Monday 30 October 2023

एक अनोखा मध्य विद्यालय जिसमें कक्षा एक से तीन तक नहीं होती पढ़ाई

 


कक्षा चार में एक और कक्षा पांच में मात्र पांच नामांकन 

वर्ष 1969 में खुला था राजकीय मध्य विद्यालय अमोना

प्रारंभ से ही हो रही चौथी कक्षा से पढ़ाई 

ऐसी स्थिति की वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)  प्रखंड में एक अनूठा विद्यालय है राजकीय मध्य विद्यालय अमोना। वर्ष 1969 में इस विद्यालय की स्थापना हुई थी लेकिन तब से ही कक्षा एक से तीन तक पढ़ाई नहीं कराई जाती। कक्षा चार से आठ तक की पढ़ाई यहां होती है। उसमें भी कक्षा चार में एक नामांकन है जबकि कक्षा पांच में दो छात्रा और तीन छात्र नामांकित हैं। प्रधानाध्यापक विजेंद्र सिंह ने बताया कि दिसंबर 2016 में जब वे इस विद्यालय में पदस्थापित होकर आए तो उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ। उन्होंने रिकार्ड खंगलवाया तो पता चला कि विद्यालय की स्थापना के समय से ही कक्षा चार से ही पढ़ाई हो रही है। विद्यालय के शिक्षकों और इनके अनुसार दर असल इस मध्य विद्यालय से लगभग पांच सौ मीटर की दूरी पर ही प्राथमिक विद्यालय अमोना है। जहां कक्षा एक से तीन तक पढ़ाई होती थी। इसलिए जब 1969 में यह विद्यालय खुला तो यहां कक्षा एक से तीन तक छोड़कर कक्षा चार से आठवीं तक की पढ़ाई प्रारंभ की गई। बाद के कार्यकाल में प्राथमिक विद्यालय उत्क्रमित हुआ और कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई वहां होने लगी। लेकिन मध्य विद्यालय में कोई बदलाव नहीं आया और यहां कक्षा एक से तीन तक की पढ़ाई अब भी नहीं होती। बताया गया की कक्षा चार और पांच में नामांकन ना होने की मूल वजह गांव में ही दूसरा प्राथमिक विद्यालय होना है। अब वहां एक से तीन तक में जो बच्चे नामांकित होंगे स्वाभाविक रूप से कक्षा पांच तक मध्य विद्यालय में पढ़ने के लिए नामांकन नहीं कराने आएंगे। इसलिए मध्य विद्यालय के कक्षा चार और पांच में नामांकन इक्का दुक्का होता है।



कमरा कम इसलिए एक साथ पढ़ाई

विद्यालय के प्रधानाध्यापक विजेंद्र सिंह ने बताया कि क्योंकि उनके पास कक्षा संचालन के लिए मात्र चार कमरा ही उपलब्ध है इसलिए कक्षा चार और पांच के सभी छह विद्यार्थियों को एक ही कमरे में बिठाकर पढ़ाया जाता है। इसके अतिरिक्त तीन कमरों का इस्तेमाल कक्षा छह, सात एवं आठ के बच्चों को पढ़ाई के लिए होती है। बताया कि जब भी बच्चे आते हैं उनको पढ़ाया जाता है। वैसे यहां कुल 10 शिक्षक हैं। अंग्रेजी व हिंदी के शिक्षक नहीं हैं।




यह बच्चे हैं नामांकित 

कक्षा चार में सन्नू कुमार, कक्षा पांच में गुड्डू आलम, सनी कुमार व मुस्तफा आलम, जबकि छात्रा में चंचल कुमारी और रूपा कुमारी का नामांकन है।



अगले सत्र से हो सकती है पढ़ाई


इस मध्य विद्यालय में कुल नामांकन 126 है। प्राधानाध्यापक कक्षा चार व पांच की पढ़ाई खत्म नहीं कर सकते। न ही अपने मन से कक्षा एक से तीन तक में नामांकन ले सकते हैं। प्रधानाध्यापक बिजेंद्र सिंह ने बताया कि अगले सत्र से कक्षा एक, दो व तीन में नामांकन के लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखेंगे। यदि विभाग से स्वीकृति प्राप्त होती है तो अगले सत्र से कक्षा एक, दो व तीन में पढ़ाई प्रारंभ हो सकती है।



चंद रुपयों के चलते शहर को खतरे में डाल रहे चिकित्सा व दवा व्यवसायी

 


नहर के किनारे बड़ी मात्रा में फेंकी गयी दवाइयां और यूरिन बैग

जल और वायु हो रहा प्रदूषित, खतरे में लोगों की जिंदगी 

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) :

चिकित्सा और दवा व्यवसाय से जुड़े लोग चंद्र रुपये की बचत के लिए शहर के लोगों के जीवन को खतरा में डाल रहे हैं। खुलेआम अपराध कर रहे हैं और इन पर लगाम लगाने में प्रशासन असफल हो रहा है। मौला बाग से चौरम जाने वाले नहर मार्ग में साइफन के पास दोनों तरफ बड़ी मात्रा में मेडिकल कचरा फेंका गया है। दवा विशेषज्ञों के अनुसार होम्योपैथिक दवाइयां बड़ी मात्रा में फेंकी गई है। इसके साथ ही अस्पताल में इस्तेमाल होने वाला यूरिन बैग, सलाइन सेट, ट्यूनिकेट, सफेद रंग की बड़ी मात्रा में टैबलेट, काटन फेंका गया है। इससे नहर और नहर के बगल के गड्ढों में जिसमें सिंघाड़ा (पानी फल) की खेती होती है उसके प्रदूषित होने के साथ-साथ हवा भी उसे इलाके की प्रदूषित हो रही है। इससे वहां की आबादी के जीवन को खतरा है। प्रविधान के मुताबिक यह बायो मेडिकल वेस्ट है, जिसका निस्तारण सही तरीके से नहीं किया गया और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि दाउदनगर में कभी भी बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर ना तो जागरूकता अभियान स्वास्थ्य महकमा चलाता है और ना कभी छापेमारी की गई। स्वाभाविक है ऐसी स्थिति में कभी कार्रवाई भी नहीं की गई है। नतीजा दवा दुकानदार हो या अस्पताल या झोलाछाप डाक्टर सभी पूरी तरह से लापरवाह हैं। और जब भी, जहां भी, मन करता है मेडिकल कचरा को फेंक देते हैं। बिना यह सोचे कि आबादी के लिए ऐसा करना कितना घातक हो सकता है।



यह अपराध, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता


अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डा. राजेश कुमार सिंह ने बताया कि यह दवाइयां सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति नहीं की जाती है। यह होम्योपैथी की दवाइयां है। बायो मेडिकल वेस्ट है, जिसका निस्तारण सही तरीके से नहीं किया गया। वातावरण इससे प्रदूषित होगा। यह जघन्य अपराध है और ऐसे अपराध करने वालों को चिन्हित कर तुरंत सख्त कार्रवाई की जरूरत है। इसके लिए अनुमंडल प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा को टीम गठित कर अस्पतालों में छापेमारी कराई जानी चाहिए।



मनुष्य, पशु, वनस्पति को क्षति 


होम्योपैथिक चिकित्सक डाक्टर मनोज कुमार ने बताया किया के आर इंडो जर्मन होम्योपैथिक दवा बनाने वाली कंपनी है और इसी की खाली शीशियां फेंकी गई हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इन शीशियों में विभिन्न प्रकार की दवाइयां भर कर विभिन्न नाम से आती हैं। होम्योपैथिक दवा डायनेमिक पावर की होती हैं। इसके अंश से पशु, मनुष्य और वनस्पति तीनों को क्षति हो सकती है। ढक्कन खुला है इसके गन्ध से ही पर्यावरण प्रदूषित होगा और यह जीव मात्र के अंदर सांस के माध्यम से प्रवेश कर जाएगा। पशु यदि इससे छूता है या अपने पैर से इसे खुरचता है तब भी उसे नुकसान होगा।




कानूनी कार्रवाई और जुर्माना का प्रविधान

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय ने बताया कि ऐसे काम करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और जुर्माना लगाने का प्रविधान है। किसी भी परिस्थिति में दवा दुकानदार हो या अस्पताल के संचालक उनको इस तरह मेडिकल कचरा को खुलेआम नहीं फेंकना चाहिए। यह मानवता के विरुद्ध अपराध है।



इन बीमारियों से जुड़ी है यह दवाइयां 

नहर के किनारे होम्योपैथिक की दवाइयों की जो शीशी फेंकी गई है उनमें विभिन्न प्रकार की बीमारियों को ठीक करने वाली दवाईयां भरी होती हैं। होम्योपैथिक चिकित्सक डाक्टर मनोज कुमार के अनुसार इन शीशियों में गर्भपात, डायरिया, लू लगने, दर्द, सर्दी से संबंधित दवाइयां दिख रही हैं।


Wednesday 18 October 2023

बच्चों की लड़ाई को सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश असफल



आधी रात में एसडीओ और एसडीपीओ ने की गुलाम सेठ चौक पर बैठक 

रात से ही घटनास्थल पर तैनात है महिला-पुरुष पुलिस बल 

पत्थरबाजी के बाद बढ़ा सांप्रदायिक तनाव संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : पुराना शहर का गुलाम सेठ चौक का क्षेत्र मंगलवार की रात अचानक सांप्रदायिक तनाव का शिकार हो गया। दो बच्चों की आपसी लड़ाई सामूहिक लड़ाई में बदल गई और इसे सांप्रदायिक रूप देने की कुछ लोगों ने कोशिश की जिसे समय रहते प्रशासन ने असफल कर दिया। आधी रात को एसडीओ मनोज कुमार, एसडीपीओ कुमार ऋषि राज ने दोनों पक्षों के लोगों के साथ बैठक की और मामले को समाप्त किया। संवाद प्रेषण तक घटनास्थल पर रात से ही पुलिस बल तैनात है। प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग आठ बजे गुलाम सेठ चौक पर वार्ड संख्या चार निवासी 16 वर्ष का नाबालिग राहुल कुमार खड़ा था। इसी बीच वार्ड संख्या छह के निवासी लगभग 22 वर्ष का चुन्नू अंसारी उसे दांत काट लिया। कुछ लोग उसे खदेड़ने लगे। जब वह भागने लगा तो सोनू कुमार को धक्का लग गया। वह घर में घुस गया। बाद में दोनों का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज हुआ। सोनू के चार दांत टूट गए बताया जाता है। इसके बाद छत से उसने पत्थरबाजी की। इसके पक्ष से कुछ और लोग पत्थरबाजी शुरू कर दिए। नतीजा दूसरे पक्ष की तरफ से भी पत्थरबाजी शुरू हो गई। थोड़ी देर के लिए इलाका काफी तनावपूर्ण और रण क्षेत्र में बदल गया। लोगों ने पुलिस को सूचना दी तो सबसे पहले घटनास्थल पर एसआई ललन प्रसाद सिंह पहुंचे। उसके बाद थाना अध्यक्ष अंजनी कुमार, एसआई नरेंद्र कुमार एवं रामायण शर्मा पहुंच गए। रात्रि लगभग 10:00 बजे एसडीओ और एसडीपीओ दोनों पहुंचे। दोनों रात 12 बजे के बाद तक गुलाम सेठ चौक पर बैठे रहे। दोनों पक्षों को बुलाकर वार्ता की गयी। दोनों पक्षों को चेतावनी दी गई। समझाया गया कि अपने बच्चों को संभाल कर रखें और किसी भी परिस्थिति में विधि व्यवस्था खराब नहीं होनी चाहिए। दोनों पक्षों के कुछ युवा और उनके अभिभावकों को चेतावनी दी गई। थाना अध्यक्ष अंजनी कुमार ने बताया कि निरोधात्मक कार्रवाई दोनों पक्षों के विरुद्ध की गई है। घटनास्थल पर टी ओ पी (टाउन आउट पोस्ट) प्रभारी नवल किशोर मंडल के नेतृत्व में पुलिस बल तैनात है। महिला पुलिस बल भी यहां तैनात किया गया है। अपर थाना अध्यक्ष सुनील कुमार ने बताया कि उन्होंने बुधवार को पूर्वाहन में घटनास्थल का निरीक्षण किया था। स्थिति सामान्य है।



छत से ईंट पत्थर का टुकड़ा हटाने का निर्देश 

आधी रात को जब बैठक हुई तो पदाधिकारियों ने लोगों को साफ कहा कि वह अपने बच्चों को समझाएं और 24 घंटे के अंदर जिनके छत पर भी बिना मतलब का ईंट पत्थर का टुकड़ा रखा हुआ है उसे हटा लें। अन्यथा जब पुलिस छापामारी करेगी तो ईंट पत्थर के टुकड़े पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बैठक में वार्ड पार्षद चिंटू मिश्रा, शबा कादरी, कृष्णा मेहता, गोपाल प्रसाद, सोनू खान, छोटू खान, मोहम्मद कुदुस, साधु चौधरी, छोटू मेहता, गोपाल प्रसाद एवं अन्य उपस्थित रहे। कहा गया कि यदि बच्चों की नहीं समझ पाए और वह बदमाशी करेंगे तो करवाई बच्चों के साथ अभिभावकों के खिलाफ भी की जाएगी।



शांति पसंद, प्राथमिकी नहीं 

थाना अध्यक्ष अंजनी कुमार ने बताया कि विवाद की वजह बने दोनों पक्षों में से किसी ने आवेदन प्राथमिकी के लिए नहीं दिया है। लोगों का कहना है कि हमें एक ही स्थान पर रहना है। हम विवाद नहीं चाहते। बच्चों की गलती से जो होना था हो गया। इस कारण इस मामले को लेकर कोई प्राथमिकी नहीं की गई है। सिर्फ निरोधात्मक कार्रवाई की गई है।



सांप्रदायिक मामला नहीं : एसडीओ 

एसडीओ मनोज कुमार ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि यह साम्प्रदायिक मामला नहीं बल्कि बच्चों की लड़ाई भर है। अभिभावकों को बच्चों को समझने को स्पष्ट कहा गया है। निरोधात्मक कार्रवाई कुछ लोगों के खिलाफ की जा रही है। शांति व्यवस्था बनाए रखने का हर प्रयास किया गया। लोगों ने इसमें सहयोग दिया। 




पुलिस का मोबाइल सबसे बड़ा हथियार 

मोबाइल चालू करते तुरन्त छंट जाती है भीड़



दाउदनगर (औरंगाबाद) :

पुलिस के हाथ में राइफल से अधिक मजबूत और प्रभावी हथियार अब मोबाइल बन गया है। घटनास्थलों पर आम तौर पर पुलिस पहले मोबाइल निकलती है और वीडियो बनाना शुरु करती है और यह भी कहती रहती है कि सबका चेहरा मोबाइल में कैद हो रहा है। इसका असर यह होता है कि आम लोग, या जो घटना में अपने लाभ हानि को देखकर प्रतिक्रिया करने या कराने के लिए या फिर पूरे मुद्दे को भड़काने के प्रयास के लिए भीड़ में शामिल होते हैं, मुंह घूमाकर वापस लौट जाते हैं और इससे पुलिस को घटनास्थल पर तनाव को नियंत्रित करने या उपद्रव को शांत करने में बड़ी कामयाबी मिलती है। मंगलवार की रात जब गुलाम सेठ चौक पर स्थिति तनावपूर्ण थी तो यहां सबसे पहले पहुंचे सब इंस्पेक्टर ललन प्रसाद सिंह ने भी ऐसा ही किया। यह घटना स्थल पर पहुंचे और मोबाइल निकाल कर वीडियो बनाने लगे। नतीजा भीड़ वापस लौटती हुई दिखी।


घटना तिथि:- 17.10.23

Sunday 8 October 2023

जितिया : एक निर्णय से बदल गई परंपरा से चली आ रही दुर्गंध की स्थिति



इमली तल पुरुष करते हैं जीमूतवाहन भगवान का दुग्धाभिषेक 

2018 में विद्यार्थी चेतना परिषद ने लिया निर्णय 

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : परंपरा से जकड़ा हुआ समाज के लिए कोई निर्णय लेना सहज नहीं होता। किंतु जब कोई सार्थक निर्णय लिया जाता है तो उसका परिणाम भी बहुत सकारात्मक होता है। लगभग 200 वर्षों से दाउदनगर में जिउतिया को लोक उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा है। इसके तहत ही इमली तल बने जीमूतवाहन के मंदिर में व्रत के दिन सुबह में पुरुष दूध से भगवान का अभिषेक करते हैं। यह दूध बहकर नालियों में चला जाता था। दूध बर्बाद हो जाता था और इसके बाद जो सड़ांध निकलती थी, इससे मोहल्ले में रहने वालों के लिए मुश्किल हो जाता था। 15 दिन तक सड़ांध मारता था। माहौल खराब रहता था। लेकिन विद्यार्थी चेतना परिषद ने वर्ष 2018 में निर्णय लिया कि इस दूध को संचित कर खीर बनाकर प्रसाद चढ़ा कर लोगों में बांट दिया जाए। इज़के लिए पीतल की ओखली अरघा के साथ बनाकर रखा गया। अब जो दूध चढ़ाया जाता है व एक पाइप के माध्यम से बड़े बर्तन में जमा किया जाता है। ऐसा किए जाने के बाद से दूध बर्बाद भी नहीं होता। सड़ांध भी नहीं उठता। रहने में समस्या भी नहीं आती और इस प्रसाद के वितरण से लोगों की समृद्धि भी बढ़ रही है।



10 क्विंटल से अधिक दूध होता था बर्बाद 



विद्यार्थी चेतना परिषद के संयोजक ममतेश कुमार ने बताया कि लगभग 10 क्विंटल दूध इसमें बर्बाद हो जाता था। परिषद ने यह निर्णय लिया। इससे प्रसाद वितरण होना शुरू हुआ और मोहल्ले की और परिषद की समृद्धि भी बढ़ती चली गई। विशेषत: जो लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं उनके घरों में खुशहाली आई।



निकटवर्ती चौक पर लोग करते हैं अभिषेक



बुजुर्ग रासबिहारी प्रसाद का कहना है कि बच्चे, युवा, वृद्ध सभी दूध से भगवान जिमतवाहन का अभिषेक करते हैं। जैसे विधि विधान के साथ लोग शिव का जलाभिषेक करते हैं। उनके समाज के लोग जहां भी रहते हैं अपने निकटवर्ती जिउतिया चौक पर दुग्ध से अभिषेक करते हैं।



अब सब चौक पर यह परंपरा



पुजारी गुप्तेश्वर मिश्र ने बताया कि काफी समय से यह परंपरा चली आ रही है। यह तर्पण नहीं बल्कि अभिषेक है। संतान के दीर्घायु होने की कामना के साथ पुरुष यहां दुग्ध अभिषेक करते हैं। दूसरे चौकों पर भी यहां की देखा देखी लोग अब ऐसा करने लगे हैं।


Wednesday 4 October 2023

जितिया जे अईले मन हुलसईले, नौ दिन कईले बेहाल रे जितिया....

 जिउतिया में दांतों तले दबा लेंगे उंगली, आंखें रह जाती हैं प्यासी




जीमूतवाहन भगवान के मंदिरों पर गाया जा रहा झूमर

इस बार शहर मना रहा जिउतिया महोत्सव

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : 

माताएं अपने संतान के दीर्घायु होने की कामना को लेकर जिउतिया मनाती हैं। दाउदनगर शहर इसे लोकोत्सव के रूप में मनाता है। इसका ऐसा स्वरूप और कहीं नहीं मिलता, जैसा दाउदनगर में है। इसे नकल, या कहें स्वांग-समारोह के रूप में मनाया जाता है। लगता है जैसे पूरा शहर ही भेष बदलो अभियान पर निकल पड़ा है। सब नया रूप धर कर सामने आते हैं। राजस्थान की स्वांग कला को यहां के कलाकार मात देते दिखते हैं। ऐसी-ऐसी प्रस्तुतियां जिसे देखकर दर्शक दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। आंखें आधी प्यासी रह जाती हैं, और देखने की ललक बढ़ जाती है। खतरनाक प्रस्तुतियां भी होती हैं। शहर इसीलिए तो गाता है–‘धन भाग रे जिउतिया, तोरा अइले जियरा नेहाल रे जिउतिया, जिउतिया जे अइले मन हुलसइले, नौ दिन कइले बेहाल, रे जिउतिया ...” और जब पर्व खत्म होने को होता है तो लोग विरह की वेदना महसूस करते हैं-“देखे अइली जिउतिया, फटे लागल छतिया, नैना ढरे नदिया समान। जान तोहे बिन घायल हूं पागल समान...।“ यह बताता है कि दाउदनगर वासियों के लिए जिउतिया क्या है? भगवान जीमूतवाहन के बने चार मंदिरों में अनंत चतुर्दशी के दूसरी रात से ही लोग झूमर या चकड़दम्मा गाने लगते हैं। लोक गायक यही कर रहे हैं। यहां गाया जाने वाला झूमर बताता है कि जिउतिया जिउ (हृदय) के साथ है-


दाउदनगर के जिउतिया सरेनाम हई गे साजन

दाउदनगर के जिउतिया जिउ के साथ हई गे साजन,

कहां के दिवाली, कहां के दशहरा गे साजन,

कहवां के जिउतिया कइले नाम हई गे साजन

दिल्ली के दिवाली, कलकता के दशहरा गे साजन

दाऊदनगर के जिउतिया कइले नाम हई गे साजन



राधा कृष्ण सुमेत कई रूपों में दिख रहे बच्चे

जिउतिया के अवसर पर बच्चों ने अपनी कला की प्रस्तुति देनी शुरू कर दी है। कृष्ण, राधा कृष्ण, राक्षस, पागल सुमेत कई भूमिकाओं में बच्चे दिखने लगे हैं। अपनी कला की प्रस्तुति बच्चे शहर में घूम कर कर रहे हैं। लोगों का मन बहला रहे हैं। बच्चों की इस प्रस्तुति से शहर में लोकोत्सव का माहौल बनने लगा है। इसका चरम शुक्रवार को दिखेगा। शुक्रवार, शनिवार और रविवार तीन दिन लोक कलाओं की प्रस्तुति की धूम रहेगी। तब दूर दराज से लोग आकर यहां लोक कला का आनंद लेते हैं।



रंगोली बनाने व रंग बिरंगी रौशनी की अपील


मुख्य पार्षद अंजली कुमारी ने वीडियो बयान जारी कर अपील किया है कि जिस प्रकार दिल्ली की दिवाली, कोलकाता का दशहरा मशहूर है वैसे ही यहां का जिउतिया मशहूर है। दिनांक छह, सात एवं आठ अक्टूबर को अपने घर के बाहर रंगोली बनाकर तथा घर को दीपावली की तरह रंग बिरंगी लाइट से सजाकर जिउतिया महोत्सव का साक्षी बनें। जिउतिया हमारी शान है, हमारी संस्कृति है, हमारी पहचान है।