Monday 24 April 2023

सोन का शोक : वैध-अवैध का चक्कर, पर रोजगार मिलता जमकर

 


2000 लोगों से अधिक के लिए रोजगार की संभावना

फिलहाल साढ़े छह सौ व्यक्तियों को मिला हुआ है काम

वैध-अवैध रूप से लगभग 17 हजार लोगों को रोजगार

लेबर से लेकर स्टाफ तक कमाते हैं 15 से 20 हजार रुपये तक महीना 

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : औरंगाबाद में अंधाधुंध बालू खनन से सोन भले बर्बाद हो रहा हो लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह है कि इसने काफी रोजगार का सृजन किया है। सोन में कुल 37 बालू घाट हैं। जिसमें नया भी शामिल है। जिला खनन पदाधिकारी पंकज पासवान के अनुसार 11 घाट संचालित हैं। घाट संचालकों के अनुसार एक घाट पर औसतन 50 से 60 व्यक्ति काम करते हैं। जिसमें मजदूर भी शामिल है। इस हिसाब से देखें तो लगभग साढ़े छह सौ व्यक्ति अभी काम कर रहे हैं, जबकि इस संख्या में ट्रक ड्राइवर और सह चालक शामिल नहीं है। इसके अलावा यदि सभी घाट संचालित होने लगे तो 2000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। यदि अवैध रूप से चल रहे लगभग 5000 ट्रैक्टरों को भी जोड़ लें तो 15000 लोगों को अवैध रूप से संचालित ट्रैक्टर से रोजगार मिल जाता है। बालू घाटों पर काम करने वालों को महीना तो मिलता ही है उसके अलावा प्रति ट्रक भी कुछ पैसे मिलते हैं। वह श्रमिक जो बालू को ट्रक पर लादने का काम करता है वह भी लगभग 15000 रुपये तक महीने की आमदनी कर लेता है जबकि अन्य व्यवस्था से जुड़े कर्मचारी बीस हजार रुपये महीना तक आमदनी कर लेते हैं। एक बालू घाट संचालक ने बताया कि एक घाट पर न्यूनतम 35 से 40 व्यक्ति को रोजगार मिलता है। लेकिन चूंकि इस काम में विवाद होते रहता है इसलिए अधिकतर घाटों पर 50 से 60 व्यक्ति विभिन्न तरह के काम करते हैं। बालू घाट दिन-रात संचालित होते हैं। यह बंद नहीं होते। इसलिए दो शिफ्ट में काम करने के लिए अलग अलग व्यक्ति रखे जाते हैं। बताया गया कि बालू ट्रक पर लादने में जो मशीन इस्तेमाल होता है उस पर एक आपरेटर, एक सहायक के अलावा दो और व्यक्ति काम करते हैं। कैशियर और चालान काटने का काम भी कई लोग करते हैं। बताया गया कि एक बालू घाट पर लगभग 50 से 60 व्यक्तियों को रोजगार मिलता है। बताया गया कि बालू घाटों पर प्रत्येक काम करने वाले व्यक्ति को तय रकम बतौर महीना मिलता है। इसके अलावा प्रति ट्रक भी पैसा मिलता है। 



अवैध रूप से 5000 से अधिक ट्रैक्टर को मिल रहा काम

15 हजार से अधिक को मिला है रोजगार

बालू खनन से लगभग पांच हजार ट्रैक्टर जुड़े हुए हैं। बारुण से लेकर शमशेर नगर तक। जिनके ड्राइवर और उप चालक का भी रोजगार इससे जुड़ा हुआ है। एक ट्रैक्टर से न्यूनतम तीन व्यक्ति को रोजगार प्राप्त हो रहा है। यानी पंद्रह हजार लोगों को काम मिला हुआ है। ये ट्रैक्टर औरंगाबाद जिला में सोन घाट से बालू ढ़ोने का काम करते हैं। इस तरह से देखें तो रोजगार का बड़ा साधन बालू घाट उपलब्ध कराते हैं। लेकिन ये अवैध हैं। अवैध कार्य में संलिप्त हैं। पुलिस इनके खिलाफ जब तब कार्रवाई करती है लेकिन हालात नहीं बदल रहे। दरअसल एक ट्रैक्टर बालू वैध रूप से 2000 से 2200 में मिलेगा लेकिन अवैध ट्रैक्टर से सिर्फ 1000 से 1200 रुपये में मिल जाता है। इस कारण जनता का एक हद तक समर्थन प्राप्त होता है। दूसरी तरफ बालू के वैध घाट वाले ट्रैक्टर से बालू नहीं बेचते। क्योंकि इसमें उनको परेशानी समझ में आती है।

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