Monday 30 October 2023

चंद रुपयों के चलते शहर को खतरे में डाल रहे चिकित्सा व दवा व्यवसायी

 


नहर के किनारे बड़ी मात्रा में फेंकी गयी दवाइयां और यूरिन बैग

जल और वायु हो रहा प्रदूषित, खतरे में लोगों की जिंदगी 

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) :

चिकित्सा और दवा व्यवसाय से जुड़े लोग चंद्र रुपये की बचत के लिए शहर के लोगों के जीवन को खतरा में डाल रहे हैं। खुलेआम अपराध कर रहे हैं और इन पर लगाम लगाने में प्रशासन असफल हो रहा है। मौला बाग से चौरम जाने वाले नहर मार्ग में साइफन के पास दोनों तरफ बड़ी मात्रा में मेडिकल कचरा फेंका गया है। दवा विशेषज्ञों के अनुसार होम्योपैथिक दवाइयां बड़ी मात्रा में फेंकी गई है। इसके साथ ही अस्पताल में इस्तेमाल होने वाला यूरिन बैग, सलाइन सेट, ट्यूनिकेट, सफेद रंग की बड़ी मात्रा में टैबलेट, काटन फेंका गया है। इससे नहर और नहर के बगल के गड्ढों में जिसमें सिंघाड़ा (पानी फल) की खेती होती है उसके प्रदूषित होने के साथ-साथ हवा भी उसे इलाके की प्रदूषित हो रही है। इससे वहां की आबादी के जीवन को खतरा है। प्रविधान के मुताबिक यह बायो मेडिकल वेस्ट है, जिसका निस्तारण सही तरीके से नहीं किया गया और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि दाउदनगर में कभी भी बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर ना तो जागरूकता अभियान स्वास्थ्य महकमा चलाता है और ना कभी छापेमारी की गई। स्वाभाविक है ऐसी स्थिति में कभी कार्रवाई भी नहीं की गई है। नतीजा दवा दुकानदार हो या अस्पताल या झोलाछाप डाक्टर सभी पूरी तरह से लापरवाह हैं। और जब भी, जहां भी, मन करता है मेडिकल कचरा को फेंक देते हैं। बिना यह सोचे कि आबादी के लिए ऐसा करना कितना घातक हो सकता है।



यह अपराध, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता


अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डा. राजेश कुमार सिंह ने बताया कि यह दवाइयां सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति नहीं की जाती है। यह होम्योपैथी की दवाइयां है। बायो मेडिकल वेस्ट है, जिसका निस्तारण सही तरीके से नहीं किया गया। वातावरण इससे प्रदूषित होगा। यह जघन्य अपराध है और ऐसे अपराध करने वालों को चिन्हित कर तुरंत सख्त कार्रवाई की जरूरत है। इसके लिए अनुमंडल प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा को टीम गठित कर अस्पतालों में छापेमारी कराई जानी चाहिए।



मनुष्य, पशु, वनस्पति को क्षति 


होम्योपैथिक चिकित्सक डाक्टर मनोज कुमार ने बताया किया के आर इंडो जर्मन होम्योपैथिक दवा बनाने वाली कंपनी है और इसी की खाली शीशियां फेंकी गई हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इन शीशियों में विभिन्न प्रकार की दवाइयां भर कर विभिन्न नाम से आती हैं। होम्योपैथिक दवा डायनेमिक पावर की होती हैं। इसके अंश से पशु, मनुष्य और वनस्पति तीनों को क्षति हो सकती है। ढक्कन खुला है इसके गन्ध से ही पर्यावरण प्रदूषित होगा और यह जीव मात्र के अंदर सांस के माध्यम से प्रवेश कर जाएगा। पशु यदि इससे छूता है या अपने पैर से इसे खुरचता है तब भी उसे नुकसान होगा।




कानूनी कार्रवाई और जुर्माना का प्रविधान

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय ने बताया कि ऐसे काम करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और जुर्माना लगाने का प्रविधान है। किसी भी परिस्थिति में दवा दुकानदार हो या अस्पताल के संचालक उनको इस तरह मेडिकल कचरा को खुलेआम नहीं फेंकना चाहिए। यह मानवता के विरुद्ध अपराध है।



इन बीमारियों से जुड़ी है यह दवाइयां 

नहर के किनारे होम्योपैथिक की दवाइयों की जो शीशी फेंकी गई है उनमें विभिन्न प्रकार की बीमारियों को ठीक करने वाली दवाईयां भरी होती हैं। होम्योपैथिक चिकित्सक डाक्टर मनोज कुमार के अनुसार इन शीशियों में गर्भपात, डायरिया, लू लगने, दर्द, सर्दी से संबंधित दवाइयां दिख रही हैं।


No comments:

Post a Comment