Monday 6 February 2023

20000 लोगों को दिया निशुल्क एक्युप्रेशर इलाज, नहीं मिला सरकार से कोई लाभ

 


 फोटो-इलाज करते एक्यूप्रेशर चिकित्सक डा. विकास मिश्रा

 सड़क दुर्घटना के बाद चली गयी आंख की रोशनी 

प्रतिदिन सशुल्क से अधिक निशुल्क मरीज कराते हैं इलाज

न आवास मिला नया उज्ज्वला गैस कनेक्शन

 उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : वर्ष 2000 में हुई एक सड़क दुर्घटना ने  डा. विकास कुमार मिश्रा की जिंदगी में उथल-पुथल मचा दिया। 2004 में शादी हुई और इसके बाद धीरे-धीरे उनकी आंख की रोशनी जाती रही। बहुत बाद में चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि सड़क दुर्घटना में चोट लगने के कारण नस सूख गया और ग्लूकोमा हो गया जिस कारण वह जीवन भर देख नहीं सकते। अभी उनकी उम्र 40 वर्ष बतायी जाती है। पत्नी वैष्णवी मिश्रा के अलावा एक संतान आकाश मिश्रा है। जिसकी उम्र 16 वर्ष बताई जाती है। तमाम प्रयासों के बावजूद उनको कोई सरकारी मदद नहीं मिली। सिवाय इसके कि उनको दिव्यांगता पेंशन मिलता है। लेकिन न आवास मिला ना उज्जवला गैस का कनेक्शन मिला। इसके लिए प्रयास कर थक गए। दूसरी तरफ स्थिति यह है कि वह एक्यूप्रेशर से इलाज करते हैं। लेकिन 10 मरीज में छह मरीज बिना पैसा दिए चले जाते हैं। जो चार मरीज से उन्हें पैसा मिलता है उसी से जीवन गुजर-बसर करते हैं। मरीज इलाज के बावजूद पैसा क्यों नहीं देते, इस प्रश्न पर श्री मिश्रा ने बताया कि खुद उनके पास पैसा नहीं होता। धन के अभाव में मरीज उन्हें पैसा नहीं देते। बताया कि वर्ष 2011 में जब स्वास्थ्य चेतना यात्रा निकली थी तब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे के मौखिक आदेश पर उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में निशुल्क चिकित्सा सुविधा देना शुरू किया था। प्रत्येक सप्ताह दो दिन सेवा देते थे और किसी दिन 100 से कम मरीज नहीं देखते थे। इस प्रकार नौ साल में लगभग 20000 मरीजों की निशुल्क सेवा कर चुके हैं। इसके बावजूद उनको सरकार की तरफ से कोई लाभ नहीं मिलता। सड़क दुर्घटना के बाद जब उनकी आंख की रोशनी जाने लगी तो जीवन यापन के लिए एक्यूप्रेशर का काम सीखा। रांची से पढ़ाई की और फिर पटना स्थित बिहार एक्यूप्रेशर योग कालेज से शिक्षा ग्रहण की। दाउदनगर शहर में एक्यूप्रेशर चिकित्सक के रूप में उनकी प्रतिष्ठा है लेकिन जीवन गुजर-बसर करने के लिए सिर्फ प्रतिष्ठा नहीं बल्कि धन की जरूरत पड़ती है, यह अति आवश्यक है।


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