Friday 4 April 2014

महादलितों को अपने पाले में करने की कवायद


महादलितों को अपने पाले में करने की कवायद

काराकाट के महादलितों पर प्रत्याशी डाल रहे डोरे
जदयू, राजद, भाजपा एवं निर्दलीय की नजर

मान सम्मान देने के सबके हैं अपने अपने दावे
उपेन्द्र कश्यप : राज्य सरकार ने हाशिये पर रह रही आबादी के लिए एक नया शब्द गढ़ा था- महादलित। इसमें शामिल जातियों के उत्थान के लिए कई योजनाएं बनी। योजनाओं का क्रियान्वयन भी हुआ। तरक्की और उम्मीद कई मोर्चे पर दिखा। राजनीति के केन्द्र में यह शब्द रहा। पक्ष विपक्ष के राजनीतिक दलों के बीच महादलित को ले गुथंगुथा का लंबा दौर चला। अब लोकसभा का चुनाव हो रहा है। सत्ताधारी दल जदयू अपना हक इस जमात पर मानती है, बताती भी है। प्रखंड अध्य्क्ष जितेन्द्र नारायण शर्मा का दावा है कि नीतीश कुमार ही महादलितों को विकास के रास्ते पर ले गए। उनके लिए विकास की कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जमीन, रेडियो के अलावा जितना संभव था नीतीश कुमार की सरकार ने किया। अन्य दल भी इसे वोट की राजनीति में शामिल किए है। हर कोई इसे तोडकर अपने पाले में करने की जुगत भिडा रहा है। राजद के डा. प्रकाशचन्द्रा का दावा है कि गरीबों को सबसे पहले लालू प्रसाद ने ही बोलने के लिए आवाज दिया था। सत्ता का गलियारा दिखाया था। मनोबल बढाया, मान सम्मान दिलाया। सामंती शोषण से मुक्ति दिलाया था। इसलिए यह जमात उनको साथ देगा। भाजपा के प्रखंड अध्यक्ष अश्विनी तिवारी का दावा है कि राजग यानी जब भाजपा बिहार की सरकार में शामिल थी तभी विकास के कार्य हुए। गठबन्धन टूटते ही स्थिति बदल गई। महादलित ही नहीं तमाम तरह के विकास कार्य ठप पड गए। बिहार जिस गति से तरक्की कर रहा था, वह रुक गया। अब नीतीश कुमार सरकार बचाने की सिर्फ जुगत में लगे रहते हैं। भाकपा माले शुरु से खुद को हाशिए की आबादी का झंडाबरदार बताती रही है। इनके अलावा पूर्व विधायक एवं निर्दलीय प्रत्याशी सत्यनारायण सिंह भी इस जमात के वोट बैंक पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं। कहा कि महादलितों को जितना सम्मान उन्होंने विधायक रहते और न रहते हुए भी दिया है उतना किसी जनप्रतिनिधि ने कभी किसी महादलित परिवार को नहीं दिया है। महादलितों को या हर गरीब को अपने घर पर, कार्यालय पर ससम्मान बिठाने का काम किया। राजद में रहते हुए पार्टी के विभिन्न प्रकोष्ठों में महादलित को स्थान दिलाया। इन चार प्रमुख प्रत्याशियों के अतिरिक्त अन्य भी महादलित मतदाताओं को अपने पाले में करने की जुगत भिडा रहे हैं।




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