Thursday 9 February 2023

नगर बने हुआ 138 वर्ष, चट्टी से शहर बन रहा दाउदनगर

 


कस्बाई शहर में युवा पीढ़ी ला रही बड़े बदलाव 

व्यवसायिक प्रतिष्ठान हो रहे भव्य और आकर्षक 

10 फरवरी 1885 को अधिसूचित हुआ था नगरपालिका


उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : आज 138 वर्ष हो गए, दाउदनगर को नगर के रूप में अधिसूचित हुए। 10 फरवरी 1885 को दाउदनगर नगरपालिका के रूप में अधिसूचित हुआ था। इससे पहले यह चट्टी के रूप में मशहूर था शाहाबाद और मगध के इलाके में। इसकी ख्याति एक चट्टी के रूप में थी। कहावत यह प्रचलित रहा है कि शहर में सासाराम और चट्टी में दाउदनगर। धीरे-धीरे यह कस्बाई शहर बना और अब एक शहर का रूप लेता जा रहा है। इसमें युवाओं का बड़ा योगदान है। आज की युवा पीढ़ी जब अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को खोल रही है तो उसका लुक बड़े शहरों जैसा आधुनिक, आकर्षक और भव्य दे रहा है। कई माल, शोरूम या दुकान इसकी बानगी भर हैं। युवाओं की सोच भी महानगरीय हो रही है और यही कारण है कि शहर का लुक बदलता जा रहा है। लेकिन 138 साल की इस यात्रा के बाद शहर जहां ठहरा हुआ महसूस होता है वहां से आगे की यात्रा भी काफी लंबी है। जब यह नगरपालिका अधिसूचित हुआ था तब नगरपालिका तीसरे दर्जे का शहर माना जाता था। अब यह नगर परिषद है यानी दूसरी श्रेणी का शहर। वर्तमान में नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत की तीन श्रेणी बिहार में है। दूसरी श्रेणी का शहर दाउदनगर पहली श्रेणी की तरफ बढ़ने की यात्रा तो शुरू किया है लेकिन यात्रा कब पूरी होगी कहा नहीं जा सकता।


बदलाव के हैं कई आयाम

 


फोटो- डा. प्रकाश चंद्र 

डा. प्रकाश चंद्र ने कहा कि दुकानों के सामने झुग्गी झोपड़ी, पतीले और कर्कट अब नहीं रहते। शहर ने शहरीकरण का कापी तेजी से किया है और शुरुआत बड़े उद्यमियों के द्वारा हुई। खासकर वैसे व्यवसायियों द्वारा जो पारंपरिक रूप से व्यवसाय में नहीं थे। बड़े आउटलेट खुले। बड़े ब्रांड के आने से फैशन के पुराने तौर-तरीकों में काफी बदलाव आया। रेजिडेंशियल होटल खुले। खाने-पीने के होटलों का लुक भी बदला। शहरीकरण और व्यवसाय का विस्तार हुआ। बड़े-बड़े मोटर वाहनों के शो रूम की शाखा खुले। शिक्षा का हब बना। जिससे बाहर के काफी लोग बच्चों को पढ़ाने के लिए रहने लगे। प्रशासनिक अधिकारियों का भी योगदान है। जिन्होंने जनप्रतिनिधियों के अधूरे कामों को पूरा किया। नगर परिषद में बदलाव लाया। करोड़ों रुपए की मशीन साफ सफाई के लिए खरीदी गई। लेकिन आवश्यकता यह है कि नगर परिषद अपने संसाधनों का शहर को खूबसूरत और साफ बनाए रखने के लिए अधिकतम उपयोग करे।



मोबाइल ने बदल दी जीवनशैली 


फोटो- चंदन गुप्ता 

मोबाइल दुकान के संचालक चंदन गुप्ता कहते हैं कि मोबाइल आने के बाद लोगों की जीवनशैली बदल गई। जो युवा शहर से बाहर नहीं जा पाते वह भी मोबाइल से दुनिया को देख रहे हैं और उसके हिसाब से बदल रही है उनकी सोच। उनकी प्रवृतियां बदल रही हैं। जिस कारण शहर का लुक बदल रहा है और व्यवसाय में सकारात्मक सोच विकसित हो रही है।




सहजता को अपना रही नई पीढ़ी


फोटो-मुकेश मिश्रा

मुकेश मिश्रा कहते हैं कि नई पीढ़ी हर कार्य में सहजता को अपना रही है। आज के समय में लोगों के पास समय की सबसे ज्यादा दिक्कत है और नई तकनीक अभी तेजी से आ रही है। अब हाथ से बनाया हुआ सामान से ज्यादा आकर्षण आधुनिक मशीनों से बने समान में है। इसलिए युवा पीढ़ी समय बर्बाद ना करते हुए आसानी से सामान खरीदने का काम कर रही है। जिससे बाजार की प्रवृति बदली है।



सोशल मीडिया व वैश्वीकरण का लाभ


फोटो-निशांत राज

बाटा शो रूम के निशांत राज कहते हैं कि सोशल मीडिया से आई जागरूकता और वैश्विकरण के दौर से प्रेरित होकर अधिकतर लोग आधुनिकता और फैशन को स्वीकार कर रहे हैं। इस कारण कई बड़े ब्रांड भी अब छोटे शहरों या कस्बों तक अपना विस्तार करने लगे हैं। फलस्वरूप बड़ी बड़ी कम्पनियों के शोरूम जो जिलास्तर से कम के शहरों में नजर नहीं आते थे अब कस्बाई इलाकों में भी दिखने लगे हैं।

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