Friday 31 March 2023

अनुमंडल कार्यालय कहां खुले इसे लेकर हुआ था आन्दोलन




भखरुआं बनाम बाजार का था विवाद


खूब था सामाजिक-राजनीतिक दबाव


दाउदनगर अनुमंडल स्थापना के 32 वर्ष पर विशेष


उपेंद्र कश्यप । दाउदनगर (औरंगाबाद)


31 मार्च 1991 को दाउदनगर अनुमंडल गठन की घोषणा परेड ग्राउंड मैदान में की गई थी और बगल में ही शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय (डायट तरार) के एक भवन में अनुमंडल कार्यालय अस्थाई तौर पर शुरू किया गया था। तब से लेकर अब तक 32 वर्ष बीत गए। अनुमंडल कार्यालय कहां खोला जाए, इसे लेकर भी शहर में तब एक आंदोलन चला था। अनुमण्डल कार्यालय नहर के उस पार भखरुआं में बनेगा कि इस पार बाजार में। इसे लेकर विवाद शुरू हुआ। शहर वालों ने जब आन्दोलन छेड़ा तो तत्कालीन मंत्री रामबिलास सिंह ने कहा कि जगह का अभाव है। तब डा.राय (ह्वाइट हाउस), शांति निकेतन (पुराना शहर) तथा खुर्शीद खान के मकान दिखाये गये। उधर बारहगांवा का दबाव तत्कालीन मंत्री पर था कि अनुमण्डल भखरूआं ही बने। शहरियों का तब नारा था- ‘माड़-भात खायेगें, अनुमण्डल यहीं बनायेगें।’ देवरारायण यादव की अध्यक्षता में आईबी में बैठक की गयी। वहां मंत्री श्री सिंह ने कहा- ‘क्या करें? इस उंगली को काटो तो उतना ही दर्द होगा, जितना उसको काटने से।’ यानी वे द्वंद्ध झेल रहे थे। अंततः शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में अनुमण्डल कार्यालय अस्थाई तौर पर शुरू हुआ। प्रशासनिक इकाई के तौर पर यहाँ अनुमण्डल कार्य करना शुरू कर दिया। संघर्ष खत्म हो गये। मगर पूर्णता कभी नहीं आयी, अब भी नहीं। जैसे तैसे चलता हुआ वर्ष 2006 में करोड़ो की लागत से अनुमण्डल का निजी कार्यालय परिसर बनकर तैयार हुआ, और शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालय से उठकर यह कार्यालय नये भवन में चला आया। विकास को गति तो मिली किंतु पूर्णता का अभाव अब भी है। जब अनुमंडल गठन का 32 वर्ष पूरा हो गया तो अनुमंडल वासियों को यह उम्मीद भी है कि राज्य सरकार जल्द से जल्द अनुमंडल संचालन के लिए जरूरी तमाम कमरे, भवन या आवासीय परिसर का निर्माण करेगी।


 


10 वर्ष बाद शिल्पकार की बनी प्रतिमा


अनुमंडल बनाने का श्रेय जिस रामविलास सिंह को जाता है वे पांच बार विधायक और तीन बार मंत्री रह चुके हैं। उनकी प्रतिमा अनुमंडल परिसर में बनाने में 10 वर्ष लग गए। जब 22 जून 2009 को उनका निधन हुआ, तभी से यह महसूस किया जाने लगा कि उनकी आदमकद प्रतिमा लगे। वर्ष 2005 में विधायक बने सत्यनारायण सिंह ने प्रतिमा लगाने की बात की और करीब 10 वर्ष पहले उन्होंने अनुमंडल कार्यालय परिसर में शिलान्यास का कार्य किया था। विधि संघ के प्रयास से यह आकार भी पाया। यहां चार जनवरी 2019 को उनकी आदमकद प्रतिमा लगी।



जानिए कौन थे रामविलास सिंह 


स्व.राम बिलास सिंह 1967, 1972, 1977, 1985 और 1990 में विधायक बने। वह दाउदनगर हसपुरा और दाऊद नगर ओबरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। तीन बार मंत्री बने। वे समाजवादी नेता रहे। उन्होंने इस संवाददाता से 11 अप्रैल 2009 को बातचीत में बताया था कि अपना पहला चुनाव मात्र 3000 रुपये में लड़े थे और 1990 के चुनाव में मात्र छः से सात हजार रुपये खर्च कर विधायक बने थे।



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