Tuesday 28 February 2023

शहर में लगेंगे एक दर्जन सीसीटीवी कैमरे

 



कैमरे लगाए जाने से सुरक्षा होगा शहर का दुरुस्त 

अपराधियों को अपराध करने में होगी बड़ी मुश्किल 

दाउदनगर थाना में रहेगा इससे संबंधित मशीनरी 

प्रमाण के लिए कभी भी निकाले जा सकते हैं फुटेज 


दाउदनगर (औरंगाबाद) : नगर परिषद क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरा लगाए जाएंगे। लगभग एक दर्जन स्थानों पर कैमरा लगाया जाना है। स्थान चिन्हित कर लिया गया है और एजेंसी को कैमरा लगाने के लिए कहा गया है। सशक्त स्थाई समिति के सदस्य कौशलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मौलाबाग, लखन मोड़, जगन मोड़, शुक बाजार मोर, छत्तर दरवाजा चौराहा, नगर परिषद के मुख्य द्वार, गुलाम सेठ चौक, स्वर्गीय रामविलास बाबू के घर के पास पुरानी शहर चौक पर, बारुण रोड चौराहा, कसेरा टोली चौक, बाजार मोड़ के पास कैमरा लगाया जाना है। माना जा रहा है कि जब शहर में इन स्थानों पर कैमरा लगा दिए जाएंगे तो अपराध की घटनाएं कम होंगी। कैमरे रात में भी होने वाली गतिविधियों को रिकार्ड कर सकेंगे। ऐसे में दिन हो या रात अपराधियों के लिए अपराध करना मुश्किल होगा। सब की गतिविधियां कैमरे में रिकार्ड होंगी और जरूरत पड़ने पर प्रमाण के लिए इनसे फुटेज भी लिए जा सकते हैं। शहर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरा कि निगरानी दाउदनगर थाना से होगी। यानी सीसीटीवी कैमरे से संबंधित तमाम मशीननरी सुरक्षा के लिहाज से सुरक्षित थाने में रखा जाएगा। ऐसे में माना यही जा रहा है कि शहर में अपराध की गतिविधियों को रोकने और अपराध को अंजाम देने के बाद अपराधियों की तलाश करने में पुलिस को बड़ी सहूलियत होगी।



सीसीटीवी पर नहीं होगा नप का पैसा खर्च 


फोटो- मुख्य पार्षद मीनू सिंह 

नगर परिषद के मुख्य पार्षद मीनू सिंह ने बताया कि सीसीटीवी कैमरा इंस्टाल करने या इसके मेंटेनेंस पर नगर परिषद का कोई खर्च नहीं आएगा। बताया कि लगभग 80000 रुपया प्रति वर्ष की दर पर होर्डिंग लगाने के लिए एक कंपनी को हायर किया गया है। यह कंपनी ही सीसीटीवी कैमरा लगाएगी और शहर के विभिन्न स्थानों पर इसके द्वारा लगाए गए होर्डिंग से जो राजस्व की प्राप्ति एजेंसी करेगी उसी पैसे से सीसीटीवी कैमरा लगाने और इसका मेंटेन करने का काम किया जाएगा। सीसीटीवी कैमरा के मेंटेनेंस के लिए अलग से राशि नहीं दी जानी है।



2018 में मिली थी योजना की स्वीकृति

13 सितंबर 2018 को तत्कालीन स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में सीसीटीवी कैमरा लगाने पर विचार विमर्श किया गया था। स्थल चयन के लिए पीठासीन पदाधिकारी मुख्य पार्षद को अधिकृत किया गया था। इसमें खर्च होने वाली राशि के लिए तब आंतरिक संसाधन स्टांप ड्यूटी या सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान मद की राशि से उपलब्ध करने की स्वीकृति प्रदान की गई थी।


Monday 27 February 2023

बिना जनसहयोग के नहीं रह सकता स्वच्छ शहर

  


सीधे डस्टबिन में कचरा ना डाल फेंक देते हैं लोग 

अभी भी डस्टबिन में कचरा डालने की नहीं बन रही आदत 



दाउदनगर नगर परिषद द्वारा शहर में करीब एक सौ स्थानों पर डस्टबिन रखे गए हैं लेकिन कहीं भी कचरा डस्टबिन में कम और उसके बाहर अधिक दिखता है। सवाल यह है कि जब जनता ही सहयोग नहीं करेगी, तो नगर परिषद द्वारा डस्टबिन लगा दिए जाने से शहर कैसे स्वच्छ रह सकेगा। शहर की स्वच्छता के लिए यह आवश्यक है कि जनता भी भरपूर सहयोग करे। प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर पंचायत रहते 2002 में चुनाव हुआ था जिसके बाद 2007 के चुनाव में परमानंद प्रसाद यहां के चेयरमैन बने। इसी बोर्ड के समय शहर में विभिन्न स्थानों पर डस्टबिन रखने की परंपरा शुरू हुई और अब यह नगर परिषद बन गया है। तब से ही शहर में विभिन्न स्थानों पर डस्टबिन रखने की शुरुआत हुई। बताया गया कि अभी लगभग एक सौ स्थानों पर सूखा और गीला कचरा के लिए अलग-अलग डस्टबिन रखे गए हैं। लेकिन आमतौर पर यह दिख रहा है कि लोग आते हैं और कचरे को सड़क की दूसरे सिरे से ही कूड़ेदान में फेंक देते हैं। नतीजा यह होता है कि जितना कचड़ा डस्टबिन में जाता है उससे अधिक बाहर बिखर जाता है। एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद शहर का सामूहिक संस्कार अभी इस तरह नहीं हुआ है कि तमाम लोग सभी कचरा को डस्टबिन में ही डालें। नतीजा बजाजा रोड हो, चावल बाजार हो, हमदर्द दवाखाना मैदान का इलाका हो या अन्य स्थान, आप डस्टबिन के बाहर डस्टबिन से अधिक कचरा देखेंगे जबकि डस्टबिन खाली दिखता है।



अपना दायित्व निर्वहन करना जरूरी


फोटो-संतोष केशरी

संतोष केशरी ने कहा कि जन भागीदारी के बिना स्वच्छता अभियान सफल नहीं हो सकता है। हमारा कर्तव्य बनता है कि अपने दायित्व का निर्वहन करें। नगर परिषद और सरकार अब अपना काम कर रहे हैं। कूड़ादान में ही कचरा डालना चाहिए। कूड़ेदान में कचरा फेंकने से ही स्वच्छ रह सकता है शहर।



कूड़ेदान में कचरा डाले बिना आलोचना अनैतिक


फोटो-सीताराम आर्य

सीताराम आर्य ने कहा कि लोगों को अपनी जिम्मेदारी खुद निभानी चाहिए। जब हम कचरा को डस्टबिन में डालेंगे नहीं तो शहर कैसे साफ रहेगा और फिर शहर गंदा है यह कहकर नगर परिषद की आलोचना करना नैतिक कैसे होगा। नगर परिषद पर शहर को स्वच्छ रखने का दबाव बनाना उचित है लेकिन खुद भी कचरा कूड़ेदान में डालने की आदत बनानी होगी।



दुकानदारों में सजगता है जरूरी


फ़ोटो-अवधेश पांडेय

अवधेश पांडेय ने कहा कि दुकानदारों का कचड़ा सबसे बड़ी समस्या है। वे रात्रि में या अहले सुबह जब दुकान खोलते हैं तो कचड़ा दुकान के बाहर सड़क पर फेंक देते हैं। प्लास्टिक, कागज जैसे कचड़ा सड़क पर फेंक देते हैं। बजाजा रोड जैसे व्यावसायिक सड़कें कचड़ा से भरे रहते हैं। दुकानदार डब्बा या कूड़ेदान में कचड़ा रखते और कूड़ा उठाने वाले को दे देते तो सड़क पर कचड़ा नहीं रहता।



धीरे-धीरे हो रहा सुधार 


फोटो- मुख्य पार्षद मीनू सिंह 

मुख्य पार्षद मीनू सिंह ने कहा कि शहर वासियों को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। हालांकि धीरे-धीरे सुधार हो रहा है और लोग घर का या दुकान का कचरा डस्टबिन में डालने की आदत बनाने लगे हैं। स्थिति में दिन पर दिन सुधार हो रही है। लेकिन जरूरत इस बात की है कि तमाम लोग यह सुनिश्चित करें कि कचरा डस्टबिन में ही डालेंगे। तभी शहर स्वच्छ दिखेगा या रह सकेगा।




अपने सहारे कभी नहीं देखा घर के बाहर की दुनिया

 


फोटो- अपने घर में बैठे दिव्यांग धर्मेंद्र कुमार 

पांच साल से नहीं मिल रहा है ट्राई साइकिल 

मिलता है सिर्फ बस 400 रुपये महीना पेंशन 

मां-बाप के सहारे कट रही पहाड़ सी जिंदगी 



उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : भारतीय समाज बेटा को लाठी के रूप में देखता है। हर पिता अपने पुत्र को बुढ़ापे का सहारा मानकर चलता है, लेकिन दाउदनगर के पुरानी शहर स्थित बालूगंज में मामला उल्टा है। यहां पुत्र ही वृद्ध मां पिता को अपनी जिंदगी का सहारा और लाठी मानता है। लगभग 30 वर्षीय धर्मेंद्र कुमार अविवाहित हैं। वह अस्थि दिव्यांग है। चल नहीं सकते। घर के बाहर की दुनिया उन्होंने नहीं देखी। जब किसी वजह से कोई साइकिल पर बिठाकर घर से बाहर ले गया तो बाहर की दुनिया देखे, अन्यथा घर में ही जिंदगी के 30 बरस कट गए और आने वाले अज्ञात वर्षों का भी समय ऐसे ही कट जाएगा। जब उनसे दैनिक जागरण ने यह सवाल किया कि जीवन यापन कैसे चलता है तो सीधा बोले- मां-बाप के सहारे उनके पिता जगदीश चौधरी और मां सिपतिया देवी सोन दियारा में खेती करते हैं और किसी तरह अपनी आजीविका के साथ अपने युवा पुत्र का भी जीवन यापन करते हैं। उनको प्रत्येक माह सामाजिक सुरक्षा के तहत 400 रुपये पेंशन सरकार देती है। लेकिन इस पेंशन से क्या होगा। इस पैसे को अपने मां-बाप को दे देते हैं और यही पैसा ऐसा है जिसे निकालने के लिए उनको बैंक जाना पड़ता है तो बाहर की दुनिया देख लेते हैं। अन्यथा घर से बाहर निकलना संभव नहीं है और चुकी जन्म से दिव्यांग हैं इसलिए बाहर की दुनिया देखने का बहुत शौक भी नहीं रहा। एक बार उनको ट्राई साइकिल मिला था वह टूटकर बेकार हो गया। बर्बाद हो गया। गत पांच साल पहले की यह घटना है। इसके बाद वे कई बार प्रयास किये लेकिन उनको नहीं मिला। मोहल्ला वासी सीकू राय बताते हैं कि कई बार अपने स्तर से प्रयास किया लेकिन इनको ट्राई साइकिल नहीं दिलाया जा सका।



करना होगा आवेदन : बीडीओ



इस मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी योगेंद्र पासवान ने बताया कि ट्राई साइकिल के लिए आवेदन करना होगा। दो प्रकार के ट्राई साइकिल हैं। एक साधारण हाथ से चलाने वाला और दूसरा बैट्री से संचालित। बैट्री वाले के लिए आन लाइन आवेदन करना होता है। स्वीकृति मिलने पर मिलता है। हाथ ट्राई साइकिल के लिए बीडीओ के पास आवेदन देना है। जिला से उपलब्ध कराए जाने के बाद किसी बुनियाद केंद्र के माध्यम से उपलब्ध कराया जा सकता है।

Friday 24 February 2023

उपेक्षित है पटना और गोरखपुर के सूबेदार शमशेर खां का मकबरा




211 वर्ष पहले पहुंचे थे यहां फ्रांसिस बुकानन 

अब पहुंची है आर्कियोलाजिकल सर्वे के लिए टीम

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) :

शमशेरनगर में है ऐतिहासिक शमशेर खां का मकबरा। यह उपेक्षित है। इसका विकास किए जाने की जरूरत है। गुरुवार को आर्कियोलाजिकल सर्वे करने तीन सदस्यीय टीम यहां पहुंची। टीम का नेतृत्व विशेष राय कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने अपने काम से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी देने पर पाबंदी होने की बात कही और कोई जानकारी नहीं दी। इस मकबरे पर इंग्लैंड में जन्मे चिकित्सक और भारत की यात्रा कर विकास में योगदान देने वाले फ्रांसिस बुकानन 1812 ईसवी में पहुंचे थे और उन्होंने विस्तृत जिक्र किया था। अब जब यहां आर्कियोलाजिकल सर्वे की टीम आई है तो इससे उम्मीद बंधी है कि विकास होगा। शमशेर खान औरंगजेब के शासन काल में अजीमाबाद (पटना) और गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) जैसे बड़े सूबे के सूबेदार रहे थे। इनका पूर्व नाम इब्राहिम था और ये मशहुर कवि अब्दुल रहीम खानखाना की दूसरी पत्नी से उत्पन्न पुत्र थे। रहीम की मृत्यु के बाद इनका परवरिश इनके चाचा दाउद खां कुरैशी ने किया। इनकी मृत्यु के बाद इब्राहिम को पहले मानिकपुर फिर शाहाबाद का फौजदार बनाया गया। अफगान विद्रोह के समय इब्राहिम ने जब अदम्य साहस तथा युद्ध कौशल का परिचय दिया तो बादशाह ने प्रसन्न होकर उसका नया नामकरण किया और इब्राहिम शमशेर खां बन गया। सन् 1707 में औरंगजेब के पुत्र बहादुर शाह मुहम्मद मुअज्जम ने सत्ता संभाली और 27 फरवरी 1712 ई॰ को उसकी भी मृत्यु हो गयी तो दिल्ली सल्तनत में सत्ता का संघर्ष और तीखा एवं तेज हो गया। शमशेर खां ने इस संघर्ष में शहजादा रफीउरशान का पक्ष लेते हुए कर्क युद्ध लड़ा और इसी संघर्ष में अपने बेटे अकील खां के साथ मारे गये। चूंकि शमशेर खां ने अपने जीवन काल में ही शमशेर नगर गांव बसाया था सो इसी कारण उनके शव को यहां सोन नदी के मैदानी किनारे पर दफनाया गया और बाद में मकबरा बनाया गया। इस मकबरें में तीन कब्रें हैं। एक शमशेर खां का, एक सबसे छोटे कब्र के बारे में किवदंति है कि यह उनके वफादार कुत्ते की है, लेकिन तीसरा कब्र किसका है, यह न मिथकों में हैं न किवदंतियों में स्पष्ट है ।




जैसा फ्रांसिस बुकानन ने लिखा है :-

12 फरवरी 1812 को दाउदनगर से 12 मील दूरी तय कर स्काटिश चिकित्सक फ्रांसिस बुकानन पहलेजा पहुंचे थे। उन्होंने लिखा है- बसंत ऋतु की पश्चिमी हवा के किनारे काफी हवा चल रही थी। कस्बे से चार मील दूर मैं शमशेर गंज (शमशेर नगर) पहुंचा । यहां बाजार एवं सराय है। जिसका निर्माण शमशेर खान ने करवाया था। बुकानन आगे लिखते हैं कि- शमशेर खान को गांव के दक्षिण तरफ एक बगीचे में दफनाया गया था। यह बगीचा चारों तरफ से ईट से घेरा गया है। शमशेर खान को स्थानीय लोग जबरदस्त खान के नाम से जानते थे। जिसका मतलब उसके हिंसक होने को दर्शाता है। शमशेर खान की शादी जोबन खान की बहन से हुई थी। फ्रांसिस बुकानन 12 फरवरी को ही अगनुर सराय, अरवल, विक्रमपुर, मनेर होते हुए पटना की ओर प्रस्थान कर गए।




सर्वे से जगी विकास की उम्मीद 

फोटो- दीपक कुमार गुप्ता 

ग्रामीण दीपक कुमार गुप्ता ने बताया कि तीन व्यक्ति की टीम ने सर्वे किया। मकबरा के 500 मीटर की परिधि तक जा जाकर विभिन्न कोणों से मशीन के द्वारा सर्वे किया गया। इस सर्वे से उम्मीद जगी है कि आप यहां विकास का कोई काम होगा। क्योंकि सर्वे होने से यह स्पष्ट हो गया कि भारत सरकार के आर्कियोलाजिकल विभाग की रूचि इसमें जगी है। यदि इसका विकास होता है तो गांव का भी विकास होना तय है।



Wednesday 22 February 2023

वार्ड संख्या तीन में जल निकासी की है सबसे बड़ी समस्या



 लगभग पांच बीघा जमीन हो रही जलजमाव के कारण बर्बाद 


उदनगर (औरंगाबाद) : वार्ड संख्या तीन में सबसे बड़ी समस्या जल निकासी को लेकर है। घरों का पानी या तो घर से निकल नहीं रहा या निकलकर निजी जमीन में जमा हो जा रहा है। इस कारण लगभग पांच बीघा जमीन बर्बाद हो रही है, जो आवासीय श्रेणी की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वार्ड संख्या तीन के विभिन्न घरों का निकला हुआ पानी स्वर्गीय सुधाकर मिश्रा, राजेंद्र मोहन मिश्रा और रेवती रमण उपाध्याय की लगभग पांच बीघा जमीन में जमा हो जाती है। इस भूखंड में वार्ड संख्या तीन के अलावा चार और छह का पानी जमा होता है। दशकों पुरानी यह समस्या है। कई बार लोगों ने नगर परिषद में इस मुद्दे को लेकर शिकायत की लेकिन आश्वासन के अलावा समस्या का समाधान कभी नहीं हुआ। इसके अलावा भी कई समस्याएं हैं। जबकि वार्ड पार्षद तारिक अनवर के अनुसार वार्ड में कोई समस्या है ही नहीं। उपलब्धियों का उन्होंने विवरण गिना दिया।



गंदगी और जलजमाव की समस्या

 फोटो- अनुसूईया देवी 

पूर्व वार्ड पार्षद अनुसूईया देवी बताती हैं कि वार्ड में नली-गली टूट गई है। बर्बाद हो रही है। इसे कोई देखने वाला नहीं है। गंदगी है। जलजमाव की समस्या है। घर का पानी सड़क पर बाहर आ जाता है। बालूगंज में पांच साल में पांच बार भी सफाई कर्मी नहीं गया।


राशन और आवास की सुविधा नहीं फोटो सीकू राय 

सीकू राय का कहना है कि काफी बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिनका राशन कार्ड नहीं बनाया गया। राशन कार्ड परिवार का बना तो उसमें सभी सदस्यों का नाम नहीं है। शहरी आवास योजना का लाभ लोगों को नहीं मिला। हद यह  है कि काफी प्रयास के बावजूद बालूगंज के एक दिव्यांग धर्मेंद्र चौधरी को रिक्शा तक नहीं मिला।



स्कूल में बारात ठहराने की समस्या बालूगंज निवासी विजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि महिलाओं को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है। ना घरों में शौचालय है और ना सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया। शादी विवाह के मौसम में विद्यालय बारात ठहराने के लिए नहीं मिलता। नतीजा लोगों को चोरी-छिपे बारात स्कूल के बरामदे में या कहीं ठहराना पड़ता है। अंबेडकर नगर व बालूगंज इलाके में एक मैरिज हाल की जरूरत है।


कुआं पर कब्जा, नीचे जा रहा है जलस्तर 

फोटो- मोहम्मद इस्माइल 

मोहम्मद इस्माइल ने बताया कि पानी की सबसे बड़ी समस्या है। भूगर्भ जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। नल जल योजना 100 प्रतिशत फेल है। पाइप बीछ गया लेकिन पानी नहीं मिलता। कुओं का वजूद खत्म कर दिया गया है। कई कुओं पर लोगों ने कब्जा कर रखा है। कुओं से अतिक्रमण हटाने की जरूरत है।



विकास का हरसंभव किया गया है काम 

फोटो-तारिक अनवर 

वार्ड पार्षद तारिक अनवर ने बताया कि बिजली और प्रकाश की व्यवस्था की गई। कच्ची सड़कों नालियों को सूचीबद्ध कर उन का निर्माण कराया गया। जो नहीं बने हैं उनका शीघ्र पक्की करण होगा। जरूरतमंदों को प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, जरूरतमंदों को कोविड-19 में राहत, ठंड के मौसम में कंबल, प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना का लाभ दिया गया। हर घर तक नल का जल पहुंचाने का काम किया गया। पानी टंकी का निर्माण किया गया। वाटर एटीएम बनाया गया। आपसी समन्वय बनाए रखने के लिए छोटी-मोटी समस्याओं का समाधान वार्ड स्तर पर किया गया।



अब तक के वार्ड पार्षद 

वर्ष        - वार्ड पार्षद 

2002 -   सावित्री देवी 

2007 - तेमन खातून 

2012 - अनुसूईया देवी 

2018-  तारिक अनवर


प्रमुख मोहल्ले 

डफाली टोला, अंबेडकर नगर, मुंशी टोला, बालूगंज दक्षिणी, किला रोड दक्षिणी


महत्वपूर्ण स्थल : देवी स्थान, बड़ी मस्जिद, अंजान शहीद मजार


Friday 17 February 2023

हर गांव एक शिव मंदिर : कुछ प्राचीन व काफी ऐतिहासिक



महाशिवरात्रि विशेष 

उपेंद्र कश्यप । दाउदनगर (औरंगाबाद)


आज शनिवार को महाशिवरात्रि है। व्रत को लेकर अनुमण्डल के सभी शिवमंदिर सज धज कर श्रद्धालुओं के लिए तैयार हो गए हैं। पंडित आचार्य लाल मोहन शास्त्री ने बताया कि महा शिवरात्रि के अवसर पर प्राचीन वैदिक, पौराणिक, ऐतिहासिक मंदिरों का दर्शन अवश्य करना चाहिए। इन स्वयंभू, आदिवासी, आर्य महा पुरुष द्वारा स्थापित शिव लिंग को दर्शन पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महत्वपूर्ण है कि प्रायः ही कोई गांव ऐसा है जहां शिव मंदिर न हों। सभी मंदिरों को महाशिवरात्रि के लिए तैयार किया गया है। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि अनुमण्डल में प्रतिष्ठित और धार्मिक, ऐतिहासिक रूप से कौन कौन शिव मंदिर काफी खास हैं। 



अनुमण्डल में खास महत्व के शिव मंदिर


च्यवन आश्रम देव कुंड गोह : यह स्थान सत्य युग से प्रसिद्ध है। ऋग्वेद व यजुर्वेद में इसकी चर्चा है। वायु पुराण के अनुसार किकट देश में चार तीर्थ हैं-गया, राजगीर, च्यवनाश्रम और पुनपुना नदी। मगध साम्राज्य होने पर दो तीर्थ और अधिक हो गए देव (औरंगाबाद ) तथा वनावर (गया)। दो महत्व पूर्ण तीर्थ च्वनाश्रम और पुनपुन दाउदनगर अनुमंडल में है। आनंद रामायण के अनुसार भगवान श्री राम जी ने महर्षि च्यवन जी के अनुरोध पर शिव लिंग स्थापित किया। जो महा कालेश्वर का उप ज्योतिर्लिंग है। संगम तंत्र ने इसे दुधेश नाम से वर्णन किया है। वर्तमान में दूधेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यह दक्षिण बिहार में मिनी देवघर के नाम से विख्यात है।


 मंदेश्वर महादेव भृगुरारि गोह : भगवान श्री राम जी ने गया घाम की यात्रा क्रम में पुनपुन और मंदार संगम पर एक शिव लिंग स्थापित किया था। यह विशाल शिव लिंग मंदरेश्व महादेव के नाम से विख्यात है। इसकी चर्चा आनंद रामायण में है।



च्यवनेश्वर महादेव गोष्टिल गोरकटी गोह : ब्रह्म रामायण के अनुसार महर्षि च्यवन जी ने यहां शिव लिंग स्थापित किया था। यह स्थान दक्षिण पथ गामिनी पुनपुन तट पर स्थित है। यह मंदिर गरीब नाथ के नाम से विख्यात है।


भूतनाथ सोन तट काली घाट दाउदनगर : भगवान श्री कृष्ण जी अर्जुन और भीम के साथ मगध साम्राज्य के सीमांत सोन नद के पूर्वी पर आए। उन तीनों ने एक एक शिव लिंग स्थापित किया। सोन के बालू से ढक गया। दाऊद खां के निर्देशन में किला का निर्माण हेतु नींव खोदते समय तीनो लिंग निकला। उसी में से एक शिव लिंग काली घाट सोन तट पर स्थापित किया गया। जो भूत नाथ के नाम से विख्यात है।



 शिव मंदिर देवहरा : इन्दौर की महारानी अहिल्या बाई ने गया घाम विष्णु पद मंदिर जीर्णोद्धार की वास्तु पूजा अर्चना कार्य यात्रा क्रम में पुनपुन तट पर शिव मंदिर निर्माण के बाद शिव लिंग स्थापना किया है। यह मंदिर अभी पुनपुन के एकदम तट पर है।


देव कली ओबरा : कहा जाता है कि मुगल शासन काल में बाबू राम दौर सिंह (जरठिया बाबा) ने रुद्र यज्ञ का आयोजन किया था। उस में एक सौ आठ शिव लिंग की पूजा किया गया। आज यहां अधिक मात्रा में शिव लिंग पाए जाते हैं। भक्तो ने कुछ के मंदिर भी निर्माण किया है।


 संगम ओबरा : आद्री पुनपुन संगम तट पर प्राचीन शिव मंदिर का दर्शन होता है। इसके सम्बन्ध में जानकारी मिलती है कि अठारहवीं शताब्दी में बाबू करण सिंह ने मंदिर का निर्माण करवाया था। आज भक्तो के द्वारा जीर्णोद्धार किया जा रहा है।


गूंगा महादेव कोईलवा हसपुरा : कोइलवां गांव निर्माता आदिवासी इल ने अपने आवास के अग्नि कोण और वायव्य (भंडार) कोण में एक एक शिव लिंग स्थापना किया था। जो आज वृद्ध महादेव और गूंगा महादेव के नाम से मशहूर है। भक्तों ने दोनों जगह मंदिर का निर्माण करवाया है।



 पीरू हसपुरा : संस्कृत गद्य महा काव्य के निर्माता महाकवि वाणभट्ट प्रत्येक दिन देवकुंड में शिव लिंग की पूजा करने जाते थे। वृद्धावस्था होने पर एक शिव लिंग स्थापना किया था। जो आज भी बाण भट्ट संस्कृत विद्यालय के समीप स्थित है।



 हेम नाथ मंदिर सिहाडी : फतेहपुर हसपुरा के इस मंदिर को सिहाडी के पूर्व जमींदार रघुनाथ सहाय के पूर्वज ने जयपुर से बने बनाए पत्थर का मंदिर स्थापित किया है। यह हेम नाथ मंदिर के नाम से मशहूर है। कहते हैं इसमें सीमेंट या चुना-सुर्खी का इस्तेमाल नहीं किया गया है।


हिरण्य वाहक महादेव पचरुखियां हसपूरा : प्राचीन काल में हिरण्य वाहक (सोन नद) की धारा यहां बहती थी। आज इसे बह कहा जाता है। इसके दक्षिण किनारे बाबू करण सिंह ने एक शिव लिंग स्थापित किया था। जो आज हैबस पुर के भक्तों ने जनता के सहयोग से सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया है।

Thursday 16 February 2023

सीढ़ी से चढ़ते थे मंदिर, अब मंदिर में उतरती हैं सीढियां

 

शुक बाजार में है प्राचीन शिव मंदिर 



फोटो- शुक बाजार स्थित शिव मंदिर 

संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : शहर के शुक बाजार में प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। सड़क पर सड़क निर्मित होते रहने के कारण कभी सतह से ऊंचा रहा मंदिर आज जमीन में धंसा हुआ दिखता है। अभी सीढ़ी के जरिए मंदिर में नीचे उतरना पड़ता है, जबकि पहले सीढ़ी से मंदिर पर चढ़ना पड़ता था। विकास की गलत नीति के कारण यह परिवर्तन हुआ दिखता है। इस मंदिर से जुड़ी एक खास परंपरा भी है तसमई की परंपरा। शहर के लगभग बीच में स्थित है यह मंदिर। वार्ड नंबर 12 में मंदिर है। बताया जाता है कि यह काफी प्राचीन है। वास्तव में मंदिर का निर्माण किस काल में हुआ स्पष्ट नहीं है, लेकिन 17 वीं सदी का बसा हुआ यह शहर है इसलिए मंदिर को भी 17 वी सदी के उत्तरार्ध का निर्मित माना जा सकता है।



पूर्वपूर्पू





र्व





पूर्वज रहे हैं पुजारी 


फोटो- धनंजय कुमार मिश्र 

मंदिर के पुजारी धनंजय कुमार मिश्र ने बताया कि उनके दादा सुखदेव मिश्रा भी इस मंदिर के पुजारी रहे हैं और उनके पहले भी इनके पूर्वज इस मंदिर के पुजारी रहे हैं। लगभग 300 साल से अधिक पुराना मंदिर पूर्वज बताते रहे हैं। मालूम हो कि सुखदेव मिश्रा शहर के प्रतिष्ठित पुजारी माने जाते रहे हैं। 



तसमई की खास परंपरा 


फोटो- धीरेंद्र कुमार रत्नाकर

 मंदिर के पड़ोसी धीरेंद्र कुमार रत्नाकर बताते हैं कि वे प्रत्येक महाशिवरात्रि को मंदिर को सजाते हैं। इस बार पूरी तरफ फूल से मंदिर का सजावट कराएंगे और पूर्व की तरह है तसमई का प्रसाद वितरण करेंगे। बताया कि श्रद्धा और भक्ति के कारण तसमई का प्रसाद प्रत्येक वर्ष वितरित करते हैं।

महाशिवरात्रि पर भग के अधिष्ठाता शिव की पूजा करने से मिलेगी युक्ति और मुक्ति

 महाशिवरात्रि विशेष 




फोटो-शुकबाजार स्थित शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग


अर्थ- भ मतलब अभिवृद्धि और ग मतलब प्राप्त होने वाली वस्तु


युक्ति व मुक्ति- ‘आ चांडाल मनुष्याणां भुक्ति मुक्ति प्रदायकम।‘


उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) :


शनिवार को महाशिवरात्रि का व्रत है। महाशिवरात्रि, अर्थात भग के अधिष्ठाता शिव की पूजा का अवसर। शहरी एवं ग्रामीण इलाके में पूजा की तैयारी शुरु हो गई है। भग में स्थापित शिवलिंग, वास्तव में सृष्टि के सृजन का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व विशेष में ऐसी ही शिवलिंग की पूजा की जाती है। समाज भग और शिवलिंग को लेकर जिज्ञासु रहता है। पं. लालमोहन शास्त्री बताते हैं कि भ अभिवृद्धि को तथा ग प्राप्त होने वाली वस्तु को कहते हैं। इसी भग के अधिष्ठाता शिव हैं। मान्यता है कि शिव की उपासना युक्ति और मुक्ति दोनों देता है- ‘आ चांडाल मनुष्याणां भुक्ति मुक्ति प्रदायकम।‘ सहज सुलभ आशुतोष या विशेश्वर महादेव कामना पूर्ण करते हैं। मूर्ति मृदा बिल्व दलेन पूजा, अयत्र साध्यं वदनाब्ज वाध्याम पूलं च य धत मनसो भिलाषी, स्वरुप विश्वेश्वर एवं देव:। अर्थात मिट्टी की प्रतिमा की पूजा बेलपत्र से और बिना परिश्रम गाल बजा देने से वाद्य का काम हो जाता है। इससे भक्तों की सारी अभिलाषा पूर्ण हो जाती है।


 


अभिषेक प्रिय हैं भगवान शिव:- 

भगवान शंकर अभिषेक प्रिय हैं। इसके बिना शिव की उपासना पूर्ण नहीं होती। दक्षिण भारतीय विद्वान तिरुमूलर की मानें तो पत्र से अर्चना करना सबको सुलभ है। पानी, विल्व पत्र, चावल से ही पूजा हो जाती है। इसीलिए इन्हें दरिद्रों के देवता माना जाता है। कहा गया है कि शिव ही समस्त प्राणियों के अंतिम विश्राम स्थल हैं- ‘विश्राम स्थानमेकम’। अनंत पाप तापों से उद्विग्न हो कर विश्राम के लिए प्राणी जहां शयन करे, बस उसी सर्वाधिष्ठान को शिव कहते हैं-‘शेरते प्राणिनो यत्र स शिव।‘


 


सभी संप्रदाय करते हैं शिव पूजा:-


बिहार में सभी सम्प्रदाय सभी देवों के महादेव की पूजा करते हैं। यहां सौर, गाणपत्य, शैव, शाक्त एवं वैष्णव पांच सम्प्रदायों में हिन्दु समाज विभक्त है। ये जिन देवों के उपासक होते हैं, वह अपने इष्टदेव का त्याग कर अन्य देवता की उपासना प्राय: नहीं करते।


 


चतुर्दशी को रजनी उदय, वही है शिवरात्रि:-


 ‘फाल्गुने कृष्ण पक्षस्य या तिथि स्याच्य चतुर्दशी। तस्यां या तमसी रात्रि: सोच्चते शिवरात्रिका।‘ यह श्लोक स्वयं भगवान शिव ने कैलाश पर्वत पर अपनी भार्या पार्वती को सुनाया था। फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को जिस अन्धकारमय रजनी (काली रात) का उदय होता है, उसी को शिवरात्रि कहते हैं। इसी दिन आदिदेव महादेव सूर्य के समान दीप्त सम्पन्न हो शिवलिंग के रुप में आविर्भूत हुए थे।


 


पृथ्वी से प्रकट हुआ था शिवलिंग:-


फोटो-आचार्य लाल मोहन शास्त्री

शिव का प्रथम लिंग शिवरात्रि की महानिशा में पृथ्वी से प्रकट हुआ था। पंडित लाल मोहन शास्त्री बताते हैं कि इसीलिए शिवरात्रि मनाया जाता है। इस रात्रि के चार प्रहर में पूजा अर्चना के भी चार विधान होते हैं। इनके अनुसार प्रथम प्रहर में दूध से द्वितीय प्रहर में दही से, तृतीय प्रहर में घी से, तथा चतुर्थ प्रहर में मधु (शहद) से शिवलिंग को स्नान करा कर पूजा करना चाहिए। 



Wednesday 15 February 2023

जलजमाव की समस्या से परेशान है वार्ड संख्या दो

 



 बालूगंज और तकिया पर जलजमाव की समस्या 

बुढ़वा महादेव तक जाना बड़े वाहनों के लिए मुश्किल

दाउदनगर (औरंगाबाद) : वार्ड संख्या दो पुरानी शहर का एक हिस्सा है। शहर में रहते हुए भी यह ग्रामीण इलाके जैसा लगता है। इस वार्ड की सबसे बड़ी समस्या जलजमाव की है। बालूगंज में सोन जाने वाला रास्ता हो या तकिया से सोन जाने वाला रास्ता, दोनों क्षेत्र में जलजमाव बड़ी समस्या है और खेती किसानी करने वाले लोगों को इस रास्ते जाने की मजबूरी है। जुलाई से सितंबर महीने तक इस रास्ते से यात्रा काफी मुश्किल होती है। किला का दरवाजा बंद हो जाने से बालूगंज स्थित बुढ़वा महादेव मंदिर तक बड़ी गाड़ी का जाना मुश्किल हो गया है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए इमामबाड़ा और माली टोला हो कर जाना पड़ता है और रास्ते भी खराब हैं।



डबरा में पुलिया की जरूरत 



पूर्व वार्ड पार्षद रामअवतार चौधरी ने बताया कि सत्यनारायण चौधरी के डबरा में पुलिया के निर्माण की जरूरत है। बालूगंज के लोग सोन तरी दियारा में खेती करते हैं। डबरा में पानी भर जाता है। डेढ़ सौ फ़ीट की यह यात्रा काफी मुश्किल होती है। महिलाओं को कपड़ा उठाकर जाना पड़ता है। जरूरत है कि यहां एक पुलिया का निर्माण किया जाए। जिसके लिए अपनी जमीन देने को सत्यनारायण चौधरी भी तैयार हो गए थे। इसका प्रस्ताव भी उन्होंने दिया था।




मोहल्ले में नाली ढंकने की जरूरत 


फोटो- अनिल कुमार 

अनिल कुमार बताते हैं कि वार्ड में नालियों को ढंकने की जरूरत है। हर नाली पर ढक्कन होना चाहिए ताकि अच्छा लगे। मच्छरों के प्रकोप से बचा जा सके। हाता मध्य विद्यालय व उर्दू स्कूल के तरफ नाली का ढंका जाना आवश्यक है। नालियों के ढंके जाने के कारण खराब भी लगता है और उसमें गिरने का डर भी बच्चों को रहता है।


500 फीट की यात्रा मुश्किल 


फोटो- पंकज सिंह 

सोन तराई इलाका में खेती करने वाले पंकज सिंह कहते हैं कि तकिया से सोन तटीय इलाका में जाना मुश्किल है। इलाके के लोगों का अधिकतर खेती इस इलाके में है। जहां सब्जी खूब होती है। बरसात में चलने लायक परिस्थिति नहीं रह जाती है। इतना भयानक जल जमाव होता है। जरूरत है कि समस्या का स्थाई समाधान किया जाए।


आवास योजना का नहीं मिल रहा है पैसा

 फोटो-राजू महतो

राजू महतो कहते हैं कि आवास योजना का उनको और उनके पड़ोसियों को भी पैसा नहीं मिला है। किसी को एक क़िस्त तो किसी को दो किस्त ही पैसा मिल सका है। राजू महतो के घर से रामप्रवेश के घर तक नाली नहीं बनाया गया। सड़क ऊंची हो गई। वह भी कच्ची है। यहां जलजमाव रहता है। गंदगी लगी रहती है। जिससे लोगों का आना-जाना मुश्किल होता है।



किया हरसंभव विकास का काम


फोटो-सीमन देवी

वार्ड पार्षद सीमन देवी ने बताया कि उन्होंने हर संभव कार्य किया। दस गली का पक्कीकरण, 100 नया राशन कार्ड, 40 प्रधानमंत्री शहरी आवास, 100 सामाजिक सुरक्षा पेंशन, वाटर एटीएम का निर्माण कराया। और भी कई विकास कार्य कराया है।




अब तक के वार्ड पार्षद 

वर्ष - पार्षद का नाम 

2002 - शांति देवी

2007- राम औतार चौधरी

2012- राम औतार चौधरी

2018- सीमन देवी


प्रमुख मुहल्ला का नाम-पुराना शहर तकिया, कुशवाहा टोली, कायस्थ टोली, शांति भवन मुहल्ला, बालूगंज का हिस्सा, बालू गंज डिल्ला, गौतम बुद्ध नगर





Tuesday 14 February 2023

ड्रग्स माफियाओं का वर्चस्व : 'उड़ता शहर' बन रहा दाउदनगर

 




अरवल, आरा और सासाराम से हो रही चरस- अफीम की आपूर्ति 

हत्या की डर से नेटवर्क की जानकारी नहीं देते युवा

नशे के कारण बर्बाद हो रही है युवा पीढ़ी 

ड्रग्स खरीदने के लिए चलन में है पासवर्ड और कोड वर्ड 

चिन्हित दुकानों पर तय समय पर हो रही आपूर्ति 

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : एक फिल्म आई थी- उड़ता पंजाब। ड्रग्स के शिकंजे में कसे पंजाब की स्थिति को बयां करती है यह फ़िल्म। दाउदनगर भी इसी राह पर जा रहा है, उड़ता दाउदनगर बनने की स्थिति में है। और नई पीढ़ी ड्रग्स की चपेट में आकर बर्बाद हो रही है। काफी लोग इसे शराबबंदी का साइड इफेक्ट बताते हैं। किशोर वय उम्र के लड़के हों या युवा ड्रग्स की लत का शिकार होते जा रहे हैं। शहर में कई ऐसे अड्डे बन गए हैं जहां यह बैठकर ड्रग्स लेते हैं। शहर में कई चिन्हित ऐसे दुकान हैं जहां से ड्रग्स की आपूर्ति हो रही है। सूत्रों के अनुसार अरवल, आरा और सासाराम से ड्रग्स की आपूर्ति हो रही है। खूंखार नेटवर्क विकसित हो गया है। डा. महेंद्र शर्मा बताते हैं कि स्थिति यह है कि नशे की लत के कारण बीमार पड़ रहे बच्चे पूछने पर नेटवर्क के बारे में कोई जानकारी नहीं देते और वे बताते हैं कि यदि वे नाम लेंगे तो उनकी हत्या की जा सकती है। इतना मजबूत नेटवर्क बनता जा रहा है आपूर्तिकर्ताओं का।


कई इलाकों में हो रही बिक्री 

 बुधन बिगहा निवासी गोपाल शरण सिंह कहते हैं कि दाउदनगर गया रोड में, दाउदनगर पटना रोड में उमर चक तक इलाके में ड्रग्स की बिक्री हो रही है। राष्ट्रीय इंटर स्कूल स्टेडियम का मैदान, अंकोढ़ा का शिव मंदिर, पुराना अनुमंडल कार्यालय का सुनसान इलाका, पुरानी शहर का किला, शांति भवन नहर किनारे का सन्नाटा समेत शहर के कई सन्नाटे वाले इलाके ड्रग्स लेने वालों का अड्डा बन गया है।



बिगड़ते नौजवानों को संभालना जरूरी 

भाजपा नेता अश्विनी तिवारी कहते हैं कि बिगड़ते नौजवानों को रोकना संभालना आवश्यक है। पूरी पीढ़ी ड्रग्स की चपेट में जा रही है और बर्बाद हो रही है। ड्रग्स की बिक्री व्यापक पैमाने पर हो रही है। इनका मजबूत नेटवर्क खड़ा हो गया है। प्रशासन चाहे तो बिगड़ते नौजवानों को इस नेटवर्क को ध्वस्त कर बचा सकती है।

Friday 10 February 2023

विस्थापन का दर्द झेल चुके नप को मिलेगा शीघ्र भव्य कार्यालय



138 वर्ष में पहली बार मिला सुंदर व जरूरत के मुताबिक कार्यालय 

1885 का भवन 2002 में हो गया था ध्वस्त

वर्ष 2005 में बना था सामुदायिक भवन वर्ष 2008 में बना अधूरा प्रशासनिक भवन 

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : नगर परिषद अपने स्थापना का 138 वर्ष पूरा कर चुका है। अब उम्मीद की जा रही है कि फरवरी के अंतिम या मार्च के प्रथम सप्ताह में इसे अपना सुंदर भव्य और जरूरत के मुताबिक प्रशासनिक भवन उपलब्ध हो सकेगा, जो बनकर लगभग तैयार है। नगर परिषद कार्यालय को विस्थापन का भी दर्द झेलना पड़ा है। मुख्य पार्षद के प्रतिनिधि कौशलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रशासनिक भवन बन कर लगभग तैयार है। जिसका उद्घाटन फरवरी के अंतिम या मार्च के प्रथम सप्ताह में किए जाने की संभावना है। बताया कि इसका प्राक्कलन राशि 63 लाख रुपये है। जिसमें से 60 लाख रुपये मुख्यमंत्री शहरी निकाय प्रोत्साहन राशि के तहत प्राप्त हुआ था। शेष राशि आंतरिक संसाधन से लगाया गया है। बताया कि लगभग दो लाख रुपये कार्यालय के सौंदर्यीकरण पर खर्च होना है। उन्होंने बताया कि अब तक करीब 45 लाख रुपये लगभग खर्च हो चुका है। फिलहाल नगर परिषद का कार्यालय अधूरा बने प्रशासनिक भवन और सामुदायिक भवन में चल रहा है। वर्ष 1885 में नगर पालिका का गठन हुआ था। तब से वह जिस खपड़े के मकान में चलता था वह 2002 में ध्वस्त हो गया। तब नारायण प्रसाद मुख्य पार्षद थे। वे समूचे कार्यालय को पटवाटोली स्थित दुर्गा क्लब ले गए ले। जहां कार्यालय निशुल्क रहा। इसके लिए नगर परिषद ने दुर्गा क्लब को कोई भुगतान नहीं किया था। बाद में प्रत्येक वार्ड में एक सामुदायिक भवन बनाने की नगर विकास विभाग की योजना आयी। इसी की राशि से नगर परिषद कार्यालय में सामुदायिक भवन का निर्माण किया गया और फिर कार्यालय इसमें शिफ्ट किया गया। तब मुख्य पार्षद सावित्री देवी बन गयी थीं। इसके बाद परमानंद पासवान मुख्य पार्षद 2007 में बने, तो प्रशासनिक भवन के निर्माण का काम किया गया। वर्ष 2008 में बनकर तैयार हुआ। कुल 28 लाख रुपए की राशि से तीन मंजिला भवन बनना था। लेकिन एक मंजिला भवन ही बन सका। जिस पर लगभग 12 लाख रुपये खर्च हुआ था। शेष राशि विभाग को वापस कर दी गयी थी। इस भवन में भी कई प्रकार के नगर परिषद से संबंधित कार्यालय चल रहे हैं।


इतना कुछ बना है नए भवन में

इस भवन में मुख्य पार्षद, उप मुख्य पार्षद, कार्यपालक पदाधिकारी, सिटी मैनेजर, प्रधान सहायक के साथ अन्य कर्मचारियों का निजी कार्यालय उपलब्ध है। इसके अलावा एक बड़ा सभा कक्ष निचले तल पर और ऊपरी तल पर वार्ड पार्षदों के बैठने के लिए सभा कक्ष का निर्माण किया गया है। इस कार्यालय को नगर परिषद के संदर्भ में पर्याप्त बताया जा रहा है।



दिल से बनवाया है कार्यालय 



मुख्य पार्षद मीनू सिंह ने बताया कि प्रशासनिक भवन के निर्माण में किसी तरह की कोई गड़बड़ी न हो यह सुनिश्चित किया गया है। इसे अपने घर से भी ज्यादा लगन और मन से बनाया गया है। इस तरह के सरकारी मकान शायद ही कहीं दूसरा मिले। इसमें लगाए गए सभी सामान ब्रांडेड कंपनियों के हैं। चाहे वह छड़ हो, चाहे टाइल्स, ग्रेनाइट या प्लाईवुड, सनमाइका हो, या बाथरूम शौचालय के नल हो सभी ब्रांडेड कंपनियों के लगाए गए हैं।