Thursday 3 April 2014


क्षेत्र बदलते टूट गया तकनीकी शिक्षा का सपना
उपेन्द्र कश्यप
औरंगाबाद  बिहार के दाउदनगर मुस्लिमों को तकनीकी शिक्षा का सपना दिखाया गया था। साल 1999 में जब श्यामा सिंह सांसद बनी थीं तभी इसका सपना दिखाया गया था। इसके लिए उनके ऐछिक निधि से मदरसा टेकनिकल इंस्टीच्यूट का भवन बनाया गया। फिर 2004 के चुनाव में इनके पति निखिल कुमार प्रत्याशी बने वे भी जीत गए। उम्मीद बनी कि अब बस दिखाया गया सपना पूरा होने वाला है। 1निखिल का दौरा भी हुआ था, आश्वासन भी मिला। फिर परिसीमन आयोग लोकसभा क्षेत्रों के नए सिरे से परिसीमन के लिए सक्रिय हो गया। इलाके का भूगोल बदल गया। दाउदनगर काराकाट लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा बन गया। मुद्दा खत्म हो गया। अब इस भवन में कुरान पढ़ाया जाता है। प्राचार्य ने बताया कि एनआइओ से इसे जोड़ने का प्रयास किया गया लेकिन फिलहाल सफलता नहीं मिली है। सन 1935 में बने मदरसा इस्लामिया में 12 कमरे हैं। शिक्षक मात्र आठ और छात्र छात्रएं 300 से अधिक। प्राचार्य मो. एफ राजी ने बताया कि बीएड और फाजिल के शिक्षक नहीं है। दो शिक्षकों का पद रिक्त पड़ा है। एक चपरासी, एक किरानी है। मदरसा कमेटि तीन शिक्षक और दो चपरासी को अपने खर्च पर रखे हुए है। इनको जकात से प्राप्त धन से एक हजार से 1500 रुपए तक मानदेय दिया जाता है। कक्षा एक से मौलवी तक की पढ़ाई होती है। मौलवी दस जमा दो (इंटर) का समकक्ष है।

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