Friday 5 June 2020

परिस्थितियाँ जैसी भी हो झेलता हमेशा गरीब, मजदूर व्यक्ति ही है


कोरोना और कलाकार-1

फिल्म डायरेक्टर/ एक्टर राव रणविजय सिंह ने काफी कुछ सीखा
रील लाइफ के शब्दों को रियल लाइफ में किया अनुभव
उपेंद्र कश्यप । दाउदनगर (औरंगाबाद)
लॉक डाउन से अब अनलॉक-01 में जीने लगे हैं हम। फ़िल्मी दुनिया की स्थानीय हस्तियां क्या और कैसे इन दिनों को जीए, यह जानने की कोशिश नबिटा ने की। ओबरा के निवासी राव रणविजय सिंह फिल्म-धारावाहिक-डॉक्युमेंट्री में अपने नाम को स्थापित कर चुके हैं। उन्होंने बताया-कलाकार दुनिया के लगभग हर चरित्र को जीने की क्षमता रखता है और अपने आप को उसके बहुत क़रीब पाता है पिछले ढ़ाई महीनों में हमने बहुत कुछ सीखा। स्वयं को घरों मे क़ैद कर लेनासिमित संसाधनों में अपना व अपने परिवार की जीविका चलानासरकार के दिशा निर्देशों का पालन करनाअगर देखा जाये तो इससे हम लोगों ने सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं को सीखा। हम कलाकार रील लाइफ में भूखखौफ़मज़बूरी जैसे बहुत शब्दों से सामना तो करते ही रहते हैं लेकिन ये सारे शब्द आज रियल लाइफ (वास्तविक जीवन) में भी बहुत क़रीब से अनुभव करने का एहसास प्राप्त हुआ लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरोंलाचारों लोगों को हज़ारों किलोमीटर दूर सड़क पर चलते हुए देखना हृदय विदारक था कुछ लोगों को कोरोना का खौफ़ तो कुछ लोगों को पापी पेट की भूख ने शहरों से उन्हें उनके गाँव के लिए पलायन करने पर मजबूर कर दिया परिस्थितियां चाहे जो भी हो हमेशा इसको झेलता वो ग़रीबलाचारबेबस मजदूर ही होता है ग़रीब मजदूर हमारे देश की अर्थव्यवस्था के रीढ़ हैं। मुंबई में रहते हुए अक्सर बिहारउत्तर प्रदेश के मजदूरों को टारगेट किया जाता देखता रहा हूँ। हमेशा उन्हें यहाँ से अपने राज्य में जाकर काम करने की सलाह दी जाती है। सरकार भी यह कहने पर मजबूर हुई कि सभी राज्य छोड़कर अपने घर चले जाएँ तो उद्योग धंधे के साथ साथ अर्थ व्यवस्था चरमरा जायेगी। मजदूरों का इनके लिए क्या महत्व है ये अब पता चला।
राव बोले- मैंने टीवी और सोशल मीडिया के माध्यम से बहुत सारे ऐसे वीडियो देखा जब आँखें नम हुई। सबसे ज़्यादा हृदय विदारक दृश्य देखा- एक बेहद ग़रीब, भूखा व्यक्ति सड़क पर मरे हुए कुत्ते के मांस को खाने को विवश हुआ। अंदर से झकझोर कर रख दिया।

बहुत जिल्लत की है मजदूरों की जिन्दगी:-
कोई मजदूर अपने घर से हज़ारों किलोमीटर दूर आकर 2 पैसे कमाने के लिए बहुत जिल्लत भरी ज़िंदगी जीता है। हर राज्य सरकारों को अपने अपने राज्य में उनके लिए रोज़गार मुहैया कराना चाहिए। ऐसा कुछ करने के बारे में सोचना ही नहीं बल्कि ठोस क़दम उठाना चाहिए। कम से कम वो मजदूर अपने परिवार के पास रहकर वहीं वो 2 पैसा कमा तो सकता है। हर मजहबहर जातिहर समुदाय के लोगों ने गरीबोंमजदूरोंभूखों को एकजुट होकर अपने अपने स्तर से उन्हें खानापानीकपड़ा व ज़रूरत की चीज़े मुहैया करवाया जो हमारे देश के लिए बहुत ही सुख़द पहलु रहा। दुःख हुआ की ऐसे संकट की घड़ी मे भी कुछ राजनीतिक पार्टियां राजनीति करने से बाज नहीं आयी।

आम के लिए ख़ास सन्देश:-
प्रार्थना है कि सबकुछ जल्द ठीक हो जाये। सभी दिशा निर्देशों का सभी लोग पालन करें। लोगों के संपर्क में ना आयें। सोशल डिस्टेंस का पालन करें। कोरोना को लेकर अफवाहों से दूर रहें। बहुत जल्द हम इस कोरोना पर भी विजय प्राप्त करेंगे और पुनः एक बार हमारी ज़िंदगी पहले की तरह सामान्य हो जायेगी।