Monday 27 February 2023

बिना जनसहयोग के नहीं रह सकता स्वच्छ शहर

  


सीधे डस्टबिन में कचरा ना डाल फेंक देते हैं लोग 

अभी भी डस्टबिन में कचरा डालने की नहीं बन रही आदत 



दाउदनगर नगर परिषद द्वारा शहर में करीब एक सौ स्थानों पर डस्टबिन रखे गए हैं लेकिन कहीं भी कचरा डस्टबिन में कम और उसके बाहर अधिक दिखता है। सवाल यह है कि जब जनता ही सहयोग नहीं करेगी, तो नगर परिषद द्वारा डस्टबिन लगा दिए जाने से शहर कैसे स्वच्छ रह सकेगा। शहर की स्वच्छता के लिए यह आवश्यक है कि जनता भी भरपूर सहयोग करे। प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर पंचायत रहते 2002 में चुनाव हुआ था जिसके बाद 2007 के चुनाव में परमानंद प्रसाद यहां के चेयरमैन बने। इसी बोर्ड के समय शहर में विभिन्न स्थानों पर डस्टबिन रखने की परंपरा शुरू हुई और अब यह नगर परिषद बन गया है। तब से ही शहर में विभिन्न स्थानों पर डस्टबिन रखने की शुरुआत हुई। बताया गया कि अभी लगभग एक सौ स्थानों पर सूखा और गीला कचरा के लिए अलग-अलग डस्टबिन रखे गए हैं। लेकिन आमतौर पर यह दिख रहा है कि लोग आते हैं और कचरे को सड़क की दूसरे सिरे से ही कूड़ेदान में फेंक देते हैं। नतीजा यह होता है कि जितना कचड़ा डस्टबिन में जाता है उससे अधिक बाहर बिखर जाता है। एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद शहर का सामूहिक संस्कार अभी इस तरह नहीं हुआ है कि तमाम लोग सभी कचरा को डस्टबिन में ही डालें। नतीजा बजाजा रोड हो, चावल बाजार हो, हमदर्द दवाखाना मैदान का इलाका हो या अन्य स्थान, आप डस्टबिन के बाहर डस्टबिन से अधिक कचरा देखेंगे जबकि डस्टबिन खाली दिखता है।



अपना दायित्व निर्वहन करना जरूरी


फोटो-संतोष केशरी

संतोष केशरी ने कहा कि जन भागीदारी के बिना स्वच्छता अभियान सफल नहीं हो सकता है। हमारा कर्तव्य बनता है कि अपने दायित्व का निर्वहन करें। नगर परिषद और सरकार अब अपना काम कर रहे हैं। कूड़ादान में ही कचरा डालना चाहिए। कूड़ेदान में कचरा फेंकने से ही स्वच्छ रह सकता है शहर।



कूड़ेदान में कचरा डाले बिना आलोचना अनैतिक


फोटो-सीताराम आर्य

सीताराम आर्य ने कहा कि लोगों को अपनी जिम्मेदारी खुद निभानी चाहिए। जब हम कचरा को डस्टबिन में डालेंगे नहीं तो शहर कैसे साफ रहेगा और फिर शहर गंदा है यह कहकर नगर परिषद की आलोचना करना नैतिक कैसे होगा। नगर परिषद पर शहर को स्वच्छ रखने का दबाव बनाना उचित है लेकिन खुद भी कचरा कूड़ेदान में डालने की आदत बनानी होगी।



दुकानदारों में सजगता है जरूरी


फ़ोटो-अवधेश पांडेय

अवधेश पांडेय ने कहा कि दुकानदारों का कचड़ा सबसे बड़ी समस्या है। वे रात्रि में या अहले सुबह जब दुकान खोलते हैं तो कचड़ा दुकान के बाहर सड़क पर फेंक देते हैं। प्लास्टिक, कागज जैसे कचड़ा सड़क पर फेंक देते हैं। बजाजा रोड जैसे व्यावसायिक सड़कें कचड़ा से भरे रहते हैं। दुकानदार डब्बा या कूड़ेदान में कचड़ा रखते और कूड़ा उठाने वाले को दे देते तो सड़क पर कचड़ा नहीं रहता।



धीरे-धीरे हो रहा सुधार 


फोटो- मुख्य पार्षद मीनू सिंह 

मुख्य पार्षद मीनू सिंह ने कहा कि शहर वासियों को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। हालांकि धीरे-धीरे सुधार हो रहा है और लोग घर का या दुकान का कचरा डस्टबिन में डालने की आदत बनाने लगे हैं। स्थिति में दिन पर दिन सुधार हो रही है। लेकिन जरूरत इस बात की है कि तमाम लोग यह सुनिश्चित करें कि कचरा डस्टबिन में ही डालेंगे। तभी शहर स्वच्छ दिखेगा या रह सकेगा।




No comments:

Post a Comment