Friday 24 February 2023

उपेक्षित है पटना और गोरखपुर के सूबेदार शमशेर खां का मकबरा




211 वर्ष पहले पहुंचे थे यहां फ्रांसिस बुकानन 

अब पहुंची है आर्कियोलाजिकल सर्वे के लिए टीम

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) :

शमशेरनगर में है ऐतिहासिक शमशेर खां का मकबरा। यह उपेक्षित है। इसका विकास किए जाने की जरूरत है। गुरुवार को आर्कियोलाजिकल सर्वे करने तीन सदस्यीय टीम यहां पहुंची। टीम का नेतृत्व विशेष राय कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने अपने काम से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी देने पर पाबंदी होने की बात कही और कोई जानकारी नहीं दी। इस मकबरे पर इंग्लैंड में जन्मे चिकित्सक और भारत की यात्रा कर विकास में योगदान देने वाले फ्रांसिस बुकानन 1812 ईसवी में पहुंचे थे और उन्होंने विस्तृत जिक्र किया था। अब जब यहां आर्कियोलाजिकल सर्वे की टीम आई है तो इससे उम्मीद बंधी है कि विकास होगा। शमशेर खान औरंगजेब के शासन काल में अजीमाबाद (पटना) और गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) जैसे बड़े सूबे के सूबेदार रहे थे। इनका पूर्व नाम इब्राहिम था और ये मशहुर कवि अब्दुल रहीम खानखाना की दूसरी पत्नी से उत्पन्न पुत्र थे। रहीम की मृत्यु के बाद इनका परवरिश इनके चाचा दाउद खां कुरैशी ने किया। इनकी मृत्यु के बाद इब्राहिम को पहले मानिकपुर फिर शाहाबाद का फौजदार बनाया गया। अफगान विद्रोह के समय इब्राहिम ने जब अदम्य साहस तथा युद्ध कौशल का परिचय दिया तो बादशाह ने प्रसन्न होकर उसका नया नामकरण किया और इब्राहिम शमशेर खां बन गया। सन् 1707 में औरंगजेब के पुत्र बहादुर शाह मुहम्मद मुअज्जम ने सत्ता संभाली और 27 फरवरी 1712 ई॰ को उसकी भी मृत्यु हो गयी तो दिल्ली सल्तनत में सत्ता का संघर्ष और तीखा एवं तेज हो गया। शमशेर खां ने इस संघर्ष में शहजादा रफीउरशान का पक्ष लेते हुए कर्क युद्ध लड़ा और इसी संघर्ष में अपने बेटे अकील खां के साथ मारे गये। चूंकि शमशेर खां ने अपने जीवन काल में ही शमशेर नगर गांव बसाया था सो इसी कारण उनके शव को यहां सोन नदी के मैदानी किनारे पर दफनाया गया और बाद में मकबरा बनाया गया। इस मकबरें में तीन कब्रें हैं। एक शमशेर खां का, एक सबसे छोटे कब्र के बारे में किवदंति है कि यह उनके वफादार कुत्ते की है, लेकिन तीसरा कब्र किसका है, यह न मिथकों में हैं न किवदंतियों में स्पष्ट है ।




जैसा फ्रांसिस बुकानन ने लिखा है :-

12 फरवरी 1812 को दाउदनगर से 12 मील दूरी तय कर स्काटिश चिकित्सक फ्रांसिस बुकानन पहलेजा पहुंचे थे। उन्होंने लिखा है- बसंत ऋतु की पश्चिमी हवा के किनारे काफी हवा चल रही थी। कस्बे से चार मील दूर मैं शमशेर गंज (शमशेर नगर) पहुंचा । यहां बाजार एवं सराय है। जिसका निर्माण शमशेर खान ने करवाया था। बुकानन आगे लिखते हैं कि- शमशेर खान को गांव के दक्षिण तरफ एक बगीचे में दफनाया गया था। यह बगीचा चारों तरफ से ईट से घेरा गया है। शमशेर खान को स्थानीय लोग जबरदस्त खान के नाम से जानते थे। जिसका मतलब उसके हिंसक होने को दर्शाता है। शमशेर खान की शादी जोबन खान की बहन से हुई थी। फ्रांसिस बुकानन 12 फरवरी को ही अगनुर सराय, अरवल, विक्रमपुर, मनेर होते हुए पटना की ओर प्रस्थान कर गए।




सर्वे से जगी विकास की उम्मीद 

फोटो- दीपक कुमार गुप्ता 

ग्रामीण दीपक कुमार गुप्ता ने बताया कि तीन व्यक्ति की टीम ने सर्वे किया। मकबरा के 500 मीटर की परिधि तक जा जाकर विभिन्न कोणों से मशीन के द्वारा सर्वे किया गया। इस सर्वे से उम्मीद जगी है कि आप यहां विकास का कोई काम होगा। क्योंकि सर्वे होने से यह स्पष्ट हो गया कि भारत सरकार के आर्कियोलाजिकल विभाग की रूचि इसमें जगी है। यदि इसका विकास होता है तो गांव का भी विकास होना तय है।



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