Saturday 3 October 2015

समाजवाद के गढ में मजदूर नेता का पताका

मजदूरों के नेता थे मैकेनिकल इंजीनियर डी.के.शर्मा
समाजवाद के झंडाबरदार रहे रामशरण यादव
अब दो विपरित धारा के बीच लडाई
उपेन्द्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) गोह समाजवादियों की धरती रही है। नक्सलबाडी आन्दोलन के बाद यहां सागरपुर में एक बूथ पर नरसंहार हुआ था। 10 जुन 1977 को अगडा बनाम पिछडा की राजनीति के बीच इस नरसंहार में दस की हत्या कर दी गयी थी। यह बिहार में इस राजनीतिक कारण से होने वाला पहला नरसंहार था और अब भी इस राजनीतिक विचार धारा के कारण इतने बडे हादसे का यह इकलौता कलंक बना हुआ है। इस क्षेत्र में ईंका की राजनीति करने मजदूर युनियन के नेता देवकुमार शर्मा (डी.के.शर्मा) अपने पद से इस्तीफा दे कर आये। 1985 में पहली बार जहानाबाद के बिथरा गांव निवासी श्री शर्मा की जीत हुई थी। वामपंथ के जिला में झंडाबरदार बने राम शरण यादव को मात्र 3067 वोट से पराजित कर सके थे। 1990 के चुनाव में 4652 मत से श्री यादव से हार गये। 1995 में वे समता पार्टी से आये और फिर श्री यादव से ही 12496 मत से हार गये। साल 2000 के चुनाव में वे 6659 मत से जीते। पथरौल निवासी मोहन शर्मा ने बताया कि 1980 में हटिया वर्कर्स युनियन के वे महामंत्री थे। मैकेनिकल इंजीनियर के पद से इस्तीफा देकर मजदूर युनियन की राजनीति करने लगे और महामंत्री पद तक पहुंचे। रणधीर पासवान, सुनील सिंह, कृष्णा शर्मा, भोला यादव और संजय सिंह ने बताया कि हसपुरा रेफरल अस्पताल, पुनपुन नदी पर पुल इनकी ही देन है। बताया कि बिहटा – डाल्टनगंज रेलवे लाइन का सर्वे इनके ही कार्यकाल में हुआ था। इनके निधन के बाद मामला बंद हो गया। ग्रामीणों की मानें तो कई महत्वपूर्ण सडकें, सामुदायिक भवन इनके कार्यकाल में बनवाये गये थे। गोह में समाजवाद का झंडा रामशरण यादव और देवकुमार शर्मा ने बुलन्द किया था। बाद में भाजपा-जदयु गठबन्धन के माध्यम से डा.रणविजय सिंह ने राजनीति की नयी धारा को मजबूत किया। इस नयी धारा, जिसमें समाजवाद का अब तडका दिया गया है के खिलाफ दक्षिणपंथ की धारा के साथ मैदान में डी.के.शर्मा के पुत्र मनोज कुमार भाजपा से चुनाव मैदान में हैं। देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी धारा अब मजबूत होती है?   



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