Wednesday 4 October 2023

जितिया जे अईले मन हुलसईले, नौ दिन कईले बेहाल रे जितिया....

 जिउतिया में दांतों तले दबा लेंगे उंगली, आंखें रह जाती हैं प्यासी




जीमूतवाहन भगवान के मंदिरों पर गाया जा रहा झूमर

इस बार शहर मना रहा जिउतिया महोत्सव

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : 

माताएं अपने संतान के दीर्घायु होने की कामना को लेकर जिउतिया मनाती हैं। दाउदनगर शहर इसे लोकोत्सव के रूप में मनाता है। इसका ऐसा स्वरूप और कहीं नहीं मिलता, जैसा दाउदनगर में है। इसे नकल, या कहें स्वांग-समारोह के रूप में मनाया जाता है। लगता है जैसे पूरा शहर ही भेष बदलो अभियान पर निकल पड़ा है। सब नया रूप धर कर सामने आते हैं। राजस्थान की स्वांग कला को यहां के कलाकार मात देते दिखते हैं। ऐसी-ऐसी प्रस्तुतियां जिसे देखकर दर्शक दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। आंखें आधी प्यासी रह जाती हैं, और देखने की ललक बढ़ जाती है। खतरनाक प्रस्तुतियां भी होती हैं। शहर इसीलिए तो गाता है–‘धन भाग रे जिउतिया, तोरा अइले जियरा नेहाल रे जिउतिया, जिउतिया जे अइले मन हुलसइले, नौ दिन कइले बेहाल, रे जिउतिया ...” और जब पर्व खत्म होने को होता है तो लोग विरह की वेदना महसूस करते हैं-“देखे अइली जिउतिया, फटे लागल छतिया, नैना ढरे नदिया समान। जान तोहे बिन घायल हूं पागल समान...।“ यह बताता है कि दाउदनगर वासियों के लिए जिउतिया क्या है? भगवान जीमूतवाहन के बने चार मंदिरों में अनंत चतुर्दशी के दूसरी रात से ही लोग झूमर या चकड़दम्मा गाने लगते हैं। लोक गायक यही कर रहे हैं। यहां गाया जाने वाला झूमर बताता है कि जिउतिया जिउ (हृदय) के साथ है-


दाउदनगर के जिउतिया सरेनाम हई गे साजन

दाउदनगर के जिउतिया जिउ के साथ हई गे साजन,

कहां के दिवाली, कहां के दशहरा गे साजन,

कहवां के जिउतिया कइले नाम हई गे साजन

दिल्ली के दिवाली, कलकता के दशहरा गे साजन

दाऊदनगर के जिउतिया कइले नाम हई गे साजन



राधा कृष्ण सुमेत कई रूपों में दिख रहे बच्चे

जिउतिया के अवसर पर बच्चों ने अपनी कला की प्रस्तुति देनी शुरू कर दी है। कृष्ण, राधा कृष्ण, राक्षस, पागल सुमेत कई भूमिकाओं में बच्चे दिखने लगे हैं। अपनी कला की प्रस्तुति बच्चे शहर में घूम कर कर रहे हैं। लोगों का मन बहला रहे हैं। बच्चों की इस प्रस्तुति से शहर में लोकोत्सव का माहौल बनने लगा है। इसका चरम शुक्रवार को दिखेगा। शुक्रवार, शनिवार और रविवार तीन दिन लोक कलाओं की प्रस्तुति की धूम रहेगी। तब दूर दराज से लोग आकर यहां लोक कला का आनंद लेते हैं।



रंगोली बनाने व रंग बिरंगी रौशनी की अपील


मुख्य पार्षद अंजली कुमारी ने वीडियो बयान जारी कर अपील किया है कि जिस प्रकार दिल्ली की दिवाली, कोलकाता का दशहरा मशहूर है वैसे ही यहां का जिउतिया मशहूर है। दिनांक छह, सात एवं आठ अक्टूबर को अपने घर के बाहर रंगोली बनाकर तथा घर को दीपावली की तरह रंग बिरंगी लाइट से सजाकर जिउतिया महोत्सव का साक्षी बनें। जिउतिया हमारी शान है, हमारी संस्कृति है, हमारी पहचान है। 

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