Monday 27 February 2023

अपने सहारे कभी नहीं देखा घर के बाहर की दुनिया

 


फोटो- अपने घर में बैठे दिव्यांग धर्मेंद्र कुमार 

पांच साल से नहीं मिल रहा है ट्राई साइकिल 

मिलता है सिर्फ बस 400 रुपये महीना पेंशन 

मां-बाप के सहारे कट रही पहाड़ सी जिंदगी 



उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : भारतीय समाज बेटा को लाठी के रूप में देखता है। हर पिता अपने पुत्र को बुढ़ापे का सहारा मानकर चलता है, लेकिन दाउदनगर के पुरानी शहर स्थित बालूगंज में मामला उल्टा है। यहां पुत्र ही वृद्ध मां पिता को अपनी जिंदगी का सहारा और लाठी मानता है। लगभग 30 वर्षीय धर्मेंद्र कुमार अविवाहित हैं। वह अस्थि दिव्यांग है। चल नहीं सकते। घर के बाहर की दुनिया उन्होंने नहीं देखी। जब किसी वजह से कोई साइकिल पर बिठाकर घर से बाहर ले गया तो बाहर की दुनिया देखे, अन्यथा घर में ही जिंदगी के 30 बरस कट गए और आने वाले अज्ञात वर्षों का भी समय ऐसे ही कट जाएगा। जब उनसे दैनिक जागरण ने यह सवाल किया कि जीवन यापन कैसे चलता है तो सीधा बोले- मां-बाप के सहारे उनके पिता जगदीश चौधरी और मां सिपतिया देवी सोन दियारा में खेती करते हैं और किसी तरह अपनी आजीविका के साथ अपने युवा पुत्र का भी जीवन यापन करते हैं। उनको प्रत्येक माह सामाजिक सुरक्षा के तहत 400 रुपये पेंशन सरकार देती है। लेकिन इस पेंशन से क्या होगा। इस पैसे को अपने मां-बाप को दे देते हैं और यही पैसा ऐसा है जिसे निकालने के लिए उनको बैंक जाना पड़ता है तो बाहर की दुनिया देख लेते हैं। अन्यथा घर से बाहर निकलना संभव नहीं है और चुकी जन्म से दिव्यांग हैं इसलिए बाहर की दुनिया देखने का बहुत शौक भी नहीं रहा। एक बार उनको ट्राई साइकिल मिला था वह टूटकर बेकार हो गया। बर्बाद हो गया। गत पांच साल पहले की यह घटना है। इसके बाद वे कई बार प्रयास किये लेकिन उनको नहीं मिला। मोहल्ला वासी सीकू राय बताते हैं कि कई बार अपने स्तर से प्रयास किया लेकिन इनको ट्राई साइकिल नहीं दिलाया जा सका।



करना होगा आवेदन : बीडीओ



इस मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी योगेंद्र पासवान ने बताया कि ट्राई साइकिल के लिए आवेदन करना होगा। दो प्रकार के ट्राई साइकिल हैं। एक साधारण हाथ से चलाने वाला और दूसरा बैट्री से संचालित। बैट्री वाले के लिए आन लाइन आवेदन करना होता है। स्वीकृति मिलने पर मिलता है। हाथ ट्राई साइकिल के लिए बीडीओ के पास आवेदन देना है। जिला से उपलब्ध कराए जाने के बाद किसी बुनियाद केंद्र के माध्यम से उपलब्ध कराया जा सकता है।

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