Wednesday 24 August 2016

भ्रष्ट व्यवस्था, तंत्र व गरीबी में गुम हो गयी मानवता

फोटो-डीएम से शिकायत करते और विलखते हुए पीडित परिजन
अभी शव का पता नहीं मुआवजे की व्यक्त की चिंता
बिचौलियों द्वारा पैसे खा जाने की डीएम से शिकायत
किसे दोष दिया जाए? गरीबी को, भ्रष्टाचार को, भ्रष्ट व्यवस्था तंत्र को, सरकार की नीति को, सामाजिक लोकाचार को, नैतिक जिम्मेदारी को, सामूहिक उत्तरदायित्व को, सोच को। किसे दोष दिया जाए भला? ओबरा का कलेन गांव। पवित्र पुन:पुना के तट पर बसा एक गांव। आज रो रहा है। चीख रहा है। रोजाना जो काम करते थे वही काम करते हुए दुर्घटना का शिकार हो गये। सुरज मद्धिम होता जा रहा है। वह ढलने को बेताब है भले ही इधर ग्रामीणों का दर्द अन्धेरे में गुम हो या और बढ जाये इससे भला सुरज को क्या? पीडित ग्रामीणों की तरह वह भी अपने रोजमर्रे के काम में लगा हुआ है। उगा था तो ढना भी है, ढल जायेगा। इधर माहौल मातम भरा है। एक शव ही मिल सका है। बाकी जिन्दा है, या मारे गये इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही है। जिले के सबसे बडे अधिकारी डीएम कंवल तनुज ग्रामीणों के बीच हैं। दो व्यक्ति पहुंचे। इनका कोई अपना पुनपुन में बह गया है। ये बोले-साहब ‘रहतवा’ (मुआवजा) कइसे मिलतई? सब (बिचौलिया) खा जतथिन सो। हमनी के पतो न चलतई? साहब बोले- हम हैं न। कोई नहीं खायेगा। मुखिया प्रतिनिधि श्री निवास शर्मा बोले-हम हैं आपके साथ। कोई नहीं खायेगा। सबको मिलेगा। चार-चार लाख मुआवजा मिलता है। वाकई, क्या यह उचित है? ऐसा क्यों है? जब परिजन का शव तलाशा जान चाहिए, लोग मुआवजा सहजता से कैसे मिलेगा इसका रास्ता तलाश रहे होते हैं। इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाये भला? हम जिस राजंनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था में रहते हैं, वह कितना भ्रष्ट है? यह प्राय: हर बडी घटना के वक्त दिख जाता है। आखिर गरीबी है तब शव या जान (हमने नवनेर में देखा है कि कैसे लोग अपनी संपत्ति बचाने के लिए जान की परवाह नहीं कर रहे थे) पर मुआवजे की चिंता भारी पड रही है। व्यव्स्था भ्रष्ट है और दलाल तंत्रा हावी है तब कोई पीडित पूछता है कि उसका पैसा कोई खा तो नहीं जायेगा? वह जिला के ‘मालिक’ को यह बताते हुए आश्वस्त हो लेना चाहता है कि उसके साथ कोई ज्यादती नहीं होगी। क्या हमने अपना नैतिक बल खो दिया है? शासन, प्रशासन, जन प्रतिनिधि अपना इकबाल क्या विश्वास तक खो चुके हैं? सवाल बहुतेरे हैं। कलेन अभी रो रहा है किंतु कई सवाल छोड गया है।    

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