Sunday 8 January 2017

जनसंख्या नियोजन को अभी बहुत कुछ करना बाकी

संसाधनों और जागरूकता का है घोर अभाव
सरकारी योजनाओं से अपेक्षित उपलब्धि नहीं
जनसंख्या नियोजन के लिए अभी लंबी यात्रा करनी होगी| जिस तरह का सामाजिक परिवेश है और आर्थिक असुरक्षा की भावना उसमें बहुत कुछ करने की आवश्यकता है| सरकारी संसाधनों का घोर अभाव है तो जागरूकता की कमी भी साफ़ दिखती है| सरकार की तरफ से कई योजनाये इस दिशा में संचालित हैं| अनुमंडल मुख्यालय को प्रखंडों के मुकाबले आवश्यक थोड़ा अधिक् शहरी और शिक्षित क्षेत्र मानना होगा| यहाँ की ही स्थिति संतोषजनक नहीं है तो गाँवों की हालत क्या होगी?
पीएचसी से प्राप्त आंकड़े पर गौर करें| परिवार नियोजन के लिए जो योजनाये चलाती है उससे उपलब्धि बहुत दूर है| माला-एन के लिए प्रति माह मात्र 50 लाभुक पीएचसी पहुंचते हैं| यह औसत आंकड़ा है| इसी तरह कॉपर टी के 65, निरोध के लिए 700, ओरल पिल्स के लिए 45, पीपीआईयूसीडीके लिए 50 और ईसीपी के लिए 50 लाभुक प्रति माह लाभ लेते हैं| यह स्थिति बदल सकती है अगरचे कि इसे अभियान के रूप में लिया जाय और लोगों को यह बताया जाए कि किस योजना का लाभुक के लिए क्या लाभ है?

एक साल में एक भी पुरुष नसबंदी नहीं
अनुमंडल मुख्यालय दाउदनगर स्थित पीएचसी में जनसंख्या नियंत्रण की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजना का हाल बुरा है| पुरुष नसबंदी महिला के बंध्याकरण से ज्यादा आसान, कम पीड़ादायक और कम खर्चीला है इसके बावजूद गत वर्ष में एक भी पुरुष नसबंदी नहीं हुई| साफ़ है कि लोगों में जागरूकता का अभाव है| जुलाई से दिसंबर के छ: महीने में मात्र 222 बंध्याकरण हुआ| यानी औसतन प्रति माह सिर्फ 37 बंध्याकरण| जबकि गौर करने वाली बात यह है कि इसके लिए आशा कार्यकर्ता कुल 148 बहाल किए गए है जिन्हें हर एक को प्रत्येक महीने एक बंध्याकरण का ही तय लक्ष्य दिया गया है| अर्थात लक्ष्य का सिर्फ 25 फीसदी उपलब्धि|

आर्थिक प्रोत्साहन के बावजूद स्थिति बदतर
यह स्थिति तब है जब सरकार इसके लिए दो स्तर पर आर्थिक प्रोत्साहन देती है| एक बंध्याकरण पर लाभुक को 1400 रूपए और उत्प्रेरक के लिए आशा या एएनएम् को 150 रूपए मिलता है| पहले लाभुक को मात्र 600 रूपए ही मिलते थे| पैसे बढाने के बावजूद लाभुक की दर नहीं बढ़ी| इसी तरह पुरुष नसबंदी के लिए लाभुक को 2000 रूपए और उसके लिए उत्प्रेरक का काम करने वाली आशा कार्यकर्ता और एएनएम् को 200 रूपए दिया जाता है| उत्पेरक का काम कोइ भी कर सकता है और उसे यह राशि देय है|

बहाली फेमली प्लानिंग का और काम दूसरा
दाउदनगर पीएचसी में फेमली प्लानिंग वर्कर के लिए दो बहाली है| दोनों इस काम को छोड़ कर दूसरा काम करते हैं| सुरेश सिंह यादव ओटी तो दीपक कुमार चतुर्थवर्गीय कर्मी का काम करते है| सूत्रों के अनुसार इनके द्वारा कोइ नसबंदी या बंध्याकरण के लिए उत्प्रेरक का काम नहीं किया जाता है|


समाज के कई अंगों को होना होगा सक्रिय-डाक्टर

सिर्फ सरकार या संस्था नहीं
 कर सकता बड़ा काम
जनसंख्या नियंत्रण बहुत बड़ा वैश्विक मुद्दा है| इसमे सफलता सिर्फ सरकार और संस्थानों के बूते नहीं मिला सकती है बल्कि इसके लिए समाज के कई अंगों को सक्रिय होना होगा| यह मानना है पीएचसी के चिकित्सकों का| डा.उपेन्द्र सिंह और डा.विनोद प्रसाद शर्मा का मानना है कि सरकार ने जितनी सुविधा और संसाधन दिया है उसका भरपूर उपयोग चिकित्सक अपने संस्थानों में करते हैं| यदि 100 आयेगा तब भी और मात्र 3 आयेगा तब भी मरीज का बंध्याकरण हो या नसबंदी करेंगे ही या अन्य परिवार नियोजन का लाभ देंगे| किन्तु पीएचसी तक लाने का काम चिकित्सक नहीं कर सकते| कहा कि पैसे दी जाते हैं तब भी अपेक्षित संख्या में बंध्याकरण या नसबंदी के लिए लोग नहीं पहुंचते| इसके लिए गाँव स्तर पर नुककड़ सभा, नाटक करना अहोगा ताकि लोग जागरुक हों तभी अधिक संख्या में लोग परिवार नियोजन के लिए आयेंगे| मुखिया, पंचायत स्तर के जन प्रतिनिधि, शिक्षक सामाजिक कार्यकर्ता, आशा सभी को नियमित तौर पर जागरुक करने का काम करना होगा| कहा कि बड़े पैमाने पर नियमित जागरूकता अभियान चलाना होगा| तभी अपेक्षित सफलता मिल सकेगी|      

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