Wednesday 26 April 2023

सोन का शोक : सोन क्षेत्र की सड़कों पर चलने से हो रही आंख व श्वास की बीमारी



कणों से यात्रा मुश्किल बीमारी के साथ मौत का भी खतरा 

रोहतास, औरंगाबाद, अरवल, आरा, पटना के हालात मुश्किल

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : रोहतास जिले में सोन पर इंद्रपुरी में बराज बना हुआ है। इसके नीचे पटना तक जहां सोन गंगा में मिल जाता है, वहां तक सोन के बाएं और दाएं पड़ोस की सड़कों पर चलना काफी मुश्किल भरा काम है। सड़कों पर बालू की सतह जमा होना आम बात है। इतने धूल उड़ते हैं कि उससे बीमारी और दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। लोगों का फेफड़ा व आंख बर्बाद हो रहे हैं। रोहतास जिला में डेहरी और उसके ठीक सामने औरंगाबाद में, अरवल, आरा, पटना के वे क्षेत्र जो सोन के सीमावर्ती हैं, वहां दो-तीन से पांच किलोमीटर की यात्रा करना भी मुश्किल होता है। बारूण से नबीनगर चले जाएं या बारुण से दाउदनगर की तरफ, डेहरी में इंद्रपुरी की तरफ जाएं चाहे नासरीगंज तक आएं या फिर दाउदनगर से नहर के रास्ते शमशेर नगर की ओर होते पटना तक जाएं या दाउदनगर नासरीगंज सोनपुल की तरफ यात्रा करें काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। सोन तटीय इलाके में सड़क हो या पुल बालू के आवागमन के कारण उन पर बालू जमा रहता है। जिससे खासकर बाइक चालकों के फिसल कर गिरने का डर रहता है। यह धूल कण आंखों में समा जाते हैं। जिससे बचना मुश्किल होता है। कभी-कभी बालू और कीचड़ इतना अधिक होता है कि उसमें बाइक फंस जाता है। उसे निकालना मुश्किल होता है। 


आंख और फेफड़ा हो रहे बर्बाद, हो रही कई बीमारी

फोटो- डा. विनोद कुमार और डा.महेंद्र शर्मा 

सड़कों और पुलों पर जमे धूल, बालू से लोग बीमार पड़ रहे हैं। आंख और फेफड़ा बर्बाद हो रहा है। इस मामले में आंख विशेषज्ञ डा. विनोद कुमार कहते हैं कि धूल का कण आंख में पढ़ने से कोर्निया पर फर्क पड़ता है। वह गड़ते रहता है। उसमें जख्म हो जाता है। कोर्नियल पलसर हो सकता है। बराबर आंख में धूल और बालू के कण पड़ते रहने से बुरा प्रभाव पड़ता है और गंभीर बीमारी होती है। जिससे डिजनरेटेड चेंज होता है और इससे बड़ी परेशानी होती है।

 हृदय रोग विशेषज्ञ डाक्टर महेंद्र शर्मा कहते हैं कि फेफड़ा बर्बाद हो रहा है। सीओपीडी नाम की बीमारी हो रही है। फेफड़ा हवा लेने के लिए बना है ना कि बालू और धूल। इससे फेफड़ों में सूजन होता है। उसकी मुलायमियत और उसके स्वभाव में परिवर्तन होता है। फैलाव कम होने लगता है। दबाव अधिक पड़ता है। जिससे हांफने की बीमारी होती है। खांसी होती है और एक वक्त आता है जब फेफड़ा खराब हो सकता है।




खबर बनती है तो उठाया जाता है रेत 

 दाउदनगर नासरीगंज सोनपुल हो या डेहरी स्थित रेलवे ओवर ब्रिज या बारूण दाउदनगर पथ में रेलवे अंडर पास उसकी सफाई तभी होती है जब रेत जमा होने की खबर अखबारों में छापी जाती है। अन्यथा रेत के कारोबार से जुड़े कारोबारी हों या अवैध रूप से बालू से कमाई करने वाले माफिया हों, या सड़क से संबंधित विभाग वे इसकी सफाई करने को लेकर जागरूक नहीं रहते हैं। उनके कान पर जू तक नहीं रेंगता है।



सड़क से बालू हटाना घाट की जिम्मेदारी 

बालू घाट से जुड़े सूत्रों के अनुसार सड़क या पुल पर बालू ढुलाई के कारण जो रेत जमा होता है उसको साफ करने की जिम्मेदारी बालू घाट संचालकों की है। एक बालू घाट संचालक ने कहा कि खनन विभाग का काम ही यही सब देखरेख करना है। लेकिन खनन विभाग बालू घाट संचालकों पर दबाव नहीं डाल पाता। इसके कारण सड़कों या पुलों पर रेत जमा रहता है।



नगर परिषद को कराना पड़ा था साफ़ 

बालू घाट संचालकों और विभाग की लापरवाही इस हद तक है कि छठ के अवसर पर भी सड़क और पुलों से बालू नहीं हटाए गए थे। अंततः दाउदनगर नगर परिषद द्वारा रेत हटाने का काम किया गया था।



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