Friday 21 April 2023

तीन साल में चार गुना से अधिक अगलगी की घटना

 


हर वर्ष बढ़ते जा रही अगलगी की घटनाएं 

फोटो- दाउदनगर अग्निशमन कार्यालय 

आठ से पंद्रह- 16 और फिर 24 घटना प्रत्येक माह

लोगों को है जागरूक होने की जरूरत 

सतर्कता के बिना समस्या बढ़ती जा रही

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : दाउदनगर अनुमंडल में अगलगी की घटनाओं में लगातार तेजी देखी जा रही है। जागरूकता अभियान चलाए जाने के बावजूद अगलगी की घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। लोगों को जागरूक होने की जरूरत है लेकिन इसमें आवाम रुचि नहीं ले रहा। यह बड़ी समस्या है। प्राप्त विवरण के अनुसार तीन वर्ष में अगलगी की घटनाएं चार गुना बढ़ गई। इस पर नियंत्रण पाने का कोई उपाय फिलहाल नहीं दिख रहा। वर्ष 2020 में अगलगी की 97 घटना घटी। यानी प्रत्येक महीने लगभग आठ घटना घटी। इस वर्ष एक बड़ी घटना सुर्खियां बनी थी। जब अरई में खलिहान में लगी आग में डेढ़ साल का एक बच्चा झुलस कर मर गया था। वर्ष 2021 में कुल 184 घटनाएं घटी। यानी प्रत्येक महीने लगभग 15 अगलगी की घटना घटी। इस वर्ष 20 अप्रैल को ओबरा प्रखंड के नौनेर में 10 वर्ष की एक लड़की स्वीटी कुमारी की मौत हुई थी। कई घटनाएं ऐसी घटी जिसमें पशुओं की मौत हुई। वर्ष 2022 में 197 अग्निकांड दर्ज किए गए। यानी प्रत्येक महीने लगभग 16 घटना। बिहारी बिगहा में एक गाय और बकरी की मौत हुई थी। वहीं 23 अप्रैल 2022 को खुदवां के बिशुनपुर चंदा में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया था। रोशनी कुमारी घायल हुई थी। वर्ष 2023 के प्रारंभिक तीन महीने में ही 102 अग्निकांड हो चुके हैं। अर्थात इस चालू वर्ष में प्रत्येक महीने लगभग 34 अग्निकांड दर्ज हो रहे हैं। यानी तीन साल में ही अग्निकांड चार गुना से अधिक बढ़ गए। यह चिंता का विषय है और इस पर नियंत्रण पाने में जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे तब तक सफलता नहीं मिलेगी।



अगलगी की घटनाओं की कई वजह 

विभाग द्वारा बताया गया कि आग लगी होने का कोई एक या दो कारण नहीं है। बल्कि कई कारण हैं। खेत खलिहान में रखे गए धान पुआल में सर्वाधिक आग लगता है। आमतौर पर अज्ञात कारण होता है। कभी-कभी बीड़ी सिगरेट पी कर फेंक देने से, कभी बच्चों द्वारा माचिस जला देने से अगलगी की घटना होती है। कभी-कभी जानबूझकर खेत में आग लगाया जाता है, जिसकी चिंगारी से खलिहान और पुआल के गांज में आग लग जाता है या कई बार घर जल जाते हैं।



समझने को तैयार नहीं ग्रामीण विभागीय अधिकारियों की मानें तो ग्रामीण अगलगी से संबंधित जानकारी जानने तक को तैयार नहीं होते हैं। विभाग की टीम उन्हें समझाने जाती है, जागरूक करने का काम किया जाता है, लेकिन ग्रामीण कोई न कोई बहाना बनाकर समय नहीं देते हैं। वह इसमें रुचि नहीं लेते हैं। शहर में कुछ हद तक तो जागरूकता है लेकिन गांव में स्थिति उलट है।



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