Sunday 13 April 2014

अंबेदकर परिवारों की स्थिति बद से बदतर


                                                                    अंबेदकर परिवारों की स्थिति बद से बदतर
                                                                        न अंबेदकर की प्रतिमा न मनती है जयंती
 समाज की एकजुटता पर राजनीति हावी
उपेन्द्र कश्यप
 आज बाबा साहब डा.भीमराव अंबेदकर जी की जयंती है। पूरा देश संविधान निर्माता के रुप इनको जानता है। आज इनकी जयंती मनाई जा रही है। देश का हर राजनीतिक वर्ग यह दिखाने का प्रयास करता है कि वह इनको सम्मान देता है। इनकी जाति की आबादी देश के सामाजिक ताने बाने में अस्पृष्य मानी जाती है। इनका सामाजिक जीवन बडा कठिन है। इनमें शिक्षा का घोर अभाव है। जबकि बाबा साहब कहते रहे थे कि शिक्षित हो, संगठित हो और संघर्ष करो। यह तीनों ही बात इस समाज पर लागू नहीं होती। यह समाज बिहार में महादलित के रुप में अधिसूचित है। इनके विकास के लिए महादलित विकास मिशन  के तहत कई योजनाएं चलाने का दावा किया जाता है। फिर भी महादलित की नहीं अंबेदकर के स्वजातीय समाज की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। शिक्षा एवं रोजगार का घोर अभाव है। तरह तरह की बीमारी कम उम्र में लोगों को कमजोर कर रही है। शहर में ठीक नगर पंचायत के पास इस समाज का मुहल्ला है। करीब 20 घर। आबादी करीब 150 की होगी। यहां न तो इनकी प्रतिमा है न ही इनकी जयंती मनाने का रिवाज। लोग इनके बारे में बहुत कम जानते हैं। बस घरों तक तस्वीरों में कैद हो कर रह गए हैं-प्रेरणा पूंज महापुरुष। यहां विकास की रौशनी नहीं पहुंची है। समाज महादलित का गठन होने के बाद ‘महादलित विकास मंच’ के बैनर तले एकजुट होने का प्रयास किया था, अपने मुद्दे पर संघर्ष के लिए आगे बढने की कोशिश कर रहा था कि तभी किसी की नजर लग गई। राजनीति ने एकजुटता की कोशिश में मट्ठा डाल दिया। संगठन का चुनाव नहीं हुआ। सचिव रहे सुशिल कुमार ने कहा कि जब चुनाव होगा तभी जयंती मनाने पर विचार करने की बात थी, लेकिन चुनाव ही नहीं हो रहा है। पूर्व में एकाधिक बार मंच के बैनर तले जयंती मनाई गई थी। समाज के लोग के पास काम नहीं है। मजदूरी, नाली और गन्दगी सफाई कर जीवन यापन करते हैं।

योजना का लाभ नहीं-सुशिल
* जैन कालेज आरा में नामांकन प्रभारी हैं-सुशिल कुमार। स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। बहुत कम लोग इस समाज में इतना पढे मिलेंगे। बोले- तीन डिस्मिल जमीन देने की योजना हो, बीस हजार ऋण देना हो कोई लाभ नहीं मिला। झुग्गी झोपडी में रहते हैं लोग। इनके लिए आवास की कोई योजना नहीं बनी। हर घर में बाबा साहब की तस्वीर मिल जाएगी। महादलितों के संगठन को तोडने का काम किया गया। संगठित प्रयास से अधिक तोडने की प्रवृति हावी है।
25 साल से अस्थाई काम
*दाउदनगर कालेज में मदन राम 25 साल से अस्थाई तौर पर काम कर रहे हैं। उनकी स्थाई नौकरी की उम्मीद पूरी नहीं हो पा रही है। बोले-2000 महीना मिलता है। इसी से परिवार का गुजारा करना पडता है। बाबा साहब के बारे में नहीं जानते। सिर्फ पता है कि वे इनके पूर्वज थे। नगर पंचायत में सेवानिवृत सफाई कामगारों को पेंशन नहीं मिल रहा है। जब कि पैसा आया हुआ है।

अंबेदकर जयंती पर विशेष
कौन थे बाबा साहब अंबेदकर?

डॉ॰ भीमराव रामजी आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को सैन्य छावनी मऊ में हुआ था।  वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई मुरबादकर की 14 वीं व अंतिम संतान थे। परिवार मराठी था और अंबावडे नगर जो आधुनिक महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले मे है, से संबंधित था। वे हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे। जो अछूत कहे जाते थे और उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। अम्बेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे।  और उनके पिता भारतीय सेना की मऊ छावनी में सेवा में थे और यहां काम करते हुये वो सूबेदार के पद तक पहुँचे थे। उन्होंने मराठी और अंग्रेजी में औपचारिक शिक्षा की डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल में पढने और कड़ी मेहनत करने के लिये हमेशा प्रोत्साहित किया। उनका निधन 06 दिसंबर 1956 को हुआ था। वे विधिवेत्ता थे। भारतीय संविधान की रचना ज्का श्रेय उन्हें जाता है। इसमें उन्होंने समाज के हाशिए पर खडी आबादी के विकास के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी। यह आज तक निरंतर जारी है। वे एक बहुजन राजनीतिक नेता, और एक बौद्ध पुनरुत्थानवादी थे। उन्होंने अपना सारा जीवन हिंदू धर्म की चतुवर्ण प्रणाली,  और भारतीय समाज में सर्वव्यापित जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। हिंदू धर्म में मानव समाज को चार वर्णों में वर्गीकृत किया है। उन्हें बौद्ध महाशक्तियों के दलित बौद्ध आंदोलन को प्रारंभ करने का श्रेय भी जाता है। बाबासाहेब अम्बेडकर को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
बाबा साहब के बारे में खास जानकारी
जन्म-14 अप्रैल 1891, मउ, सेन्ट्रल प्रोविंस, ब्रिटिश भारत (वर्तमान मध्य प्रदेश में)। मृत्यु    6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65), दिल्ली में। अन्य नाम-महान बोधिसत्व, बाबा साहेब। शिक्षा-एम.ए., पी.एच.डी., डी. एससी., एलएल.डी., डी.लिट., बैरिस्टर एट लॉ अल्मा मेटर, मुंबई विश्वविद्यालय, कोलंबिया विश्वविद्यालय, लंदन विश्वविद्यालय, लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स। संस्था     -समता सैनिक दल, स्वतंत्र लेबर पार्टी, अनुसूचित जाति फेडरेशन, भारत की बौद्ध सोसायटी। उपाधि-भारत के प्रथम कानून मंत्री, संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष। राजनीतिक पार्टी-भारतीय रिपब्लिकन पार्टी। राजनीतिक आंदोलन-अम्बेडकर का बौद्ध धर्म। धर्म-बौद्ध धर्म(मृत्यू से पूर्व)। पत्नी-रामाबाई आंबेडकर (विवाह 1906) एवं  सविता आंबेडकर (विवाह 1948) पुरस्कार-    भारत रत्‍न (1990)



No comments:

Post a Comment