Monday 22 August 2016

बढकन के देतई कि हमनी के देतई नीतीश-मिनता देवी


‘कम से कम बर्बाद होलइ उ तो देवे के चाह हलइ’
गरीब बाढ पीडितों को सरकार से उम्मीद नहीं
 नद के बाढ से सब कुछ या आंशिक भी गंवा चुके गरीबों, किसानों को इस सरकार से उम्मीद नहीं है। ये वे लोग हैं जो पहले भी सोन के बाढ में अपनी संपत्ति गंवा चुके थे और सरकार से कुछ नहीं मिला था। सोन में बाढ आया तो तटीय इलाके में सोन की मुख्य धारा से करीब दो किलोमीटर दूर अपनी फसल, पौधे, फलदार व काष्ठ वाले पेड, झोपडियां समेत कई नुकसान झेल चुकी मिनता देवी अकेली नहीं है। वह प्रतिनिधित्व करती हैं ऐसे पीडितों का जो नगर पंचायत क्षेत्र में रहते हुए सोन के बाढ से पीडित हुए हैं। पंकज यादव भी बहुत कुछ इस बाढ में गंवा चुके हैं। यह संवाददाता जब खेत पर निराश सिर पर हाथ धरे बैठी मिनता देवी से मिला तो उनकी प्रतिक्रिया व्यंग्य, आक्रोश व निराशा मिश्रित मिली। बोली- “सरकार आइत हई देवे। नीतीश देतई। उ सब बढ आदमी के देव हई कि हमनी गरीब के देव हई? देहात में सब के कालोनी देव हई, शहर में हीं, घर बह गेल, तो कालोनी कहां देव हई। कम से कम जो बर्बाद होलइ उ तो देवे के चाह हलइ।“ अकेली मिनता ही आक्रोश में निराश नहीं बैठी हैं। अनुमंडल में ओबरा व दाउदनगर प्रखंड के पश्चिमी किनारे नवनेर से लेकर महमदगंज तक सोन के तटवर्ती क्षेत्र में ऐसे सैकडों लोग हैं जिन्हें आज फिर से उठ खडे होने को सरकार से मदद की दरकार है।


83 साल के बुजुर्ग की जुबानी बाढ की कहानी

अधिक हुई बर्बादी, आबाद किये खेत हुए तबाह
सोन के बाढ ने तटवर्ती इलाके में दूर तक किसानों को बर्बाद किया है। दाउदनगर के डबरा में अपना आशियाना बना चुके 83 साल के बुजुर्ग शंकर महतो ने इस बाढ की कहानी दैनिक जागरण को बताया। वे निराश भी हैं और हताश भी। कहानी बताते हुए अतीत में चले गये तो वर्तमान की त्रासदी पर चिंता भी जताया। बाढ का पानी उतर जाने के बाद उनके आंखों के सामने बर्बादी के निशान हैं। बडी मेहनत जो खेत तैयार किया था वह बर्बाद हो गया है। उस पर दो से तीन फीट कटाव हुआ या फिर उस पर बालु आकर बैठ गया। अब इसे फिर से आबाद करना होगा। बोले जब पानी का तेज बहाव आने लगा तो जान बचाने के लिए चौकी को उलट कर उसे पेड से रस्सी के सहारे बांध दिया। उस पर बैठ गये सभी ताकि बह न सकें। बचे भी किंतु अब बर्बाद गुलिस्तां देखने से मन चिंतित हो उठता है। बताया कि बाबू पहले जब बाढ आया था तो इतना नुकसन नहीं हुआ था। इस बार बर्बादी अधिक हुई। हटते-हटाते पानी खूब आ गया। तेज धार था। पहले पानी धीरे-धीरे आता था। खाने-पीने का सामान, बर्तन और अन्य हल्के सामान बह गए। वैद्यनाथ प्रसाद ने बताया कि इस स्थल पर अभी कुछ रोज पूर्व 6000 रुपए का पशुचारा लाकर रखा था। सब खराब हो गया। खेत बनाने में अब काफी वक्त लगेगा। 

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