महाशिवरात्रि को लेकर शिवालय का हो रहा है रंग रोगन
कई बार सड़क निर्माण से मंदिर में उतरने की बनी स्थिति
संवाद सहयोगी, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : 26 फरवरी को महाशिवरात्रि है। इसे लेकर तमाम शिवालयों के रंग रोगन और मरम्मत या सुंदरीकरण के कार्य होने लगे हैं। शहर के शुक बाजार स्थित शिव मंदिर का भी रंग रोगन हो रहा है। यह मंदिर कितना पुराना है या बताता हुआ कोई शिलालेख मंदिर में नहीं है। दावा किया जाता है कि मंदिर शहरी क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर है। महत्वपूर्ण है कि दाउदनगर 17 वीं सदी का शहर है और नई शहर में यह मंदिर है। इसे लगभग 300 साल पुराना माना जा सकता है। कई बार सड़क पर सड़क निर्मित होते रहने के कारण कभी सतह से ऊंचा रहा मंदिर आज जमीन में धंसा हुआ दिखता है। अभी सीढ़ी के जरिए मंदिर में नीचे उतरना पड़ता है, जबकि पहले सीढ़ी से मंदिर पर चढ़ना पड़ता था। इसके पुजारी धनंजय कुमार मिश्रा हैं और इनके पिता दादा भी यहां पुजारी रह चुके हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में पूरी तरह शुद्ध और पवित्र आत्मा रखकर श्रद्धालु जो भी मांगता है वह पूरा होता है। यहां स्थापित महादेव की महिमा दूर-दूर तक है। लोग आते हैं और उनकी मांगे पूरी होती हैं।
मंदिर निर्माण की यह विशेषता
इस शिवालय की विशेषता यह है कि इसकी दीवारें काफी मोटी मोटी हैं। आम तौर पर शहर में इतनी मोटी दीवारें अन्य मंदिरों की नहीं हैं। लगभग 30 इंच, अर्थात ढाई फ़ीट। ये दीवारें चुना सुर्खी से गधेड़ीया इंट को जोड़कर बनाई गई है। इसे मुगलकालीन इंट भी माना जाता है। ये आकार में पतली होती हैं।
तसमई की खास परंपरा
मंदिर की देख रेख लड़ने वाले धीरेंद्र कुमार रत्नाकर बताते हैं कि प्रत्येक महाशिवरात्रि को तसमई का प्रसाद वितरण करने की उनकी परंपरा है।
18 साल से कर रहे रंग रोगन
मंदिर की देखरेख करने वाले धीरेंद्र कुमार रत्नाकर कहते हैं कि बीते 18 साल से निरंतर वह मंदिर का रंग रोगन कर रहे हैं। उनकी श्रद्धा और आस्था मंदिर से जुड़ी हुई है। इस क्रम में किसी से वह सहयोग नहीं मांगते। कोई देते हैं तो वह स्वीकार्य है। उनसे पहले भी कई लोग आपसी सहयोग कर मंदिर का रंग रोगन करते रहे हैं।
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