Saturday 3 June 2023

सैय्यद मुहम्मद को सरकार ने दिया था खान बहादुर का लकब


बाढ़ में लोगों को डूबने से बचाया इसलिए मिली थी उपाधि

असहयोग आंदोलन के बीच नियुक्त किये गए थे चेयरमैन

वायस चेयरमैन रहे शख्स अब तक के इकलौते चेयरमैन



उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : 

जब असहयोग आन्दोलन में प्राय: सभी कांग्रेसियों के साथ सुरज नारायण सिंह ने भी अपने सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया तब सरकार ने खान बहादूर सैय्यद मुहम्मद को यहां का चेयरमैन नियुक्त किया था। वे 1942 से 1945 तक इस पद पर रहे। इसके पहले 1920 और 1931 में वायस चेयरमैन रहे थे। पहली बार ऐसा हुआ था और अब तक आखिरी बार कि कोई वायस चेयरमैन इस पद तक पहुंचे हों। पिता का नाम हकीम जलील खां था। सैय्यद मुहम्मद को ब्रिटिश हुकूमत ने खान बहादूर की उपाधि दी थी। इसकी वजह थी। गया के तत्कालीन कलक्टर एम.जी.हैलेट जो बाद में बिहार के गवर्नर भी बने थे की पत्नी बीमार रहती थी। इलाज के लिए काफी जगहों पर गई, वैद्य, हकीम से मिलीं। मगर स्वस्थ नहीं हो रही थीं। सैय्यद मुहम्मद खुद हकीम थे। तब भी इनकी हकीमी की चर्चा दूर दराज तक थी। इन्हें कलक्टर का बुलावा आया। अपनी दवा और नुस्खे से उन्हें ठीक कर दिया। कहते हैं शहर में सोन का हुल्लड (बाढ) आया तो तब के वार्ड संख्या तीन का चमार टोली पानी में डूब गया। शहरियों ने इस बाढ की विभीषिका से किसी तरह खुद को बचाया। इन्होंने गया कल्क्टर को टेलीग्राम पर सूचना दी कि हमने बाढ से शहर को बचा लिया। बाद में उन्हें खान बहादूर का लकब दे दिया गया। वे यहां सेना के लिए जवान का चयन किया करते थे। रिक्रूटिंग आफिसर थे। जवानों का चयन फौज के लिए करते और उसे नगरपालिका का चपरासी फौजदार राम अपने साथ लेकर दानापुर कैंट पहुंचा देते। 




पहनते थे तुर्की टोपी और सफेद शेरवानी 



खान बहादुर के पौत्र सुलेमान परवेज बताते हैं कि मोहम्मद सैयद तुर्की टोपी, सफेद शेरवानी और सफेद चूड़ीदार पायजामा पहनते थे और हाथ में छड़ी रखते थे। तुर्की टोपी में पीछे फुदना लगा हुआ होता है। बताया कि उनका खानदान अमझर शरीफ के कादरिया खानदान से संबंद्ध है। 



पुकारू नाम था सैयद दादा 

इस परिवार के करीबी रहे खुर्शीद खान कहते हैं कि जब नानी के घर आते थे तो इस परिवार की चर्चा सभी करते थे। खान बहादुर साहब का पुकारू नाम सैयद दादा था। सभी इसी नाम से संबोधित करते थे। बीमार पड़ने पर हकीम की दवा लाने के लिए इन्हीं के पास ननिहाल के लोग जाते थे। स्वच्छ राजनीति करते थे और लोगों पर बहुत अच्छी पकड़ रखते थे। तमाम लोग उनको इज्जत दिया करते थे।




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