Monday 23 January 2017

शिक्षा क्षेत्र में योगदान के लिए महेंद्र सम्मानित

चेन्नई में पुरस्कृत महेंद्र दाउदनगर में जन्मे

जिले का नाम तमिलनाडु में किया रौशन
 शहर के पुरानी शहर में जन्मे महेंद्र कुमार ने शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए चेन्नई में सम्भागीय प्रोत्साहन पुरस्कार 2016 प्राप्त कर जिले का नाम रौशन किया है| उन्हें केन्द्रीय विद्यालय संगठन  चेन्नई सम्भाग के तत्वावधान में स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित केन्द्रीय विद्यालय सीएलआरआई, अडयार में कार्यरत हिन्दी शिक्षक महेन्द्र कुमार को शिक्षा के क्षेत्र में उनके समर्पित, निष्ठापूर्ण तथा उत्कृष्ट एवं सराहनीय सेवा तथा महत्वपूर्ण योगदान के लिए
 यह पुरस्कार मिला है| उन्हें डॉ सुभाषचंद्र परिजा, निदेशक, जिपमेर, पॉन्डिचेरी ने पुरस्कार दिया| इस अवसर पर केविएस, चेन्नै सम्भाग के उपायुक्त श्री एसएम सलीम तथा अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।  महेन्द्र कुमार वर्ष 1995 से केन्द्रीय विद्यालय संगठन के विभिन्न विद्यालयों में कार्य करते हुए वर्ष 1999 से चेन्नै के उक्त केन्द्रीय विद्यालय में कार्यरत हैं। अपने अनोखे एवं अभिनव तरीके से कार्य करते हुए अपने जुनूनी अंदाज के लिए जाने जाते हैं। छात्र समुदाय में समादृत श्री कुमार बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी हैं।
जड़ अब भी दाउदनगर में ..
महेंद्र कुमार की जड़ दाउदनगर से अब भी जुडी हुई है| उनका जन्म फुले नगर वार्ड संख्या 05 के निवासी पिता स्व. सत्यनारायण भगत के घर दो जनवरी १९६३ को हुआ था| वार्ड पार्षद बसंत कुमार ने उन्हें बधाई देते हुए शहर के लिए इसे गौरव का क्षण बताया| इनके बड़े भाई राजेन्द्र कुमार हैं। ब्रजेश कुमार, प्रफुल भगत, रामसेवक प्रसाद इनके चाचा हैं।

रास्ते का पत्थर समझ ठोकर मत लगाओ
महेंद्र कुमार की संक्षिप्त यात्रा

महेंद्र कुमार साहित्य, संगीत, भाषण और थियेटर जैसी कलाओं में निष्णात हैं| वर्ष 2015 में तमिलनाडु हिन्दी साहित्य अकादमी ने उनकी प्रथम प्रकाशित काव्य संग्रह ‘हर वृक्ष महाबोधि नहीं होता’ को सम्मानित किया है। इसमें एक कविता है-रास्ते का पत्थर| इसकी पहली पंक्ति है-मैं एक पत्थर हूँ, रास्ते पर पडा, पर तुम मुझे, रास्ते का पत्थर समझ ठोकर मत लगाओ|| उन्हें केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा प्रकाशित पत्रिका संगम तथा काव्य मंजरी में इनकी कविताएं प्रकाशित| ‘अध्यात्म शिक्षा का अनिवार्य अंग’ निबंध प्रकाशित| आकाशवाणी से कहानी कविता प्रसारित| सांवली में कविता प्रकाशित| जनमत का संपादन| वर्ष २००२ में स्कौलेस्टिक इंडिया लिमिटेड द्वारा ‘मैनें शिक्षक बनना क्यों चुना’ निबंध पुरस्कृत|  

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