Friday 16 October 2015

धर्म नहीं किंतु जातीय कट्टरता बहुत है- डा.रामपरीखा यादव

विकसित न होने में हम भी भागीदार-निर्मला गुप्ता

फोटो-  डा.यादव एवं निर्मला गुप्ता


उपेन्द्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) लोकतंत्र का महापर्व संपन्न हो गया। नेताओं ने खुब भाषण पिलाया, जाति के नाम ले-ले कर विचार दिये गये। विकास की चर्चा तक हुई। धरातल पर इसका फर्क पडा। जनता ने अपना फैसला सुना दिया। दो बुजुर्गों के दो विचार महत्वपूर्ण हैं। मई 1925 में जन्मे स्वतंत्रता सेनानी डा.राम परीखा यादव ने मतदान बाद कहा कि हम धर्म के मामले में कट्टर तो नहीं है किंतु जाति के मामले में हम फ्री नहीं हो सके हैं। इस मामले में बिहारी समाज कट्टर है। कहा कि बिहार में बदलाव हो रहा है। लोग वोट की कीमत समझने लगे हैं। मतदान के लिए उत्सुकता बढी है। कन्या मिडिल स्कूल से सेवानिवृत प्रधान अध्यापिका निर्मला गुप्ता का कहना है कि बिहार में विकास न होने में हम सभी सहभागी हैं। कहा कि दूसरे प्रांत में व्यक्ति जब घर बनाता है तो तीन –तीन फीट जमीन अपनी छोडता है जब कि बिहार में सरकार की ही जमीन कब्जा करने की होड रहती है। वोट यह सोच कर नहीं करता कि मुद्दा क्या है। हम इसीलिए पिछडे हैं। इसमें हमारी भागीदारी भी है। स्वयं को सुधारने की आवश्यक्ता है। इनका कहना है कि केन्द्र की सरकार काम अच्छा कर रही है किंतु एक दिन में कुछ नहीं हो सकता है। कहा कि अब राज्य में किसकी सरकार बनती है यह देखना होगा।    

... और दुबारा बुलाया वोट डालने को
फोटो-रामकुमार शर्मा
 ऐसा प्राय: होता नहीं है। अनुमंडल के गोह विधान सभा क्षेत्र में राजकीय मध्य विद्यालय दादर स्थित बूथ संख्या 205 पर मतदान 7.35 पर प्रारंभ हो सका। ग्रामीण वेंकटेश शर्मा ने बताया कि ईवीएम चालु करने में विलंब होने के कारण ऐसा रहा। अहले सुबह इसी विद्यालय से सेवानिवृत शिक्षक राम कुमार शर्मा तैयार हो कर कतारबद्ध हो गये। सबसे पहले जब वोट देने की बारी आयी तब ईवीएम मशीन ने काम करना प्रारंभ ही नहीं किया। निराश इस बुजुर्ग को घर वापस लौट जाना पडा। जब ईवीएम ने काम करना प्रारंभ किया तो उन्हें दुबारा सूचना भेज कर बुलाया गया और मतदान करने का अवसर दिया गया। यहां कुल 1642 मतदाता हैं।


No comments:

Post a Comment