Sunday 27 April 2014

सोमप्रकाश ने साबित किया कि वे झुठे हैं,


      

                                                                             फरवरी 2013 में बिहार टुडे में प्रकाशित रिपोर्ट
सोमप्रकाश
ने साबित किया कि वे झुठे हैं,उन्हें लोक में विश्वास है ही तंत्र में.
उन्होंने अपने किए या कहे झुठ से उठे सवाल पर जवाब देने की कसम खा रखी है. बिहार से बाहर छपने वाले अखबार में छपवाई झुठी खबर पर जवाब दिया लाइफ ओके पर दिखाई गई एपीसोड से उठे सवाल का जवाब दिया. हिटलर के सहयोगी गोएबल्स का यह चेला झुठ की बुनियाद पर अपना आभा मंडल गढ रहा है.मीडिया का इस्तेमाल कर,लेकिन जब झुठ पकडकर वही मीडिया कोई सवाल करता है तो वह भडक जाते हैं.कहा गया है -कमजोर नस किसी का दबा देंगे तो वह भडकेगा ही.

   विधायक सोमप्रकाश की एक और नौटंकी,लाइफ ओके पर सावधान इंडिया में 23 एवं 24 जनवरी 2013 को दिखा.झुठ की बुनियाद पर अपनी छवि गढने का शायद ही इस तरह का दूसरा कोई उदाहरण दिखे.मैं नहीं जानता सच, तो सोम जी बता दें सच? गणतंत्र दिवस पर आपको मेरी चुनौती है कि अगर आपको भारतीय गणतंत्र और अपनी ईमानदारी पर भरोसा है; तो नीचे पुछे मेरे सवाल का जवाब दें. लेकिन शक है कि आप ऎसा करेंगे,क्योंकि आपको न तंत्र पर भरोसा था,जिसकी कमाई आप खाते थे,न गण पर जिसने आपको नेता बनाया था.आपको सिर्फ गण को मुर्ख बनाने में विश्वास हैं.  पहले जात भाई के एक डीलर को ले भाष्कर में मैनेज-खबर छपवाया.ताकि इमानदार और जनहितैषी के साथ सतत संघर्षशील व्यक्ति की छवि गढी जा सके.
साहेब से नेता बनने के लिए कथित इमानदार छवि का लाभ इन्हें मिला था. अब इसका भूत इन पर सवार हो गया है. स्थानीय संतोष बादल के जरिए इस चैनल के लिए जो एक एपीसोड बनाया गया उसके अंत में खुद सोम ने दिखाई गई तमाम घटनाओं को अपना भुक्त-सच बताया, साथ ही लोगों से अपील की कि –‘आप लडें,संघर्ष करें. अगर कोई व्यक्ति अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करता हो तो उसका डटकर मुकाबला करें’. शायद कोई और इन्ही की तरह कल विधायक बन जाए. सच्ची घटनाओं पर आधारित एपीसोड में कितनी सच्चाई होती है यह सोमप्रकाश पर केन्द्रित इस एपीसोड ने हमें बताया. इस में जान बुझ कर झुठ गढा गया ताकि अपनी छवि और बेहतर बनाया जा सके.मुख्यमंत्री या सांसद बनने का ख्वाब पाला यह शख्स खुद को झुठ की बुनियाद पर खडा करने पर तुला है.अरविन्द केजरीवाल और किरण बेदी को धोखा देकर अपने मुंह मियां मिट्ठु बनने वाले को यह पता नहीं कि काठ की हांडी दुबारा नही चढती’.
अगर मैं गलत हूं , मैं नहीं जानता सच तो कोई मुझे बताए यह सच !मैं कोई भी बात जिम्मेदारी से कह रहा हूं-1994 के दारोगा से ,दशहरा 1994 से पत्रकारिता कर रहे उपेन्द्र कश्यप का सवाल-*
एक रास्ट्रीय अखबार (जो बिहार में नहीं छपता है) में 7 अक्टुबर 2012 को लिखी गई खबर-‘घुस के लिए चन्दा मांग रहे विधायकपर मेरे सवाल को क्यूं टालते रहे ? 2 माह में भी जवाब के लिए समय क्यों नहीं मिला ?
·    सावधान इंडिया  में दिखाई गयी स्टोरी को क्या  आपने सच नहीं कहा है ? क्या यह ओबरा के व्यवसाई विनय कुमार और आपके मतभेद पर नहीं है ? आप दारोगा से नेता बने अजय सिंह और विनय कुमार सज्जन कुमार नही हैं ?
* क्या आपने कभी निलंबित अवधी में दुध बेचा है ? कया यह सच नहीं कि आपने चुनाव के लिए अंत समय इस्तीफा दिया था ? क्या कभी विनय कुमार ने आपको पीटवाया था ? क्या आपके घर कोई गुंडा मारने गया था ? अगर यह सच है तो क्या आपकी बहादुरी घास चरने गई थी ? भला आपने क्यों नहीं केस किया ? जब आप 4 करोड की सडक योजना शुरु होते ही 4 करोड के घोटाले की एफआईआर कर सकते हैं, 10 रु. के लिए शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज कर सकते हैं, ओबरा के थानेदार रहते खुदवां थाना में बैठ कर जब एफआईआर कर सकते थे ,तो फिर जब विनय कुमार ने आपको बुरी तरह पीटवाया तो उनके खिलाफ क्यों नहीं प्राथमिकी दर्ज कराया ?  उनकी गिरफ्तारी में तत्कालीन एसडीओ ने आपको साथ दिया था ? क्या विनय कुमार को 5 साल की सजा हुई थी ? क्या उनका और आपका चुनावी मुकाबला हुआ था ? वे तो विधान परिषद के चुनाव लडे थे. किसी की हत्या विनय ने नहीं की थी, और हां- जिस ड्राइवर के अपहरण का किस्सा दिखाया है-उसने तो कोर्ट में कहा था कि मेरा विनय बाबु से बेहतर रिश्ता है.उसकी मां और पत्नी ने भी लिखित बयान दिया था. फिर आपने शैक्षिक जागृति मंच को इस एपीसोड से दूर क्यों रखा,जो आपकी चाहतों की सिढी बनी थी ? दरअसल में सोम जी आप आत्ममुग्धता के मरीज हैं ,जो चन्द चाटुकारों से घिरा हुआ कुपमंडुक है लेकिन खुद को समझता बहुत कुछ है. इस बार इतना ही-अगली दफा दुसरे मुद्दे पर होगी भिडंत.तैयार रहिए कब तक नहीं बोलेंगे मेरे सवालों पर आप.मैं नही, ये तो पब्लिक भी सबकुछ जानती है भाई .....गणतंत्र की शुभकामना के साथ चुनौती भी. इस उम्मीद के साथ कि गणतंत्र में आप विश्वास दिखाएंगे.
      ओबरा 220 के निर्दलीय विधायक सोमप्रकाश की कहानी,उम्मीद है आप इसका इस्तेमाल प्रकाशन के लिए कर सकते है-ऎसे लोगों को उघाडना जरुरी है.


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