Wednesday 29 April 2015

नबाब अहमद खां ने बसाया था अहमदनगर



             अजीमाबाद एवं इलाहाबाद के सूबेदार रहे हैं नबाब साहब
                                           नोखा का किला किया था फतह
                          उपेन्द्र कश्यप
  • दाउदनगर (औरंगाबाद) आज गुरुवार को शहर के दो बुजुर्गों का उर्स मुबारक है। दोनों के मजारों पर न सिर्फ मेले लगेंगे, बल्कि जिले के आला अधिकारी चादरपोशी भी करेंगे और जलसा के साथ कव्वाली की महफिल भी सजेगी। कौन थे दोनों बुजुर्ग? उनका इतिहास और योगदान क्या था।
  • मौलाबाग में स्थित है नबाब अहमद अली खान का मजार। ये नबाब जीवन खान के छोटे पुत्र और नवाब दाऊद खाँ के परपोता थे। 15 साल की उम्र में फने सिपाहीगरी सीखी। महारत हासिल कर मोहम्मद शाह बादशाह के दरबार में हाजिर हुए। बादशाह ने खुश हो कर 1144 हिजरी में इलाहाबाद की सुबेदारी किया। उसके बाद अजीमाबाद(पटना) की सूबेदारी से नवाजे गए। इनकी बहादुरी की वजह से बंगाल, उड़ीसा और सलहट की मुहिम भी सफल हुई। नबाब साहब अजिमाबाद के मुहल्ला मुगलपुरा पटना सिटी में रहा करते थे। कभी-कभी दाऊदनगर आया करते। एक बार राजा नोखा जिला शाहाहाबाद (रोहतास) का रहनेवाला दाऊदनगर आया। इस समय नबाब साहब दाऊदनगर में न थे। मैदान खाली पाकर दाऊदनगर किला के पश्चिमी दरवाजे को उखाड़ ले गया। ये खबर जब नबाब साहब को मालूम हुई तो जंग के लिए फौज के साथ नोखा पहुँचे। आखिर में नोखा किला फतह किया। इसके बाद 1145 हिजरी में दाऊदनगर की नई शहर अहमदगंज की बुनियाद अपने धर्म गुरू सैयद शाह अब्दुल रशीद कादरी के हाथों से डलवाया।  उनके मजार पर हर धर्म के लोग आकर फैज पाते हैं और मुरादें हासिल करते हैं।

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