Thursday 1 October 2015

ओबरा में 42 हजार मत लाकर भी हार गयीं थीं कांति



रालोसपा को 56115 और जदयू को 16392 मत
रिकार्ड मुताबिक कांटे की टक्कर की संभावना
उपेंद्र कश्यप,दाउदनगर (औरंगाबाद) चुनावी जंग चरमोत्कर्ष की ओर बढ रहा है। गत लोक सभा चुनाव के मुतल्लिक राजनीतिक समीकरण, प्रत्याशी, हालात सब बदल गये हैं। हर चुनाव अलग होता है किंतु अतीत के चुनाव परिणाम का विश्लेषण मतदान की प्रकृति को अवश्य बताता है। इसे ही आधार मान कर राजनीतिक विश्लेषक संभावनाएं तलाशते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में नमो की लहर ने राजद और जदयु को किनारे लगा दिया था। काराकाट के ओबरा विधानसभा क्षेत्र में दोनों की स्थिति बदतर रही। लोकसभा चुनाव 2009 में राजद की डा.कांति सिंह को 29681 मत मिले थे। 2014 में 42074 मत मिला मगर राजग के उपेन्द्र कुशवाहा को 56115 मत मिले। मतों के ध्रुवीकरण के कारण राजद को 2009 की अपेक्षा 2014 में 12393 मत अधिक मिले तो भाजपा के कारण ध्रुवीकृत मत बढ गए। राजद को अपने मायसमीकरण पर बडा गुमान था। क्या हुआ, क्यों हुआ? शायद विचारणीय नहीं रहा। 2009 में जब जदयु भाजपा साथ थे तब जदयु प्रत्याशी महाबली सिंह को 34777 मत मिले थे। 2014 में यह संख्या मात्र 16392 तक सिमट गई। अर्थात गत की अपेक्षा आधे से भी कम। कुल 18385 मत कम। जदयु का अहंकार ध्वस्त हो गया। भाई लोग लहर नहीं ही देख सके। इस प्रदर्शन का कारण महाबली सिंह का कार्यकाल भी रहा और कार्य व्यवहार भी। पांच साल तक जातीय खांचे से बाहर निकल ही नहीं सके। अब इस बार राजद और जद यू एक साथ हैं। नीतीश कुमार और लालु यादव राजनीति को गणित की तरह देख कर वोट प्रतिशत बताते हैं। इस तरह उनको इस बार 58466 वोट मिलना चाहिए। देखिए क्या होता है? वैसे राजनीति सदन में गणित होती है मैदान में रसायन शास्त्र। समीकरण, गणित तो कतई नहीं।

2014 के लोक सभा चुनाव में ओबरा विधान सभा क्षेत्र में प्रत्याशियों का प्रदर्शन-
राजद- कांति सिंह- 42074
जदयू- महाबली सिंह-16392
रालोसपा- उपेन्द्र कुशवाहा- 56115
भाकपा माले- राजाराम सिंह-10721
निर्दलीय- सत्यनारायण सिंह- 2401
संजय केवट-7679
गुलाम कुन्दनम-1140
दिनेश कुमार-349
प्रदीप कुमार जोशी-562
रजनी दूबे-1043
वीणा भारती-887
इमरान अली-382
मो.विलवाश अंसारी-504
भैरव दयाल सिंह-1126
रामदयाल सिंह-1108
नोटा- 1792
कुल मतदान-144275



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