Friday 25 April 2014

गत लोस चुनाव में राजद का था कमजोर प्रदर्शन


                                  फोटो-ओबरा विस का मानचित्र
                           काराकाट के ओबरा विस क्षेत्र का आकलन
इस बार पडे हैं 48059 मत अधिक
                               गठबन्धन का भी बदल गया है स्वरुप

विधानसभा एवं लोकसभा के मतों का विश्लेषण  

उपेन्द्र कश्यप,
लोकसभा चुनाव 2009 में काराकाट के ओबरा विधान सभा क्षेत्र में राजद की हालत पतली थी। इसके प्रत्याशी डा.कांति सिंह को तब 29681 मत मिले थे। राजग प्रत्याशी महाबली सिंह को तब 34777 मत मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी अवधेश नारायण सिंह को 7607 मत मिले थे। अन्य प्रत्याशियों के हिस्से 22703 मत गए। तब कुल 94768 मत पडे थे। इस बार कुल 142827 यानी 48059 मत अधिक पडे हैं। यह अधिक मत परिणाम प्रभावित करेगा। इसे दोनों ध्रुव राजद और राजग अपने पक्ष में सकारात्मक मान रहे हैं। तब राजद कांग्रेस अलग अलग थे लेकिन राजद के साथ तब लोजपा थी। इस बार राजद के साथ कांग्रेस है, लेकिन इसका आधार वोट राजद के पाले में कितना गया इसका दावा नहीं किया जा सकता क्योंकि कांग्रेस को मिले वोट का बडा हिस्सा राजग को चला गया इससे शायद ही कोई इंकार करेगा। लोजपा भाजपा के साथ है और इसका मत सर्वाधिक रालोसपा प्रत्याशी को मिला इससे किसी को शायद ही इंकार हो। इस बार भाजपा और जदयू अलग अलग हैं इसे ही अपनी जीत के लिए सबसे मजबूत पक्ष राजद मानता है। लोजपा और रालोसपा भाजपा के साथ हैं। इससे मजबूती मिली है। जदयू को वोट काफी कम मिलेगा। इसका एक कारण है लहर और दूसरा जिधर हवा का रुख अधिक दिखता है उधर ही 10 से 15 फिसदी वोटरों का रुझान हो जाने की प्रवृति का होना। लेकिन तब भी शायद तीसरे स्थान से नीचे नहीं खिसकेगा जदयू। राजद का कहना कि उसके वोटर आक्रामक थे और सर्वाधिक वोट डाले हैं, यह एक पक्षीय सच है। राजग समर्थकों ने भी आक्रमकता दिखाई है। जिसकी जहां चली उसने आक्रमकता दिखाया है। चर्चा के अनुसार बिरई तो उदाहरण है जहां राजद के वोटरों को भी वोट नहीं देने दिया गया। गत विधानसभा चुनाव 2010 का परिणाम देखें तो राजद प्रत्याशी सत्यनारायण सिंह को मात्र 16851 मत मिले थे। तब राजद का आधार मत निर्दलीय सोम प्रकाश के साथ चला गया था और उसे 36815 मत मिला। जदयू के प्रमोद सिंह चंद्रवंशी को 36012 मत मिला था। राजग की लहर में वे 803 वोत से हार गए थे। यहां स्पस्ट है कि विधान सभा और लोकसभा चुनाव की प्रकृति भिन्न होती है। मतदाताओं का रुझान, सोच सब अलग होते हैं।

No comments:

Post a Comment