Friday 5 May 2023

138 में 69 वर्ष चुनाव नहीं हुए, दूसरी बार हो रहा नगर परिषद का चुनाव



पदेन अध्यक्ष होते थे तब एसडीओ

जनता से पहला चेयरमैन 1938 में जम्होर के सूर्य नारायण सिंह प्रथम चेयरमैन

1986 के बाद 2001 तक चुनाव नहीं 

उपेंद्र कश्यप । दाउदनगर (औरंगाबाद)


जब 1885 में नगर पालिका का गठन हुआ था तो मुख्य पार्षद या उप मुख्य पार्षद के लिए चुनाव की प्रक्रिया यहां शुरू नहीं हुई थी। तब पदेन एसडीओ यहां के चेयरमैन होते थे और जनता से वाइस चेयरमैन का मनोनयन होता था। तब दाउदनगर न प्रखण्ड था, न अनुमंडल ही था। यह गया जिला का हिस्सा होता था। अनुमंडल तो वर्ष 1991 में बना था। यहां जनता से पहला चेयरमैन 1938 में सूर्य नारायण सिंह मनोनीत किए गए। तब वार्ड पार्षदों का चुनाव जनता बैलेट के जरिए नहीं, बल्कि हाथ उठाकर करती थी। वार्ड के 20 से 25 माननीय लोग वार्ड पार्षद का चयन कर लेते थे। इसके बाद 1986 के बाद 2001 तक चुनाव नहीं हुआ। 2002 से नियमित चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद 2017 में भी चुनाव नहीं हुआ जब नगर पंचायत को नगर परिषद में प्रोन्नत किया गया। फिर 2018 में बतौर नगर परिषद का चुनाव हुआ था। अब चुनावी गतिविधियां चरम की ओर बढ़ती जा रही है। बतौर नगर परिषद दूसरी बार चुनाव होना है, लेकिन सीधे मुख्य व उप मुख्य पार्षद को पहली बार मतदाता चुनेंगे।



138 वर्ष पूर्व बना था नगरपालिका, अब है नगर परिषद 


दाउदनगर नगर परिषद इसी वर्ष 138 वर्ष का हो गया। इस लंबी यात्रा में काफी कुछ बदलाव आया है। कई रोचक इतिहास भी नगर परिषद ने बनाया है। जब वर्ष 1885 में नगर पालिका का गठन हुआ था उसके पहले भी दाउदनगर मगध और शाहाबाद क्षेत्र में चट्टी के रूप में मशहूर था। कहावत है-शहर में सासाराम और चट्टी में दाउदनगर। यह व्यापारिक केंद्र था। तब और अब में काफी कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। वर्ष 2002 में जब दूसरी बार बिहार में नगर निकाय चुनाव प्रारंभ हुआ तो दाउदनगर नगर पंचायत बना और फिर वर्ष 2018 में नगर परिषद। 


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