Saturday 20 August 2016

सोन के बाढ में फंसे 250 को बचाया गया



सभी पुल बना रही कंपनी के कर्मचारी
बिहार, बंगाल, उडीसा के हैं कर्मी व मजदूर

सोन में आयी बाढ में फंसे 250 लोगों को मतस्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड के एक नाव के सहारे सुरक्षित बचा लिया गया। ये सभी दाउदनगर-नासरीगंज सोन पुल बना रहे बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के निर्मात्री एजेंसी हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) के कर्मी व मजदूर बताये जाते हैं। बिहार के अलावा बंगाल, उडीसा, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों के अधिकारी या कुशल मजदूर, कर्मी इस बाढ में फंस गये बताये जाते हैं। एसडीओ राकेश कुमार ने बताया कि शुक्रवार की शाम सोन तटीय गांवों में अधिकारियों का दल जाकर सुरक्षित स्थानों पर रहने की चेतावनी दिया था। इस कारण किसी भी गांव में ग्रामीणों के फंसने की घटना नहीं हुई। मात्र तेजपुरा में डिला पर बाढ के बीच दो व्यक्ति फंसे जिनको सूचना मिलते ही एसडीआरएफ की टीम ने बचाया। कंपनी को भी सूचना दी गयी थी। कहा कि सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया है। कंपनी के प्रशासकीय प्रबन्धक आशुरोष पांडेय ने बताया कि सूचना देर रात स्पष्ट मिली थी। इतने बाढ की उम्मीद शाम तक नहीं थी। कहा कि सभी को राहत शिविर में सुरक्षित रखा गया है। सूत्रों के अनुसार कंपने एके प्रोजेक्ट मैनेजर एम.श्री निवास राव, मतस्यजीवी सहयोग समिति के अध्यक्ष रामौतार चौधरी के नेतृत्व में सभी को निकाला गया। यदि एक से अधिक नाव उपलब्ध होते तो बचाव कार्य दस घंटे से अधिक समय तक नहीं चलाना पडता। यह कार्य अपराह्न बद शाम तक चलाया गया। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार करीब दस लाख क्युसेक पानी इन्द्रपुरी बराज से छोडे जाने के कारण यह बाढ आया। सूत्रों ने बताया कि सोन पर बने सबसे बडे बान्ध रिहंद (सोनभद्र, उत्तर प्रदेश) के 13 में से नौ फाटक खोल दिए गये हैं। चार और फाटक यदि खोले गये तो सोन तटीय क्षेत्र में बाढ की स्थिति और भयावह हो सकती है। 

और पानी छोडे जाने 
से बढेगा जलस्तर

शनिवार की शाम तक इन्द्रपुरी बराज से 5 लाख 26 हजार क्युसेक पानी छोडे जाने की सूचना है। सूत्रों के अनुसार बराज में इतना पानी आ रहा है जिसे छोडा जायेगा। बताया गया कि इन्द्रपुरी बराज में इतनी बडी मात्रा में पानी कई बांधों, बराजों व छोटी नदियों से आ रहा है। वाण सागर से 3 लाख 50 हजार पानी, रिहन्द बांध से 76 हजार क्युसेक, मोहम्मदगंज बराज से एक लाख क्युसेक और अतिरिक्त पानी सोन के जलग्रहण क्षेत्र की छोटी-छोटी नदियों से पानी आ रहा है। इतनी मात्रा में पानी छोडे जाने से नीचले इलाके में जल स्तर और बढेगा। इससे स्थिति और भयावह हो सकती है। संभवत: 1976 में दाउदनगर में बाढ आयी थी। तब के अनुभव अब लोग साझा कर रहे हैं। महत्वपूर्ण है कि सूत्रों के अनुसार शुक्रवार रात 2:45 बजे इंद्रपुरी बराज से सोन नद में 11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसके चलते ही सोन का हुल्लड हाहाकार मचाने लगा। इस कारण सोन के किनारे बसे गांवों में बाढ़ का पानी घुसने लगा। सोन नद गंगा में मिलता है, जिससे गंगा के जलस्तर में भी वृद्धि होती है।

12 से 18 घंटे तक बाढ में फंसे रहे लोग
पेड, सिगमेंट व छरी के टीले पर चढकर बचे

सोन के हुल्लड का विकराल रुप करीब तीन दशक बाद लोगों ने देखा। शुक्रवार की रात हडकंप मच गया, जब दाउदनगर-नासरीगंज पुल बनाने में लगे एचसीसी के करीब 250 कर्मचारी, मजदूर बाढ के बीच फंस गये। शनिवार को अपराह्न में प्रशासन, एचसीसी व जनता ने राहत की सांस ली। एक नाव के सहारे सभी फंसे हुए लोगों को को बाढ से बचाया जा सका। ये लोग करीब बारह से अठारह घंटे तक भूखे-प्यासे बाढ में फंसे रहे। इनके चेहरे बता रहे हैं कि इनकी चिंता कितनी बढी हुई थी। फंसे लोगों ने निर्माणाधीन पुल के पाया, सिगमेंट, गैंट्री व छर्री के टीले पर पहुंच कर खुद को सुरक्षित किया। इन तक पहुंचना भी आसान नहीं था। अन्धेरा के कारण मुश्किल आ रही थी। इसके बावजूद रात में जितना संभव हो पा रहा था बचाव व राहत कार्य किया गया। प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए रात तीन बजे ही अशोक इंटर स्कूल में जनरेटर की व्यवस्था कर दिया था, ताकि बाढ प्रभावितों के आने पर उनके लिए राहत कैंप की समस्या न हो सके। सीओ विनोद सिंह ने बताया कि हालांकि इसकी आवश्यक्ता नहीं पडी, क्योंकि कोई आया ही नहीं। इससे पहले एसडीओ राकेश कुमार व एसडीपीओ संजय कुमार के नेतृत्व में रात तीन बजे तक लोगों से सोन के तटीय इलाके से हटकर उंचे स्थान पर सुरक्षित रहने का प्रचार-प्रसार किया गया। दोनों अधिकारियों के अलावा सीओ विनोद सिंह, बीडीओ अशोक प्रसाद, इंस्पेक्टर विन्ध्याचल प्रसाद व थानाध्यक्ष रवि प्रकाश सिंह ने इस दरम्यान यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि कोई भी व्यक्ति फंसे नहीं और खतरा नुकसान की हद तक न बन जाए।

पूर्व सूचना के बावजूद क्यों फंसे 250 लोग?

इस बात की जोरों पर चर्चा है कि जब बाढ आने की सूचना थी तब भी 250 लोग कैसे फंसे रह गये? सवाल हर किसी की जुबान पर है। दैनिक जागरण अने इसे जानने की कोशिश की तो ममला स्पष्ट हो सका। सूत्रों के अनुसार करीब 2 बजे दिन में 5.89 लाख क्युसेक पानी छोडे जाने की सूचना मिली थी। शाम में 8 लाख की सूचना मिली। निर्माणाधीन सोनपुल के 45 नंबर पाया तक शुक्रवार को तीन बजे तक पानी आ गया था। खुद इस स्ंवाददाता ने एचसीसी के प्रशासकीय प्रवन्धक आशुतोष पांडेय को शाम में सूचना दिया था कि पुल से एचसीसी कार्यालय तक जाने वाली सडक शीघ्र ही डूब सकती है। यह जानकारी उस वक्त यहां मौजुद वार्ड पार्षद बसंत कुमार के हवाले से मिली थी। इसके बावजूद इतनी संख्या में लोग कैसे फंसे? एसडीओ राकेश कुमार ने बताया कि शाम में आठ लाख क्युसेक पानी छोडे जाने की सूचना मिली थी। इसके बाद लोगों को सुरक्षित स्थान पर चले जाने की चेतावनी दी गयी। बाद में 10 लाख क्युसेक पानी छोडे जाने की सूचना मिली। रात्रि में ही एचसीसी को इसकी सूचना दी गयी थी। इसके बावजूद कंपनी के कर्मियों व मजदूरों ने खुद को सुरक्षित समझा और नहीं निकले। गत बाढ के वक्त का अनुभव इन्हें था, जब कोई फंसा नहीं था। खुद आशुतोष पांडेय ने बताया कि सूचना धीरे-धीरे कई चरण में मिली। पूर्व की सूचना जितना बहाव होता तो कोई समस्या नहीं आती।

तेजपुरा में बचायी गयी दो जिन्दगी
ओबरा प्रखंड के तेजपुरा किनारे सोन के बाढ में फंसे दो लोगों को एसडीआरएफ की टीम ने तीन लोगों के जीवन को बचाया। सूत्रों के अनुसार इस बाढ में फंसे अंबेदकरनगर निवासी शिव पुजन रजवार व लालती देवी को डूबने से बचाया गया। ये लोग बाढ के बीच तेज बहाव में फंस गये थे। बताया गया कि दोनों डिला पर थे। जब पानी का बहाव तेज दिखा तो पेड पर जा कर शरण लिए। एसडीओ राकेश कुमार ने इसकी पुष्टी की।  
75 घर पानी में डूबे

राहत व बचाव कार्य विलंब से प्रारंभ

राजकीय मिडिल स्कूल संख्या-एक में चल रहे राहत शिविर में जाकर बाढ पीडितों से भाजपा प्रखन्ड अध्यक्ष अश्विनी तिवारी व रालोसपा नेता पूर्व जिला पार्षद राजीव कुमार उर्फ बब्लु मिले। दोनों ने उनका हालचाल जाना। कहा कि बचाव व राहत कार्य समय पर शुरु नहीं किया जा सका, हालांकि देर से ही सही किंतु बेहतर कार्य कर सभी को सुरक्षित निकला जा सका। इसके लिए प्रशासन व एचसीसी को इन्होंने बधाई दी। कहा कि यदि समय पर कार्य प्रारंभ होता तो भयावह स्थिति नहीं होती। कहा कि ऐसे मौकों पर प्रशासन को चाहिए कि सख्ती करके लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचायें। सिर्फ प्रचार और चेतावनी से लोग हटते नहीं है। कहा कि यह भगवान की कृपा थी कि कोई हताहत नहीं हुआ। कहा कि हर बार बाढ के समय ऐसी ही स्थिति होती है और यह सिर्फ दाउदनगर में नहीं बल्कि हर जगह होता है। शिविर में व्यवस्था पर संतोष जाहिर किया और पूरे प्रशासन, एचसीसी कंपनी के पीएम एम श्रीनिवास राव और उनकी टीम तथा बचाव कार्य में लगे वार्ड पार्षद रामौतार चौधरी की टीम को धन्यवाद दिया। 

बाढ में फंसे लोगों को हटने की नहीं थी सूचना

पीडितों ने बताया अपना दर्द-ए-हाल
बाढ में फंसे अधिकांश लोगों तक सुरक्षित स्थान तक काम छोड कर पहुंचने की सूचना नहीं पहुंच सकी थी। यह बात स्पष्ट तौर पर राहत शिविर में पहुंचे लोगों ने कही। भाजपा प्रखंड अध्यक्ष अश्विनी तिवारी का पुत्र विधाता तिवारी एचसीसी में काम करता है। व नि:शक्त भी है। उसने बताया कि 15 घंटे तक वह अपने सहकर्मियों विकेश सिंह, अभिषेक सिंह, सौरभ तिवारी व ग़ुड्डु सिंह के साथ फंसा रहा। राजकीय मिडिल स्कूल संख्या-एक में एचसीसी के चल रहे राहत शिविर में उडीसा के मैकेनिक सौरभ कुमार, लैब असिस्टेंट सुधाकर पुष्टी, ट्रेन आपरेटर भगवान सेट्ठी, मिरजापुर रोहतास के प्लांट आपरेटर कमलेश कुमार, इसापुर मदनपुर के सुनील कुमार, बंगाल के प्लांट आपरेटर अमित मंडल, इलेक्ट्रीशियन नरेश सरकार, नवीनगर के आपरेटर अजय सिंह ने बताया कि उन्हें इसकी सूचना नहीं थी कि बाढ आने वाला है और खतरनाक होगा। बताया कि शाम शढे सात बजे शिफ़्ट बदलता है। कुछ लोग खाना खा कर काम करने जा रहे थे, कुछ खा रहे थे और काम से वापस आने वाले खाना खाने की तैयारी में थे कि बाढ से बचने का संकट आ गया। आनन फानन में लोग बचने के लिए उंचे स्थान की ओर भागने लगे। 
बताया कि भयावह स्थिति थी किंतु इस बात का संतोष था कि एचसीसी परिसर में रहने के कारण कई सुरक्षित उंचे स्थान हैं इसलिए बचना मुश्किल नहीं होगा। करीब दो लख टन छर्री का स्टाक है उसके शीर्ष पर बैठकर रात गुजार दिया गया। बडे मशीनों पर बैठकर खुद कि सुरक्षित किया गया। सिगमेंट, गैंट्री जैसे उंचे स्थान पर रह कर खुद को सुरक्षित बचाया गया।
लाखों की क्षति की आशंका
सोन में आये बाढ में 75 से अधिक घर डूब गये हैं। इन घरों को काफे क्षति हुई है। कई गिरने की स्थिति में पहुंच गये हैं। बाढ उतरने के बाद ही सही आकलन हो सकेगा कि कितने की क्षति इन घरों में हुई है। मान अजा रहा है कि लाखों की क्षति हो सकती है। इनमें रहने वाले लोग अपनी जान बचाने को सुरक्षित स्थान पर चले गये हैं। सूत्रों के अनुसार दाउदनगर के बालु गंज में करीब 40 घर डूब गये हैं। इसके अलावा डीहरा मुखिया जयकेश पासवान के अनुसार नवनेर में 20 घर, लबदना में छ: घर व अधौरा में 10 घर में पानी घुस गया है। इन घरों में रहने वालों का संकट बढ गया है। उअंके लिए मुश्किल हालात है।

सोन दियारा में हुआ था प्रचार
प्रशासन ने सोन तटीय इलाके में प्रचार-प्रसार किया था कि सोन के किनारे बसे लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जायें। इसका ही असर हुआ कि किसी भी इलाके में गांव के लोग बाढ में नहीं फंस सके। एक सप्ताह पूर्व आई बाढ में 15 लोग नवनेर में फंस गये थे। जिन्हें एसदीआरएफ की टीम ने बचाया था। इस बार सिर्फ एचसीसी के कर्मी व मजदूर ही फंस सके। जब कि इन्हें सूचना मिल गयी थी। सीओ विनोद सिंह ने बताया कि अधिकारियों ने अंछा, युदागीर बिगहा, हिच्छन बिगहा, शमशेर नगर, अमृत बिगहा, भगवान बिगहा समेत तमाम इलाके में बाढ का खतरा बताया गया था। जब बाढ आया तो उपरोक्त इलाकों के अलावा बसंत बादल के अनुसार अंछा, जागा बिगहा, ठाकुर बिगहा, गुलजारपुर, तेजपुरा व डीहरा में बाढ का पानी पहुंचा। इस कारण लोगों ने शाम से ही पलायन करना शुरु कर दिया था। बाढ का पानी जमालपुर घाट की तरफ इमामबाडा तक, पुरानी शहर में बालुगंज तक और काली स्थान महादेव स्थान तक बडी मात्रा में पहुंच गया है।
 पीएम व रामौतार चौधरी ने दिखायी बहादूरी
मतस्यजीवी समिति ने 
बचायी जिन्दगियां
बाढ में फंसे लोगों को बचाने के काम में जिस तरह एचसीसी के प्रोजेक्ट मैनेजर एम.श्रीनिवास राव व वार्ड पार्षद रामौतार चौधरी ने बहादूरी दिखायी है वह काबिल-ए-तारीफ है। इसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। सूत्रों ने बताया कि रात में ही कोशिश जारी कर दी गयी थी। मतस्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड के सदस्यों ने एक नाव का इंतजाम किया। इसी के सहारे बचाव कार्य किया गया। यदि एक की जगह कई नाव होते तो बाढ में फंसे लोगों को बाहर निकालने में करीब दस घंटे से अधिक का समय नहीं लगता। बताया गया कि रात में एक बार नाव से कुछ लोगों को निकाला गया। इसके बाद सुबह छ: बजे से यह काम शुरु हुआ। खुद एचसीसी के प्रोजेक्ट मैनेजर एम.श्री निवास राव को नाव चलाकर फंसे लोगों को निकालते देखा गया। इनके साथ इनके अधीनस्थ सहकर्मी तो लगे ही, वार्ड पार्षद व मतस्यजीवी सहयोग समिति के अध्यक्ष रामौतार चौधरी भी सक्रिय रहे। बिना खाये-पीये लोग लगातार काम करते देखे गये।
नाव से फंसे लोगों को निकालने के लिए बालेश्वर चौधरी, श्याम सुन्दर चौधरी, महंगी चौधरी, मनोज चौधरी, अनिल चौधरी, भोला चौधरी, राकेश कुमार, बिरजु चौधरी, सनोज कुमार व सुरेन्द्र कुमार नाव खेने के माहिर लोग लोगों को निकालने में लगे। सभी समिति के सदस्य हैं। सूत्रों के अनुसार एम.श्री निवास राव व रामौतार चौधरी फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए निर्माणाधीन पुल के पाये पर चढ गये। काफी देर तक बैठे रहे। कहते रहे कि जब तक अंतिम व्यक्ति को पानी से निकाल नहीं लिया जायेगा तब तक वे यहां डटे रहेंगे। चिंटु मिश्रा व आदित्य राज जैकी ने कहा कि इनके अदम्य साहस व परिश्रम से इतने लोगों को सकुशल बाढ से बचाया जा सका। बताया गया कि करीब एक दर्जन बार नाव की फेरी लगी तब सभी निकल सके। 
रात्रि में ही मिला सुरक्षा बल
जब बाढ ने एचसीसी कार्यालय को घेर लिया तो रात में ही नीजि स्तर पर बचाव कार्य शुरु हुआ। प्रोजेक्ट मैनेजर एम.श्री निवास राव, आशुतोष पांडेय, जंगबहादुर सिंह, हरिराम सिंह, पुनीश राय, अजय सिंह व वार्ड पार्षद राम औतार चौधरी ने खुद कार्य किया। बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर एसडीपीओ ने रात में ही चार –एक का सुरक्षा बल उन्हें उपलब्ध कराया ताकि कोई परेशानी न हो सके।  


1 comment:

  1. आपने अच्छा रिपोर्टिंग की है । लेकिन आपने कहा कि सोन नदी में बाढ़ 1976 के बाद आयी है इसपे जरा मैं असहमत हूँ क्योंकि लगभग 2-3 साल पहले 2012 में भी एक बाढ़ आयी थी जब अरवल-सहार पुल का कार्य जारी था । और मैं भी उस बाढ़ को देखने गया था ।

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