Friday 12 May 2023

बैक्रहम मूर के नाम पर बसा इलाका है भखरुआं मोड़



शहर में नहीं शहर का हृदय स्थल भखरुआं

बैक्रहम मूर की है कब्र और आबाद है बुधन बिगहा

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) :

दाउदनगर से गुजरते ही भखरुआं का सामना होता है। यह शहरी चकाचौंध वाला इलाका शहर में नहीं है, यानी नगर परिषद क्षेत्र का हिस्सा नहीं है। यह ग्राम पंचायत का हिस्सा है। भखरूआं मोड़ का उच्चारण एक जिज्ञासा पैदा करता है कि यह नामकरण कैसे और क्यों हुआ होगा। यह जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है। 

बात अंग्रजी हुकूमत के जमाने की है। शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालय (डायट) के पास खड़ा एक पीपल का पेड़ इतिहास का वर्तमान गवाह है। यहीं पर एक नील कोठी हुआ करती थी। आज बीआरसी के ठीक सामने पूरब दिशा में इसका अवशेष बचा हुआ है। जिसके एक अंग्रेज मैनेजर थे-बैक्रहम मूर। उनके निवास पर एक नौकर था-बुधन यादव। बुधन बेलाढ़ी गांव के निवासी थे। वह बड़े ही मालिक-सेवी थे। उनके सेवा भाव से प्रभावित होकर वैक्रहम मूर जब अपने वतन इंगलैण्ड चले गये तो साथ में बुधन को भी लेते गये और घुमाकर ले आये। कहते हैं कि मैनेजर बैक्रहम मूर बड़े ही रहमदिल और हंसमुख इंसान थे। वह आस-पास के गांवों में घूमा करते थे। गांव वालों के बीच उठते-बैठते थे और यहां के पर्व-त्योहारों में शामिल भी होते थे। वे बुधन से अक्सर कहा करते थे-यहां के लोग कितने इनोसेण्ट हैं। तुमलोगों के बीच रहना अच्छा लगता है। मुझे इंगलैण्ड जाने की इच्छा नहीं होती। अगर मैं मर गया तो तुमलोग मुझे यहीं पर दफना देना। यहां की मिट्टी में ही शांति मिलेगी।

हुआ भी ऐसा ही। बैक्रहम मूर की मृत्यु यहीं हुई। बुधन से सूचना पाते ही आस-पास के गांव वाले नील कोठी के पास जुट गये। इलाके के लोगों ने ही कब्र खोदी और बड़े ही आदरपूर्वक उन्हें दफनाया गया। उनके सम्मान में ही इस स्थान को -बैक्रहम मूर- कहा जाने लगा,  जो कालांतर में भखरूआं मोड़ हो गया। बैक्रहम मूर का स्मारक नीलकोठी से पच्छिम, बीआरसी के पास है। ट्रेनिंग कालेज मैदान में। इसी के समीप है बुधन बिगहा। आज बुधन बिगहा का आधा से बडा हिस्सा शहर में है, लेकिन भखरुआं तरारी पंचायत में है। जिसे नगर परिषद में शामिल करने की कवायद अभी तक असफल है। बीते महीने जब यहां तत्कालीन जिला पदाधिकारी सौरभ जोरवाल नगर परिषद कार्यालय आये थे तब उनसे भी भखरुआं को नगर परिषद में शामिल करने की मांग मुख्यपार्षद मीनू सिंह ने की थी। अब यह भखरुआं कब शहर का हिस्सा बन सकेगा इसकी सबको प्रतीक्षा है।







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