Sunday 25 September 2016

वाह ! इन वीरांगनाओं के जज्बे के आगे झुका शहर


जिउतिया लोकोत्सव में महिलाओं ने रचा इतिहास
पहली बार तीन छात्राओं ने दी खतरनाक प्रस्तुति
चाकु-छूरी चढा कर सभी को किया चकित
प्रदीप उस्ताद के साथ से साहसिक कार्य
दाउदनगर जिउतिया लोकोत्सव के लिए यह सुपर-डुपर हिट संडे रहा। पहली बार इतिहास रचा गया। तीन छात्रायें एक साथ दममडाड जैसी खतरनाक प्रस्तुति में चाकु-छूरी चढा कर शमिल हुई। शहर ने झुक कर उन्हें सलाम किया। रविवार की सुबह प्रदीप उस्ताद के निर्देशन में प्रितम मोदनवाल और प्रियंका कुमारी अपने दोनों हाथों पर तीन-तीन चाहु चढा कर निकलीं। बाजार स्थित जीमूतवाहन भगवान से आशीर्वाद लीं। भीड से उत्सह तो बढा किंतु हिचक भी बढी। इसके बाद वे नकल प्रतियोगिता के मंचों तक जाने को वे तैयार नहीं हुई। इस संवाददाता ने उन्हें पुलिस सुरक्षा देने को आश्वस्त किया तो पुन: चाकु-छूरी चढाने को तैयार हो गयीं। प्रितम सिन्हा कालेज औरंगाबाद में बीकाम पढ रही है। उसका घर भी वहीं है। प्रियंका सकुराबाद हाई स्कूल जहानाबाद से इंटर पास आउट है। वह जहनाबाद ही रहती है। इनके साथ 8 साल की पांचवी कक्षा की राजकीय मिडिल स्कूल संख्या-2 की छात्रा रिंकी कुमारी भी शामिल रही। उसने भी चाकु छूरी चढाया। इनके साथ छोटु दममडाड बन तो शालु व धीरज भी चाकू-छूरी चढा कर शामिल हुए। यह एक इतिहास बन गया। इससे पहले किसी भी तरह के नकल की प्रस्तुति छत्राओं या महिलाओं ने नहीं दी है। इससे आने वाले वर्षों में महिला भागीदारी बढने की संभावना काफी बढ गयी है। यह सफलता प्रदीप उस्ताद की वजह से ही मिली है। शहर ने इनके जज्बे को सलाम किया।

बच्चों को देख बना हौसला-प्रीतम
चाकू-छूरी चढाने वाली वीरांगना प्रीतम मोदनवाल ने कहा कि जब बच्चे चाकू-छूरी चढा सकते हैं तो हम क्यों नहीं चढा सकते। कहा कि दाउदनगर के जिउतिया के बारे में सुना करती थी। जब यहां आयी तो बच्चों को देखकर साह्स भी हुआ और प्रेरणा भी मिली। महत्वपूर्ण है कि प्रीतम और प्रियंका दोनों इस शहर की नहीं हैं। कहा कि जब हर क्षेत्र में नारी शक्ति की उपस्थिति है तो जिउतिया जैसी लोक संस्कृति का अछूता रहना उचित नहीं। कहा कि समय बदल गया है। लोगों का नजरिया बदल रहा है इसलिए ऐसे परिवर्तन आवश्यक है।
 प्रदीप का कमाल
तीन छात्राओं के माध्यम से खतरनाक प्रस्तुति दिलाने का साहस करने वाले प्रदीप ने कमाल कर दिया। उसने शुक्रवार को अपने बेटे को चाकू-छूरी चढाया था और रविवार को अपनी पुत्री के हाथ में चाकु छूरी चढाया। इससे शहर के लोग उसकी प्रशंषा करते नहीं थक रहे।

लोगों ने रानी लक्षमीबाई बताया
जब शहर के लोकोत्सव में तीन छात्राओं ने इतिहास रच तो लोगों ने उन्हे मुबारकबाद तो दिया ही उनकी तुलना रानी लक्षमीबाई से भी किया। भावना राज ने कहा कि आज महिला का भी इस क्षेत्र में पदार्पण हुआ। लोग सपोर्ट करें तो अगली दफा और अधिक महिला भागीदारी बढेगी। रविशंकर कुमार कांस्यकार ने कहा कि ये रानी लक्षमीबाई का रुप है। दोनों हाथों में छ: छ: चाकु चढा कर घुमने का साहस और कैसी वीरांगनायें कर सकती हैं?



2 comments:

  1. इनके ज़ज्बे को सलाम

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  2. isme jajba Kya Huwa .padho likho.aur Kuch bano.desh ke Liye Kuch karo.desh me jagah layo .chaku chhuri Lagwane se tumhe koi jagah aur aawad nahi melega. aur to aur desh me isse name bhi nahi Hoga.yah ek Manoranjan hai.

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