Friday 11 April 2014

महापर्व में ‘फुलवा’ का आशीर्वाद दान लेकिन..


                   महापर्व में फुलवाका आशीर्वाद लेकिन.
काराकाट लोकसभा क्षेत्र के ओबरा विधानसभा क्षेत्र से उपेन्द्र कश्यप-
लोकतंत्र के महापर्व में 85 साल की फुलवा देवी अपना आशीर्वाद दे गई। शमशेरनगर गांव में करीब एक किलोमीटर पैदल चलकर वह बूथ तक पहुंची। इनसे इस संवाददाता ने कहा कि मम्मा बता दीं कि अपन वोट केकरा देबई? वे नहीं बताईं। बोली हम अपन आशीर्वाद केकरा देबई? जे हमनी के चिंता करित ओकरे न। तस्वीर का यह एक पहलू है जो ग्रामीण इलाके में व्याप्त जोश का प्रतिनिधित्व करता है। दूसरा पहलू इससे महत्वपूर्ण है। 1सवाल इस वृद्धा को देखकर उठता है कि फिर शहर में मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम क्यों रहा? यह उदासीनता क्यों है? क्या शहरी सिर्फ व्यवस्था को कोसने में विश्वास रखते हैं? इससे परिणाम प्रभावित होगा। खासकर लहर पर सवार वालों के लिए यह घाटे का हो सकता है। फीलगुड वाले सबकुछ फील-फील महसूस करते हैं, लेकिन मतदाताओं को बूथों तक ले जाने का जहमत नहीं उठाते। सिक्सलेन की निर्माता कंपनी में बड़े पद पर कार्यरत एक शख्स मतदाताओं को घर से निकालने में लगा दिखा लेकिन राजनीतिक कार्यकर्ता ऐसा क्यों नहीं कर सके? इस क्यों को लेकर भी कई सवाल उठते हैं। निराशा, अपेक्षा की पूर्ति का नहीं होना, फीलगुड में रहने या कुछ और वजहें हो सकती है। शहर के मतदाता बड़े नाजुक माने जाते हैं। बम नहीं पटकाया लेकिन तब भी धूप एक बहाना बन गया। हालांकि नंदकुमार प्रसाद की मानें तो प्रत्याशियों के प्रति किसी तरह का लगाव नहीं रहने के कारण उदासीनता रही। रागात्मक संबंध नहीं रहा है। क्या ऐसे ही लोकतंत्र की तकदीर बनेगी? रोज व्यवस्था को कोसो और जब मौका आए तो खुद चले भी गए बूथों तक तो मां, }, दादी, बहन, बेटी को ले जाकर मतदान कराने का प्रयास नहीं। 1झूठी प्रतिष्ठा को लेकर बना आवरण आखिर कब ढहेगा? प्राप्त विवरण के अनुसार शहर के कुल 27 बूथों पर 30794 मतदाता हैं। इनमें से मात्र 13730 मत पड़े यानी 44.58 फीसदी। जो कि काराकाट लोकसभा क्षेत्र में पड़े 53 फीसदी मत की अपेक्षा लगभग 10 प्रतिशत कम है। शहर के सबसे बड़े बूथ संख्या 14 (क) पर कुल मतदाता 1709 हैं और पोल मात्र 429 हुआ। यानी मात्र 25.1 फीसदी। दूसरे बूथ-15 पर मात्र 34.53 फीसदी तो दूसरी सबसे बड़े बूथ संख्या-5 पर 1566 के विरुद्ध 798 यानी 51.15 फीसदी मतदान। गौरतलब तथ्य है कि डेहरी के बाद दाउदनगर इस लोस क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है। 1885 से नगर का दर्जा प्राप्त शहर की आबादी अभी लगभग 50000 है। यह आंकड़ा बताता है कि शहर मतदान के प्रति उदासीन रहा, जबकि ग्रामीण इलाके के बनिस्पत शहर जागरूक माना जाता है।
कहां कितना पड़ा वोट
दाउदनगर (औरंगाबाद) : शहर में एक से लेकर 26 तक कुल 27 मतदान केंद्र हैं। एक मतदान केंद्र 14 क है। इस पर पड़े मतों का ब्योरा निम्नवत है- 1 पर 544, 2-421, 3-781, 4-659, 5-798, 6-639, 7-338, 8-805, 9-249, 10-539, 11-751, 12-451, 13-285, 14-462, 14(क)-429, 15-240, 16-479, 17-555, 18-387, 19-522, 20-465, 21-608, 22-566, 23-759, 24-200, 25-465 एवं- 26-321 मत।

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