Tuesday 30 August 2016

अर्थशास्त्र के रचयिता चाणक्य थे प्रथम राजनीतिक नीतिकार

भाद्रपद अमावस्या : चाणक्य जयन्ती पर विशेष
चाणक्य नीति व चाणक्य सूत्र जैसी पुस्तकें लिखी
पाटलिपुत्र के चकारम में हुआ था जन्म
चाणक्य
 विष्णु गुप्त शर्मा, चाणक्य या कहें कौटिल्य। एक व्यक्ति तीन नाम और तीनों विश्व विख्यात नाम। नाम लेते ही स्मरण हो आता है- चाणक्य नीति। पूरा विश्व जब कबिलाई और राजे-रजवाडे वाली संस्कृति का वाहक था। कोई भी लोकतंत्र के बीरे में सोच नहीं सकता था तब करीब 2300 साल पूर्व उन्होंने एक ऐसे देश की कल्पना की और नीति बनायी जिसमें लोक महत्वपूर्ण हो। मौर्यवंश की स्थापन अकी और आज के भारत से भी बहुत बडे क्षेत्रफल का मगध साम्राज्य स्थापित किया। चन्द्रगुप्त मौर्य का शासन कायम किया। इसीलिए मगध के इतिहास को ही भारत का इतिहास माना जाता है। आज एक सितंबर को उनकी जयंती है। इसलिए उनपर विशेष चर्चा। उन्होंने अर्थशास्त्र जैसे राजनीति विषयक महत्व पूर्ण ग्रन्थ की रचना कर विश्व में अपना नाम अमर किया। इसके अलावे चाणक्य नीति व चाणक्य सूत्र जैसी अनेकों पुस्तकें लिखी।
आचार्य पं. लालमोहन शास्त्री ने बताया कि मगध की उत्तरी सीमा पर भागीरथी गंगा के दक्षिणी पावन तट पर स्थित पाटलिपुत्र नगर के चण (चकारम) नामक गाँव में एक झोपड़ी थी, जहाँ कौटिल्य गोत्र (कुल) में उत्पन्न ब्राह्मण निवास करते थे। वे विद्वान होते हुए दरिद्र थे। ईसा पूर्व चौथी शताब्दी भाद्रपद (भादव) अमावस्या को इनके घर एक बालक का जन्म हुआ। जन्म के समय दो दांत जमे हुए थे। कोटिल कुल (गोत्र) में जन्म होने के कारण पिता चणक ने पुत्र का नाम कौटिल्य रखा। बताया कि उन्होंने मगध के अत्याचारी राजानन्द ने चणक और उनकी धर्मपत्नी को बन्दी बना लिया। चणक की हत्या हो जाती है। चाणक्य पाटलिपुत्र नगर में गंगा किनारे आते हैं। वहाँ स्थित श्मशान (बाँसघाट) में उनको पिता का केवल मस्तक मिलता है। पता नहीं माता की मृत्यु कब हुई?

कुश के इस्तेमाल की खास परंपरा
चाणक्य ने घास फुस एकत्रित कर चिता बनाकर अपने पिता का मस्तक रखकर दाह-संस्कार किया था। यह भाद्रपद अमावस्या के दिन ही किया गया था। श्मशान से कुछ दूर पश्चिम गंगा में स्नान कर कुश उखाड़े और कुश, तिल और जल से दिवंगत पिता की तिलांजलि दिया। तर्पण बाद प्रतिज्ञा किया कि जब तक अत्याचारी नन्द से अपने पिता का प्रतिशोध नहीं ले लेता तब तक अग्नि में पका हुआ कोई अन्नादि भोजन नहीं करुंगा। पिता का भस्म एवं अस्थियाँ माँ गंगा की गोद में नहीं डालूंगा। इसी के स्मरण में पटना गंगा किनारे कुशी मेला का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन भादव अमावस्या को किया जाता है। इस दिन सभी ब्राह्मण गण अपने नित्य कर्मादि के लिए कुश उखाड़ते हैं । यह कुश एक वर्ष तकपवित्र रहता है। इसी कुश का प्रयोग विशेष रूप यज्ञादि में किया जाता है।

विष्णुगुप्त के कई नाम प्रचलित
अभिधान चिन्तामणि के अनुसार चाणक्य के अनेक नाम मिलते हैं- वात्सयायन, मल्लिनाग, कौटिल्य, चाणक्य, द्रामिल, पक्षिल स्वामी, विष्णुगुप्त एवं अंगुल। नीतिसार के अनुसार -
वात्स्यायनो मल्लनागः कौटिल्यः चणकात्मजः।

द्रमिलः पक्ष्लिः स्वामी वराणकः गुलो पि वा।। 
अर्थात् आचार्य विष्णु गुप्त शर्मा के अन्य आठ नाम हैं- वात्स्यायन, मल्लनाग, कौटिल्य, चाणक्य, द्रमिल, पक्षिल स्वामी, वराणक तथा गुल। 

Sunday 28 August 2016

विजय हत्या कान्ड : हत्या की वजह पता लगाना चुनौती


36 घंटे बाद मिला शव 
15 घंटे बाद संस्कार
जयपुर से लौटी मां का
 रो-रो कर बुरा हाल
विजय की गुमशुदगी का मामला तीन दिन में हत्या का बन गया। करीब 36 घंटे की तलाश के बाद परिजनों व शुभचिंतकों को उसका शव मिला तो शव मिलने के करीब पन्द्रह घंटे बाद उसका दाह संस्कार हो सका। इस बीच शव पूरी तरह खराब हो चुका था। मृतक की मां सूर्यमणी कूवंर के लिए यह कठीन वक्त है। वह जयपुर (राजस्थान) अपनी बहन के घर गयी हुई थीं। इधर इनका सबसे छोटा पुत्र मारा गया। उन्हें इसकी छद्म सूचन दी गयी। उन्हें बताया गया कि उनकी पुतोह की तबियत खराब हो गयी है। बेटे जीतेन्द्र व सतेन्द्र ने बताया कि मां को हार्ड की बीमारी है। इसले डर लग रहा है कि कहीं उसकी हालत न खराब हो जाये। जैसे ही मां घर पहुंचीं ताबुत में सदा के लिए सो गये अपने बेटे को देखने के लिए बेचैन हो उठीं। उनका रो-रो कर बुरा हाल था। घर के अन्य परिजनों की स्थिति खराब हो गयी। सभी महिला सदस्य दहाड मार कर रो रही थीं। एक विलखती महिला का सिर अपने हाथ में लिए मासूम को जिसने देखा उसकी आंखें छलछला गयी। घर में कोहराम मचा हुआ है। हर कोई रोये जा रहा है। बच्चों को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या हुआ है और क्या हो रहा है? मृतक चार भाई में सबसे छोटा है। उसकी एक बहन भी है। वह मैट्रिक पास होने के बाद इंटर में नामांकन कराना चाहता था। उसकी पढाई की इच्छा मौत के साथ खत्म हो गयी है।    

युवक की हत्या की वजह पता लगाना चुनौती
मामला विजय कुमार हत्याकांड का
हत्या के पीछे की वजह साफ नहीं
मृतक के साथ भूमि या संपत्ति विवाद नहीं
हत्यारे के मन में था घृणा का भाव अधिक
बीस वर्षीय युवक की हत्या के मामले से शहर विचलित है। कई सवाल उठ रहे हैं और फिलहाल जवाब नहीं मिल रहा है। पुलिस पुछती रही और कोई यह बताने को तैयार नहीं कि हत्या के पीछे क्या-क्या आशंकायें हो सकती है? कौन हत्यारा हो सकता है? हत्या से किसे लाभ हो सकता है या हुआ? ऐसे प्रश्न का उत्तर फिलहाल किसी के पास नहीं है। नतीजा मामले को सुलझाना पुलिस के लिए बडी चुनौती है। शव देखने वालों के अनुसार बडी निर्ममता से मारने वालों ने उसे मारा है। विजय के भाई जीतेन्द्र कुमार व सत्येन्द्र कुमार तथा कामता प्रसाद ने बताया कि उसके सीने पर काफी चोट है। खुन से लाल हो गया है यह हिस्सा। पानी में करीब 36 घंटा शव रहने से वह काफी खराब हो गया है। बताया कि हाथ-पैर तोडा हुआ है। आश्चर्य की बात कि उसके बाल और मूंछ संभवत: छिल दिये गये थे। इससे यह अनुमान होता है कि साधारण दुश्मनी नहीं बल्कि हत्यारे के मन में विजय से काफी नफरत हो सकती है। अब इसकी वजह क्या हो सकती है यह भी पुलिस को पता लगाना होगा। बताया गया कि हत्या के पीछे की वजह धन-संपत्ति या जमीन का विवाद नहीं है। तो फिर आखिर किस वजह से इस कदर घृणा मिश्रित हमला कर हत्या की गयी? सवाल अधूरा है और सबको पुलिस से गुत्थी सुलझाने की उम्मीद है।
चार दिन में एसआईटी सुलझायेगी गुत्थी
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) विजय हत्या कांड को सुलझाने के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। मृतक के घर पर ही इसकी घोषणा डीएसपी संजय कुमार ने एसडीओ राकेश कुमार की उपस्थिति में की। बाद में उन्होंने अधिकारियों के संग बैठक भी की। बताया कि एसआईटी का गठन कर दिया गया है। उम्मीद है कि चार दिन में मामले की गुत्थी पुलिस सुलझाने में कामयाब हो जायेगी। बताया कि चार सदस्यीय विशेष कार्यबल में सर्किल इंस्पेक्टर विन्ध्याचल प्रसाद, थानाध्यक्ष रविप्रकाश सिंह, एसआई साकेत सौरभ व सौकत खान को शामिल किया गया है। डीएसपी ने बताया कि सभी को अलग-अलग कार्य की जिम्मेदारी दी गयी है ताकि मामले का अनुसन्धान तेजी से हो सके। कहा कि वैज्ञानिक तरीके से अनुसन्धान किया जाएगा। दोषियों को पता लगा कर उसके खिलाफ सख्त करर्वाई की जायेगी।

टाइम लाइन------

24.8 को 9 बजे रात्रि- घर से निकला विजय कुमार
25.8 को शाम 7 बजे- थाना को दी गयी सूचना
25.8 को रात 8 बजे- थाना को दिये फोटो व विवरण
26.8 को सुबह 10 बजे- फिर थाना पर गये परिजन
26.8 को शाम शाम 7.30 बजे फिर गये थाना पर
27.8 को सुबह शव होने की मिली सूचना पर तलाश
27.8 को 12 बजे विजय का शव उमैराबाद मिला
27.8 को 11 बजे रात्रि-अरवल से घर आया शव
28.8 को 07 बजे- थाना पहुंची गुस्सायी जनता
28.8 को 01 बजे- अंतिम संस्कार के लिए शव-यात्रा

मिला पारिवारिक लाभ
हत्या के शिकार विजय कुमार के बडे भाई जीतेन्द्र कुमार को पारिवारिक लाभ के तहत नगद 20 हजार रुपए दिए गये। बीडीओ की अनुपस्थिति में सीओ विनोद सिंह ने उसे नगद राशि उसके घर पर दी। एसडीओ राकेश कुमार व डीएसपी संजय कुमार ने आश्वस्त किया कि बिहार सरकार के गृह विभाग को लिखा जायेगा ताकि और अधिक आर्थिक लाभ पीडित परिवार को मिल सके।   

पुलिस पर लापरवाही का आरोप
विजय हत्याकांड में पुलिस पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगा कर गुस्सा व्यक्त किया गया। हालांकि डीएसपी व एसडीओ ने मामले को तुल पकडने से पहले सुलझा लिया। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस तत्पर नहीं हुई। उदासीन बनी रही। कामता प्रसाद ने बताया कि परिजनों का खाना-पीना मुश्किल हो गया। सब लोग चार दिन परेशान रहे। उधर पुलिस ने नोटिस नहीं लिया। कहा कि पुलिस का व्यवहार सही नहीं था। यदि सूचना के बाद सीडीआर (मोबाइल से की गयी बातचीत का विवरण) निकाला जाता तो अब तक अपराधी पकडे जाते। इस मामले पर थानाध्यक्ष रविप्रकाश सिंह ने कहा कि उनकी ओर से कोई लापरवाही नहीं की गयी है। पुरी जानकारी 26 की रात दी गयी और हर आवश्यक जगह वायरलेस से सूचना दे दी गयी। इसके बाद दूसरे दिन शव मिल गया। कहा कि मामले की तह तक पुलिस जायेगी। पुलिस पीडित परिवार के दुख में शामिल है और अनुसन्धान कर हत्यारे का पता लगाया जायेगा।

Thursday 25 August 2016

उतरंगी जब जइहें दखिन, सोन के बाढ बढइहें जोखिम

फोटो-बाढ के पानी में डूबी फसल
पूर्वानुमान कर सोन का डिला छोड देते हैं किसान
मान्यता की हवा पहाड टकरातती है तो होती है बारिश
       क्षेत्र में एक लोकोक्ति प्रचलन में है- उतरंगी जब जइहें दखिन, सोन के बाढ बढइहें जोखिम। अर्थात जब उत्तर दिशा से उठी हवा दक्षिण को जाये तो समझिए सोन में बाढ आने ही वाला है। मान्यता है कि यह हवा दक्षिण में स्थित पहाडों से टकराती है और खूब बारिश होती है। बारिश तो तब भी होती है जब बरसात के मौसम के अलावा भी जेठ जैसे मौसम मे ऐसी हवा चलती है, किंतु बरसात में प्राय: बारिश खूब होती है और बाढ भी दो-चार दिन में आ जाता है। विवेकानंद मिश्रा, पंकज यादव, जगु चौधरी व सीताराम चौधरी ने बताया कि यह अनुभव किया हुआ है कि जब भी ऐसी हवा आती है सोन में बाढ आता है। किसान पूर्वानुमान कर सोन क्षेत्र छोड देते हैं। पहले मोबाइल या अन्य कोई तकनीक नहीं हुआ करती थी। तब किसानों के पास यही ज्ञान था जिसके माध्यम से वे खुद को सुरक्षित स्थान पर ले जाते थे। भुक्त सच व अनुभव की परंपरा पर तैयार लोकोक्ति। जो पीढियों से आजमाया जा रहा है। सोन दियारा हो या उसके गर्भ में बना डिला। लोग ऐसे ही पूर्वानुमान से सतर्क होते हैं और खुद को तथा खुद की संपत्ति को बचाते रहे हैं।

बाढ से छोटे किसानों का जीना हुआ मुश्किल
फोटो-बाढ से बेहाल हुए छोटे किसान
खाने के लाले, पट्टेदारों को 100 फिसदी क्षति
कर्ज के तीन चरण से जुझ रहे किसान
   सोन में आये हुल्लड ने किसानों खास कर पट्टे पर खेत लेकर किसानी करने वालों को बरबाद कर दिया है। वे दोहरे नहीं तीहरे नुकसान को झेल रहे हैं। ऐसे किसान या तो सोन के किनारे तट पर खेती करते हैं या सोन के गर्भ में डिला पर। पट्टा पर खेत ले कर कृषि कार्य करने वाले जगु चौधरी, सीताराम चौधरी, प्रसिद्ध यादव, संजय यादव व शंकर यादव ने बताया कि उनके खेत में लगे फसलें बर्बाद हो गयी है। बताया कि कर्ज लेकर खेती किया, जब फसल तैयार हुई तो बाढ ले गया। इस कर्ज से उबरे नहीं। अब जाने के लिए खाना पडेगा और इसके लिए कर्ज लेना होगा। फिर बाढ बाद तीसरा कर्ज लेकर खेती करेंगे। तब फसल से आय होग आउर फिर कर्ज चुकाने में ही सारी आमदनी चली जायेगी। बताया कि बडे किसानों से ये 5000 से 8000 रुपए प्रति बिगहा सालाना पट्टा पर लेते हैं। एक बिगहा में सब्जी के लिए 15000 और धान के लिए 6000 खर्च आता है जिसके लिए कर्ज लिया। किसान पंकज यादव ने भी इनकी बातों की पुष्टी की। बताया कि पट्टा पर खेत देने के बाद किसानों की कोई जवाबदेही नहीं होती है। लाभ या हानि पट्टॆदार जिम्मे होता है। किसानों को तय रकम से मतलब है चाहे वह चार हजार हो या आठ हजार। बताया जाता है कि इस इलाके में पट्टा पर खेती करने-कराने का चलन अधिक है। समझ सकते हैं कि सिर्फ दाउदनगर अनुमंडल के ओबरा व दाउदनगर प्रखंड में ही ऐसे सैकडों किसान जब इस बाढ से बर्बाद हुए तो कितनी क्षति हुई है।
 
बटइया में आधे-आधे
खेती की परंपरा में पट्टेदारी के बाद सर्वाधिक बटइया का प्रचलन है। इसमें लाभ या हानि दोनों पक्षों को एक समान होता है। खेत किसान रैयत को बटइया पर दे देता है। फसल में दोनों पक्षों को आधे-आधे मिलता है। अब लाभ हो या हानि, दोनों को इसका नफा नुकसान सहना पडता है। किसान व पूर्व मुखिया भगवान सिंह ने बताया कि किसान और रैयत दोनों को पुंजी भी बराबर-बराबर लगाना पडता है।
कैसे हुई फसल बर्बाद?
सोन का बाढ अपने साथ मिट्टी भी लाता है। यह फसल के पत्तों पर जम जाता है। इससे प्रकाश संश्लेषण का काम पौधे नहीं कर पाते और पत्तों के गलने के साथ पौधे गल जाते हैं। यदि बाढ तुरंत वापस चला जाये और इतनी बारिश हो कि पत्तों पर जमी मिट्टी धुल जाये तो फसल को क्षति नहीं होती।

Wednesday 24 August 2016

भ्रष्ट व्यवस्था, तंत्र व गरीबी में गुम हो गयी मानवता

फोटो-डीएम से शिकायत करते और विलखते हुए पीडित परिजन
अभी शव का पता नहीं मुआवजे की व्यक्त की चिंता
बिचौलियों द्वारा पैसे खा जाने की डीएम से शिकायत
किसे दोष दिया जाए? गरीबी को, भ्रष्टाचार को, भ्रष्ट व्यवस्था तंत्र को, सरकार की नीति को, सामाजिक लोकाचार को, नैतिक जिम्मेदारी को, सामूहिक उत्तरदायित्व को, सोच को। किसे दोष दिया जाए भला? ओबरा का कलेन गांव। पवित्र पुन:पुना के तट पर बसा एक गांव। आज रो रहा है। चीख रहा है। रोजाना जो काम करते थे वही काम करते हुए दुर्घटना का शिकार हो गये। सुरज मद्धिम होता जा रहा है। वह ढलने को बेताब है भले ही इधर ग्रामीणों का दर्द अन्धेरे में गुम हो या और बढ जाये इससे भला सुरज को क्या? पीडित ग्रामीणों की तरह वह भी अपने रोजमर्रे के काम में लगा हुआ है। उगा था तो ढना भी है, ढल जायेगा। इधर माहौल मातम भरा है। एक शव ही मिल सका है। बाकी जिन्दा है, या मारे गये इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही है। जिले के सबसे बडे अधिकारी डीएम कंवल तनुज ग्रामीणों के बीच हैं। दो व्यक्ति पहुंचे। इनका कोई अपना पुनपुन में बह गया है। ये बोले-साहब ‘रहतवा’ (मुआवजा) कइसे मिलतई? सब (बिचौलिया) खा जतथिन सो। हमनी के पतो न चलतई? साहब बोले- हम हैं न। कोई नहीं खायेगा। मुखिया प्रतिनिधि श्री निवास शर्मा बोले-हम हैं आपके साथ। कोई नहीं खायेगा। सबको मिलेगा। चार-चार लाख मुआवजा मिलता है। वाकई, क्या यह उचित है? ऐसा क्यों है? जब परिजन का शव तलाशा जान चाहिए, लोग मुआवजा सहजता से कैसे मिलेगा इसका रास्ता तलाश रहे होते हैं। इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाये भला? हम जिस राजंनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था में रहते हैं, वह कितना भ्रष्ट है? यह प्राय: हर बडी घटना के वक्त दिख जाता है। आखिर गरीबी है तब शव या जान (हमने नवनेर में देखा है कि कैसे लोग अपनी संपत्ति बचाने के लिए जान की परवाह नहीं कर रहे थे) पर मुआवजे की चिंता भारी पड रही है। व्यव्स्था भ्रष्ट है और दलाल तंत्रा हावी है तब कोई पीडित पूछता है कि उसका पैसा कोई खा तो नहीं जायेगा? वह जिला के ‘मालिक’ को यह बताते हुए आश्वस्त हो लेना चाहता है कि उसके साथ कोई ज्यादती नहीं होगी। क्या हमने अपना नैतिक बल खो दिया है? शासन, प्रशासन, जन प्रतिनिधि अपना इकबाल क्या विश्वास तक खो चुके हैं? सवाल बहुतेरे हैं। कलेन अभी रो रहा है किंतु कई सवाल छोड गया है।    

Tuesday 23 August 2016

डूबते मां व पिता को देखकर विलखते रहे बेटे

फोटो-मां पिता खो चुके बच्चों को सांतवना देते डीएसपी
हर तरफ चित्कार और सहमे लोगों के बीच दहशत
पुनपुन तैरने वाले मंटु के सामने जीवन का दरिया चुनौती

खुदवां थाना का कलेन गांव मंगलवार को अपराह्न चीख-चित्कार से कराह उठा। हर तरफ बस यही क्रन्दन कि मेरे पिता डूब कर मर गये, मेरी मां डूब गयी, मेरे बेटे मेरी आंखों के सामने डूबते रहे और हम कुछ नहीं कर सके। भला कोई कर भी क्या सकता है? लोग देखते रहे और लोग डूबते रहे। किसी में इतनी साहस नहीं कि वे पुनपुन के रौद्र रुप को देखने के बाद उस बहाव में बचाने कूदे। मौके पर ग्रामीणों ने बीच मजधार में भौंरी देख लोग दहशत व्यक्त करते रहे।
घटना स्थल पर डीएम
सबसे दुखद दृष्य दिखा मंटु कुमार, अरविन्द कुमार व इसकी सगी बहन उर्मीला कुमारी जब चित्कार रही थी। डीएसपी संजय कुमार ने उनपर स्नेह का हाथ रख सांतवना दी। इन्हें कौन ढाढस भला बन्धा सकता है। जिनके पिता व मां नजरों की सामने डूब गये। मंटु ने बताया कि वह पचरुखिया के एक नीजि स्कूल से पढ कर लौट रहा था। मां सुकेश्वरी देवी व पिता कृष्णा यादव घोटा उसके ननिहाल से लौट रहे थे। तीनों एक साथ नाव पर बैठे। पुनपुन के उस पार भाई अरविन्द कुमार व बहन उर्मीला कुमारी प्रतिक्षा कर रहे थे। मन में कई दिन बाद पुत्र-पुत्री से मिलने का भाव लिए मां पिता चहक रहे थे और नाव डूब गयी। सातवीं कक्षा का मंटु बस एक ही रट लगाये जा रहा था कि अब कैसे उसकी जिन्दगी चलेगी। उसका बडा भाई पिंटु सुरत में काम करता है।


अब तीन भाई व एक बहन की पूरी परवरिश की चिंता इन बच्चों पर आ गयी है। हालांकि संवाद प्रेषण तक इनके शव नहीं मिले हैं किंतु ये मासुम बच्चे यह मान चुके हैं कि मां व पिता अब दुनिया में नहीं रहे कि उन्हें संबल देंगे। मंटु तैर कर दरिया तो पार कर लिया किंतु अब उसके सामने जीवन का भंवर वाला दरिया पार करने का कठिन पगडंडी 

Monday 22 August 2016

बढकन के देतई कि हमनी के देतई नीतीश-मिनता देवी


‘कम से कम बर्बाद होलइ उ तो देवे के चाह हलइ’
गरीब बाढ पीडितों को सरकार से उम्मीद नहीं
 नद के बाढ से सब कुछ या आंशिक भी गंवा चुके गरीबों, किसानों को इस सरकार से उम्मीद नहीं है। ये वे लोग हैं जो पहले भी सोन के बाढ में अपनी संपत्ति गंवा चुके थे और सरकार से कुछ नहीं मिला था। सोन में बाढ आया तो तटीय इलाके में सोन की मुख्य धारा से करीब दो किलोमीटर दूर अपनी फसल, पौधे, फलदार व काष्ठ वाले पेड, झोपडियां समेत कई नुकसान झेल चुकी मिनता देवी अकेली नहीं है। वह प्रतिनिधित्व करती हैं ऐसे पीडितों का जो नगर पंचायत क्षेत्र में रहते हुए सोन के बाढ से पीडित हुए हैं। पंकज यादव भी बहुत कुछ इस बाढ में गंवा चुके हैं। यह संवाददाता जब खेत पर निराश सिर पर हाथ धरे बैठी मिनता देवी से मिला तो उनकी प्रतिक्रिया व्यंग्य, आक्रोश व निराशा मिश्रित मिली। बोली- “सरकार आइत हई देवे। नीतीश देतई। उ सब बढ आदमी के देव हई कि हमनी गरीब के देव हई? देहात में सब के कालोनी देव हई, शहर में हीं, घर बह गेल, तो कालोनी कहां देव हई। कम से कम जो बर्बाद होलइ उ तो देवे के चाह हलइ।“ अकेली मिनता ही आक्रोश में निराश नहीं बैठी हैं। अनुमंडल में ओबरा व दाउदनगर प्रखंड के पश्चिमी किनारे नवनेर से लेकर महमदगंज तक सोन के तटवर्ती क्षेत्र में ऐसे सैकडों लोग हैं जिन्हें आज फिर से उठ खडे होने को सरकार से मदद की दरकार है।


83 साल के बुजुर्ग की जुबानी बाढ की कहानी

अधिक हुई बर्बादी, आबाद किये खेत हुए तबाह
सोन के बाढ ने तटवर्ती इलाके में दूर तक किसानों को बर्बाद किया है। दाउदनगर के डबरा में अपना आशियाना बना चुके 83 साल के बुजुर्ग शंकर महतो ने इस बाढ की कहानी दैनिक जागरण को बताया। वे निराश भी हैं और हताश भी। कहानी बताते हुए अतीत में चले गये तो वर्तमान की त्रासदी पर चिंता भी जताया। बाढ का पानी उतर जाने के बाद उनके आंखों के सामने बर्बादी के निशान हैं। बडी मेहनत जो खेत तैयार किया था वह बर्बाद हो गया है। उस पर दो से तीन फीट कटाव हुआ या फिर उस पर बालु आकर बैठ गया। अब इसे फिर से आबाद करना होगा। बोले जब पानी का तेज बहाव आने लगा तो जान बचाने के लिए चौकी को उलट कर उसे पेड से रस्सी के सहारे बांध दिया। उस पर बैठ गये सभी ताकि बह न सकें। बचे भी किंतु अब बर्बाद गुलिस्तां देखने से मन चिंतित हो उठता है। बताया कि बाबू पहले जब बाढ आया था तो इतना नुकसन नहीं हुआ था। इस बार बर्बादी अधिक हुई। हटते-हटाते पानी खूब आ गया। तेज धार था। पहले पानी धीरे-धीरे आता था। खाने-पीने का सामान, बर्तन और अन्य हल्के सामान बह गए। वैद्यनाथ प्रसाद ने बताया कि इस स्थल पर अभी कुछ रोज पूर्व 6000 रुपए का पशुचारा लाकर रखा था। सब खराब हो गया। खेत बनाने में अब काफी वक्त लगेगा। 

Sunday 21 August 2016

बाढ ने डुबोई लुटिया, एचसीसी व किसानों को करोडों की क्षति


निर्माणाधीन पुल व खेत में बर्बाद फसल
एचसीसी को करीब 35 करोड की क्षति का अनुमान
किसानों को फसल क्षति से करोडों का हुआ नुकसान
सोन में आये ताजा बाढ ने करोडों का नुकसान दिया है। सोन पुल बन रही बिहार राज्य पुल निर्माण निगम को ही करीब 35 करोड का नुकसना हो सकता है। निगम के लिए हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) सोन पर दाउदनगर-नसरीगंज के बीच पुल बना रही है। इस पर करीब पांच सौ करोड खर्च का प्राक्कलन बना था। अब यह राशि बढनी तय दिखती है। इसके अलावा नवनेर से लेकर महम्मदगंज तक फैले करीब 500 एकड में लगी फसल को काफी क्षति हुई है। इससे भी करोडों का नुकसान होने की आशंका है। किसान हलकान हैं कि उनके भविष्य का क्या होगा। सपने चकनाचुर हो गये। शुक्रवार की रात आयी बाढ ने एचसीसी के बेस कैंप में खलबली मचा दी थी। करीब 1500 टन का सिमेंट स्टाक है। इसमें पानी घुस गया है। इसमे6 कितना बर्बाद हो गया यह बाद में पता चलेगा, जब पानी पुरी तरह उतर जायेगा। कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर एम.श्री निवास राव ने बताया कि अनुमानत: प्रथम दृष्टया करीब 35 करोड की क्षति की आशंका है। निर्माण स्थल से लेकर बेस कैंप तक काफी नुकसान हुआ है। फिलहाल जेनसेट चलने लायक नहीं रह गया है। दूसरा जेनरेटर चालु कर बेस कैंप में पीने के पानी का इंतजाम किया जा रहा है। साफ-सफाई की जा रही है, ताकि शीघ्र काम प्रारंभ किया जा सके। उधर किसानों को फसल का नुकसान हुआ है। खेतों में बाढ ने बालु पहुंचाकर खेत बर्बाद कर दिया तो फसलों पर मिट्टी जम गयी जिससे वह सड जायेगा। शब्जियों और धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है।

बालु गंज में 13 घर क्षतिग्रस्त
बालुगंज में गिरा घर

बाढ से बालु गंज में 13 घरों को नुकसान पहुंचा है। बताया गया कि बाढ से देवरनिया देवी, राम दुलार चौधरी, भरोसी चौधरी, विन्देश्वरी चौधरी, प्रकाश चौधरी, सुशीला कूवंर, प्रदीप चौधरी, कैलाश चौधरी, दारोगा चौधरी, राम गोविन्द चौधरी, जिमेदार चौधरी, फगुनी चौधरी व द्वारिक चौधरी के घरों को आंशिक क्षति पहुंची है। बाढ से प्रभावित अन्य इलाकों में भी घरों में पानी घुसने की सूचना मिली थी, किंतु क्षति की कोई सूचना फिलहाल नहीं उपलब्ध है। मिट्टी व फुस के घरों को अधिक नुकसान पहुंचा है।

शमशेरनगर में 44 किसानों को लाखों का नुकसान
नर्सरी में लगा डेढ लाख पौधा हो गया नष्ट 
सोन के बाढ ने शमशेरनगर के 44 किसानों को काफी क्षति पहुंचाया है। जिला पार्षद राम कृष्ण कुमार उर्फ नन्हकु पांडेय, मुखिया अमृता कुमारी, प्रतिनिधि राजु कुमार, वार्ड सदस्य रविरंजन कुमार ने बताया कि किसानों के पेड-पौधे के साफ फसलें मारी गयीं। इनके द्वारा उपलब्ध सूची के अनुसार उमेश कुमार के लक्षमी नर्सरी को 11 कट्ठा में लगा डेढ लाख पौधा नष्ट हो गया। इसके अलावा रमानंद सिंह, गिरिजानन्दन सिंह, शकलदीप चौधरी, राघो चौधरी, सुनील सिंह, मुनारिक मिस्त्री, पुरन सिंह, राजेन्द्र सिंह, विनेश्वर राम, विजय सिंह, अरुण सिंह, बलबीर सिंह, बेसलाल सिंह, बासुदेव चौधरी, राम सरेख सिंह, युगल ठाकुर, परमानन्द सिंह, अजय सिंह, विष्णुपत सिंह, राधानन्द सिंह, राम सुरेश सिंह, विनय सिंह, परिब महतो, प्रभु महतो, बीरेन्द्र सिंह, राम बालक चौधरी, राशकल चौधरी, जगदम चौधरी, कुलदीप चौधरी, कलु पंडित, लालदेव पंडित, गंगा चौधरी, रुपचन्द सिंह, सूर्यज्ञ सिंह, चन्द्रदेव महतो, विश्वनाथ सिंह, फेकन सिंह, दुधनाथ सिंह, जगदीश सिंह, महेश सिंह, भगवान प्रसाद वर्मा, भगवान चौधरी व मुनी चौधरी को लाखों की क्षति हुई है। किसी के धान खराब हो गये तो किसी की शब्जियां बह गयीं।      

किसानों को मिले फसल बर्बादी का मुआवजा
बाढ क्षेत्र का निरीक्षण करते मुख्य पार्षद व जिला पार्षद
जिनके आवास गये उनको
  मिले इन्दिरा आवास
बाढ ग्रस्त इलाके में जितनी क्षति किसानों और आम नागरिकों को हुई है, उनको मुआवजा मिलना चाहिए। यह मांग कई नेताओं ने किया है। नगर पंचायत के मुख्य पार्षद परमानन्द प्रसाद, उप मुख्य पार्षद कौशलेन्द्र कुमार सिंह, ईओ विपिन बिहारी सिंह ने नगर पंचायत क्षेत्र का दौरा किया। जिला पार्षद राम कृष्न कुमार उर्फ नन्हकु पांडेय ने अपने और सरोज देवी ने राजद जिलाध्यक्ष कौलेश्वर यादव के साथ अपने क्षेत्र का दौरा किया। डीहरा मुखिया जयकेश पासवान ने अपने पंचायत क्षेत्र का दौरा कर क्षति का जयजा लिया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिसद ने भी जायजा लिया। बाढ पीडितों से मिलकर उन्हें तत्काल सहयोग किया। कॉलेज अध्यक्ष आर्य अमर केशरी, प्रदेश मंत्री दीपक कुमार, नगरमंत्री रविशंकर कुमार, पूर्व नगर सहमंत्री सह ज्ञान ज्योति शिक्षा केंद्र के निदेशक चंचल कुमार मिश्रा, नगर सहमंत्री चंदन कुमार, बसन्त बादल, तेज प्रताप, गोल्डन कुमार शाह, धीरज कुमार, चुनचुन मिश्रा, संजीत कुमार, सुभाष यादव, आकाश कुमार, दीपक मिश्रा शामिल रहे। सबने कहा कि किसानों को भारी क्षति हुई है। उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए। सरकार इनका आकलन कराये और क्षतिपूर्ति करे। किसान बर्बाद हो गये हैं और इनको पुन: उठ खडा होने के लिए जिस संबल की आवश्यक्ता है वह सरकार मुआवजा देकर ही पूर्ति कर सकती है। जिन के घर ध्वस्त हुए हैं उनको इन्दिरा आवास मिलना चाहिए। नेताओं ने कहा कि सरकार गरीबों को आर्थिक मदद कर उन्हें फिर से कृषि उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करे।
बाढ पीडितों से मिलते अभाविप कार्यकर्ता

मुआवजे पर एसडीओ बोले-- 
कराया जाएगा क्षति का आकलन
बाढ से त्रस्त किसानों व अपना घर क्षतिग्रस्त कर चुके लोगों के लिए एसडीओ राकेश कुमार ने कहा है कि क्षति का आकलन कराया जायेगा। सर्वे होगा। प्रतिवेदन तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा। कहा कि जितना संभव हो सकेगा प्रशासन मुआवजा दिलाने का प्रयास करेगा। राहत के नियमों के तहत जितना संभव होगा मुआवजा मिल सकता है, उसे दिलाने का प्रयास किया जायेगा।

खतरा नहीं, घट रहा जलस्तर

सोन में जलस्तर घटने लग है। अब खतरे की स्थिति नहीं है। फेसबुक व ह्वाट्सएप पर सोन में बडी मात्रा में पानी छोडे जाने की सूचना पुष्ट नहीं है। सक्षम अधिकारियों ने इससे असहमति जाहिर की है और बताया कि खतरे की स्थिति नहीं है। अफवाहों पर ध्यान न दें। सूत्रों के अनुसार यदि सोन जलग्रहण क्षेत्र में बारिश नहीं होती है तो इन्द्रपुरी बरज से अधिक पानी नहीं छोडा जायेगा। बताया गया कि यहां से अभी 3.50 लाख क्युसेक पानी छोडा जा रहा है। यह निरंतर बना रहेगा। इससे अधिक डिस्चार्ज तभी होगा जब बारिश काफी होगी। 

Saturday 20 August 2016

सोन के बाढ में फंसे 250 को बचाया गया



सभी पुल बना रही कंपनी के कर्मचारी
बिहार, बंगाल, उडीसा के हैं कर्मी व मजदूर

सोन में आयी बाढ में फंसे 250 लोगों को मतस्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड के एक नाव के सहारे सुरक्षित बचा लिया गया। ये सभी दाउदनगर-नासरीगंज सोन पुल बना रहे बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के निर्मात्री एजेंसी हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) के कर्मी व मजदूर बताये जाते हैं। बिहार के अलावा बंगाल, उडीसा, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों के अधिकारी या कुशल मजदूर, कर्मी इस बाढ में फंस गये बताये जाते हैं। एसडीओ राकेश कुमार ने बताया कि शुक्रवार की शाम सोन तटीय गांवों में अधिकारियों का दल जाकर सुरक्षित स्थानों पर रहने की चेतावनी दिया था। इस कारण किसी भी गांव में ग्रामीणों के फंसने की घटना नहीं हुई। मात्र तेजपुरा में डिला पर बाढ के बीच दो व्यक्ति फंसे जिनको सूचना मिलते ही एसडीआरएफ की टीम ने बचाया। कंपनी को भी सूचना दी गयी थी। कहा कि सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया है। कंपनी के प्रशासकीय प्रबन्धक आशुरोष पांडेय ने बताया कि सूचना देर रात स्पष्ट मिली थी। इतने बाढ की उम्मीद शाम तक नहीं थी। कहा कि सभी को राहत शिविर में सुरक्षित रखा गया है। सूत्रों के अनुसार कंपने एके प्रोजेक्ट मैनेजर एम.श्री निवास राव, मतस्यजीवी सहयोग समिति के अध्यक्ष रामौतार चौधरी के नेतृत्व में सभी को निकाला गया। यदि एक से अधिक नाव उपलब्ध होते तो बचाव कार्य दस घंटे से अधिक समय तक नहीं चलाना पडता। यह कार्य अपराह्न बद शाम तक चलाया गया। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार करीब दस लाख क्युसेक पानी इन्द्रपुरी बराज से छोडे जाने के कारण यह बाढ आया। सूत्रों ने बताया कि सोन पर बने सबसे बडे बान्ध रिहंद (सोनभद्र, उत्तर प्रदेश) के 13 में से नौ फाटक खोल दिए गये हैं। चार और फाटक यदि खोले गये तो सोन तटीय क्षेत्र में बाढ की स्थिति और भयावह हो सकती है। 

और पानी छोडे जाने 
से बढेगा जलस्तर

शनिवार की शाम तक इन्द्रपुरी बराज से 5 लाख 26 हजार क्युसेक पानी छोडे जाने की सूचना है। सूत्रों के अनुसार बराज में इतना पानी आ रहा है जिसे छोडा जायेगा। बताया गया कि इन्द्रपुरी बराज में इतनी बडी मात्रा में पानी कई बांधों, बराजों व छोटी नदियों से आ रहा है। वाण सागर से 3 लाख 50 हजार पानी, रिहन्द बांध से 76 हजार क्युसेक, मोहम्मदगंज बराज से एक लाख क्युसेक और अतिरिक्त पानी सोन के जलग्रहण क्षेत्र की छोटी-छोटी नदियों से पानी आ रहा है। इतनी मात्रा में पानी छोडे जाने से नीचले इलाके में जल स्तर और बढेगा। इससे स्थिति और भयावह हो सकती है। संभवत: 1976 में दाउदनगर में बाढ आयी थी। तब के अनुभव अब लोग साझा कर रहे हैं। महत्वपूर्ण है कि सूत्रों के अनुसार शुक्रवार रात 2:45 बजे इंद्रपुरी बराज से सोन नद में 11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसके चलते ही सोन का हुल्लड हाहाकार मचाने लगा। इस कारण सोन के किनारे बसे गांवों में बाढ़ का पानी घुसने लगा। सोन नद गंगा में मिलता है, जिससे गंगा के जलस्तर में भी वृद्धि होती है।

12 से 18 घंटे तक बाढ में फंसे रहे लोग
पेड, सिगमेंट व छरी के टीले पर चढकर बचे

सोन के हुल्लड का विकराल रुप करीब तीन दशक बाद लोगों ने देखा। शुक्रवार की रात हडकंप मच गया, जब दाउदनगर-नासरीगंज पुल बनाने में लगे एचसीसी के करीब 250 कर्मचारी, मजदूर बाढ के बीच फंस गये। शनिवार को अपराह्न में प्रशासन, एचसीसी व जनता ने राहत की सांस ली। एक नाव के सहारे सभी फंसे हुए लोगों को को बाढ से बचाया जा सका। ये लोग करीब बारह से अठारह घंटे तक भूखे-प्यासे बाढ में फंसे रहे। इनके चेहरे बता रहे हैं कि इनकी चिंता कितनी बढी हुई थी। फंसे लोगों ने निर्माणाधीन पुल के पाया, सिगमेंट, गैंट्री व छर्री के टीले पर पहुंच कर खुद को सुरक्षित किया। इन तक पहुंचना भी आसान नहीं था। अन्धेरा के कारण मुश्किल आ रही थी। इसके बावजूद रात में जितना संभव हो पा रहा था बचाव व राहत कार्य किया गया। प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए रात तीन बजे ही अशोक इंटर स्कूल में जनरेटर की व्यवस्था कर दिया था, ताकि बाढ प्रभावितों के आने पर उनके लिए राहत कैंप की समस्या न हो सके। सीओ विनोद सिंह ने बताया कि हालांकि इसकी आवश्यक्ता नहीं पडी, क्योंकि कोई आया ही नहीं। इससे पहले एसडीओ राकेश कुमार व एसडीपीओ संजय कुमार के नेतृत्व में रात तीन बजे तक लोगों से सोन के तटीय इलाके से हटकर उंचे स्थान पर सुरक्षित रहने का प्रचार-प्रसार किया गया। दोनों अधिकारियों के अलावा सीओ विनोद सिंह, बीडीओ अशोक प्रसाद, इंस्पेक्टर विन्ध्याचल प्रसाद व थानाध्यक्ष रवि प्रकाश सिंह ने इस दरम्यान यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि कोई भी व्यक्ति फंसे नहीं और खतरा नुकसान की हद तक न बन जाए।

पूर्व सूचना के बावजूद क्यों फंसे 250 लोग?

इस बात की जोरों पर चर्चा है कि जब बाढ आने की सूचना थी तब भी 250 लोग कैसे फंसे रह गये? सवाल हर किसी की जुबान पर है। दैनिक जागरण अने इसे जानने की कोशिश की तो ममला स्पष्ट हो सका। सूत्रों के अनुसार करीब 2 बजे दिन में 5.89 लाख क्युसेक पानी छोडे जाने की सूचना मिली थी। शाम में 8 लाख की सूचना मिली। निर्माणाधीन सोनपुल के 45 नंबर पाया तक शुक्रवार को तीन बजे तक पानी आ गया था। खुद इस स्ंवाददाता ने एचसीसी के प्रशासकीय प्रवन्धक आशुतोष पांडेय को शाम में सूचना दिया था कि पुल से एचसीसी कार्यालय तक जाने वाली सडक शीघ्र ही डूब सकती है। यह जानकारी उस वक्त यहां मौजुद वार्ड पार्षद बसंत कुमार के हवाले से मिली थी। इसके बावजूद इतनी संख्या में लोग कैसे फंसे? एसडीओ राकेश कुमार ने बताया कि शाम में आठ लाख क्युसेक पानी छोडे जाने की सूचना मिली थी। इसके बाद लोगों को सुरक्षित स्थान पर चले जाने की चेतावनी दी गयी। बाद में 10 लाख क्युसेक पानी छोडे जाने की सूचना मिली। रात्रि में ही एचसीसी को इसकी सूचना दी गयी थी। इसके बावजूद कंपनी के कर्मियों व मजदूरों ने खुद को सुरक्षित समझा और नहीं निकले। गत बाढ के वक्त का अनुभव इन्हें था, जब कोई फंसा नहीं था। खुद आशुतोष पांडेय ने बताया कि सूचना धीरे-धीरे कई चरण में मिली। पूर्व की सूचना जितना बहाव होता तो कोई समस्या नहीं आती।

तेजपुरा में बचायी गयी दो जिन्दगी
ओबरा प्रखंड के तेजपुरा किनारे सोन के बाढ में फंसे दो लोगों को एसडीआरएफ की टीम ने तीन लोगों के जीवन को बचाया। सूत्रों के अनुसार इस बाढ में फंसे अंबेदकरनगर निवासी शिव पुजन रजवार व लालती देवी को डूबने से बचाया गया। ये लोग बाढ के बीच तेज बहाव में फंस गये थे। बताया गया कि दोनों डिला पर थे। जब पानी का बहाव तेज दिखा तो पेड पर जा कर शरण लिए। एसडीओ राकेश कुमार ने इसकी पुष्टी की।  
75 घर पानी में डूबे

राहत व बचाव कार्य विलंब से प्रारंभ

राजकीय मिडिल स्कूल संख्या-एक में चल रहे राहत शिविर में जाकर बाढ पीडितों से भाजपा प्रखन्ड अध्यक्ष अश्विनी तिवारी व रालोसपा नेता पूर्व जिला पार्षद राजीव कुमार उर्फ बब्लु मिले। दोनों ने उनका हालचाल जाना। कहा कि बचाव व राहत कार्य समय पर शुरु नहीं किया जा सका, हालांकि देर से ही सही किंतु बेहतर कार्य कर सभी को सुरक्षित निकला जा सका। इसके लिए प्रशासन व एचसीसी को इन्होंने बधाई दी। कहा कि यदि समय पर कार्य प्रारंभ होता तो भयावह स्थिति नहीं होती। कहा कि ऐसे मौकों पर प्रशासन को चाहिए कि सख्ती करके लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचायें। सिर्फ प्रचार और चेतावनी से लोग हटते नहीं है। कहा कि यह भगवान की कृपा थी कि कोई हताहत नहीं हुआ। कहा कि हर बार बाढ के समय ऐसी ही स्थिति होती है और यह सिर्फ दाउदनगर में नहीं बल्कि हर जगह होता है। शिविर में व्यवस्था पर संतोष जाहिर किया और पूरे प्रशासन, एचसीसी कंपनी के पीएम एम श्रीनिवास राव और उनकी टीम तथा बचाव कार्य में लगे वार्ड पार्षद रामौतार चौधरी की टीम को धन्यवाद दिया। 

बाढ में फंसे लोगों को हटने की नहीं थी सूचना

पीडितों ने बताया अपना दर्द-ए-हाल
बाढ में फंसे अधिकांश लोगों तक सुरक्षित स्थान तक काम छोड कर पहुंचने की सूचना नहीं पहुंच सकी थी। यह बात स्पष्ट तौर पर राहत शिविर में पहुंचे लोगों ने कही। भाजपा प्रखंड अध्यक्ष अश्विनी तिवारी का पुत्र विधाता तिवारी एचसीसी में काम करता है। व नि:शक्त भी है। उसने बताया कि 15 घंटे तक वह अपने सहकर्मियों विकेश सिंह, अभिषेक सिंह, सौरभ तिवारी व ग़ुड्डु सिंह के साथ फंसा रहा। राजकीय मिडिल स्कूल संख्या-एक में एचसीसी के चल रहे राहत शिविर में उडीसा के मैकेनिक सौरभ कुमार, लैब असिस्टेंट सुधाकर पुष्टी, ट्रेन आपरेटर भगवान सेट्ठी, मिरजापुर रोहतास के प्लांट आपरेटर कमलेश कुमार, इसापुर मदनपुर के सुनील कुमार, बंगाल के प्लांट आपरेटर अमित मंडल, इलेक्ट्रीशियन नरेश सरकार, नवीनगर के आपरेटर अजय सिंह ने बताया कि उन्हें इसकी सूचना नहीं थी कि बाढ आने वाला है और खतरनाक होगा। बताया कि शाम शढे सात बजे शिफ़्ट बदलता है। कुछ लोग खाना खा कर काम करने जा रहे थे, कुछ खा रहे थे और काम से वापस आने वाले खाना खाने की तैयारी में थे कि बाढ से बचने का संकट आ गया। आनन फानन में लोग बचने के लिए उंचे स्थान की ओर भागने लगे। 
बताया कि भयावह स्थिति थी किंतु इस बात का संतोष था कि एचसीसी परिसर में रहने के कारण कई सुरक्षित उंचे स्थान हैं इसलिए बचना मुश्किल नहीं होगा। करीब दो लख टन छर्री का स्टाक है उसके शीर्ष पर बैठकर रात गुजार दिया गया। बडे मशीनों पर बैठकर खुद कि सुरक्षित किया गया। सिगमेंट, गैंट्री जैसे उंचे स्थान पर रह कर खुद को सुरक्षित बचाया गया।
लाखों की क्षति की आशंका
सोन में आये बाढ में 75 से अधिक घर डूब गये हैं। इन घरों को काफे क्षति हुई है। कई गिरने की स्थिति में पहुंच गये हैं। बाढ उतरने के बाद ही सही आकलन हो सकेगा कि कितने की क्षति इन घरों में हुई है। मान अजा रहा है कि लाखों की क्षति हो सकती है। इनमें रहने वाले लोग अपनी जान बचाने को सुरक्षित स्थान पर चले गये हैं। सूत्रों के अनुसार दाउदनगर के बालु गंज में करीब 40 घर डूब गये हैं। इसके अलावा डीहरा मुखिया जयकेश पासवान के अनुसार नवनेर में 20 घर, लबदना में छ: घर व अधौरा में 10 घर में पानी घुस गया है। इन घरों में रहने वालों का संकट बढ गया है। उअंके लिए मुश्किल हालात है।

सोन दियारा में हुआ था प्रचार
प्रशासन ने सोन तटीय इलाके में प्रचार-प्रसार किया था कि सोन के किनारे बसे लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जायें। इसका ही असर हुआ कि किसी भी इलाके में गांव के लोग बाढ में नहीं फंस सके। एक सप्ताह पूर्व आई बाढ में 15 लोग नवनेर में फंस गये थे। जिन्हें एसदीआरएफ की टीम ने बचाया था। इस बार सिर्फ एचसीसी के कर्मी व मजदूर ही फंस सके। जब कि इन्हें सूचना मिल गयी थी। सीओ विनोद सिंह ने बताया कि अधिकारियों ने अंछा, युदागीर बिगहा, हिच्छन बिगहा, शमशेर नगर, अमृत बिगहा, भगवान बिगहा समेत तमाम इलाके में बाढ का खतरा बताया गया था। जब बाढ आया तो उपरोक्त इलाकों के अलावा बसंत बादल के अनुसार अंछा, जागा बिगहा, ठाकुर बिगहा, गुलजारपुर, तेजपुरा व डीहरा में बाढ का पानी पहुंचा। इस कारण लोगों ने शाम से ही पलायन करना शुरु कर दिया था। बाढ का पानी जमालपुर घाट की तरफ इमामबाडा तक, पुरानी शहर में बालुगंज तक और काली स्थान महादेव स्थान तक बडी मात्रा में पहुंच गया है।
 पीएम व रामौतार चौधरी ने दिखायी बहादूरी
मतस्यजीवी समिति ने 
बचायी जिन्दगियां
बाढ में फंसे लोगों को बचाने के काम में जिस तरह एचसीसी के प्रोजेक्ट मैनेजर एम.श्रीनिवास राव व वार्ड पार्षद रामौतार चौधरी ने बहादूरी दिखायी है वह काबिल-ए-तारीफ है। इसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। सूत्रों ने बताया कि रात में ही कोशिश जारी कर दी गयी थी। मतस्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड के सदस्यों ने एक नाव का इंतजाम किया। इसी के सहारे बचाव कार्य किया गया। यदि एक की जगह कई नाव होते तो बाढ में फंसे लोगों को बाहर निकालने में करीब दस घंटे से अधिक का समय नहीं लगता। बताया गया कि रात में एक बार नाव से कुछ लोगों को निकाला गया। इसके बाद सुबह छ: बजे से यह काम शुरु हुआ। खुद एचसीसी के प्रोजेक्ट मैनेजर एम.श्री निवास राव को नाव चलाकर फंसे लोगों को निकालते देखा गया। इनके साथ इनके अधीनस्थ सहकर्मी तो लगे ही, वार्ड पार्षद व मतस्यजीवी सहयोग समिति के अध्यक्ष रामौतार चौधरी भी सक्रिय रहे। बिना खाये-पीये लोग लगातार काम करते देखे गये।
नाव से फंसे लोगों को निकालने के लिए बालेश्वर चौधरी, श्याम सुन्दर चौधरी, महंगी चौधरी, मनोज चौधरी, अनिल चौधरी, भोला चौधरी, राकेश कुमार, बिरजु चौधरी, सनोज कुमार व सुरेन्द्र कुमार नाव खेने के माहिर लोग लोगों को निकालने में लगे। सभी समिति के सदस्य हैं। सूत्रों के अनुसार एम.श्री निवास राव व रामौतार चौधरी फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए निर्माणाधीन पुल के पाये पर चढ गये। काफी देर तक बैठे रहे। कहते रहे कि जब तक अंतिम व्यक्ति को पानी से निकाल नहीं लिया जायेगा तब तक वे यहां डटे रहेंगे। चिंटु मिश्रा व आदित्य राज जैकी ने कहा कि इनके अदम्य साहस व परिश्रम से इतने लोगों को सकुशल बाढ से बचाया जा सका। बताया गया कि करीब एक दर्जन बार नाव की फेरी लगी तब सभी निकल सके। 
रात्रि में ही मिला सुरक्षा बल
जब बाढ ने एचसीसी कार्यालय को घेर लिया तो रात में ही नीजि स्तर पर बचाव कार्य शुरु हुआ। प्रोजेक्ट मैनेजर एम.श्री निवास राव, आशुतोष पांडेय, जंगबहादुर सिंह, हरिराम सिंह, पुनीश राय, अजय सिंह व वार्ड पार्षद राम औतार चौधरी ने खुद कार्य किया। बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर एसडीपीओ ने रात में ही चार –एक का सुरक्षा बल उन्हें उपलब्ध कराया ताकि कोई परेशानी न हो सके।  


Monday 15 August 2016

शहीद जगतपति कुमार : नयी परंपरा का आज हुआ आगाज


खरांटी (ओबरा) स्थित शहीद जगतपति स्मारक स्थल

शहीद से बढा सबका सम्मान

           उपेन्द्र कश्यप 
(लेखक- श्रमण संस्कृति का वाहक-दाउदनगर व उत्कर्ष)
        
    आज 15 अगस्त 2016 को ओबरा के खरांटी में नयी परंपरा का आगाज किया गया। एसडीओ राकेश कुमार व एसडीपीओ संजय कुमार ने इसकी शुरुआत की। मैं भी गवाह बना। हमने जिले के इकलौते शहीद कुमार जगतपति के स्मारक पर माल्यार्पण किया। झंडोतोलन में शामिल हुआ। दाउदनगर को अनुमंडल बने 25 साल हो गए, किंतु ऐसी पहल किसी ने नहीं की थी। हालांकि इसके लिए तय कार्यक्रम में परिवर्तन करना पडा। मैंने कई बार लिखा है कि- जातीय खांचे में दबा दिए गये शहीद जगतपर्ति कुमार- और यह भी कि जिला मुख्यालत में एक नगर भवन का इन्हें “द्वारपाल” बना दिया गया है। 
शहीद को नमन करते हुए एसडीओ दाउदनगर राकेश कुमार
यह हकीकत है कि हमारे समाज ने जितना चाहिए था उतना सम्मान इस शहीद को नहीं दिया। इसके पीछे जातीवादी राजनीति प्रमुख कारण है। जिले के कई महानुभावों को जितना सम्मान मिला है उतना इस शहीद को नहीं दिया गया। इसे साफ-साफ देखा समझा जा सकता है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता किंतु हकीकत यही है कि जिला में जगतपति से बडा कोई नाम नहीं है और इसके बावजूद इनसे अधिक सम्मान दूसरों को मिला है। मैं यहां खास तौर से क्रांतिकारी गंवई कवि (स्व.) रामेश्वर मुनी का नाम लेना चाहुंगा जिन्होंने इनके लिए काफी प्रयास किया। गोह में इनके लिए बना स्मारक उन्हीं की देन है। यहां स्मरणीय भाकपा माले भी है। जिसने यहां शहीद स्मारक का सौन्दर्यीकरण का काम किया किंतु यह दुखद है कि जिस (तत्कालीन विधायक) राजाराम ने यह काम किया उन्होंने यह अधूरा किया। उन्हें याद दिलाना चाहुंगा (मैं भी उस समारोह का गवाह रहा हूं) कि उन्होंने यहां आदमकस प्रतिमा लगाने का वादा किया था। चन्दा भी वसूले गए थे। यह वादा अभी अधूरा है। खैर...

नमन करते हुए एसडीपीओ संजय कुमार
चलिए देर से ही सही किंतु एक आगाज तो हुआ। अब इसे अनुमंडल प्रशासन द्वारा तय झंडोतोलन की समय सारिणी में शामिल किया जाना है। कई संस्थानों के लिए तय समय इस सूची से अलग किए जायेंगे।
इस अवसर पर ओबरा के बीडीओ कुमार शैलेन्द्र ने एसडीओ, डीएसपी व मुझे संबोधित करने का अवसर दिया। एसडीओ ने कहा कि इसे पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने का प्रयास हरसंभव किया जाएगा।
लेखक पत्रकार- उपेन्द्र कश्यप 
मैंने संक्षिप्त इतिहास बताते हुए दो सुझाव दिया। 1-बगल से बहती पुनपुन नदी पर बने पुल पर एक द्वार बना कर उस पर सचिवालय के सामने बनी सात शहीदों की प्रतिमा व जगतपति स्मारक खरांटी की तस्वीर लगा कर दो पंक्ति में इस स्थान विशेष का महत्व बताया जाए। 2- शहीद का इतिहास काले ग्रेनाइट पत्थर पर स्वर्णाक्षरों में लिखकर यहां रखा जाए ताकि हर व्यल्ति उनसे जुडी जानकारी सहजता से हासिल कर सके। इस पर बाद में एसडीओ राकेश कुमार ने मुझसे सहमति भी व्यक्त की है।