1910 में हुआ था वार्डों का शहर में गठन
25 वर्ष नगर पालिका गठन के बाद गठित हुए थे वार्ड
उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) :
140 वर्ष पूर्व जब वर्ष 1885 में नगर पालिका का गठन हुआ था उसके पहले भी दाउदनगर मगध और शाहाबाद क्षेत्र में चट्टी के रूप में मशहूर था। तब और अब में काफी कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। प्रशासनिक तौर पर कई बार पुनर्गठन हुआ। वार्डों की संख्या क्रमशः बढ़ती चली गई।
जब नगर पालिका का गठन हुआ था तब शहर में कोई वार्ड का गठन नहीं हुआ था। करीब 25 वर्ष बाद पहली बार 1910 में शहर में वार्डों का गठन किया गया था। तब मात्र चार वार्ड का गठन किया गया था। इसके बाद 1925 में शहर में छह वार्ड बने और फिर 1971 में 12 वार्ड गठित किए गए। 1983 में 13 वार्ड बना। इसके बाद कोई चुनाव नहीं हुआ। जब 2002 में पुनः चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई तो वार्डों का पुनर्गठन किया गया और यहां 13 से 18 वार्ड बन गए। 2007 में यहां 23 वार्ड गठित हुए और जब 2018 में नगर परिषद में नगर पंचायत प्रोन्नत हुआ तो यहां कुल 27 वार्ड गठित किए गए। अभी यहां 27 वार्ड हैं।
मत से नहीं, हाथ उठाकर होता था चुनाव
नगर पालिका बनने के साथ यहां अध्यक्ष के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई थी। तब सिंचाई विभाग के पदेन एसडीओ यहां के चेयरमैन होते थे और जनता से वाइस चेयरमैन का मनोनयन होता था। यहां जनता से पहला चेयरमैन 1938 में सूर्य नारायण सिंह मनोनीत किए गए। तब वार्ड पार्षदों का चुनाव जनता बैलेट के जरिए नहीं, बल्कि हाथ उठाकर करती थी। वार्ड के 20 से 25 माननीय लोग वार्ड पार्षद का चयन कर लेते थे। वर्ष 1986 के बाद 2001 तक चुनाव नहीं हुआ। 2002 से नियमित चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद 2017 में भी चुनाव नहीं हुआ जब नगर पंचायत को नगर परिषद में प्रोन्नत किया गया। वर्ष 2018 से यहां नगर परिषद का चुनाव हो रहा है। वार्ड पार्षद ही चेयरमैन बनाते थे। वर्ष 2018 में नौ जून को अध्यक्ष बनी सोनी देवी और फिर चार मार्च 2021 को इस पद पर काबिज हुई मीनू सिंह। वर्ष 2023 में सरकार में नई व्यवस्था लागू कर दी। सीधे जनता को यह अधिकार मिला कि वह अपने मत से चेयरमैन व वायस चेयरमैन का निर्वाचन करे। नतीजा जनता ने पहली बार अपनी पसंद से इन दो पदों के लिए भी वार्ड पार्षद के साथ मतदान किया। और फिर 27 जून 2023 को नगर परिषद के लिए अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का शपथ ग्रहण हुआ। और अंजली कुमारी चेयरमैन व कमला देवी उप मुख्य पार्षद बनीं।
छह वार्ड से चुने जाते थे 15 पार्षद
नगर पालिका में जब तक वार्डों की कुल संख्या छह थी, तब तक 12 वार्ड पार्षद जनता द्वारा चुने जाते थे, और तीन वार्ड पार्षद सरकार मनोनीत करती थी। जिसमें एक चिकित्सक, एक सामाजिक कार्यकर्ता और किसी भी राजनीतिक दल का एक प्रतिनिधि वार्ड पार्षद मनोनीत किया जाता था।
तब डेढ़ रुपये दे कर बनते थे मतदाता
तब व्यवस्था यह थी कि जो व्यक्ति न्यूनतम डेढ़ रुपये नगर पालिका को टैक्स देता था वही मतदाता होता था। दूसरे लोग वोट का अधिकार नहीं रखते थे। तब डेढ़ रुपये का कितना महत्व था इससे समझ सकते हैं कि तब एक किरानी को सरकार मात्र 30 रुपये महीना वेतन देती थी।
अभी पुनर्गठन की योजना नहीं
मुख्य पार्षद अंजली कुमारी बताती हैं कि फिलहाल वार्डों के विस्तार की कोई योजना नहीं है। सरकार का जब निर्देश प्राप्त होगा तभी वार्डों का पुनर्गठन होगा। अभी ऐसा कोई निर्देश सरकार से प्राप्त नहीं हुआ है।
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