Tuesday 22 April 2014

‘लव’ की सजा में हुआ ‘मैरेज’



कन्या बदल की जबरन शादी
शादी की दो घटनाएं, समाज के दो चेहरे
संवाद सहयोगी, दाउदनगर(औरंगाबाद) शादी सामाजिक व्यवस्था है। परिवार को व्यवस्थित करने और रिश्ते बनाने के लिए एक सामाजिक नियम। समाज के बनाए औपचारिक दायरे से बाहर प्रेम पनपता है। प्रेम चूंकि मान्य नहीं है सो उसकी परिणति ‘आनर किलिंग’ के रुप में सामाजिक बुराई का प्रस्फुटन है। दूसरा चेहरा दिखाई गई लडकी को बदल कर जबरन विवाह कर देने का भी है। जिसके परिणाम स्वरुप दांपत्य जीवन दुखदायी होता है। शादी और समाज से जुडी दो तस्वीर रविवार और सोमवार की रात दिखी। ओबरा थाना के पूर्णाडीह गम्हरपुरा के रामपुकार सिंह का पुत्र 22 वर्षीय शंभु कुमार सिमराबाग में सोमवार की रात झलकदेव सिंह के घर था। गांव वाले उसे मारने पीटने पर उतारु हो गए। ग्रामीण मुखिया ललिता देवी के पति डा.राजकुमार सिंह को सूचना दिए। समझौते का प्रयास चला। लेख्य प्रमाणक के समक्ष 100 रुपए के स्टांप पेपर पर दोनों की शादी हो गई। फिर सूर्य मंदिर मौलाबाग में परिजनों, रिश्तेदारों की उपस्थिति में मांग में सिन्दूर भरा गया। सूर्य मंदिर विकास समिति से रसीद काटे गए। दोनों राजी खुशी अपने घर चले गए। लेकिन हर बार लव अफेयर में ऐसी सफलता नहीं मिलती। आनर किलिंग नहीं सजा-ए-शादी मिली। खैर..। समाज का दूसरा रूप एकौनी में रविवार की रात दिखा जिसकी जितनी निंदा करें कम होगी। चर्चा के अनुसार वर पक्ष को सुन्दर कन्या दिखाकर शादी तय की गई। वर पक्ष के गांव पहुंचने का मार्ग गड्ढा भर कर बनाया गया था। बारात पहुंच गई। जयमाला के रस्म के वक्त वर ने जैसे ही कन्या को देखा विरोध शुरु कर दिया। बारातियों को जमकर पीटा गया। बेचारे भाग गए। लेकिन भागना भी पैदल पडा क्योंकि रास्ते में भर गया मलवा रात में ही खाली कर दिया गया था ताकि कोई वाहन न निकल सके। वर को बान्धकर घर में रखकर जबरन शादी करा दी गई। वर पक्ष थाने इसलिए नहीं गया कि मंगलवार की रात उसके घर बेटी की बारात आनी है। ऐसे में क्या दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा? अगर नहीं तो फिर दोष किसका है? समाज ऐसे मामलों की रोक के लिए क्या करता है? कुछ नहीं, नतीज ऐसे जबरिया या धोखे से शादी करने वालों का मनोबल बढ जाता है।

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