Monday 15 August 2016

शहीद जगतपति कुमार : नयी परंपरा का आज हुआ आगाज


खरांटी (ओबरा) स्थित शहीद जगतपति स्मारक स्थल

शहीद से बढा सबका सम्मान

           उपेन्द्र कश्यप 
(लेखक- श्रमण संस्कृति का वाहक-दाउदनगर व उत्कर्ष)
        
    आज 15 अगस्त 2016 को ओबरा के खरांटी में नयी परंपरा का आगाज किया गया। एसडीओ राकेश कुमार व एसडीपीओ संजय कुमार ने इसकी शुरुआत की। मैं भी गवाह बना। हमने जिले के इकलौते शहीद कुमार जगतपति के स्मारक पर माल्यार्पण किया। झंडोतोलन में शामिल हुआ। दाउदनगर को अनुमंडल बने 25 साल हो गए, किंतु ऐसी पहल किसी ने नहीं की थी। हालांकि इसके लिए तय कार्यक्रम में परिवर्तन करना पडा। मैंने कई बार लिखा है कि- जातीय खांचे में दबा दिए गये शहीद जगतपर्ति कुमार- और यह भी कि जिला मुख्यालत में एक नगर भवन का इन्हें “द्वारपाल” बना दिया गया है। 
शहीद को नमन करते हुए एसडीओ दाउदनगर राकेश कुमार
यह हकीकत है कि हमारे समाज ने जितना चाहिए था उतना सम्मान इस शहीद को नहीं दिया। इसके पीछे जातीवादी राजनीति प्रमुख कारण है। जिले के कई महानुभावों को जितना सम्मान मिला है उतना इस शहीद को नहीं दिया गया। इसे साफ-साफ देखा समझा जा सकता है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता किंतु हकीकत यही है कि जिला में जगतपति से बडा कोई नाम नहीं है और इसके बावजूद इनसे अधिक सम्मान दूसरों को मिला है। मैं यहां खास तौर से क्रांतिकारी गंवई कवि (स्व.) रामेश्वर मुनी का नाम लेना चाहुंगा जिन्होंने इनके लिए काफी प्रयास किया। गोह में इनके लिए बना स्मारक उन्हीं की देन है। यहां स्मरणीय भाकपा माले भी है। जिसने यहां शहीद स्मारक का सौन्दर्यीकरण का काम किया किंतु यह दुखद है कि जिस (तत्कालीन विधायक) राजाराम ने यह काम किया उन्होंने यह अधूरा किया। उन्हें याद दिलाना चाहुंगा (मैं भी उस समारोह का गवाह रहा हूं) कि उन्होंने यहां आदमकस प्रतिमा लगाने का वादा किया था। चन्दा भी वसूले गए थे। यह वादा अभी अधूरा है। खैर...

नमन करते हुए एसडीपीओ संजय कुमार
चलिए देर से ही सही किंतु एक आगाज तो हुआ। अब इसे अनुमंडल प्रशासन द्वारा तय झंडोतोलन की समय सारिणी में शामिल किया जाना है। कई संस्थानों के लिए तय समय इस सूची से अलग किए जायेंगे।
इस अवसर पर ओबरा के बीडीओ कुमार शैलेन्द्र ने एसडीओ, डीएसपी व मुझे संबोधित करने का अवसर दिया। एसडीओ ने कहा कि इसे पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने का प्रयास हरसंभव किया जाएगा।
लेखक पत्रकार- उपेन्द्र कश्यप 
मैंने संक्षिप्त इतिहास बताते हुए दो सुझाव दिया। 1-बगल से बहती पुनपुन नदी पर बने पुल पर एक द्वार बना कर उस पर सचिवालय के सामने बनी सात शहीदों की प्रतिमा व जगतपति स्मारक खरांटी की तस्वीर लगा कर दो पंक्ति में इस स्थान विशेष का महत्व बताया जाए। 2- शहीद का इतिहास काले ग्रेनाइट पत्थर पर स्वर्णाक्षरों में लिखकर यहां रखा जाए ताकि हर व्यल्ति उनसे जुडी जानकारी सहजता से हासिल कर सके। इस पर बाद में एसडीओ राकेश कुमार ने मुझसे सहमति भी व्यक्त की है।

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