Wednesday 10 May 2023

...और नगर परिषद की जगह नगर पंचायत बन गया नगरपालिका

 



जनगणना में कर्मी की लापरवाही पड़ी थी तब भारी

पटना उच्च न्यायालय में चला मामला

तब एक अधिकारी बोले थे-भागो, भांड में गया नगरपालिका

कितनी हुई आर्थिक क्षति, इसका आकलन मुश्किल

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : 

जब 2002 में नगर निकायों का चुनाव हुआ तो 13 वार्डों के शहर में 18 वार्ड बने, मगर नगरपालिका नगर पंचायत बन गया जब कि इसे नगर परिषद होना चाहिए था। कर्मचारियों की लापरवाही और अदूदर्शिता के कारण 2001 की जनसंख्या में पटवा, तांती समाज के दूसरे राज्यों में प्रवास के कारण शहर की आबादी कम प्रदर्शित हो सकी। इसे एक कर्मी की लापरवाही बताई गई थी।  दरअसल हुआ यह था कि पर्यवेक्षक ने जनगणना कार्य में लगे शिक्षकों को निर्देश दिया था कि जो घर बंद होंगे उनकी गणना नहीं करनी है। यह निर्देश भारी पड गया। इसकी अवहेलना करके भी शिक्षकों ने ऐसे घरों की गणना की मगर उसे अंतिम जनगणना सार में नहीं जोडा गया। इधर अभी कुछ प्रगणकों ने अपनी रिपोर्ट भी नहीं दिया था कि सांख्यकी विभाग ने नगरपालिका की जनसंख्या की रिपोर्ट मांग ली। चूंकि राज्य में नगर निकाय का चुनाव कराने की तैयारी चल रही थी। नगरपालिका ने आधी-अधूरी रिपोर्ट भेज दी। शाम दो बजे तक की रिपोर्ट तत्कालीन विशेष पदाधिकारी सह सीओ अमेरिकन रविदास के पास थी। इसमें नजसंख्या बतायी गई थी- 38 हजार 14 मात्र। जबकि शहर की संख्या इससे अधिक थी। इस भूल सुधार की कोशिश की गई। फाइनल रिपोर्ट अनुसेवक से भेजी गई। वह रिपोर्ट लेकर घर पर सो गया। सुबह गया तो अधिकारी ने कहा –भागो, भांड में गया नगरपालिका। और जब चुनाव की अधिसूचना जारी हुई तो नगर परिषद के रुप में नहीं नगर पंचायत के रुप में। इससे कितनी आर्थिक क्षति हुई इसका आकलन मुश्किल है। क्योंकि विकास राशि आबादी के आधार पर मिलती है। और नगर परिषद बनने में 15 साल की देरी हो गयी। तत्कालीन कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष डा.संजय कुमार सिंह इस मामले (सीडब्ल्यूजेसी नंबर-14151/2001) को उच्च न्यायालय ले गये। दावा किया कि शहर की आबादी 40 हजार से अधिक है। जनगणना में हुई लापरवाही और गडबडी को इसके लिए दोषी बताया। उच्च न्यायालय के बेंच ने 04 दिसंबर 2012 को आदेश दिया कि डीएम अपने स्तर से मामले की जांच कर न्यायालय में तथ्य को प्रस्तुत करें। डीएम ने भी नगर पंचायत से पत्र भेजकर तथ्य देने को कहा मगर कार्यालय ने रुचि नहीं ली। 


नगर परिषद चुनाव एक साल टला

नगर परिषद का दर्जा पाने को शहर में बेचैनी रही। मामले को लेकर वर्ष 2012 में वार्ड संख्या दो से पार्षद बने रामअवतार चौधरी पटना उच्च न्यायालय चले गए। संघर्ष जारी रहा। इधर 12 अप्रैल 2017 को बिहार मंत्रिमंडल ने दाउदनगर को नगर परिषद का दर्जा संबंधित प्रस्ताव पारित कर दिया। तब उम्मीद की गई कि राज्यपाल के स्तर से प्रकाशित होने वाली गजट में एक महीने का वक्त लगेगा और चुनाव नगर परिषद का होगा लेकिन यह भी नहीं हुआ। वर्ष 2018 में नगर विकास आवास विभाग में इस आशय की अधिसूचना जारी की, परिसीमन में वक्त लगा और फिर एक साल विलंब से नगर परिषद का चुनाव हुआ।  









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