Friday, 14 February 2025

…और जब हुआ सिलौटा बखौरा का बंटवारा

 बदलता शहर 06



वर्ष 1920-21 में हुआ बंटवारे के लिए केस

08 सितंबर 1930 को हुआ केस का निर्णय

अहमदगंज का नाम हुआ नया शहर

दाऊद खां का बसाया पुराना शहर 


उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : 1885 में भले ही दाउदनगर नगर पालिका बना था। लेकिन यहां दो हिस्से पहले से थे। दाऊद खान द्वारा बसाया गया जो हिस्सा था वह पुरानी शहर कहलाता था और उनके वंशज के नाम पर बसाया गया अहमदगंज अलग था। वर्ष 1920 में बजाप्ता इसके बंटवारे के लिए मुकदमा चला। आठ सितंबर 1930 को नया शहर और पुराना शहर के रूप में बंटवारा हुआ और सीमांकन हुआ। नया शहर अहमदगंज वाले हिस्से को कहा गया। 

शहर का पहला मानचित्र जिसे सर्वे नक्शा के नाम से जाना जाता है,  वह सन 1911-12 में बना था। वर्ष 1901 में शहर में प्लेग की महामारी हुई थी। तब शहर में मात्र चार वार्ड थे और आबादी थी 9744, मगर इस महामारी ने आबादी घटा दिया। जब 1911 में जनगणना हुई तो संख्या- घटकर मात्र 9149 हो गई। अगर इस नक्शे को वर्तमान नक्शे से मिलाया जाए तो पता चलेगा कि कितनी जमीनों पर अवैध दखल कब्जा है। हद यह कि उसके दस्तावेज तैयार कर लिए गए। जमीनों की खरीद फरोख्त होती है। इसमें कई जन प्रतिनिधि भी शामिल रहे हैं। मूल पुराना शहर ही दाउदनगर था। जिसे नया शहर कहते हैं, उसे दाउद खां के वंशज नवाब अहमद खान ने बसाया था। इस कारण इसे अहमदगंज कहा जाता था। आधुनिकता ने इसके नाम को नया शहर में बदल दिया। आबादी बढी तो प्राथमिकताएं और आवश्यकताएं भी बदली। सन 1920-21 में केस नंबर-65,  तौजी संख्या-191 के जरिये सिलौटा बखोरा का बंटवारा हुआ। बंटवारा कार्यालय बी.एल.माथुर (अधिनियम-58 बी.सी-1887) द्वारा यह बंटवारा 08 सितंबर 1930 को किया गया। पुराना शहर और नया शहर के रुप में बंटवारा हुआ। 

दाउदनगर के इस्टेट जो सत्रह की संख्या में थे। 

इसको कलक्टरी बंटवारा 1934 में मालिकों के बीच हुआ। छह आना मालिकों को और दस आना कारा इस्टेट के जिम्मे रहा।


नया शहर में बढ़ती बसावट से बढ़ी आबादी



जब शहर का बंटवारा हुआ तब कुल छः वार्ड बन गए थे और आबादी हो गई थी- मात्र 8511 (जनगणना -1921 के अनुसार)। हालांकि बंटवारा होने के बाद की जनगणना जब 1931 में हुई तो शहर की आबादी हो गई थी-11699, यह बड़ी उछाल थी जनसंख्या वृद्धि में। 37.46 फीसद की। पुराना शहर बारुण रोड के पश्चिम सोन तट एवं उत्तर में नोनिया बिगहा,  दक्षिण में काली स्थान एवं अमृत बिगहा तक है। इसमें कभी चार वार्ड क्रमशः एक,  दो,  तीन एवं चार था। अब वार्ड संख्या एक का लगभग आधा भाग, दो, तीन, चार, पांच,  छ:, सात, आठ एवं नौ वार्ड बन गया है। बाकी के 18 वार्ड नया शहर में हैं। जो पूरब में बुधन बिगहा तक, उत्तर में उमरचक और दक्षिण में बुधु बिगहा तक है। 


पुरानी शहर में ये ऐतिहासिक स्थल

पुरानी शहर में जो प्रमुख स्थल हैं उसमें सबसे ऐतिहासिक दाऊद खान का किला है। यह सतरहवीं सदी में बना है। इसके अलावा इमामबाड़ा और शिव मंदिर संगत है। डार्ड अस्पताल है। सोन के कछार से सटा यह क्षेत्र है। गुलाम सेठ चौक बाजार है।


नई शहर में कई प्रमुख स्थल

नई शहर का जो क्षेत्र है उसमें दाउदनगर थाना है। नगर परिषद का कार्यालय है। शहर का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल हनुमान मंदिर है। सूर्य मंदिर मौलाबाग, नवाब साहब का मजार है। प्रखंड सह अंचल कार्यालय समेत कई कार्यालय हैं। अनुमंडल अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। नहर का क्षेत्र है जिसे विकसित कर नागरिकों के मनोरंजन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।


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