Friday 16 June 2023

23 साल में सिर्फ सड़कों से जुड़ सका मियांपुर

 


बिहार का आखिरी नरसंहार स्थल है यह

तीन दिशा से सड़कों से जुड़ गया गांव 

अब भी नहीं हो सके हैं कई वादे पूरे 

16 जून 2000 को हुई थी यहां 34 निर्दोषों की हत्या 

कारण था- आतंक का संतुलन बिठाना




उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : 16 जून 2000 की रात गोह के उपहारा थाना के मियांपुर गांव में 34 निर्दोषों की हत्या इसलिए कर दी गई थी कि उनको आतंक का संतुलन कायम करना था। सेनारी का प्रतिशोध था यह नरंसहार। एक मायने में यह ऐतिहासिक पड़ाव रहा कि नरसंहारों का दौर बिहार में यहीं आकर थम गया था। यह अंतिम नरसंहार है। इसके बाद कोई नरसंहार नहीं हुआ। तब राजद की सरकार थी और मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थीं, आज सरकार में बड़ी साझेदार राजद है। इतने वर्षों में जितने वादे किए गए थे वह कब के पूरे हो गए होते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह और बात है कि गांव अब तीन तरफ से पक्की सड़कों से जुड़ गया। इस नरसंहार ने वैश्विक स्तर पर गांव को सुर्खियों में ला दिया था और बिहार व भारत को शर्मसार कर दिया था। प्राथमिक विद्यालय लक्षमण बिगहा कोंच में शिक्षक मियांपुर निवासी निरंजन कुमार उर्फ लालू प्रसाद के अनुसार गांव उसास देवरा गया तक पीसीसी सड़क से जुड़ गया। यह सड़क 2019 में बनी। बुधई मोड से मियांपुर गांव तक 2017 में सड़क पक्की बन गयी। एक दशक पहले ही डाढ़ा से सहरसा पथ पक्की बन गया। सहरसा से आगे जाकर अरवल तक मिल जाती है यह सड़क। 



गांव का विकास न के बराबर


गांव के संजय कहते हैं कि गांव का विकास पिछले दो दशकों में न के बराबर हुआ है। घटना के बाद तत्कालीन सीएम ने डाकघर, अस्पताल, सड़क, खेल का मैदान, सरकारी नौकरी, आवास की सुविधा तमाम तरह की घोषणाएं  हुई लेकिन काम घोषणा भर ही रह गया। अमरेश कुमार, रामजी सिंह, रमाशंकर सिंह यादव और रविंद्र यादव ने कहा कि धरातल पर कहीं विकास दिखता नहीं है।



हर वर्ष ग्रामीण करते हैं त्रासदी का स्मरण



निरंजन कुमार उर्फ लालू यादव कहते हैं कि प्रत्येक वर्ष ग्रामीणों का एक समूह 16 जून की त्रासदी को स्मरण करता है। मारे गए सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। गांव के लोगों ने ही आपस में चंदा कर शहीद स्मारक का रंग रोगन कराया। उसका सौंदर्यीकरण कराया। हम प्रत्येक वर्ष उस त्रासदी को याद करते हैं और यह महसूस करते हैं कि सत्ता ने वादा तो किया लेकिन पूरा नहीं किया और आज भी गांव का जीवन स्तर बेहतर नहीं हुआ। सड़क से जुड़ने के अलावा कोई उपलब्धि हासिल नहीं हुई।



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