Monday 28 April 2014

वकील का फी नहीं लेकिन हैं करोडपति



विधायक का बयान जन सहानुभुति के लिए
 विधायक सोमप्रकाश के बयान में खुद उनसे जुडे व्यक्ति को भी अब राजनीति दिखने लगी है। दूसरे इसे जनसहानुभुति बटोरने की कवायद मान रहे हैं। युवा विजय कुमार का कहना है कि खुद 2010 के चुनाव में उन्होंने ही अपने हलफनामे में अपनी चल अचल संपत्ति का जो ब्योरा दिया था उसके अनुसार वे करोणपति हैं। तब एक करोण 47 लाख की संपत्ति की घोषणा किया था। क्या वह संपत्ति जनता में बांट देने से खत्म हो गई या दिया गया ब्योरा ही गलत था? इन्होंने कहा कि वकील रखने का फी नहीं होने की बात कहना सिर्फ जनता को बेवकुफ समझना और उसकी सहानुभुति बटोरने की कोशिश भर है। कहा कि एक विधायक को जितना कुल मासिक वेतन मिलता है उससे कई वकील रखे जा सकते हैं। विधायक द्वारा ही गठित नवजवान सभा के सदस्य नागेंदर सिंह इस बयान को खारिज करते हैं। कहा कि इस तरह का बयान देने से जनता में विश्वसनीयता खोता है आदमी। कहा कि सिर्फ अपनी लडाई लडते रही विधायक जनता की नहीं।

न समिति का गठन न ही बैठक
ठप रहा विकास कार्य
 साढे तीन साल तक इलाके का विकास ठप रहा। न  समितियों का गठन किया गया न गठित कमितियों की बैठक की गई। कोई गतिविधि विधायक की नहीं रही। अनुमंडल अनुश्रवण समिति की बैठक कभी नहीं की गई, जबकि दो साल से उसके अध्यक्ष खुद विधायक हैं। यह सौभाग्य उन्हें वरिस्ठ विधायक रणविजय सिंह के जेल में रहने के कारण मिला था, जो इलाके के लिए दुर्भाग्य बन गया। अनुमंडल में संचालित सरकारी योजनाओं का कार्यांवयन की समीक्षा नहीं हो सकी। सब भगवान भरोसे रहा। इसी तरह ओबरा विस क्षेत्र के हाई स्कूलों में प्रबन्ध समिति का गठन नहीं किया गया। एक स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कहा कि जाते-जाते गठित कर गए थे। इनके अनुसार करीब दो माह पूर्व ही समितियों का गठन किया गया है। यानी करीब तीन साल से अधिक समय तक हाई स्कूल में विकास ठप रहा। इसके लिए प्रयास नहीं किए गए।   
आगे नहीं बढ सका कलम क्रांति का शंखनाद

राजनीतिक इस्तेमाल भर हुआ साबित
 उच्च न्यायालय में दाखिल वाद के अनुसार सरकारी सेवक रहते औरंगाबाद में एनजीओ चलाने के मामले में सोमप्रकाश के बर्खास्तगी की आशंका है। लेकिन इसी एनजीओ ने उन्हें दरोगा से विधायक बना दिया। रास्ता यही था, महत्वाकांक्षा इसी रास्ते पर चलते वक्त जगी। विधायक के प्रतिनिधि नंदकिशोर सिंह के अनुसार साल 2006 में शैक्षिक जागृति मंच का गठन कर आदिवासी बच्चों के बीच कलम क्रांति का शंखनाद किया गया था। संभवत: 2009 में जिला मुख्यालय में तात्कालीन राज्यपाल आए और मंच के प्रयास की सराहना करते हुए पचास हजार रुपए का चेक प्रदान किया था। लोग इस बत को लेकर अब आलोचना करते हैं कि मीडिया ने हाथों हाथ लिया लेकिन तब हिडेन एजेंडा उजागर नहीं किया। वह मंच बेमौत क्यों मर गया? क्या वह राजनीतिक उद्देश्य से गठित किया गया था? सोमप्रकाश इस मुद्दे पर बोलना नहीं चाहते। सवालों से भागते हैं। सवाल है कि क्या हुआ मंच का, उस पैसे का या चन्दा वसूल किए गए पैसे का? कोई हिसाब क्यों नहीं जनता के बीच गत पांच सालों में रखा गया। ओबरा में छात्रा की शिक्षा के लिए बस खरीदा गया, वह क्यों बैठ गया? जब एक मामुली दारोगा थे तो मंच सक्रिय था फिर विधायक बनते ही क्यों उसकी गतिविधियां ठप हो गईं? जनता जानना चाहती है, मगर विधायक जी सामना करना नहीं चाहते।

खुद पर दिखाए गए शो पर भी जबाब नहीं देते
सन्दर्भ- सावधान इंडिया का एपीसोड
सिर्फ झुठ दिखाने का क्या था मकसद
 सावधान इंडिया में जो दिखाया गया उसे देखने वाले और सोमप्रकाश को विशेषत: ओबरा के थानेदारी कार्यकाल को जानने वाले सकते में पड गये थे। सवाल उठाने वालों का भरोसा इमानदारी का दावा करने वालों से टूटता रहा है। यह एपीसोड ओबरा के व्यवसाई विनय प्रसाद बनाम सोमप्रकाश के बीच के विवाद पर आधारित है। यह घटन क्रम तब का है जब सोमप्रकाश ओबरा का थानेदार थे। मालुम हो कि अप्रैल 2006 से मई 2008 तक ओबरा के थानेदार थे। इस शो को चौरम निवासी फिल्म निर्देशक संतोष बादल ने बनाया है। कुछ सवाल जिसका जबाब कभी नहीं दिया- क्या कभी निलंबित अवधी में दुध बेचा? क्या कभी विनय कुमार ने उन्हें पीटवाया था? क्या इनके घर कोई गुंडा मारने गया था? अगर यह सच है तो तब प्राथमिकी क्यों नही दर्ज किया, तब खुद थानेदार थे? क्या इमानदारी चमकाने के लिए ही 4 करोड की सडक योजना शुरु होते ही 4 करोड के घोटाले की एफआईआर नहीं दर्ज कराया था? 10 रु. के लिए शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज इसीलिए नहीं किया था? ओबरा के थानेदार रहते खुदवां थाना में बैठ कर जब एफआईआर कैसे दर्ज किया था? फिर जब विनय कुमार ने पीटवाया तो उनके खिलाफ क्यों नहीं प्राथमिकी दर्ज कराया? उनकी गिरफ्तारी में तत्कालीन एसडीओ ने आपको साथ दिया था? क्या विनय कुमार को 5 साल की सजा हुई थी? क्या उनका और आपका चुनावी मुकाबला हुआ था? वे तो विधान परिषद के चुनाव लडे थे। किसी की हत्या विनय ने नहीं की थी, और हां- जिस ड्राइवर के अपहरण का किस्सा दिखाया है-उसने तो कोर्ट में कहा था कि मेरा विनय बाबु से बेहतर रिश्ता है। उसकी मां और पत्नी ने भी लिखित बयान दिया था। फिर शैक्षिक जागृति मंच को इस एपीसोड से दूर क्यों रखा?



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