Sunday 16 April 2023

औरंगाबाद में अरवल के पूर्व विधायक के पुत्र की गोली मारकर हत्या

 



अरवल के दो बार विधायक रहे हैं रविंद्र सिंह 

पत्नी उषा शरण ने लगाया पुत्र की हत्या करवाने का आरोप 

बनाये गए हैं विधायक समेत छह नामजद आरोपित 

मौका ए वारदात से सिर्फ दो खोखा बरामद

दाउदनगर (औरंगाबाद) : अरवल के दो बार विधायक रहे रविंद्र सिंह के पुत्र कुमार गौरव उर्फ दिवाकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनकी उम्र 35 वर्ष बताई जाती है। अपराधियों ने शुक्रवार की रात लगभग 9:30 बजे औरंगाबाद के दाउदनगर थाना क्षेत्र के हिच्छन बिगहा गांव में उनके घर से कुछ दूरी पर उन पर हमला किया और घटनास्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गई। एसडीपीओ कुमार ऋषि राज के अनुसार इस मामले में दो खोखा बरामद किया गया है। यह 1.35 बोर का बताया जा रहा है। बताया गया कि देशी बंदूक से गोली मार जाने की अधिक संभावना है। सूत्रों के अनुसार वह खाना खाकर घर से अपने खेत की तरफ गए थे। जहां आरोपित उनसे भिड़ गए और हत्या करने के बाद खलिहान में पुआल के गांज में शव को छुपा दिया। इस बीच दिवाकर ने अपनी मां उषा शरण को फोन किया। लेकिन बात नहीं हो सकी। मां ने काल बैक किया। लेकिन बात नहीं हो सकी। इस बीच फायरिंग की आवाज सुनकर खेत की तरफ मां दौड़ी। बेटे को बेसुध पड़ी देखी। सूत्रों के अनुसार दो गोली सीने में, एक पीठ में और एक पैर पर लगी है। इस मामले में मृतक की मां उषा शरण ने प्राथमिकी कराई है। प्राथमिकी आवेदन में उन्होंने कहा है कि पूर्व विधायक रविंद्र सिंह ने सुनियोजित तरीके से योजना बनाकर अपने गुर्गों से हत्या करवाया है। पूर्व विधायक के अलावा विनय कुमार सिंह, सुधांशु, रोशन उर्फ बमड, रवि और सत्येंद्र महतो को नामजद आरोपित बनाया गया है। सभी आरोपित हिच्छन बिगहा के निवासी बताए जाते हैं। प्राथमिकी आवेदन में कहा गया है कि वर्ष 1995 में पहली बार जब रविंद्र सिंह विधायक बने तो 1996 में उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक देने की धमकी दी। पूर्व विधायक के चरित्र पर आरोप लगाया गया है। घटना के तत्काल बाद से गांव में पुलिस कैंप कर रही है। एसडीपीओ कुमार ऋषि राज ने बताया कि तकनीकी साक्ष्य उपलब्ध करने पर काम किया जा रहा है। कोई प्रत्यक्ष गवाह उपलब्ध नहीं है इसलिए मोबाइल डंप और सीडीआर निकाला जा रहा है ताकि वास्तविक हत्यारे का पता लगाया जा सके। मामले के उद्भेदन के लिए एसआईटी का गठन भी किया गया है। बताया कि गांव में मौका ए वारदात पर पुलिस को यह जानकारी दी गई की दो अपराधी आए थे जिन्होंने हत्या की। शव को अंत्य परीक्षण कराकर स्वजनों को सौंप दिया गया। गांव में मातम और दहशत का माहौल है। काफी संख्या में भीड़ इकट्ठा हुई और तरह-तरह की बात की जा रही है।





जिनके सहारे गांव की सुरक्षा, उनकी सुरक्षा में कैसे लगा सेंध


चोरी, हत्या व लूट की घटना पर सबसे पहले पहुंचे थे पूर्व विधायक 

सतर्कता इतनी कि कोइरीटोला से गुजरने पर लोग टोक देते थे 

पहले से ही था सब कुछ ओपन सीक्रेट मामला

गांव आये पिता रवींद्र सिंह को विरोध के कारण भागना पड़ा


 उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : दाउदनगर और अरवल की सीमा पर स्थित गांव है हिच्छन बिगहा। यहां जाने का रास्ता अरवल जिला के कलेर प्रखंड के अग्नूर से गुजरता है। इसी गांव में लालू प्रसाद यादव की पुत्री रोहिणी आचार्य का विवाह हुआ है। इस गांव की सुरक्षा की जिम्मेदारी कुमार गौरव उर्फ दिवाकर की हत्या में आरोपित बनाए गए इनके पिता पूर्व विधायक रविंद्र सिंह की रही है। ग्रामीणों में इसे लेकर कई सवाल हैं, जो उनकी संलिप्तता को लेकर आशंका को पुष्ट करती है। उनका सुरक्षा तंत्र काफी मजबूत माना जाता है। ग्रामीणों की मानें तो इलाके में चोरी, हत्या और लूट की घटना इनकी सुरक्षा प्रबंधों के कारण ही नहीं होती है। फिर भी यदि कभी भी इस तरह की कोई घटना घटी तो सबसे पहले पूर्व विधायक पहुंचे थे। अब जब उनके पुत्र की हत्या उनके ही घर के समीप हो गई है तो गांव में सबसे बड़ा सवाल यही पूछा जा रहा है कि उनकी सुरक्षा में गांव रहता था, फिर उनकी ही सुरक्षा में ही सेंध कैसे लग गया। उनके पुत्र की हत्या कैसे कोई कर गया। ग्रामीणों की मानें तो गांव में जो कोइरी टोला कहा जाता है यानी जहां रविंद्र सिंह का घर है उस मोहल्ले से कोई दिन में भी गुजर जाए तो उधर बैठे लोग पूछ बैठते थे कि इधर कहां जा रहे हैं। ऐसी सजगता सुरक्षा को लेकर यहां रही है। एक ग्रामीण ने सवाल किया कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा जिन पर थी, जिनके घर में हथियार है, जिनके साथ अंगरक्षक है, फिर उन्हीं के घर में हत्या कैसे हो गई। मालूम हो दिवाकर की हत्या के तुरंत बाद पूर्व विधायक रविंद्र सिंह गांव पहुंचे थे। बताया गया कि वे सीमावर्ती प्रखंड कलेर में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जयंती से जुड़े एक कार्यक्रम में शामिल थे। हत्या की सूचना के बाद गांव पहुंचे और उन्होंने यह जानने का प्रयास किया कि कैसे और किसके द्वारा हत्या की गई है। तभी गांव में इनका विरोध शुरू हुआ और चुपके से उनको निकल जाना पड़ा। गांव में यह बात खुलेआम कहीं जा रही है कि किस-किस ने गोली चलाई होगी और सभी को इनका आदमी बताया जा रहा है। ग्रामीण साफ कह रहे हैं कि हर ग्रामीण यह जानता था कि इस तरह की घटना को अंजाम दिया जा सकता है और कौन दे सकता है। यह सब कुछ पहले से ही ग्रामीणों को पता था और ग्रामीण खुलकर चर्चा इस बात की कर रहे हैं। इस संबन्ध में रवींद्र सिंह का पक्ष जानने के लिए इस संवाददाता ने दो बार काल किया तो रिसीव नहीं किया। फिर बाद में उनका मोबाइल स्वीच आफ बताने लगा।




विधायक बनना चाहते थे कुमार गौरव 

फोटो-दिवाकर और रवींद्र सिंह (दोनों फाइल फोटो)

 अरवल से लड़े थे चुनाव, आरोपित पिता रहे हैं दो बार विधायक 

पत्नी का दावा- अपनी टिकट दिया था पति को 

संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : रविंद्र सिंह औरंगाबाद जिला के सीमावर्ती जिला अरवल विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक बने थे। उसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने की आकांक्षा उनके दूसरे पुत्र कुमार गौरव उर्फ दिवाकर ने पाल रखा था। अविवाहित और लगभग 32 वर्ष की उम्र में कुमार गौरव ने आई एन डी यानी निर्दलीय अरवल विधानसभा क्षेत्र से 2020 में चुनाव लड़ा था। तब उन्हें मात्र 260 मत प्राप्त हुए थे। मालूम हो कि रविंद्र सिंह अतिवादी नक्सली संगठन के सदस्य के रूप में सक्रिय थे और फरारी जीवन जी रहे थे। वर्ष 1995 में लालू प्रसाद यादव से करीबी होने के कारण इनको चुनाव लड़ने का मौका मिला था। इनकी पत्नी उषा शरण का दावा है कि तब जनता दल का टिकट उन्हें मिला था। क्योंकि वह फरार चल रहे थे। लेकिन उन्होंने रविंद्र सिंह को विधायक बनवाने का काम किया और इनके खिलाफ जो दर्जनभर मामले थे उसे खत्म करवाया। दावा किया कि विधायक बनते ही सबसे पहले उन्होंने पत्नी को तलाक देने की धमकी दी और तब से ही संबंध खराब होता चला गया। बताया जाता है कि स्थिति इतनी बिगड़ती चली गयी कि उन्होंने सिंदूर लगाना भी छोड़ दिया। बाद में रविंद्र सिंह विधायक नहीं बन सके। लेकिन 2015 में राजद से टिकट मिला और पुनः विधायक बन गए। इसके बाद 2020 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला। निर्दलीय उनके पुत्र दिवाकर ने चुनाव लड़ा जिसकी हत्या के आरोपित अब वे स्वयं बन गए हैं।




घर से 400 कदम दूर की गई हत्या परिचित ही हत्यारे, शक पर उठा लिया था कुदाल 

संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : दिवाकर के हत्यारे पूर्व से ही दिवाकर के परिचित थे। ग्रामीणों के अनुसार हिच्छन बिगहा के जिस घर में उषा शरण रहती हैं वहां से लगभग 400 कदम दूर खेत में खाना खाने के बाद दिवाकर टहलते हुए गए थे। आमतौर पर वे प्राय: खाना खाने के बाद टहलने जाते रहे हैं। इसी बीच सड़क से लगभग 60 कदम दूर बोरिंग के पास उनको लोगों ने पकड़ा। बातचीत करते हुए जा रहे थे। उनको शक हुआ और तब उन्होंने अपनी मां को काल किया। बात नहीं हुई तो उषा शरण ने दिवाकर को काल बैक किया। लेकिन बात नहीं हुई। आशंका के कारण दिवाकर ने कुदाल उठा लिया। अपराधी। भीड़ गए। मारपीट भी की गयी है, जैसा कि ग्रामीण बताते हैं। इसके बाद उसे गोली मार दी गई और शव को पुआल में छुपा दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि हो सकता है कि अपराधियों की योजना पुआल के गांज में आग लगा देने की रही हो। ऐसा होता तो फिर शव को पहचानना भी मुश्किल हो जाता। घटना के वक्त काफी ग्रामीण खाना खा रहे थे। गोली की आवाज सुनकर लोग बाहर निकले। तब तक उषा शरण घटनास्थल पर पहुंच गयी। मौका ए वारदात पर सिर्फ खून के निशान देखे जा सकते हैं।


श्वान दस्ता को नहीं मिली कामयाबी 

हत्या की घटना के तत्काल बाद श्वान दस्ता को बुलाया गया। लेकिन मौका ए वारदात पर अपराधियों का जूता चप्पल नहीं मिला। सिर्फ मृतक का खून था। वहां से श्वान दस्ता बोरिंग पर गया। पुलिस अधिकारी के अनुसार इस मामले में कोई कामयाबी पुलिस को नहीं मिली है। श्वान दस्ता द्वारा न कोई गोली बरामद किया गया न खोखा बरामद किया गया है। पुलिस को अब सिर्फ तकनीकी साक्ष्य के आधार पर हत्यारे तक पहुंचने की उम्मीद है। जिसे उपलब्ध करने के प्रयास में पुलिस जुटी हुई है।



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