपस्थिति अपेक्षित है। इसके अलावा भी कई मंच ऐसे हैं जो जिउतिया लोकोत्सव को बढावा देने के लिए नकल प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हैं।

शहर में प्रतियोगिता के कई आयोजक
इस बार दो नया और खास आयोजक हैं। नगर पंचायत के अतिरिक्त इस बार पहली दफा ऑनलाइन नक़ल प्रतियोगिता का आयोजन प्रयत्न एजुकेशनल एंड सोशल ट्रस्ट करा रही है। यानी तकनीक का नया प्रयोग और इस पर्व में प्रथम समावेश। इसके अलावा विद्यार्थी चेतना परिषद, पान(तांती) समाज- इमली तल, ज्ञान दीप समिति- पुरानी शहर चौक, कांस्यकार पंचायत समिति- कसेरा टोली, एकता संघ समिति-गुलाम सेठ चौक, बम रोड नक़ल अभिनय प्रतियोगिता- बम रोड और नकल अभिनय प्रतियोगिता समिति मौलाबाग़- मौलाबाग।

झांकी नक़ल निकालने वाले खास संगठन
शहर में इस लोकोत्सव में झांकी निकालने वाले कुछ खास संगठन संगठन काफी सक्रिय हैं। इनकी प्रस्तुतियां इस लोकोत्सव की जान होती हैं। इन्हीं की बदौलत समाज में काफी संख्या में लोग कलाकार हैं जो अभिनय का बगैर प्रशिक्षण लिए ही काफी बेहतर प्रस्तुति दे पाते हैं। इसमें शामिल हैं- बाल संगठन-बम रोड, विद्यार्थी क्लब- कसेरा टोली,  भारती क्लब- पटवा टोली, बालक भारती क्लब- पटवा टोली, यूनियन क्लब-पचकठवा, स्टार क्लब- गोला रोड,
आदर्श क्लब, जनता क्लब समेत अन्य कई संगठन सक्रिय हैं।   

समय के साथ बदली परंपरा। बेटा बेटी हुए एक सामान


फोटो-राजेन्द्र प्रसाद सर्राफ व विभिन्न तरह के जिउतिया
पहले सिर्फ बेटे के लिए अब बेटियों के लिए भी जिउतिया
सोना-चांदी के जिउतिया बनवाने लगे हैं लोग
 समय परिवर्तनशील है। इसके साथ परंपरायें भी बदलती हैं। कई परंपरायें बदली भी हैं और नयी जन्मी भी हैं। यह सब समय के साथ समाज की समझ, विज्ञान और शिक्षा का प्रसार होने के साथ प्रभावित होता है। जीवितपुत्रिका व्रत में परंपरा रही है कि मातायें बेटों के लिए धातु का जिउतिया बनाती हैं। इसमें समय के साथ बदलाव आते रहा। गोपाल बाबू अलंकार ज्वेलर्स के प्रोपराइटर व महिला कालेज के प्रोफेसर राजेन्द्र प्रसाद सर्राफ ने बताया कि करीब सौ साल पहले परंपरा बस यही थी कि बेटों के लिए लोग जिउतिया बनाते थे। अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार सोना या चांदी का चयन लोग करते थे। जैसे -जैसे शिक्षा के प्रसार के साथ समृद्धि आने लगी वैसे-वैसे इसमें बदलाव आने लगा। बताया कि लोग बेटी के जन्म होने पर जिउतिया नहीं बनाते थे। कालांतर में लोगों ने बेटों के लिए सोने का और बेटियों के लिए चांदी का जिउतिया बनाने लगे। अब नयी पीढि ने इसमें काफी बदलाव लाया है। बताया कि न्यू जेनरेशन अब बेटा-बेटी में फर्क नहीं कर रही है। वह बेटा-बेटी एक समान के नारे को बुलन्द कर रही है। कहा कि अब बेटा-बेटी दोनों के लिए लोग एक समान सोने का जिउतिया बना रहे हैं। कुछ अपनी क्षमता के अनुसार चांदी के जिउतिया से भी काम चलाते हैं। यह परिवर्तन समाज में आयी जागृति को स्पष्ट बतलाता है। बताया कि पहले से दिन-प्रति-दिन जिउतिया की मांग बढती ही जा रही है।     

चढाने से ज्यादा उतारने में कष्ट-डोमन चौधरी

लोक कलाकार डोमन चौधरी

बात जिउतिया के लोक कलकार की
आश्चर्य चकित करने वाले हैं कलाकार

 नाम- डोमन चौधरी। उम्र-70 वर्ष। पहचान-जिउतिया में चौंकाने वाली प्रस्तुतियां। शरीर में एक साथ 46 चौडी चाकू और बडी सूइयों से दिल बना लेने का हैरतअंगेज कारनामा। शहर उनकी चिंता करता है। उन्हें इस पर्व में याद करता है। इस उम्र में भी वे करतब दिखाने के प्रति उत्साही हैं। गत 15 साल से अपने करतब से सबको प्रभावित करते आ रहे हैं। बताया कि एक बार पूरे शरीर में 46 चाकू चढाया। व्रत और पारण के दिन एक ही अवस्था में रह गया। यानी 48 घंटा से अधिक समय तक बदन में उतने चाकू घुसाये रहा। इसके उस्ताद हैं-मनोज प्रसाद हलवाई। बताया कि चढाने से अधिक उतारने में कष्ट होता है। क्योंकि बदन को चाकू पूरी तरह पकड लेता है। यदि बारिश हो गयी और चाकू-छूरी चढाया कलाकार भींग गया तो बदन से चाकू निकालना और कठीन हो जाता है। तीन बेटी और दो बेटे के भरे पूरे परिवार की यह मुखिया नाती-पोता वाला है। परिवार की जिम्मेदारियों के बीच जिउतिया में इस तरह के करतब दिखाना हर किसी को चौंकाता है। एक बार अपने सीने पर बडी सूइयों से दिल बनाया। इस तरह के कई छोटे-छोटे दिल दूसरे हिस्से में बनाया। पूरा शहर इनका दिवाना हो गया। बताया कि इस बार एक दिन अपनी कला का जौहर दिखायेंगे। अब उतनी हिम्मत नहीं पडती क्योंकि शरीर पर उम्र हावी होने लगा है। शहर में शायद सबसे वृद्ध लोक कलाकार हैं डोमन चौधरी जो इतनी खतरनाक प्रस्तुतियां प्रदर्शित करते हैं। डेहरी में दुर्गा पूजा पंडाल में अपनी प्रस्तुति का रोमांच इन्होंने बताया। कहा कि जब चाकू-छूरी चढा कर पंडाल पहुंचा तो काफी संख्या में पुलिस घेर ली। हमेशा सुरक्षा में रखा।  

Tuesday 20 September 2016

वरना ऐसे कैसे नगीना हो जाएगा शहर भाई? ..

शहरनामा-2 
हर व्यक्ति में ईश्वर का वास है। यह हम नहीं कह रहे, भारतीय वांग्मय कहता है। फिर किसी से किसी का भला विवाद काहे हो जाता है? वास्तव में हम खुद को ही नहीं समझ पाते हैं। जब हम स्वयं से यह पूछना शुरु कर दें कि मैं क्या हूं? कौन हूं मैं? मेरी अपनी सीमा क्या है? तो संभव है विवाद में उलझना कम हो जाये। हां, कुछ मित्र जब अधिक अपेक्षा करते हैं, अधिक हस्तक्षेप करते हैं, अनावश्यक सलाह देते हैं तो समस्या बढती चली जाती है। बुजुर्गों ने कहा है- यह शहर है नगीना। वाकई नगीना है तो कई नगीने भी होंगे ही, वरना ऐसे कैसे नगीना हो जायेगा शहर भाई? समस्या तब आती है जब मित्र यह समझ ले कि- मैं हूं तभी मेरे दूसरे मित्र की चमक है।  कोई युवा राजनीति के रास्ते पर हो या शिक्षा के मार्ग पर, उसकी सफलता तभी गुणात्मक होती है जब वह अपने विवेक से काम ले। पांव छूने वाला कोई संस्कारी युवा जब भटक जाये, अनावश्यक आक्रामक हो जाये तो यह सवाल उठता है कि क्या सलाहकार की भूमिका विचारणीय है? हमेशा मिठी-मिठी बात करने वाला और दूसरे की शिकायत करने वाला सलाहकार भला नहीं कर सकता। शहर में चर्चा होने लगी है कि सलाहकार की भूमिका नकारात्मक है। यदि कोई किसी के बारे में गलत बताता है तो कम से कम संस्कार हो या लोकतंत्र में विश्वास, अगले से सीधे संवाद तो करने की अपेक्षा बनती है। भला इसमें गुरेज क्यों? जबकि छोटे से शहर में हर किसी को कहीं-न-कहीं किसी मोड पर तो मुलाकात हो ही जानी है। कहते हैं- सौ समस्या की जड है संवादहीनता। लेकिन जब कोई मित्र संवाद करने की कोशिश को पराजय के भाव से जोड दे तो माफ करिए ऐसे लोगों से दूर, बहुत दूर रहना ही शायद सही हो सकता है।

और अंत में--
कारा बहुत बडे-बडे लोग गये हैं। कोई भी भेजा जा सकता है। बहुत बडे परिवर्तन का भाव रोपण भी इसने किया है। बडी-बडी किताबें इसमें लिखी गयी है। कारा में मनुष्य को एकांत प्राप्त होता है। चिंता नहीं, बदले का भाव नहीं बल्कि चिंतन करे आदमी तो महान बनने से कौन रोक सकता है भला? एकाग्रता में जब मन शांत होता है तो मनुष्य अपना असली मित्र और शत्रु पहचानने की शक्ति प्राप्त कर लेता है। सोचो- कहां थे, कहां जाना था, कहां पहुंच गये?

यह भी कि-
बडी खमोशी से भेजा था गुलाब उसको,
पर रवैये (खुशबु) ने शहर भर में तमाशा कर दिया॥ 
(उपेन्द्र कश्यप)

Monday 19 September 2016

कौन सही- जिउतिया, जितिया या फिर जीवित पुत्रिका

जिउतिया हिन्दी और जितिया है नेपाली शब्द

गीतों में जितिया तो है जीवितपुत्रिका नहीं
संस्कृत भाषा का है जीवित पुत्रिका शब्द
 यहां सोशल मीडिया में एक सवाल उठाया गया है कि “जिउतिया” शब्द के इस्तेमाल से पर्व का अपमान हो रहा है। कहा गया है कि सही शब्द जितिया है या जीवित पुत्रिका है और इसे ही लिखा जाना चाहिए। जिज्ञासा शांति के लिए सवाल उचित हैं। किंतु पूछने वाले का अन्दाज आपत्तिजनक है। इसे स्पष्ट करने के लिए प्रयाप्त श्रोत खंगाला। वास्तविकता क्या है? क्या वास्तव में “जिउतिया” शब्द नहीं है? डा.हरदेव बाहरी के राजपाल हिन्दी शब्दकोश के पृष्ठ संख्या-302 पर ‘जिउ’ और “जिउतिया” शब्द अंकित है। इसमें जिउ का अर्थ जीव बताया गया है। स्मरण करें- दाउदनगर के जितिया जिउ के साथ हई गे साजन। अर्थात जितिया जीव के समान है। अब आगे देखिए- जिउतिया का अर्थ ‘जीवित पुत्रिका व्रत’ बताया गया है। सवाल उठाने वाला यदि प्रयाप्त ज्ञानवान है तो वह इसे गलत ठहराने को स्वतंत्र और सक्षम भी है, किंतु यह संवाददाता ऐसा नहीं कर सकता। वास्तव में “जिउतिया” हिन्दी शब्द है। ‘जीवित पुत्रिका संस्कृत’ का शब्द है। और हां—विकिपिडिया के अनुसार ‘जितिया’ नेपाली शब्द है। भोजपुरी विकिपिडिया में जितिया और जिउतिया दोनों शब्द इस्तेमाल किए गये हैं। नेपाली शब्द जितिया दाउदनगर कैसे आया? यह तो मगही का क्षेत्र है?
यहां का तांती, पटवा मूलत: तिरहुतिया तांती हैं।  तिरहुत नेपाल की सीमा से सटा इलाका है। संभव है जब तांती समाज यहां आया तो उसकी बोली का टोन नेपाली प्रभाव लिए हुए हो। तांती, पटवा समुदाय का जुडाव तिरहुत से है तो जब वे यहां आये होंगे तो उनकी बोली में नेपाली भाषा का प्रभाव होना कठिन नहीं दिखता। वैसे जितिया यहां के गीतों में है किंतु जीवितपुत्रिका शब्द नहीं है। वह शुद्ध संस्कृत का शब्द है। जितिया-संस्कृति के लोक गीतों में संस्कृत के शब्द ढुंढने से मिल सकते हैं किंतु उसका अधिक इस्तेमाल नहीं हुआ दिखता है।

Friday 16 September 2016

सांस्कृतिक संवर्धन के क्षेत्र में यह है बडा कदम

फोटो-चन्दन कसेरा, राजु भारती व प्रिंस कुमार
इससे जिउतिया के उत्थान को मिलेगी स्थायी ताकत

जिउतिया लोकोत्सव को अपनी कला प्रस्तुतियों से चौंकाने वाली संस्थाओं का मानना है कि नगर पंचायत का यह कदम ऐतिहासिक है। इससे इस संस्कृति के विकास में बडा योगदान इस प्रशासनिक व राजनैतिक संस्थान का होगा। साल 2004 से सक्रिय विद्यार्थी क्लब के निर्देशक चन्दन कसेरा का कहना है कि कलाकारों की टीम का मनोबल बढेगा। प्रोत्साहन मिलेगा। शराब बन्द होने से जिउतिया प्रभावित होने की बात करने वालों को मुहंतोड जवाब मिलेगा। शराब से इस पर्व को न जोडें। कला है और कला शराब पर निर्भर नहीं होती। 1994 से सक्रिय भारती क्लब के निदेशक राजु भारती ने कहा कि वर्षों से यह अपेक्षा थी। अब नगर पंचायत पूरी कर रहा है। यह बाद में भी जारी रहेगा इससे बेहतर होगा। 2009 से सक्रिय बालक भारती के प्रिंस कुमार ने कहा कि इस काम के लिए नपं की जितनी प्रशंषा की जाये वह कम है। इससे सभी कलाकारों का मनोबल बढेगा। कलाकारों में निखार आयेगा। लोगों को और बेहतर प्रस्तुतियां देखने को मिलेगी। नपं की इस घोषणा का हर लोग स्वागत कर रहे हैं।

जिउतिया लोकोत्सव : शहर के लिए जश्न का दिन

फोटो- बैठक करते मुख्य पार्षद, उपमुपा, ईओ व उपेन्द्र कश्यप
जिउतिया को ले क्रांतिकारी व ऐतिहासिक घोषणा
नगर पंचायत करेगा नकल प्रतियोगिता का आयोजन
‘दाउदनगर जिउतिया लोकोत्सव’ में बरसेंगे पुरस्कार

काम का इनाम मिलता ही मिलता है। मुझे भी मिला। आज शुक्रवार 16.9.16 को। मेरे लिए ऐतिहासिक रहा यह दिन। करीब दो साल की कोशिश का नतीजा निकला। आज सुबह में नगर पंचायत के मुख्य पार्षद श्री परमानंद प्रसाद, उप मुख्य पार्षद श्री कौशलेन्द्र कुमार सिंह व कार्यपालक अधिकारी श्री विपिन बिहारी सिंह के साथ मैं बैठा। आपको याद होगा पुराना शहर चौक पर 2014 में ज्ञान दीप समिति के जिउतिया कार्यक्रम में नपं के मुख्य पार्षद परमानंद प्रसाद ने घोषणा की थी कि नगर पंचायत नकल अभिनय प्रतियोगिता का आयोजन करेगा। इसके पहले और बाद में भी कई बार दैनिक जागरण में मैंने इस मुद्दे को उठाया। एक जिद थी कि नपं कार्यक्रम का आयोजन करे। इससे यह होगा कि “दाउदनगर जिउतिया लोकोत्सव” को राजकीय दर्जा दिलाने में सहयोग मिलेगा। जब ऐसा होगा यानी राज्य सरकार ‘देव महोत्सव’ की तरह ‘दाउदनगर जिउतिया महोत्सव’ मनायेगा तो काफी विकास होगा। लोक कलाकारों की ख्याति बढेगी। दाउदनगर पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित शहर बनेगा। इसकी लडाई के साथ-साथ मेरी लडाई इसे बिहार की “प्रतिनिधि संस्कृति” बनाने की भी है। इसके लिए यहां जब सीएम नीतीश कुमार (एनडीए सरकार) यहां आये थे तो चिंटु मिश्रा से आवेदन दिलवाया था। फिलहाल नपं ने जो किया है उससे राजकीय दर्जा प्राप्त करने की ओर क्दम बढ गया है। मेरी व्यक्तिगत बात कला, संस्कृति, खेल व युवा मंत्री माननीय डा.शिवचन्द्र राम से हुई है और फिर बिधान परिषद के सभापति माननीय अवधेश नारायण सिंह से भी। दोनों ने राजकीय दर्जा दिलाने का आश्वासन दिया है। संभव है यह काम 2017 के जिउतिया तक हो जाये। फिलहाल नपं को साधुवाद। मेरे प्रयास व पहल को समर्थन उन्होंने दिया। कार्यक्रम की रुप रेखा की जिम्मेदारी मुझे दी गयी है। इसे लेकर जो भी उम्मीद है उस पर खरा उतरने का हर संभव प्रयास करुंगा।

·         आगामी 22, 23 व 24 सितंबर को नकल प्रतियोगिता का आयोजन नगर पंचायत कार्यालय परिसर में किया जायेगा। 25 सितंबर को पुरस्कार वितरण किया जायेगा। हर रोज एक दर्जन से अधिक नकल प्रस्तुतियों का चयन पुरस्कार के लिए किया जायेगा। तमाम प्रस्तुतियों को तीन श्रेणी में बांटा गया है। पारंपरिक नकल, मंचीय कला और झांकी। इन सभी श्रेणी के लिए प्रतिदिन तीन प्रथम, तीन द्वितीय और तीन तृतीय प्रस्तुतियों का चयन किया जायेगा। यानी कुल नौ प्रथम, नौ द्वितीय और नौ तृतीय पुरस्कार बंटेंगे। इससे यहां के अधिकाधिक कलाकारों को और अधिक बेहतर करने को प्रोत्साहन मिलेगा।

·         श्री परमानंद प्रसाद, श्री कौशलेन्द्र सिंह व श्री विपिन बिहारी सिंह ने बताया कि संस्कृति के संवर्धन के लिए यह कदम उठाया गया है। हर साल ‘दाउदनगर जिउतिया लोकोत्सव’ मनाया जायेगा। इससे लोक कलाकारों का मनोबल बढेगा। उनमें निखार आयेगा और इसके साथ ही पारंपरिक कलाओं के विलुप्त होने के खतरे को खत्म किया जायेगा। कहा कि नगर पंचायत इसे ऐतिहासिक बनायेगा।


Thursday 15 September 2016

... नौ दिन कइले बेहाल रे जितिया

शरीर में चाकू चढाये कलाकार 

बाजार चौक पर होगी बच्चों के लिए सुविधा
जिउतिया के आगाज का दिन है शुक्रवार। इस दिन तीन चौकों पर ओखली रखी जायेगी। लोग झुमर गाना शुरु करेंगे- “अरे धन भाग रे जिउतिया, तोरा अइले जियरा नेहाल रे जिउतिया, जे अइले मन हुलसइले, नौ दिन कइले बेहाल रे जिउतिया। इसके लिए तैयारी का दौर शुरु हो गया है। शुक्रवार से कुछ प्रस्तुतियां प्रारंभ हो जायेंगी। चौकों पर झुमर, सोहर गाने वालों की टोली दिखाई पडेगी। लोग लोक गीत गाते और इस पर्व का महत्व बताते दिख जाया करेंगे। संस्थायें और नकल बनने वाले कलाकार अपनी तैयारी में जुटे हैं। गुरुवार को बाजार स्थित जिउतिया चौक की व्यवस्था संभालने को लेकर बुद्धा मार्केट में बैठक की गयी। पप्पु गुप्ता ने अध्यक्षता की। पर्व को धुमधाम से मनाने का निर्णय लिया गया। शुक्रवार को ओखली और जिमूतवाहन भगवान की धातु की चल प्रतिमा रखने का निर्णय लिया गया। बरसात के मौसम को देखते हुए वाटर प्रुफ पंडाल लगाने का निर्णय हुआ। इस बार व्रती महिलाओं के साथ आने वाले छोटे बच्चों के लिए ठंढे पानी और टाफी की व्यवस्था रहेगी। ताकि व्रति निश्चिंत हो कर पूजा कर सकें। तीन दिन तक रौशने एके व्यवस्था होगी। बैठक में सतीश कुमार, उमेश प्रसाद, प्रदीप प्रसाद, संजय प्रसाद उर्फ चुन्नु, दुर्गा गोस्वामी, विशाल कुमार, मनोज कुमार, चन्दन चौरसिया, प्रवीण चंद्रवंशी, अनिल कुमार एवं रुपेश कुमार उपस्थित रहे।  


Wednesday 14 September 2016

जिमूतवाहन भगवान के चौकों पर रखी जायेगी ओखली

आकर्षण व रोमांच का अद्भुत मेला कल (शुक्रवार) से प्रारंभ

फोटो-जिउतिया चौक और डोमन चौधरी की आकर्षक प्रस्तुति (फाइल फोटो)
दाउदनगर जिउतिया लोकोत्सव का होगा आगाज

कल यानी अनंत चतुर्दशी के दूसरे दिन शाम को दाउदनगर जिउतिया लोकोत्सव का आगाज होगा। अद्भुत लोक उत्सव जो आपको रोमांचित करेगा। आश्चर्यचकित करेगा। देख कर आप यहां के कलाकारों की प्रस्तुतियां दंग रह जायेंगे। जी हां, एक दम से अद्भुत नजारा होता है। जिसका चरम आप देखना चाहते हों तो आगामी 22, 23 व 24 सितंबर को आइये। पर्व इस बार 23 सितंबर को है। 22 को नहाय खय और 24 को पार्न है। इन तीन दिनों में लोकोत्स्व का चरम दिखेगा। इसका आगाज भादव पुर्णवासी को होगा। अनंत चतुर्दशी की सुबह से माहौल बनने लगता है। इस दिन शुक्रवार की शाम को शहर के तीन चौकों पर ओखली रखी जाएगी। यह ओखली डमरुनुमा पीतल या लकडी की बनी होती है। पुरानी शहर चौक पर लाइसेंसी रामजी प्रसाद ने बताया कि अनंत के दूसरे दिन शाम को ओखली रखी जायेगी। बाजार चौक के बारे में मुना प्रसाद व कसेरा टोली चौक पर जगरनाथ कांस्यकार के अनुसार इसी दिन ओखली रखी जायेगी। पटवा टोली इमली तल पारंपरिक तौर पर बाद में ओखली रखी जाती है। यह इस बात का प्रतीक है कि दाउदनगर के निवासी अपनी संस्कृति के प्रति बौराना शुरु हो जायेंगे। बस हर तफ जितिया हे जितिया की चर्चा। तैयारी करता समूह, लोक कलाकारों की टोली। अब रोजाना शहर में अजब-गजब दिखेगा।

इस बार सोशल मीडिया सक्रिय

इस बार जिउतिया पर्व को ले सोशल मीडिया में सक्रियता अभी से बढ गयी है। दैनिक जागरण में पूर्व में प्रकाशित लेखों को लोग शेयर कर रहे हैं। दाउदनगर ही नहीं बल्कि बिहार से भी बाहर रहने वालों को इसके माध्यम से आकर्षित कर रहे हैं। उन्हें आमंत्रित कर रहे हैं। ज्ञान दीप पूजा समिति, विद्यार्थी चेतना परिषद व जिउतिया पर्व जैसे ह्वाट्स एप ग्रुप बना कर युवा इसे अभी से प्रचार प्रसार में लग गये हैं। इस बार जैसी सूचनायें हैं संभव है पूर्व की अपेक्षा खास होगा जिउतिया का लोकोत्सव।     

Tuesday 13 September 2016

वौश्विक स्तर पर भाषा का विकल्प बन सकती है हिन्दी

भाषा हमारी और नाम फारस से मिला
हिन्दी हमारी मतृभाषा है। हमारी मतलब भारत की किंतु वह आधिकारिक तौर पर अभी भी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी है जबकि उसने वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा कायम की है। लगभग बीसवीं शती के अंतिम दो दशकों में हिंदी का अंतर्राष्ट्रीय विकास बहुत तेजी से हुआ है। इसका बाजार क्षेत्र बढा है। यह जिस तेजी से बढ़ी है वैसी किसी और भाषा की नहीं बढी है। विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों तथा सैकड़ों छोटे-बड़े केंद्रों में विश्वविद्यालय स्तर से लेकर शोध स्तर तक हिंदी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था हुई है। विदेशों में 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं। यह हमारी भाषा है किंतु हिन्दी शब्द दिया है फारस ने। जिसका अर्थ है-हिन्दी का या हिंद से संबंधित। हिन्दी शब्द की निष्पत्ति सिन्धु-सिंध से हुई है। ईरानी भाषा में '' का उच्चारण '' किया जाता था। इस प्रकार हिन्दी शब्द वास्तव में सिन्धु शब्द का प्रतिरूप है। क्या हिन्दी नयी पीढि के लिए भाषा का विकल्प है? इस पर तीन विचार प्रस्तुत है--
भाषा का स्वाभिमान बडी गरिमा
संजय शांडिल्य, कवि, साहित्यकार

हिन्दी आज एक ऐसी भाषा है जिसमें लिखने-पढ़ने का चलन खत्म सा हो गया है। रोजी-रोजगार से इसकी एक अघोषित बेदखली है। बाजार की जरूरत भर हिन्दी और दूसरी भारतीय भाषाएँ हाशिए पर खड़ी हैं। दक्षिण में भाषा के लिए एक गौरव का बोध है तो वहाँ उन्होंने अपनी भाषा के लिए जगह घेरा हुआ है। हिन्दी पट्टी में तो वह गौरव भी नहीं है। दोयम दर्जे के पब्लिक स्कूलों ने पिछले दो दशकों में हिन्दी का और भारी नुकसान किया है। हिन्दी की पत्र-पत्रिकाएँ, कविता-कहानियां पढ़ना तो दूर उसमें संवाद तक सेंसर कर दिया गया है। जो अँग्रेजी बच्चे इन स्कूलों में सीख रहे हैं वह भी दो कौड़ी की है। स्थिति सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है। अपनी भाषा से खाली होकर मनुष्य अपने समय और समाज के सुख-दुख से भी कट जाता है। सरकारों के भरोसे भाषा का कुछ नहीं हो सकता। समाज में भाषा के लिए आग और पानी रहना चाहिए। अपनी भाषा का स्वाभिमान मनुष्यता की सबसे बड़ी गरिमा है। भाषा से विरक्त समाज मनुष्य को उसकी गरिमा से वंचित होते देखता है। अपनी भाषा में ही एक बेहतर मनुष्यता पल्लवित हो सकती है।

सुगम व वैज्ञानिक भाषा हिन्दी
सुरेन्द्र कुमार, प्राचार्य
ज्ञान गंगा इंटर स्कूल

भारत में सर्वाधिक संख्या हिन्दीभाषियों की है। आजादी से पहले और आजादी के बाद हिन्दी को ही राष्ट्रभाषा होने का सौभाग्य मिला है। भके ही आधिकारिक दर्जा न मिला हो। इसकी लिपि सुगम व वैज्ञानिक है। दयानंद सरस्वती ने कहा है कि ‘हिन्दी के द्वारा सारे भरत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।‘ सुभाषचन्द्र बोस ने कहा है कि ‘प्रांतीय इर्ष्या को दूर करने में जितनी सहायता हिन्दी के प्रचार से मिलेगी, उतनी किसी चीज से नहीं।‘ 1975, 1976 व 1983 में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलनों में हिन्दी अपना डंका बना चुकी है। भाषा के रुप में यह एक मात्र विकल्प है।  

विश्व में जमा सकते हैं अधिपत्य
प्रो.अवधेश सिंह
अंग्रेजी के व्याख्याता

हिन्दी विश्व की भाषाओं के समकक्ष है। साहित्य के क्षेत्र में इसका सानी नहीं। हिन्दी साहित्य में मानव संस्कृति को भरपुर महत्व दिया गया है। भौतिकता के साथ आध्यामिकता का ऐसा मिश्रण है जिसमें मानव जीवन की सफलता का सर्वोत्तम लक्ष्य रखा गया है। यह कंप्युटर या इंटरनेट के युक्त है। चूंकि विश्व के हर क्षेत्र में हिन्दीभाषी रहते हैं इसलिए इसकी उपादयता अधिक हो जाती है। पूरे विश्व में हम अपना अधिपत्य जमा सकते हैं। भारतीय शोधकर्ता या विद्यार्थी अपना झंडा गाड सकते हैं। विश्व को एक नया सोच दे कर मानव जीवन को उत्कर्ष तक पहुंचा सकते हैं।



Monday 12 September 2016

हिंदी के लिए अलंकृत थे रघुनंदन राम

रेलवे में टेलीग्राफ बाबू यानि तार बाबू थे श्री राम  
हिंदी दिवस पर आज तमाम तरह के रस्म का आयोजन किया जा रहा है। अपने ही देश में हिंदी की दशा एवं दिशा पर व्यापक बहस होगी। एक राष्ट्रीय बैंक के लेटर हेड पर लिखा हुआ - हिंदी में हम आपके पत्रचार का स्वागत करते हैं देख यह समझा जा सकता है कि अपने ही घर में हिंदी की क्या स्थिति है। बहरहाल, मुद्दे पर बहस छोड़िए यह सुकून देने वाली जानकारी है कि मदाउदनगर की मिट्टी में पला बढ़ा और अब स्वर्गवासी बन गए रघुनंदन राम को तत्कालीन रेल मंत्री माधवराज सिंधिया ने दो बार हिंदी में कार्य करने के लिए सम्मानित किया था। वर्ष 1999 में स्वर्ग सिधार गए लखन मोड़ निवासी श्री राम रेलवे में टेलीग्राफ बाबू यानि तार बाबू के रूप में गया में कार्यरत थे। तब 1980 में अपना अधिकांश कार्य हिंदी में करने के लिए 23.12.1981 को रेलवे हिंदी समारोह में उन्हें नकद पुरस्कार से तत्कालीन रेल मंत्री माधवराव सिंधिया ने सम्मानित किया था। इसी तरह 1986 में कार्य करने के लिए उन्हें पुन: 9 फरवरी 1987 को सम्मानित किया गया। वर्ष 1987 में ये चीफ इंसपेक्टर टेलीग्राफ गया के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इनके पुत्र संजय कुमार उर्फ गांधीजी ने बताया कि अपने सभी दो बेटों ओर 7 बेटियों को कम वेतन मिलने के बावजूद पढ़ाया। आज सभी 9 संतान सरकारी जाब में हैं। इमानदारी और निष्ठापूर्वक कार्य करने का प्रतिफल इन्हें सिर्फ पुरस्कार के रूप में नहीं मिला। व्यवहार कुशलता ने इन्हें अलग पहचान भी दिया। नेताजी के नाम से लोकप्रिय इनकी पहचान बन गया था- धोती, कुर्ता, बंडी और हाथ में बकुली। वे नहीं रहे लेकिन अंग्रेजी के अच्छे जानकार होते हुए भी अपना सर्वाधिक कार्य हिंदी में जिस लगन से किया, वैसी निष्ठा अब कहां मिलती है। अंग्रेजी जानने वाले बाबू लोग हिंदी वालों को नहीं लगाते, इससे उन्हें पुरस्कार तो नहीं ही मिलता समाज में प्रतिष्ठा और पहचान भी नहीं मिलती।
(दैनिक जगरण में मेरा यह लेख पूर्व में प्रकाशित हो चुका है)