Tuesday 28 April 2015

नकारात्मक भाव लेकर जी रही है युवा पीढि


सामाजिक दायित्व का ज्ञान और धैर्य नहीं
उपेन्द्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) जब देश, राज्य और पडोसी नेपाल में भूकंप से हजारों की जान चली गई और पूरी मानवता कराहने लगी तो सोशल साइट का इस्तेमाल अफवाह फैलाने के लिए किया गया। यह कार्य सिर्फ युवा ही कर सकता है क्योंकि वही टेक्नोफ्रेंड है, न कि ग्रामीण आम जनता या बुजुर्ग। कभी छत्तीसगढ मौसम विभाग के हवाले कब कब आयेगा भूकंप तो कभी नासा के हवाले कि चान्द आधा दिखेगा। दोनों ही चीजें असंभव है। किंतु जान के भय ने इसे तीव्रता से फैलाया। सवाल है कि क्या युवा पीढि अपना सामाजिक दायित्व भूल गया है या उसे इसका ज्ञान ही नहीं है? मौतों के बीच आनन्द लेने की यह प्रवृति क्यों है युवाओं में?
विवेकानंद ग्रुप आफ स्कूल के निदेशक डा.शंभु शरण सिंह ने कहा कि मानसिक रुप से बहुत स्वस्थ नहीं है युवा। नकारात्मक भाव लेकर जीता है। इसी में वह आनंदविभोर होता है। लक्ष्य से भटका हुआ जीवन का कोई ध्येय नहीं रखता युवा। समाज को दिग्भ्रमित करते हैं। ऐसे युवा हर समाज और स्थान पर हैं। इनकी पडताल कर एनजीओ के साथ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक माध्यम से युवा पीढि को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी सरकार को उठानी चाहिए। मनोवैज्ञानिक डा.प्रो.कामेश्वर शर्मा ने कहा कि इस प्रवृत्ति को विपर्यय कहते हैं- गलत प्रत्यक्षीकण। इसका शिकार जब भगवान राम हुए तो आम आदमी की क्या औकात है। जब वे ही मृग को स्वर्णमृग समझ बैठे थे। युवाओं को डरावना महौल बनाने से बचना चाहिए। भगवान प्रसाद शिवनाथ प्रसाद बीएड कालेज के सचिव डा.प्रकाशचन्द्रा ने कहा कि नकारात्मक चीजें बदबू की तरह अधिक फैलती हैं। चूंकि जान की गरज होती है तो ऐसे अफवाह भी तेजी से सब कोई फैलाता है। ऐसा नहीं कि युवा सिर्फ नकारात्मक ही सोचता है। नेपाल या कहीं भी दिखिए त्रासदी के समय युवा ही सबसे अधिक बचाव और राहत का कार्य करता है। हां कुछ युवा इसे समझते नहीं। किसान अभय चंद्रवंशी ने कहा कि युवाओं के पास सब कुछ है, ज्ञान है, समझ है, दूरदर्शिता है किंतु धैर्य और समय का अभाव है। उत्तेजना है उसके पास इस कारण जल्दबाजी कर जाता है जिस कारण अफवाह फैलता है। लेकिन हमें याद रखना होगा कि अफवाहों के पांव नहीं होते।   

अफवाह फैलाना दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मिन्दगी भरा

 दाउदनगर (औरंगाबाद) जिस तरह अफवाह फैलायी गयी उसे युवा पीढि भी दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मिंदगी भरा मानता है। युवा क्रिकेटर प्रफ्फुलचन्द्र सिंह ने कहा कि युवाओं पर देश का भविष्य निर्भर करता है। कुछ युवाओं ने अफवाह उडाया जो गलत है। हमारा कर्तव्य सामाजिक और पारिवारिक दायित्व की पूर्ती करना है। समाज सुरक्षित कैसे हो यह फर्ज है न कि उसे डराना। युवा राजद अध्यक्ष अरुण कुमार ने कहा कि बेहतर करने की इच्छाशक्ति जाग्रत करनी होगी। कोई युवा गलत कर रहा है तो हमारा फर्ज है कि उसे समझायें और अच्छा करने को प्रेरित करें। अमरेश यादव ने कहा कि  मौज की जिन्दगी जीने में युवा अपना कैरियर चौपट कर रहा है। जिस दिन हम युवा जाग जायेंगे देश पूरी तरह उत्तम बन जायेगा। चिंटु मिश्रा ने कहा कि खुद से कहानी बनाकर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना गलत है। पहले मामले की गहराई तक जायें तभी कुछ पोस्ट करें। विकास कुमार मौर्य ने कहा कि  सोशल मीडिया अफवाहों का अड्डा बन गया है। युवा वर्ग को काफी सुधार करने जरुरत है। रुंजय कुमार ने कहा कि कोई भी पोस्ट सोच समझ कर डालना चाहिए  मृत्युंजय कुमार ने कहा कि आग्रह है कि ऐसा करने से बचें।

ये चांद आपको भला उल्टा क्यों दिखा?
अष्ठमी को उगा आधा चान्द से भ्रम
रविवार को चांद आपको भी उल्टा दिखा होगा? अगर ऐसा हुआ है तो आप मतिभ्रम के शिकार हैं। चंद्रमा उल्टा तभी दिखेगा जब पृथ्वी उल्टा घुमने लगेगी और ऐसा कदाचित संभव नहीं है। जब ऐसा होगा तो कोई यह बताने के लिए जिंदा नहीं बचेगा कि आज उसने चांद को आसमान में उल्टा देखा है। सोशल साइट पर अफवाह फैली और चांद सबको पढे लिखे तबके को भी चांद उल्टा दिखने लगा। सडक पर खडे होकर लोग चर्चा करने लगे। अल्पसंख्यक तबके के चार युवा इस संवाददाता के पास सच जानने की अपेक्षा लेकर पहुंच गये। उनकी जिज्ञासा शांत किया। इसका सच क्या है? 
पं.लालमोहन शास्त्री ने बताया कि जब ऐसा भ्रम हो तो शिव की प्रतिमा में उनके जटा पर लगा चांद देखिएसब कुछ समझ में आ जायेगा। रविवार को अष्ठमी था। इस कारण चांद आधा उगा। यह चान्द पश्छिम दिशा में ठीक बारह बजे अस्त हुआ। तब तक इसका आकार बढता गया। इस घटनाक्रम ने बताया कि जब आदमी दहशत में हो तो उसकी तर्कशक्ति और विवेक पहले मर जाता है।


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