Monday 12 September 2016

कुरबानी का त्योहार बकरीद का जश्न आज


फोटो-नमाज अदा करते मुस्लिम (फाइल फोटो)
ईद-उल-जुहा को देते हैं कुरबानी
आज मंगलवार को भारत में ईद-उल-ज़ुहा का जश्न मनाया जा रहा है। कुरबानी का यह त्योहार इस्लाम धर्म का दूसरा प्रमुख त्योहार है। इसे बकरीद भी कहते हैं। हज़रत इब्राहिम की कुरबानी की याद के तौर पर इसे मनाया जाता है। इसी दिन वे अल्लाह के प्रति वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे हज़रत इस्माइल को कुरबान करने पर राजी हुए थे। जैसे ही हज़रत ने अपने बेटे की बलि लेने के लिए उसकी गर्दन पर वार किया, अल्लाह चाकू की धार से हज़रत इब्राहिम के पुत्र को बचाकर एक भेड़ की कुर्बानी दिलवा दी। इस पर्व का मुख्य लक्ष्य लोगों में जनसेवा और अल्लाह की सेवा के भाव को जगाना है। यह पर्व इस्लाम के पांचवें सिद्धान्त हज की भी पूर्ति करता है।
ईद-उल-ज़ुहा मनाने का तरीका 
इस दिन मुसलमान किसी जानवर जैसे बकरा, भेड़, ऊंट आदि की कुरबानी देते हैं। यह स्थान विशेष पर निर्भर होता है। इस कुरबानी के मांस को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक खुद के लिए, एक सगे-संबंधियों के लिए और एक गरीबों के लिए तय होता है। सभी साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनकर नमाज़ पढ़ते हैं। मर्दों को मस्जिद व ईदगाह में तो औरतों को घरों में ही नमाज पढ़ने का हुक्म है। नमाज़ पढ़कर आने के बाद ही कुरबानी की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। ईद उल फित्र की तरह ईद उल ज़ुहा में भी ज़कात देना अनिवार्य होता है ताकि खुशी के इस मौके पर कोई गरीब महरूम ना रह जाए।
बकरीद पर शहर (दाउदनगर) में नमाज के लिए तय स्थान व समय
सुबह 7 बजे अब्दुल बारी रोड मस्जिद में हाफिज समीर नमाज पढायेंगे। इसी तरह 7.30 बजे छोटी मस्जिद, इब्राहिम शहीद में मौलाना रुस्तम, बड़ी मस्जिद, पुरानी शहर में हाफिज मो.रेयाज, चूड़ी बाजार मस्जिद में मौलाना वायजुल हक, बारहदरी मस्जिद, पुरानी शहर में हाफिज हसन, गोला मोहल्ला मस्जिद में हाफिज हसीब और

मौलाबाग मस्जिद (नवाब साहब के समीप) में हाफिज शम्स आलम नमाज पढायेंगे। इसके बाद 7.45 बजे ईदगाह में मौलान अब्दाल अहमद कादरी और छत्तर दरवाजा मस्जिद में मौलाना मुस्ताक तथा मदीना मस्जिद, पीराही बाग में 8 बजे कारी मुस्ताक नमाज अदा करवायेंगे। 

No comments:

Post a Comment